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Saturday, 26 December 2020
Gold to continue glittering in 2021, likely to touch Rs 63,000 per 10 gm
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Russian cryptocurrency exchange Livecoin hacked, services disrupted
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जम्मू कश्मीर की मुस्कानउन्निसा को मिला हर राइजिंग अवार्ड, औषधिय पौधों पर रिसर्च कर गंदरबाल गांव की महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणा

मीर मुस्कानउन्निसा जम्मू कश्मीर के गंदरबाल में आरामपुरा गांव में रहती हैं। उन्हें इस साल वुमन स्टार्टर्स श्रेणी के अंतर्गत हर राइजिंग अवार्ड मिला है। वे औषधिय पौधों पर पिछले कुछ सालों से लगातार रिसर्च कर रही हैं। मुस्कान ने शेर ए कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी से पढ़ाई की है। मुस्कान कहती हैं मैं इस गांव की उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा बनी हूं जो अपने सपने पूरे करना चाहती हैं।

मुस्कान की रुचि फॉरेस्ट्री में बचपन से थी। वे हमेशा स्कूल और कॉलेज में होने वाले वाद-विवाद और मार्शल आर्ट का हिस्सा बनीं। बेचलर्स डिग्री लेने के दौरान मुस्कान ने नेशनल लेवल डिबेट कॉम्पिटीशन में भाग लिया। यहां उनका एक सेशन 'रिओरिएंटेशन एग्रीकल्चरल एजुकेशन' भी था। इस सेशन में उनके आइडियाज की तारीफ हुई।
मुस्कानउन्निसा ने बताया कि वे मेडिसिनल प्लांट में अपनी रिसर्च जारी रखना चाहती हैं। इससे उनका कॉन्फिडेंस और नॉलेज बढ़ा है। मुस्कान के भाई जिशान कहते हैं कि उन्हें अपनी बहन के इस अवार्ड मिलने पर नाज है। सिर्फ जिशान ही नहीं बल्कि पूरे जम्मू और कश्मीर वासी मुस्कान के इस अचीवमेंट से खुश हैं।
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पेड्रो ने नौकरी छूटने के बाद शुरू किया बेकिंग और पिज्जा मेकिंग का काम, पत्नी और बेटी की मदद से सेट हुआ इनका छोटा सा बिजनेस

कोरोना काल में ऐसे कई परिवार हैं जो एक नौकरी जाने के बाद निराश होकर बेरोजगार होने के बजाय नए काम की शुरुआत कर अन्य लोगों को इस तरह के काम करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इन्हीं लोगों में चिली निवासी पेड्रो भी शामिल हैं। वे चिली के बाहरी क्षेत्र सेंटियागो में रहते हैं। पेड्रो कैंपोज जिस रेस्टोरेंट में काम करते थे, वह महामारी के दौरान बंद हो गया। अपनी नौकरी छूटने के बाद पेड्रो ने घर में बेकिंग और पिज्जा मेकिंग का काम शुरू किया। वह घर के आसपास रहने वाले लोगों को ब्रेड बनाकर बेचने लगे। पेड्रो की पत्नी ने उसका साथ दिया और वह भी केक बनाने लगी। पेड्रो की बेटी एमेलिया भी उनके इस काम में मदद करती है।
फोटो साभार : REUTERS

चिली में पेड्रो इस काम को करने वाले अकेले ऐसे पुरुष नहीं हैं, बल्कि लगभग 2 मिलियन चिली वासी कोरोना काल में नौकरी छूटने के बाद इसी तरह के काम कर गुजर-बसर कर रहे हैं। इन्हीं मुश्किल हालातों के बीच यहां के लोगों ने बिजनेस के नए आयाम पेश किए हैं।

नौकरी न रहने पर बड़ी संख्या में पेड्रो जैसे कई लोग मास्क बेच रहे हैं या कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। उनके काम को बढ़ाने में सोशल मीडिया और वाट्सएप ग्रुप मदद कर रहे हैं।
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Franklin Templeton: Former CEC appointed as observer for e-voting process
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फैशन डिजाइनर शाइन सोनी को मिला मिस ट्रांस क्वीन इंडिया 2020 का सम्मान, अब देखती हैं मिस इंटरनेशनल क्वीन बनने का सपना

मिस इंडिया ट्रांस क्वीन बनने के लिए कई राउंड पार करना होता है। इसमें फोटोशूट, टैलेंट हंट, कॉस्ट्यूम ट्रायल्स आदि हैं। इन सारे राउंड को पार करके शाइन सोनी को 'मिस ट्रांस क्वीन इंडिया 2020' के खिताब से सम्मानित किया गया है। शाइन का जन्म लड़के के रूप में हुआ था। उनकी मां को लगता था कि वे समलैंगिक हैं। उसके बाद उन्होंने फिजिकल ट्रांसफाॅर्मेशन कराया और वे लड़की बनीं।

वे मानती हैं कि अधिकांश ट्रांस चाइल्ड को जिंदगी में इस तरह के हालातों का सामना करना पड़ता है। नेशनल इंस्टीट़्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन करने के बाद शाइन अपने फाइनल ईयर में रियलिटी शो की विजेता रहीं। उसके बाद उन्होंने हॉन्गकॉन्ग की एक ट्रेंड फोरकास्टिंग कंपनी से इंटर्नशिप की। वहां से लौटने के बाद शाइन ने अपने लेबल 'न्यूड' की शुरुआत की। दिल्ली में उनका खुद का डिजाइन स्टूडियो है। इस काम के अलावा वे स्टाइलिंग भी करने लगीं। इसके तहत उन्हें कई जगह घूमने का मौका मिला।

शाइन ने अपनी यात्रा को एक ब्लॉग के माध्यम से आम लोगों तक पहुंचाया। वे एक डिजाइनर के साथ ही ब्लॉगर के तौर पर भी मशहूर हुईं। शाइन के लिए फैशन एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां उन्हें पूरी तरह स्वीकार किया गया। यहां काम करते हुए वे खुद को कंफर्टेबल फील करती हैं। वे चाहती हैं कि भारत में ट्रांस वुमन के प्रति लोगों की सोच बदले। लोग ये जानें कि वे दूसरों लोगों से अलग नहीं हैं। जिस तरह उनके पहले लड़कियां मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स रही हैं, वे भी उसी तरह मिस ट्रांस क्वीन बनी हैं। शाइन मिस इंटरनेशनल क्वीन बनने का सपना देखती हैं। साथ ही वे ट्रांस वुमन के हित में काम करने की ख्वाहिश रखती हैं।
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असम में लिक्वर बेचने वाली 30 महिलाओं ने शुरू किया कपड़े की बुनाई का काम, इज्जत की जिंदगी मिली और खूब हो रहा मुनाफा

असम के नालबाड़ी राज्य से 20 किमी दूर छत्र गांव की वे महिलाएं जो कभी शराब बनाने और बेचने के लिए जानी जाती थी, अब धागा बुनने का काम कर इज्जत की जिंदगी जी रही हैं। वे धागा बुनकर इसे भूटान में बेचती हैं और अच्छी खासी कमाई करती हैं। 2009 तक छत्र को 'लिक्वर डेन' के नाम से जाना जाता था। लेकिन फिर बोडो समुदाय की इन महिलाओं ने धागे की बुनाई का काम शुरू किया। अब इस काम में गांव की कई लड़कियां और महिलाएं दक्ष हैं।

इन महिलाओं को ग्राम्य विकास मंच नामक एक एनजीओ धागा बुनने और कपड़े सीने की ट्रेनिंग देता है। सबसे पहले छत्र से ये ट्रेनिंग पद्मा बोरो नामक एक महिला ने ली। उसने अन्य 30 महिलाओं को भी ये काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। यहां रहने वाली अधिकांश महिलाएं विधवा हैं या फिर कई अविवाहित लड़कियां भी ये काम करके आत्मनिर्भर बनी हैं।

नॉर्थ इस्टर्न डेवलपमेंट फायनेंस लिमिटेड ने इन महिलाओं को कोकराझार ले जाकर उन बुनकरों से मिलवाया जो सालों से बुनाई का काम कर रहे हैं। यहां आकर इन महिलाओं को ये भी समझाया गया कि मार्केट की डिमांड क्या है। वहां से आने के बाद फायनेंस लिमिटेड ने इन्हें आठ लूम उपलब्ध कराए। एनजीओ ने इनके लिए शेड बनवाया जहां ये आराम से अपना काम करती हैं। यहां मेखला चादर, टॉवेल, बोडो महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली पारंपरिक पोशाक और भूटान में पहने जाने वाले ट्रेडिशनल कपड़ों की बुनाई की जाती है। इस काम को करते हुए पिछले साल इन महिलाओं को 80,000 का फायदा हुआ था।
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Friday, 25 December 2020
Franklin Templeton: CFMA moves SC, says no apparent steps taken by Sebi
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Forex reserves rise by $2.56 billion to record $581.131 billion
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62 साल की मंजीत कौर पटियाला से जीप चलाकर पहुंची सिंधु बॉर्डर, सोशल मीडिया पर यूजर ने किया उनके साहस को सलाम

62 साल की मंजीत कौर किसान आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए पटियाला से सिंधु बॉर्डर खुद जीप चलाकर पहुंची। उन्होंने पटियाला से दिल्ली तक खुद ड्राइविंग की। सोशल मीडिया पर मंजीत का फोटो वायरल हो रहा है। मंजीत जीप चला रही हैं और उनके साथ अन्य महिलाएं जीप में सवार हैं। सबसे पहले ये फोटो किसान एकता मोर्चा के ट्विटर पर शेयर किया। इसमें लिखा था - ''62 साल की मंजीत कौर पंजाब के पटियाला से खुद गाड़ी चलाकर आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए सिंधु बॉर्डर पहुंची हैं''।
सोशल मीडिया पर कई लोग मंजीत की तारीफ कर रहे हैं। बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू ने अपने ट्विटर अकाउंट पर मंजीत का फोटो शेयर करते हुए लिखा - ''चक दे फट्टे''। महिलाओं को प्रेरित करने वाली मंजीत का साहस सराहनीय है।
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पियाली सरकार ने क्रिसमस पर बनाएं यूनिक केक, अलग-अलग पॉलिटिकल पार्टीज के चिन्ह बनाकर कस्टमर को किया इम्प्रेस

केक बनाने के शौकीन ऐसे कई लोग हैं जो अलग-अलग फ्लेवर और थीम के साथ इसे बनाना पसंद करते हैं। क्रिसमस के करीब आते ही हर साल तरह-तरह के केक की डिमांड यूं भी बढ़ जाती है। इसी बीच पॉलिटिकल पार्टीज के चिन्हों को केक पर बनाने वाले पियाली सरकार का प्रयास क्रिसमस पर चर्चा में है।
कोलकाता की रहने वाली पियाली सरकार ने अपनी सहेली के साथ मिलकर इन केक को बनाया। इस पर पॉलिटिकल पार्टीज जैसे भाजपा और कांग्रेस पार्टी के चिन्ह बनाकर आइसिंग की गई है। पियाली ने बताया- ''मैं और मेरी फ्रेंड लंबे समय से केक बना रहे हैं। हमने सोचा कि इस बार कुछ ऐसा केक बनाएं जो सबसे हटकर हो। तभी ये ख्याल आया कि अगले साल चुनाव होने वाले हैं। इसलिए अगर चुनाव चिन्हों को केक पर बनाया जाए तो लोग पसंद करेंगे''। उनकी सोच तब सही साबित हुई जब कई लोगों ने इन केक की तारीफ की और इसे खरीदा। पियाली ने हर दिन इसी तरह के कम से कम पांच केक बनाकर बेचे।

इस क्लासिक क्रिसमस डेजर्ट ने कई लोगों को प्रभावित किया। पियाली के अनुसार, ''मैंने भाजपा के लोगो वाला एक केक बनाया जो मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने ये केक क्रिसमस के लिए बनाया। मेरा ये आइडिया सही साबित हुआ। मैंने इस केक की कीमत कम रखी ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे खरीद सकें। मैं चाहती हूं कि लोग इन केक के बारे में जानें और अन्य लोगों को भी बताएं। मुझे एक केक बनाने में एक घंटा लगता है। ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के चिन्ह वाले केक लोगों की पहली पसंद हैं। मुझे इन्हें बनाने के ऑर्डर न सिर्फ राजनैतिक पार्टी द्वारा बल्कि आम लोगों से भी मिल रहे हैं''।
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Aavas Financiers to raise Rs 100 cr by issuing bonds via private placement
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जर्मनी की चारों बहनों ने कोरोना वायरस थीम पर डिजाइन किया बोर्ड गेम, मार्केट में हिट हुआ एक दूसरे की मदद का मैसेज देने वाला ये खेल

लॉकडाउन के शुरुआती दौर में जर्मनी में रहने वाली जिन चार बहनों से बोर्ड गेम बनाकर अच्छी-खासी कमाई की, उनकी खूब तारीफ हो रही है। इन बहनों के नाम रेबेका, लारा, स्टेला और सारा श्वालडरलैप है। इन चार बहनों ने फुर्सत के पलों का सही इस्तेमाल कोरोना वायरस बोर्ड गेम बनाकर किया। इस गेम को चार लोग मिलकर खेल सकते हैं।

इस गेम को जर्मनी के सीनियर सिटीजन ने भी पसंद किया। इसे खेलने वाले प्लेयर्स गेम कार्ड्स कलेक्ट करके फिर उसे बांटते हैं। इसे बनाने वाली सारा ने बताया कि खेल का मकसद एकजुटता है जिसे सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है। इस गेम के हर मोड़ पर कोरोना वायरस रास्ता रोकता है लेकिन हर खिलाड़ी एक दूसरे की मदद करके राह में आने वाली रूकावट दूर करता है।

लॉकडाउन में इन चारों बहनों ने अपनी शामें बोर्ड गेम को डिजाइन करने में बिताईं। जब इस लगन को उनके पापा ने देखा तो उन्होंने इसे कमर्शियलाइज करने के लिए एक आर्टिस्ट हायर किया जिसने सभी कार्ड, बोर्ड और बॉक्स को डिजाइन किया। अब तक इन चारों बहनों ने मिलकर बोर्ड गेम की 2000 कॉपियां बेच दी। जर्मनी में सभी जगह इस गेम की काफी डिमांड है।
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Thursday, 24 December 2020
Price of world's 3rd largest cryptocurrency XRP crashes after lawsuit
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आज के दिन क्लाउड ब्रेड से करें अपनों को खुश, स्नोमैन कुकीज, पुडिंग और पैनकेक भी सबको आएंगे पसंद

क्रिसमस पर घर के सभी लोग कुछ खास और डिफरेंट पसंद करते हैं। कोरोना की वजह से अगर आप घर पर ही क्रिसमस सेलिब्रेट कर रहे हैं तो क्लाउड ब्रेड या कुछ स्पेशल कुकीज ट्राय करें। इसे बेक करने में समय भी कम लगता है। इस तरह आज के मेन्यू में आप कुछ खास रख पाएंगी और सबको खुश भी करेंगी।

क्लाउड ब्रेड
क्लाउड ब्रेड यानी एक ऐसी ब्रेड जो बादल की तरह फ्लफी दिखती है। इसे बनाने में सिर्फ तीन सामग्री यानी एग व्हाइट्स, कॉर्न स्टार्च और व्हाइट शुगर का इस्तेमाल होता है। ये तब तक फेंटी जाती है जब तक एग व्हाइट फ्लफी न बन जाए। इसे अलग-अलग फूड कलर के साथ मिलाकर भी बनाया जाता है।
स्नोमैन कुकीज
कुकीज की ये खास वैरायटी बच्चों को खूब पसंद आएगी। इसे कुछ दिनों पहले बनाकर भी रखा जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले बाउल में मक्खन और शकर को मिलाएं। अब अंडा, वैनीला एक्सट्रेक्ट और मैदा मिलाकर सॉफ्ट डो बनाकर प्लास्टिक रैप से ढकें और कुछ देर के लिए अलग रख दें। इस डो को छोटे-छोटे बिस्किट का शेप देकर ओवन में बेक करें। इसे आइसिंग और फूड कलर से सजाकर आकर्षक बनाएं।

पुडिंग
इसका लाजवाब टेस्ट हर मौके को खास बना देता है। क्रिसमस पर पुडिंग बनाकर आप मेहमानों को खुश कर सकती हैं। अगर आप कैरेमल ब्रेड पुडिंग बना रही हैं तो बचे हुए ब्रेड के टुकड़ों, कस्टर्ड और कैरेमल सॉस का इस्तेमाल करें। अपने टेस्ट के अनुसार आप फलों का इस्तेमाल करके भी टेस्टी पुडिंग बना सकती हैं।
पैनकेक
इसे बनाने के लिए आप मैदा, शकर, नमक, बेकिंग पाउडर, दूध, तेल, वनीला एसेंस मिलाकर एक बैटर बना लें। नॉनस्टिक तवे को गैस पर रखें। जब यह हल्का गर्म हो जाए तो एक चम्मच घोल लेकर तवे पर डालिये और चम्मच की सहायता से हल्का मोटा गोल पेनकेक फैलाइये। थोड़ा सा घी चम्मच से पैन केक के चारों ओर व केक के ऊपर भी डालिए। इसे दोनों ओर से इसी तरह सेंक लें और शहद या डिफरेंट टॉपिंग के साथ सर्व करें।
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Bitcoin crushes doubters as 224% rally proves it's here to stay
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India currency, debt, equity markets closed on Friday for Christmas
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क्रिसमस पर मेहमानों के लिए केक के साथ पेश करें कर्ड पकौड़े, टेस्ट ऐसा कि सब रेसिपी पूछेंगे


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हैंडक्राफ्टेड स्नो और बॉटल ब्रश ट्री से सजाएं घर, कम समय में किए जाने वाले डेकोर के लिए अपनाएं ये 4 तरीके

क्रिसमस पर हर साल एक ही तरह की सजावट करके ऊब गए हैं तो इस बार कुछ नया ट्राय किया जा सकता है। घर को विंटर वंडरलैंड में बदल सकते हैं। पॉम पॉम और रिबन से घर को सजा भी सकते हैं। इस बार क्रिसमस पर घर को क्लासिक या कंटेंपररी, दोनों तरह से नया लुक दें।

1. स्नो सीन
किचन में खाली कांच की बरनियां हैं तो इनमें शकर का बूरा भरें, बॉटल धोने के दो ब्रश इनमें डाल दें, कुछ क्रिसमस बॉल्स या फिगर्स रख सकते हैं और कुछ मिनी डेकोर रख सकते हैं।
2. हैंड क्राफ्टेड स्नो
क्रिसमस डेकोर में नकली स्नो बनाकर महीन सफेद धागों की मदद से अपनी सीलिंग से लटकाई जा सकती है। इसके लिए सफेद प्रिंटर पेपर, कैंची और कुछ स्निप्स की जरूरत होगी। इन्हें घर की लॉबी की सीलिंग से लटकाया जा सकता है।

3. वाशी टेप और लाइट्स
साधारण वाशी टेप से ही क्रिसमस ट्री को दीवार पर बनाया जा सकता है। दीवार खराब नहीं होगी, इसे आसानी से हटाया भी जा सकता है। क्रिसमस ट्री के बीच में फेरी लाइट्स लगाकर ट्री को सजाया जा सकता है। इंस्टेंट क्रिसमस डेकोर के लिए ये सर्वश्रेष्ठ आइडिया हो सकता है।
4. बॉटल ब्रश ट्री
बॉटल को धोने वाले ब्रश से भी क्रिसमस ट्री बनाया जा सकता है। तीन या चार बॉटल ब्रश का इस्तेमाल कर छोटे-छोटे कलरफुल क्रिसमस ट्री बनाएं और उन्हें केक स्टैंड ग्लास के नीचे सजाकर रख सकते हैं।
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Mrs Bectors Food Specialities off to flying start; shares more than double
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होली बारबर ने बताए जीरो वेस्ट क्रिसमस के तरीके, वे कहती हैं महंगे गिफ्ट बांटने के बजाय गरीबों को खाना खिलाएं या फूड बैंक की मदद करें

क्रिसमस के अवसर पर सभी अपने-अपने तरीके से इसे सेलिब्रेट कर खास बनाने का प्रयास करते हैं। ऐसे में माइंडफुलनेस कोच और तीन बच्चों की मां होली बारबर क्रिसमस पर लोगों को हाथ से बने गिफ्ट देने की सलाह देती हैं। होली की उम्र 29 साल है। उनके पति जोश कोट्रेल 32 साल के हैं। हालांकि कुछ लोग उनके गिफ्ट देने के तरीके को कंजूसी मानते हैं। लेकिन होली को इस बात की परवाह नहीं है। वे कहती हैं महामारी के बीच पैसों की बचत करना सबसे जरूरी है।
फोटो साभार : metro.co.uk

होली कहती हैं - ''सिर्फ बचत करने के लिए ही नहीं बल्कि पर्यावरण बचाने के लिए भी क्रिसमस गिफ्ट को पेपर के बजाय फैब्रिक में पैक करके देना चाहिए। इसके लिए जापानी आर्ट फूरोशिकी का इस्तेमाल किया जा सकता है''। होली क्रिसमस ट्री डेकोरेट करने के बजाय स्टिक्स डेकोरेट करती हैं। साथ ही प्लास्टिक फ्री पैकेट में वेगान फूड सर्व करना पसंद करती हैं। होली के 3 बच्चे हैं। वे इन बच्चों को ईको फ्रेंडली गिफ्ट आइटम्स के बारे में बताती हैं ताकि वे भी इनका महत्व जानें।
होली ने बताया कि क्लाइमेट चेंज को लेकर पिछले कुछ सालों के दौरान उनकी फिक्र बढ़ी है। इसलिए वे बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। पिछले दो सालों से वे वेस्ट कम करने का प्रयास कर रही हैं। होली कपड़े से बने नैपकिन का दोबारा इस्तेमाल करती हैं। वे चाहती हैं कि पर्यावरण बचाने के ऐसे छोटे-छोटे प्रयास हम सभी को करना चाहिए। होली अपने परिवार के लिए सेकंड हैंड कपड़े खरीदती हैं। वे अपने बच्चों के लिए कभी प्लास्टिक के खिलौने नहीं लेतीं बल्कि लकड़ी से बने खिलौने ही खरीदती हैं।
इस जुलाई से होली ने एक इंस्टाग्राम चैलेंज की शुरुआत की है जिसके अंतर्गत वे लोगों को प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने के प्रति जागरूक करती हैं। उनका दूसरा प्रयास जीरो वेस्ट क्रिसमस है। ऐसे कई लोग हैं जो इनकी पहल से जुड़े हैं और क्रिसमस पर हाथ से बनी हुई प्लास्टिक फ्री चीजें एक दूसरे को उपहार में देना पसंद कर रहे हैं। वे चाहती हैं कि क्रिसमस पर महंगे गिफ्ट आइटम्स खरीदने के बजाय लोग उन गरीबों को खाना दें जिन्हें महामारी के बीच आर्थिक तंगी के चलते खाना भी नहीं मिल रहा है। साथ ही फूड बैंक्स की मदद करें।
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Market Wrap, Dec 24: Here's all that happened in the markets today
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WPIL jumps 36% in 2 days on bagging Rs 851 crore order from MP Jal Nigam
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ITDC, BEML surge up to 17% on report govt may invite EoI for divestment
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After Sebi mandate on multicap funds, Axis MF moves scheme to new category
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पूजा ने आईटी कंपनी से नौकरी छोड़ने के बाद शुरू किया अपना बिजनेस, बेकार टायरों से फुटवियर बनाकर दे रहीं प्लास्टिक यूज कम करने का संदेश

बेकार टायरों को रिसाइकिल करके फुटवियर बनाने का काम करने वाली पूजा बाड़मिकर का प्रयास सराहनीय है। वे इसे प्रदूषण कम करने का जरिया भी मानती हैं। पूजा ने बताया कि हर साल दुनिया भर में लगभग 1 करोड़ टायर कबाड़ में फेंक दिए जाते हैं। इसकी वजह से प्रदूषण बढ़ता है। जब मैंने इस पर रिसर्च तो मुझे इन टायरों से फुटवियर बनाने का विचार मन में आया। मैंने लोकल मोचियों की मदद से इस काम की शुरुआत की और दो प्रोटोटाइप बनाए।
पूजा ने रिन्यूएबल एनर्जी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। वे अपने फुटवियर ब्रांड 'निमिटल' के तहत पिछले दो सालों से इस काम को कर रही हैं। इसके लिए उन्हें वुमन इंटरप्रेन्योर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इस काम की शुरुआत से पहले पूजा एक आईटी कंपनी में जॉब करती थीं। पूजा कहती हैं कि टायर से फुटवियर बनाने में पर्यावरण की कई तरह से रक्षा होती है। इस तरह मार्केट में प्लास्टिक की सप्लाय को कम किया जा सकता है। पूजा के अनुसार, बढ़ता प्रदूषण हम सभी के लिए नुकसानदायक है। इसे कम करने के लिए रिसाइक्लिंग एक जरूरी कदम है।
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This Rakesh Jhunjhunwala-owned stock hits 12-year high; nears record peak
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Wednesday, 23 December 2020
Tata Comm surges 9% on acquisition of majority stake in France's Oasis
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आइवरी कोस्ट कंपनी अफ्रीकन बच्चों के लिए हर साल बना रही 150,000 ब्लैक डॉल्स ताकि बच्चे इस कल्चर की खूबसूरती को समझें

आइवरी कोस्ट की प्रसिद्ध लाइमा डॉल ब्रैंड्स ने ब्लैक डॉल लॉन्च की हैं। यह शुरुआत खासतौर पर अफ्रीकी बच्चों को ध्यान में रख कर की गई है। कंपनी ने कहा कि वह पहले 1.50 लाख डॉल्स का उत्पादन करेगी। हेड डिजाइनर सारा कोलिबेली ने कहा, ''हम चाहते हैं कि अफ्रीकी बच्चे इस तथ्य के प्रति सचेत रहें कि उनकी संस्कृति संपन्न है''।

पिछले पांच सालों से इस कंपनी की नैमा डॉल्स को लगभग 20 महिलाएं मिलकर बना रही हैं। क्रिसमस पर उन्होंने मिलकर इस तरह की डॉल्स के 32 मॉडल्स बनाए हैं। इन डॉल्स को रंग-बिरंगे वैक्स प्रिंट्स और अफ्रीकन मास्क से सजाया जाता है। आबिदजान के ऑफिस में कार्यरत एक आर्किटेक्ट कोलीबेली ने बताया कि हम चाहते हैं बच्चे अपने जीवन में सही फैसले लेने की क्षमता विकसित करें।

हम बच्चों को इस डॉल के माध्यम से ये बताना चाहते हैं कि अफ्रीकी कल्चर बहुत खूबसूरत है। हाल ही में इस कंपनी ने एक नई मॉडल 'एस्सा' को डिजाइन किया है। इन डॉल्स में सबसे ज्यादा अदजोबा को पसंद किया जा रहा है। आबिदजान के कारफोक सुपरमार्केट के टॉय डिपार्टमेंट में नैमा ब्रांड वाली डॉल को देखा जा सकता है। कोलीबेली के अनुसार, हमें डॉल्स बनाने की प्रेरणा उन लोगों से मिलती है जो हमारे आसपास ही हैं। फिलहाल ये डॉल्स चीन और स्पेन में बनती हैं। लेकिन कोलीबेली को उम्मीद है कि अगले कुछ सालों में उनकी फैक्ट्री भी इन डॉल्स की डिमांड बढ़ने पर इन्हें बनाने लगेगी।
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Goldprice dips Rs 10 to Rs 62,720, silver falls Rs 100 to Rs 74,900
The price of 22-carat gold also fell Rs 10 with the yellow metal selling at Rs 57,490 from Markets https://ift.tt/rpZGNwM
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उषाशी का संबंध एक ऐसे परिवार से हैं जहां अधिकांश लोग शिक्षक हैं। उन्होंने बचपन से अपने घर में पढ़ाई-लिखाई का माहौल देखा। वे 1986 में शादी के...
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