It simply sucks. I don't personally read blog posts word by word, so how can I except you to read them too? I known ther are people who are kind enough to read a 10,000 word long blog article from start to finish, but I think that's a minority.why waste your time ? Let me..
Saturday, 4 July 2020
MF investment in equity markets increased by four times in H1 2020
from Markets https://ift.tt/2O94RyB
Bullion experts propose separate gold saving account to promote paper gold
from Markets https://ift.tt/2ZD9VR2
ईएमआई चुकाने के मामले में ओवरड्यू होने से बचें, अपने सारे दस्तावेज़ों को डिजीलॉकर में सहेज कर रखें
कोरोना काल का यह दौर मुश्किल है। कई लोग बेरोजगार हो गए हैं तो कई ऐसे भी हैं जिनके लिएहर महीने घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हाे गया है। यही वो दौर जब बहुत कुछसीखा और संभाला जा सकता है। घर की वित्तीय स्थिति को दुरुस्त करने का यह उचित मौक़ा है।
इस समय पैसों से जुड़ी कुछ बातों का ख्याल रखें तो वित्त प्रबंधन को सही रखा जा सकता है।
सिबिल स्कोर ठीक रखें
ईएमआई समय पर चुकाते रहें या बैंक ईएमआई मोरटोरियम का विकल्प चुनें यानी क़िस्तों में समय की छूट का। किसी भी सूरत में ओवरड्यू न रहे। इससे सिबिल ख़राब हो सकता है। सिबिल ठीक रहेगा, तो आपको आगे लोन लेने में दिक़्क़त नहीं होगी।
डिज़िटल प्रक्रिया सीखें
अब बार-बार बैंक जाना या एटीएम की दौड़ लगाना मुनासिब नहीं होगा। सावधानी रखते हुए अपने हाथ में ही मोबाइल के रूप में मौजूद एटीएम और बैंक से भुगतान की प्रक्रियासीखें और अपनाएं। डिजिटल बैकिंग आपको बेवजह की भागम भाग से बचाने में मदद करेगी।
काग़ज़ात सहेज लें
बीमा हो या निवेश, बैंक के खाते हों या कोई स्कीम, इन सबसे जुड़े अपने सारे काग़ज़ात को एक जगह इकट्ठा करें। जो ऑनलाइन न हो, उसे ऑनलाइन में तब्दील कर लें और सबके अकाउंट के पासवर्ड सुरक्षित कर लें। अपने सारे दस्तावेज़ों को डिज़ीलॉकर में सहेज लें।
निवेश से हाथ न खींचें
अफरा-तफरी में कई लोग अपने पैसे निकाल रहे हैं। याद रखिए एटीएम या बैंक से पैसे निकालना तो आसान है। लेकिन इस पैसे को जमा करना आपके लिए इस दौर में मुश्किल हो जाएगा।यह उचित नहीं होगा। असल में तो दीर्घकालिक निवेशों के बारे में सोचने का यही सही समय है। सुरक्षित निवेश के विकल्पों को चुनें।
सेहत को कवर रखें
बीमा के बारे में गंभीर होने का भी यह समय है। अपनी सेहत व जीवन के लिए उचित राशि के लक्ष्य का बीमा ज़रूर लें ताकि जरूरत पड़ने पर आपको किसी के सामने हाथ नहीं फैलाने होंगे। आपकी छोटी-छोटी और सही योजना से यह समय आसानी से बीत सकता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3dYu60M
दुबई आर्टिस्ट हिकारू मोरिश्ता ने नेल आर्ट डिजाइन के लिए इस्तेमाल की रिसाइकल्ड चीजें, चेन के टुकड़ों से सजाए नाखून
26 साल की हिकारू मोरिश्ता की नेल आर्ट डिजाइन देखकर आप दुनिया भर में होने वालेक्रिएशन का अंदाजा लगा सकते हैं।नेल आर्ट की ड्रिलिंग, शेपिंग, पॉलिशिंग के लिए हिकारू ने रिसाइकल्ड चीजों का उपयोग किया है।
साथ ही चैन के छोटे-छोटे टुकड़ों को अलग-अलग शेप देकर उन्होंने अपने नाखूनों पर सजाया।आर्ट के ये क्रिएटिव पीसेस उनकी खूबसूरत इमेजिनेशन को बयां करते हैं।हिकारू द्वारा डिजाइन किया गया हर नाखून किसी यूनिक स्कल्पचर से कम नहीं है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/31Noxjl
नेत्रहीन बच्ची सहाना निरेन ने पियानो पर बजाई सुरीली धुन, ए आर रहमान ने अपने टि्वटर अकाउंट पर की उसकी तारीफ
ग्रैमी और एकेडमी अवार्ड विनिंग कंपोजर ए आर रहमान ने हाल ही में अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें एक नेत्रहीन लड़की ए आर रहमान की तमिल फिल्म के गाने थुंबी थुलान की ट्यून पियानो पर बजा रही है।
इस लड़की का नाम सहाना निरेन है। यह देख नहीं सकती है। उसने ये ट्रैक तमिल फिल्म कोबरा के गाने से लिया है। रहमान ने इस गाने को देखकर अपने ट्विटर पर लिखा ""स्वीट
''
सहाना के ट्विटर अकाउंट को उनकी मां हैंडल करती हैं। उन्होंने रहमान के ट्विट को पढ़ने के बाद उन्हें ""थैंक्यू सो मच'' कहा। अपने ट्विट में उन्होंने आगे कहा कि आज वो दिन है जिसका मुझे हमेशा इंतजार था। सर मेरे पास आपका शुक्रिया अदा करने के लिए कोई शब्द नहीं है। इस अवसर के लिए मैं ईश्वर को धन्यवाद देना चाहती हूं।
तमिल फिल्म कोबरा के प्रोड्यूसर एस एस ललित भी सहाना ने प्रभावित हुए। वे खुद भी गायक हैं और कई इंस्ट्रूमेंट्स प्ले करते हैं। ललित सहाना से मिलने उसके घर गए और उसे फुल सेट अप ऑडियो स्टूडियो रिकॉर्डर गिफ्ट किया।
इस लड़की को देश के अन्य म्युजिक लवर्स से भी तारीफ मिल रही है। इस फिल्म में यह गाना श्रेया घोषाल और नकुल अभयंकर ने गाया है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Zu4iEs
रशियन कपल ने घर के पीछे बनवाया इम्युनिटी बढ़ाने वाला पिरामिड, किया कोरोना वायरस से बचाव का दावा
मॉस्को (रूस) के एक दंपति एंड्री वख्रुशेव और उनकी पत्नी विक्टोरिया ने अपने घर के पीछे पिरामिड की नकल बनाई है। यह मिस्र के पिरामिड जितना बड़ा नहीं है, लेकिन काफी बड़ा है।
इसे इस तरह बनाया गया है ताकि यह असली पिरामिड ही लगे। कोई भीव्यक्ति एनर्जेटिक होने के लिए कुछ शुल्क अदा कर इस पिरामिड में रात गुजार सकता है। दंपति का कहना है कि आकार के अंतर के अलावा दोनों संरचनाएं समान हैं।
असली से 19 गुना छोटा
सेंट पीटर्सबर्ग से 12 किलोमीटर दूर स्थित इस्तिन्का नामक गांव के इस दंपति ने अपने घर के पीछे की जगह पर गीजा के महान पिरामिड की तरह प्रतिकृति बनवाई है। यह पिरामिड असली पिरामिड से 19 गुना छोटा है। यह जमीन से 9 मीटर ऊपर और 9 मीटर गहरी माप और लगभग 400 टन कांक्रीट ब्लॉक से मिलाकर बनाया गया है।
दंपति का कहना है कि उन्होंने पिरामिड के डिजाइन समझने के लिए कई वर्ष अध्ययन किया है। यहां तक कि असली पिरामिड की पूरी जानकारी लेने के लिए कई बार वहां का दौरा भी किया है।
कोई गलती मंजूर नहीं
एंड्री ने बताया कि उन्हें इसके निर्माण में एक सेंटीमीटर तक की त्रुटि मंजूर नहीं थी। निर्माण में सही स्तर, सटीक आकार और काम में परफेक्शन से कोई समझौता नहीं किया गया है। स्वयं के पिरामिड को सही आकार देने के लिए इस दंपति ने एक महीना तो अच्छा कॉन्ट्रेक्टर ढूंढने में ही लगा दिया।
इस दौरानकोई निर्माणकर्ता ऐसा नहीं मिला, जो हूबहू नकल बना सके। अंत में एक ऐसा कॉन्ट्रेक्टर मिला, जिसने इस प्रोजेक्ट में अपनी रुचि दिखाई।
संक्रमण से बचाव
एंड्री ने बताया कि जब उनका पिरामिड बन रहा था, तब कुछ श्रमिकों को चोट लगी, लेकिन पिरामिड के भीतर काम करते रहने से वे जल्द ठीक हो गए। यहां तक कि इसे बनाने वाला कोई भी व्यक्ति बीमार नहीं पड़ा।
इनका दावा है कि उनके पिरामिड लोगों की इम्यूनिटी बढ़ा सकते हैं। कोरोना संक्रमण से भी बचा सकते हैं।
चिकित्सा लाभ
जो भी व्यक्ति पिरामिड की चिकित्सा और शक्तियों का लाभ उठाना चाहता है, वह बुकिंग करा सकता है। यहां लोग ध्यान करने और ऊर्जा बढ़ाने आते हैं। एक रात गुजारने के लिए कम से कम 50 डॉलर (3,500 रुपए) चुकाने होंगे।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2C7Nz24
Friday, 3 July 2020
Gold prices today steady at Rs 48,350 per 10 gm, silver at Rs 48,550 a kg
from Markets https://ift.tt/2NSSoin
Balkrishna Industries hits 52-week high; stock rallies 49% in two months
from Markets https://ift.tt/3f80JdG
Motherson Sumi shares tank over 9% after group restructuring announcement
from Markets https://ift.tt/31FeU6h
रिश्ते में धाोखा खाने के बाद भी पार्टनर को माफ कर उसी के साथ बिताना चाहते हैं जिंदगी, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होने पर माफी की गुंजाइश कम
ऐसे कई कपल हैं जो एक दूसरे के साथ लंबे समय तक रहने के बाद ब्रेकअप के बारे में सोचने लगते हैं। एक बार ब्रेकअप हो जाने के बाद वे दूसरे पार्टनर की तलाश में रहते हैं या सिंगल रहना पसंद करते हैं। ब्रेकअप के बाद कपल की सोच को लेकर आपके मन में जो भी विचार हों लेकिन हाल ही में हुआसर्वे इस बारे में कुछ अलग ही खुलासा करता है।
इस सर्वे के अनुसार अधिकांश कपल अपने पार्टनर सेरिलेशनशिप खत्म हो जाने के बाद एक बार फिर उसे अपनीगलती के लिए माफ करना चाहते हैं। वे उसे हर हाल में सेकंड चांस देने को तैयार रहते हैं।
जिंदगी बिताने में यकीन रखते हैं
एक्स्ट्रा मैरिटल डेटिंग एप ग्लीडेन ने 34-49 साल के दिल्ली, मुंबई, बेंगलूरु, चेन्नई, पूणे और हैदराबाद के 1000 यूजर्स पर सर्वे किया। इसके अनुसार साथी के विश्वासघात को देखते हुए अगर कुछ लोग अपने पार्टनर से पीछे छुड़ाना चाहते है तो कुछ ऐसे भी हैं जो दोबारा उसी पार्टनर के साथ जिंदगी बिताने में यकीन रखते हैं। वे अपने पार्टनर की गलतियों को इग्नोर कर देते हैं।
सेकंड चांस नहीं देना चाहते
सच तो यह है कि बिना किसी शर्त के 36.9% कपल एक दूसरे को माफ कर देते हैं। 40.1% कपलमानते हैं कि पार्टनर को माफ करना इस बात पर निर्भर करता है कि उससे अलग रहने के बाद क्या हालात रहते हैं। वे अकेले रह पाते हैं या नहीं।
23% कपल एक बार ब्रेकअप हो जाने के बाद अपने साथी को किसी भी कीमत पर सेकंड चांस नहीं देना चाहते।
कभी साथ रहना नहीं चाहते
इस सर्वे में ये भी पाया गया कि जब कपल को एक दूसरे के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के बारे में पता चलता है तो फिर वे कभी साथ रहना नहीं चाहते। इन परिस्थितियों में अपने पार्टनर को माफ कर देना भी उनके लिए मुश्किल होता है।
इसके अलावा ऐसे साथी के साथ निभाना मुश्किल होता है जो आपकेसाथ रहते हुए भी अन्य पार्टनर की तलाश में भटकता रहे। इस तरह की बेवफाई रिलेशनशिप में रहते हुए कोई भी बर्दाश्त नहीं करना चाहता।
दोस्तों की सलाह लेना पसंद
कपल्स के बीच जब ब्रेकअप की स्थिति बनती है तो सबसे पहले वे अपने दोस्तों की सलाह लेना पसंद करते हैं। ग्लीडेन के इस सर्वे से पता चलता है कि 37.5% यूजर्स अपने लव अफेयर सीक्रेट्स को दोस्तों के साथ शेयर करते हैं।
31.3% यूजर्स अपने भाई-बहनों के साथ ब्रेकअप से जुड़ी बातें सांझा करते हैं। वहीं 31.2% रिलेशनशिप में आने वाली दिक्कतों को पेरेंट्स या अपने पार्टनर के साथ ही शेयर करना चाहते हैं ताकि वे इस रिश्ते की वजह से महसूस होने वाली गिल्ट से निकल सकें।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Arla6p
Vedanta to pave way for HDFC Life in Nifty. Time to buy insurance stocks?
from Markets https://ift.tt/2VC4S23
Gold steadies in tight range as virus fears offset solid US jobs data
from Markets https://ift.tt/2NXwo5D
Defence stocks rally as MoD approves military purchases worth Rs 38,900 cr
from Markets https://ift.tt/2ApcltN
श्रीनगर के डल झील की सफाई कर रही 7 साल की जन्नत, हैदराबाद के स्कूल की किताब में दर्ज हुई इसकी कहानी
श्रीनगर की प्रसिद्ध डल झील प्रदूषण और अतिक्रमण की वजह से 22 स्क्वेयर किलोमीटर के मूल आकार से सिकुड़कर करीब 10 वर्ग किलोमीटर की रह गई है।इसके कारण झील की क्षमता भी कम होकर करीब 40 फीसदी बचीहै। पर्यटको द्वारा गंदगी फैलाने की वजह से इस झील केपानी की गुणवत्ता भी खराब हुई है।
श्रीनगर की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाने वाली इस झील की सफाई का जिम्मा पिछले दो साल से सात साल की एक नन्हीं बच्ची संभाल रही है।इस लड़की का नामजन्नत है। वह अपने शिकारे में बैठकरडल झील की सफाई करती देखी जा सकती है।
उनके इस प्रयास को हैदराबाद के स्कूल की किताब में जगह दी गई है। जन्नत कहती हैं झील को साफ करने की प्रेरणा मुझे मेरे पापा तारीक अहमद से मिली। वे कहती है -डल झील श्रीनगर के सबसे प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। इस झील के करीब ही बनी मस्जिद हजरत बल यहां की खूबसूरती को और बढ़ा देती है।
इस झील को कश्मीर के मुकुट में गहना माना जाता है जो यहां के लोगों के लिए आय का जरिया भी है। डल झील में फैले प्लास्टिक के कूड़े को साफ करने में जन्नत की मदद उनके पापा भी करते हैं। जन्नत अपने पिता के शिकारे में बैठकर झील के किसी भी हिस्से में यहां आने वाले पर्यटकों द्वारा फैलाए गए प्लास्टिक के कचरे को साफ करतेहुएदेखी जा सकती है।
जन्नत का इस झील से बचपन से ही नाता रहा है। वे अपने परिवार के साथ इस झील के एक हाउसबोट में रहती हैं। जन्नत के पापा कहते हैं - मेरी बेटीमहज तीन साल की उम्र में ही जब किसी को झील में कचरा फेंकते हुए देखती तो उसे समझाने में लग जाती थीं। एक बार तो एक पर्यटक को सड़क से वापस आकर झील से प्लास्टिक की बोतल निकालने पर मजबूर कर दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जन्नत के काम की सराहना अपने मन की बात कार्यक्रम में कर चुके हैं। इसके बाद जन्नत के बारे में देश-दुनिया केलोगों को पता चला कि किस तरह एक छोटी बच्ची झील को प्रदूषण से बचाने का काम कर रही है। फिलहाल जन्नत दूसरी कक्षा की छात्रा हैं। वे बड़े होकर साइंटिस्ट बनना चाहती है।
वे चाहती हैं कि उनके प्रयासों से डल झील बिल्कुल साफ हो जाए और यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़े।जन्नत के पापा कई सालों से इस झील को साफ करने में व्यस्त हैं। उन्हें इस बात की खुशी है कि जन्नत के प्रयासों को सारी दुनिया मेंतारीफेंमिल रही है। तारीक कहते हैं ये तारीफेंजन्नत को आगे बढ़ने का हौसला देंगी। वह चाहते हैं कि उनकी उनकी बेटी भविष्य में पर्यावरणविद बन कर झील को साफ रखने काप्रयास बड़े पैमाने पर करे।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2C3pHwa
Thursday, 2 July 2020
Opto Circuits locked in 5% lower circuit after zooming 1250% in 66 days
from Markets https://ift.tt/38qyYdO
Lakshmi Vilas Bank gains 5% on report Clermont Group eyes stake purchase
from Markets https://ift.tt/31Axo82
Crude oil can hit $50/bbl in 2021; gas demand to pick up in India: Analysts
from Markets https://ift.tt/2YVr217
Insurance stks gain; HDFC Life adds 5% on Nifty50 inclusion, SBI Life up 2%
from Markets https://ift.tt/2NNrdoW
Motherson Sumi slips 9% after board approves group restructuring plan
from Markets https://ift.tt/38uzgR5
सिने डांसर्स एसोसिएशन का चेहरा थीं सरोज खान, बुजुर्गों को पेंशन और बेटियों को मुफ्त शिक्षा दिलाने का संकल्प लिया था
लंबे समय सेसिने डांसर्स एसोसिएशन (CDA) के लिए अपनी सेवाएं दे रहीकोरियोग्राफर सरोज खान को कुछ ही समय पहले इस संस्था काब्रांड एम्बेसडर बनाया गया था। एसोसिएशन के अध्यक्ष निलेश पराड़कर ने सरोज के जुड़ने के बाद कहा थाकि उनका साथ आना हमें और मजबूत और बेहतर बनाएगा। इसके बादसरोज ने संकल्प लियाथा कि वेडांसर्स की बेटियों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराएंगी।
कहा था- अब जड़ों की ओर लौटने का वक्त
सरोज ने पुरानी यादें साझा करते हुए कहा था- मैंने अपना कॅरियर ग्रुप डांसर के तौर पर शुरू किया था। और मेरे पास आज भी मेरा CDA का कार्ड है। मैं ब्रांड एम्बेसडर के तौर पर एसोसिएशन को इंडस्ट्री में सबसे बड़ा बनाना चाहती हूं। जब मैं 10 साल की थी तब मैंने फिल्मों में डांसिंग शुरू की थी और अब जड़ों की ओर वापस लौटने का वक्त है। साथ हीवे सभी सुविधाएं प्रदान करने का भी जो मुझे हासिल नहीं हुई थीं।
उन्हें वरिष्ठ कलाकारों की भीचिंता थी
सरोज कहती थीं - मैंने अच्छा काम करने का वादा किया है। साथ ही डांसर्स कोफिल्म इंडस्ट्री में पूरा सम्मान दिलाया जाएगा जिसके वे हकदार हैं। उनका यह भी कहना थाकि स्टेज शो फंड रेजिंग के लिए किए जानाचाहिए। ताकि ऐसे वरिष्ठ कलाकार जो इंडस्ट्री से रिटायर होकर जीवन जी रहे हैं और उन्हें पैसों की जरूरत है तो उनके सर्वाइवल में सहायता की जा सके। वहीं हर डांसर की रोज की आमदनी से भी 100 रुपए अलग रखे जाएं जिससे उन्हें भविष्य में पेंशन दी जा सके।
देने में ही जीवन को सार्थक मानती थीं सरोज
इस बात को मानने वालीं सरोज कहती थीं - जो भी कोई भारतीय और वेस्टर्न स्टाइल डांस करने में सक्षम है तो वह प्रोफेशनल डांसर हो सकता है और उसका ऐसोसिएशन में स्वागत किया जाएगा। उनका कहना था कि वे कभीकिसी खास डांस को न जानने का बहाना नहीं सुनेंगीलेकिन अगर डांसर कोकोचिंग की जरूरत है उन्हें क्लासेस भी दिलाई जाएंगी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3dV6cmX
JB Chemicals gains 4%, nears 52-wk high as PE firm KKR to acquire 54% stake
from Markets https://ift.tt/3eTMVUk
RIL gains 1% as Intel Capital to invest Rs 1,894 crore in Jio Platforms
from Markets https://ift.tt/2ZuHG6U
Cadila gains 5% on DGCI nod for clinical trials of Covid-19 vaccine
from Markets https://ift.tt/2YUHYFh
Stocks to watch: RIL, HDFC Life, Motherson Sumi, JB Chemicals, Divi's Lab
from Markets https://ift.tt/3ipEXUS
Crude oil falls as growing coronavirus cases stoke fuel demand worries
from Markets https://ift.tt/2Zy1oyD
Investors should be cautious on gold after recent rally: Tradebulls Sec
from Markets https://ift.tt/2BoNwin
Nifty may face resistance at 10,650 level, says Nilesh Jain of Anand Rathi
from Markets https://ift.tt/3gn12Sq
Market Ahead, July 3: All you need to know before the opening bell
from Markets https://ift.tt/2VEldmE
MARKET LIVE: SGX Nifty indicates positive start; RIL, JB Chemicals in focus
from Markets https://ift.tt/2CZAIiB
Gold price today: 48,350 per 10 gm, silver declines to Rs 48,600 a kg
from Markets https://ift.tt/2NMEQ7Y
Trading volumes spurt in June; buoyancy in stock market boosts activity
from Markets https://ift.tt/3eUOt06
रिश्तों के मायने, बरसात और स्वाभिमान, महिलाओं और पुरुषाें के अलग-अलग रूप को दर्शाती 3 लघुकथाएं
1. लघुकथा :रिश्तों के मायने
लेखिका :ज्योत्स्ना शशि
बहू, मुन्ना कब से रोए जा रहा है, दूध क्यूं नही देतीं उसको?’ मिसेज़ शर्मा ने बहू से पूछा। ‘क्या करूं मां, मिल्क पाउडर का डिब्बा तो सुबह ही ख़त्म हो गया। समझ में नहीं आ रहा क्या करूं!’ बहू दीप्ति ने जवाब दिया। उधर उनका बेटा अनुज फोन पर अपने दोस्त से दूध का पैकेट भेजने की विनती कर रहा था।
आज एक हफ़्ता हो गया शर्माजी को अस्पताल से घर वापस आए और उसके बाद से घर का जो हाल देखा है तो ख़ुद को ही कोस रहे हैं कि उनकी वजह से घरवाले कितनी परेशानी उठा रहे हैं। बीस दिन पहले कोरोना रिपोर्ट पॉज़िटिव आने पर अस्पताल वाले आकर उन्हें ले गए थे।
बाक़ी घरवालों का भी टेस्ट हुआ पर सबकी रिपोर्ट नेगेटिव आई। बाद में शर्माजी की दो रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उन्हें घर भेज दिया गया। पर उसके बाद से ही आस-पड़ोस वाले ऐसा बर्ताव कर रहे हैं जैसे शर्माजी के घर से ड्रग्स या हथियार बरामद हो गए हों। इसके पहले आस-पास के घरों में इतना मेलजोल था कि मोहल्ले में ख़ूब चहल-पहल रहती थी।
एक दूसरे के घर ख़ूब आना-जाना था। और जबसे मुन्ना हुआ था तबसे और भी रौनक़ लगी रहती थी। सभी का लाड़ला था वह। कभी ज़्यादा रोता तो सब पूछने लगते कि क्या हो गया, क्यूं रो रहा है। पर आज सुबह से कितना रोए जा रहा है, किसी ने खिड़की भी नहीं खोली। कंटेनमेंट में तो अब उनका घर नहीं है, लेकिन सब्ज़ीवाले, दूधवाले, यहां तक कि दवा दुकान वाले को भी कोई उनके घर नहीं आने दे रहा।
‘कोरोना क्या हो गया, पढ़े-लिखे लोग ज़ाहिलों जैसा बर्ताव करने लगे। महामारियां इसके पहले भी बहुत हुई हैं... चेचक, प्लेग, डेंगू, और वो ठीक भी हुई हैं। सबने हिम्मत से और मिल-जुलकर उनका सामना भी किया है, एक-दूसरे की मदद भी की है। पर कारोना ने लोगों को स्वार्थी बना दिया है। बुद्धि भ्रष्ट कर दी है।’ यही सब बड़बड़ाते हुए मिसेज़ शर्मा चहलक़दमी कर रही थीं कि तभी उनके फोन की घंटी बजी। ‘हैलो आंटी नमस्ते, कीर्ति बोल रही हूं, कैसे हैं आप सब, आज तो वट अमावस है ना, पूजा हो गई? आज मैंने आपकी दी हुई पिंक साड़ी पहनकर पूजा की तो आपकी याद आ गई!’ एक सांस में बोल गई वह।
कीर्ति पड़ोस वाले गुप्ताजी की बेटी है। चार महीने पहले ही शादी हुई है उसकी। कनाडा में रहती है। चार महीने पहले इस मोहल्ले में जो रौनक़ थी, उसे देख ये बताना मुश्किल था कि शादी किस घर में है। सहसा ही वो सब याद करके मिसेज़ शर्मा की रुलाई फूट पड़ी और उन्होंने कीर्ति को सारी आपबीती कह सुनाई। कीर्ति को तो जैसे झटका लगा।
‘अच्छा आंटी, बाद में कॉल करती हूं,’ कहकर उसने फोन काट दिया और अपनी मां को फोन मिलाकर एक सांस में बोलने लगी, ‘आप लोग ऐसा कैसे कर सकते हैं! भूल गईं आप, कितने प्यार से शर्मा आंटी ने अपने हाथों से मेरी फेरों वाली साड़ी सजाई थी, और अनुज भैया कैसे दौड़-दौड़कर शादी में काम कर रहे थे। और वो बाज़ूवाले घोष अंकल, जब भी उनके मोबाइल में कुछ गड़बड़ होती है तो सीधे अनुज भैया के पास पहुंच जाते हैं।
आप लोग सबकुछ भूल गए? महामारी एक-दूसरे से फैलती है पर इसका मतलब ये नहीं कि हम स्वार्थी हो जाएं और किसी की मदद न करें। अपनी सुरक्षा का ख़्याल रखते हुए भी हम दूसरों की मदद कर सकते हैं और एक-दूसरे के सहारे इससे लड़ सकते हैं। और भगवान न करे, अगर कल को अपने घर में किसी को कोरोना हुआ और आपके साथ ऐसा बर्ताव हुआ तो कैसा लगेगा?’
बेटी की बातें सुनकर मिसेज़ गुप्ता का मन ग्लानि से भर गया। उन्होंने तुरंत फोन रखा, मास्क लगाया और सब्ज़ियां, दूध, ब्रेड आदि लेकर शर्मा जी के घर की ओर चल दीं। शर्मा जी के दरवाजे़ पर सामान रखकर और घंटी बजाकर वह जैसे ही घर लौटीं, मोबाइल पर मिसेज़ शर्मा का फोन आ रहा था। कोरोना और रिश्तों के बीच आख़िर जीत रिश्तों की ही हुई।
लघुकथा: बरसात
लेखिका :डॉ. अलका जैन
नन्हा रवि अपने घर की बालकनी में उदास बैठा हुआ था। बाहर बहुत तेज़ बारिश हो रही थी। मम्मी ने उसे इस तरह बैठा देखकर पूछा, ‘क्या हुआ बेटा? कितना अच्छा मौसम है और तुम इस तरह उदास क्यों बैठे हो?' रवि रुआंसा होकर बोला, ‘मम्मा! हर साल मैं दोस्तों के साथ बरसात में ख़ूब मस्ती करता था, हम काग़ज़ की नाव तैराते थे, फिर इन दिनों हम सब पिकनिक पर भी जाते थे। सब बंद हो गया है।
ये बरसात मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही।’ मम्मी ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, ‘बेटा! माना हम इस सुहाने मौसम में घूम-फिर नहीं पा रहे, तुम स्कूल नहीं जा पा रहे, ये भी माना कि बारिश का स्वागत करने का उत्साह मंद पड़ गया है पर देखो तो ज़रा, कितनी सुंदर है प्रकृति।
"बरसात की बूंदों का स्पर्श पाकर पेड़-पौधे मुस्करा उठे हैं। जो बरसात हमारे लिए मनोरंजन का एक साधन मात्र है, समूची सृष्टि के प्राण उस पर टिके हुए हैं। ये सिर्फ किसान ही नहीं, समस्त जीव-जगत के लिए बहुत आवश्यक है। माना कि आज कोरोना के संक्रमण के कारण हम घरों में रुकने को विवश हैं, लेकिन वह दिन भी आएगा जब हम बेफ़िक्र होकर बरसात का मज़ा ले सकेंगे।
लेकिन तब तक तुम्हें, हम सबको धैर्य रखना होगा। वैसा ही धैर्य जैसा धरती रखती है। ये सहती है सूर्य के प्रखर ताप को, जलती है, पर बिखरती नहीं क्योंकि वह मां है। उस पर उसकी असंख्य संतानों के प्राण निर्भर हैं और जब इस तपस्या के बाद मेघ उमड़-घुमड़कर बरसते हैं तो धरती ही नहीं सृष्टि का रोम-रोम पुलकित हो उठता है। इसलिए बेटा, इस बरसात का आनंद लो और थोड़ा धैर्य रखो।..
.
"ये बरसात आज हमसे कह रही है कि एक दिन कोरोना ख़त्म होगा और हम सब फिर से मुस्कराएंगे। बारिश ही क्यों, हर मौसम का आनंद लेंगे।' मम्मी की बातें सुनकर रवि चहक उठा, ‘वाह! मेरी मम्मी तो बहुत अच्छी बातें करती हैं। मन की सारी उदासी ख़त्म कर दी है आपने मम्मा! अब मैं ख़ुश होकर बरसात का स्वागत करूंगा।’रवि और मम्मी की खिलखिलाहट बारिश की बूंदों जैसी ही प्यारी लग रही थी।
लघुकथा :स्वाभिमान
लेखक:हरीश कुमार ‘अमित’
गाड़ी चलाते हुए मेरा दिमाग़ लगातार सांय-सांय कर रहा था। सुबह से साहब के साथ ड्यूटी पर था। कभी एक मीटिंग के लिए किसी बिल्डिंग में और कभी किसी अन्य मीटिंग के लिए दूसरी बिल्डिंग में आने-जाने में ही पूरा दिन बीता था। अब रात के नौ बजने वाले थे और साहब को एयरपोर्ट छोड़ने जा रहा था।
मंत्री जी की बुलाई मीटिंग में काफ़ी वक़्त लग जाने के कारण साहब घर भी नहीं जा सके थे और उन्हें बैठक स्थल से सीधे एयरपोर्ट की ओर आना पड़ा था। उनकी अटैची भी मैं ही उनके घर से लेकर आया था जब वे मंत्री जी से चर्चा कर रहे थे।
सुबह से दस बार रुक्मिणी का फ़ोन आ चुका था कि घर आते वक़्त मैं साहब से कुछ एडवांस लेकर ही आऊं। दरअसल, उसकी बहन की शादी तय हो गई थी और पांच दिनों बाद ही शादी हो जानी थी। शगुन और दूसरे ख़र्चों के लिए दस हज़ार रुपयों की सख़्त ज़रूरत थी।
एयरपोर्ट नज़दीक आता जा रहा था। साहब एक हफ़्ते बाद वापस आएंगे। मैं असमंजस के झूले में झूल रहा था। आज तक किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया, तो क्या आज अपने उसूल तोड़ दूं? सोच-सोचकर सिर घूमने लगा था। माथे पर पसीना भी चुहचुहाने लगा था। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं, क्या न करूं!
एयरपोर्ट अब सामने ही था। एकाध मिनट में साहब को उतरकर चले जाना था। मैं अब भी असमंजस के समंदर में गोते लगा रहा था। एयरपोर्ट के गमन क्षेत्र के सामने मैंने गाड़ी रोकी और बाहर आकर साहब के उतरने के लिए गाड़ी का दरवाज़ा खोल दिया। फिर डिक्की से साहब की अटैची निकालकर पास पड़ी एक ट्रॉली पर रख दी। साहब अब एयरपोर्ट के अंदर जाने के लिए तैयार थे।
चलने से पहले उन्होंने मेरी ओर देखा और पूछने लगे, ‘शामसिंह, किसी चीज़ की ज़रूरत तो नहीं? सुबह से कुछ परेशान लग रहे हो।’ साहब के साथ पिछले चार सालों से ड्यूटी कर रहा था, इसलिए वे काफ़ी हद तक मुझे समझने लगे थे।
साहब की बात सुनकर एकबारगी तो मेरे दिल में आया कि उनसे एडवांस की बात कर लूं, पर तभी न जाने कैसे मेरे मुंह से निकल गया, ‘सब ठीक है साहब! नमस्कार!’ वे एयरपोर्ट के अंदर जा रहे थे तो मेरा बायां हाथ दाएं हाथ की उंगली में पहनी सोने की पतली-सी अंगूठी को सहलाने लगा। बस इसी अंगूठी को अब पार लगानी थी मेरी नैया!
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Zo9Dgw
Mango traders face huge losses with few takers in the peak season
from Markets https://ift.tt/2YQblII
साउथ फ्लोरिडा की महिला ने सड़क पर दिया बच्चे को जन्म, डोरबेल पर लगे कैमरे में कैद हुआ डिलिवरी का ये मंजर
साउथ फ्लोरिडा में रहने वाली गर्भवती महिला सुजैन एंडरसन अपने पति के साथ डिलिवरी के लिए बर्थिंग सेंटर जा रहीं थीं। बर्थिंग सेंटर आने से पहले ही सुजैन को लेबर पेन शुरू हुआ और सड़क पर ही उनकी डिलिवरी हो गई। यह घटना डोरबेल पर लगे एक कैमरे में कैद हुई।
सुजैन कहती हैं कि कार से बर्थ सेंटर तक पहुंचते हुए मुझे बार-बार ये अहसास हो रहा था कि मेरे अंदर पल रहे बच्चे को दुनिया में लाने के लिए मुझे पुश करने की जरूरत है।
चेहरे पर मास्क पहन रखे थे
नेचरल बर्थवर्क्स बर्थ सेंटर में काम करने वाली मिड वाइफ (दाई) और सुजैन के पति जोसेफ डिलिवरी के समय सुजैन के पास ही खड़े थे। उन्होंने सुजैन की मदद की। जोसेफ और लोबैना ने कोरोना वायरस के इंफेक्शन से बचाव के लिए चेहरे पर मास्क पहन रखे थे।
सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया
जिस वक्त सुजैन की डिलिवरी हो रही थी, तभी पास में पुलिस भी उन्हें देख रही थीं। लेकिन उन्होंने कोविड-19 इंफेक्शन से बचाव के लिए सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया और इस कपल के पास नहीं आए। सुजैन को बेटी हुई। इस कपल ने अपनी बेटी का नाम जुलिया रखा।
पहली डिलिवरी नॉर्मल हुई थी
सुजैन कहती हैं मेरे पहली डिलिवरी नॉर्मल हुई थी। पहले बच्चे कोजन्म देने में मुझे लगभग दो घंटे का समय लगा था। लेकिन दूसरा बच्चे का जन्म इस तरह होगा, मैंने कभी नहीं सोचा था।जब सुजैन बर्थिंग सेंटर आ रही थी तो लोबैना ने डिलिवरी कीपूरी तैयार कर ली थी।
जन्म देते ही उसे हाथ में लिया
लोबैना ने सुजैन के लिएकमरा तैयार कर दिया था। उसने हाथ में ग्लव्स भी पहन रखे थे। उसे भीइस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि सुजैन की डिलिवरी सड़क पर ही हो जाएगी। लोबैना ने डिलिवरी के समय सुजैन की मदद की। उसने सुजैन द्वारा बच्चे को जन्म देते ही उसे हाथ में ले लिया और बाद में एक कपड़े पर रखा।
बच्चा नीचे गिर जाता
लोबैना कहती है सुजैन के पति और मैं चाहते थे कि डिलिवरी से पहले ही सुजैन को बर्थिंग सेंटर के अंदर ले जाएं। लेकिन इतना समय ही नहीं था। अगर उस वक्त हम ये प्रयास करते तो हो सकता था कि बच्चा नीचे गिर जाता या उसे अन्य तरह से चोट लग सकती थी।
उसे जरूरत ही नहीं पड़ी
बर्थिंग सेंटर में काम करने वाली एक अन्य मिड वाइफ ने बताया कि सुजैन की नॉर्मल डिलिवरी के लिए हमने खूबसूरत टब का इंतजाम कर रखा था। हम उसे एरोमाथैरेपी भी देना चाहते थे। लेकिन इन सबकी उसे जरूरत ही नहीं पड़ी।
बेबी बर्थ को फील किया है
सुजैन ने इस पल को समझदारी के साथ हैंडल किया। वे कहती हैं ये मेरी दूसरी डिलिवरी थी। इससे पहले भी मैने एक बार बेबी बर्थ को फील किया है। शायद इसीलिए मैं शांत रही। अब मैं एक बार फिर मां बनने की खुशी को महसूसकर रही हूं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3eTiCwX
Market Wrap, July 2: Here's all that happened in the markets today
from Markets https://ift.tt/2YTGDyl
पापा चाहते थे मैं शादी करके घर बसा लूं लेकिन मैं पढ़ना चाहती थी, मैंने वही किया जो ठान लिया था, आज पापा भी मेरी कामयाबी से खुश हैं
झारखंड के रांची की कृतिका पांडे को एशिया रीजन के लिए कॉमनवेल्थ शॉर्ट स्टोरी प्राइज 2020 से सम्मानित किया गया है। 29 वर्षीय कृतिका को यह सम्मान एक ऑनलाइन सेरेमनी के तहत दिया गया।
इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें ट्वीट करके बधाई दी। हमने कृतिका से बात की और उसके जीवन से जुड़ी उन बातों को जाना जिनका सामना हमारे समाज में कई लड़कियां हर रोज करती हैं :
मैं बचपन से ही हर उस चीज को जानना चाहती थी जिसके बारे में अक्सर घरों में मना कर दिया जाता है। जब मेरी मां पापा के बड़े भाई के आते ही घूंघट ओढ़ती तो मेरे मन में यह सवाल बार-बार आता किवे ऐसा क्यों करती हैं। मुझे घर के लोगों की हर बात पर हां ही क्यों बोलना पड़ता है? मैं उन्हें मना क्यों नहीं कर सकती?
मैं उस सफाईकर्मी को टच क्यों नहीं कर सकती तो हर हफ्ते घर के टॉयलेट की सफाई करने आता है। ऐसा शायद ही कोई दिन गया होगा जब मम्मी-पापा ने मुझे ये मत करो और ऐसा मत करो, न कहा हो।
मैं एक ऐसे संयुक्त परिवार से संबंध रखती हूं जहां लड़कों से बात करने और स्वीवलेस कपड़े पहनने पर भी मनाही है। इन सबके बीच बचपन से मेरा कोई सबसे अच्छा साथी बना तो वो साहित्य की किताबें ही थीं। हमारे घर में ऐसा माहौल बिल्कुल नहीं था कि क्रिकेट खेलें या घुमने-फिरने जाएं। ऐसे में मैंने किताबों से दोस्ती कर ली।
मैं बचपन से एक संयुक्त परिवार में रही। यहां रहते हुए मैंने इंजीनियिरंग की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही परिवार की ओर से शादी का दबाव आने लगा था। 22 साल की उम्र में पापा चाहते थे कि मैं शादी करके अपना घर बसा लूं। लेकिन मैंने विदेश जाकर पढ़ने की जिद जारी रखी और यही किया भी।
वैसे भी हमारे देश में छोटे शहरों की लड़कियों से ये उम्मीद की जाती है कि वे इंजीनियर या डॉक्टर बनें। उसके बाद पैसा कमाएं और शादी कर लें।
मैंने इंजीनियरिंग करने के बाद जब घर में साहित्य में अपना कॅरिअर बनाने की बात की तो पापा ने यही समझाया कि साहित्य एक हॉबी हो सकता है। लेकिन इस क्षेत्र में कभी कॅरिअर नहीं बन सकता। पर मैंने कॉमनवेल्थ शॉर्ट स्टोरी प्राइज जीतकर पापा कीइस सोच को गलत साबित किया।
मैंने यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुएट्स से फाइन आर्ट्स फॉर पोएट एंड राइटर्स में इसी साल ग्रेजुएशन किया है। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद फिलहाल मैं लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रही हूं ताकि अपने देश वापिस आ सकूं।
यहां आकर मैं टीचिंग करना चाहती हूं। इसके अलावा इन दिनों मैं अपने नए नॉवेल को लिखने में व्यस्त हूं।
राइटिंग की बारीकियां मैंने प्रोफेसर ओशियन वॉन्ग से सीखीं। उन्होंने मुझे लैंग्वेज को पॉलिश करना सीखाया। मेरा यही मानना है कि किसी भी लेखक को यह नहीं पता होता कि उसे कैसे लिखना है क्योंकि वह हमेशा उसी तरह लिखता है जैसा वो चाहता है।
मुझे लगता है कि लिखना दुनिया का सबसे मुशिकल काम है जिसे मैं हमेशा करते रहना चाहूंगी।
कोरोना काल में राइटिंग के जरिए आप अपने तनाव को कम कर सकती हैं। ये एक ऐसा जरिया है जो आपको रिलैक्स करने में मदद करेगा।
जो पेशेंट कोरोना पॉजिटिव हैं और इस वक्त अस्पताल में भर्ती हैं, वे भी राइटिंग करके खुद को व्यस्त रख सकते हैं। आप अपने अनुभवों को इस कला के माध्यम से सारी दुनिया के सामने ला सकते हैं।
जहां तक बात छोटे शहरों की लड़कियों की है तो इन लड़कियों से कहना चाहती हूं कि आपकी कहानी सारी दुनिया जानना चाहती है। आप अपनी राइटिंग स्किल डेवलप करें और लिखने की शुरुआत करें।
संभव है मेरी तरह अन्य भारतीय लड़कियां भी कॉमनवेल्थ शॉर्ट स्टोरी प्राइज की अगली दावेदार बन जाएं।
साहित्य एक जरिया है जो घर और समाज के लोगों की सोच बदल सकता है। वो लड़कियां जो रूढ़ीवादी परिवारों में रहती हैं, घर में पढ़ने-लिखने का माहौल बनाकर अपने और परिवार के अन्य बच्चों के लिए नई राह तलाश सकती हैं।
मेरी नजर में रीडिंग एक खोज है। इस राह पर चलते हुए आप जीवन में रिस्क लेना और अपने सपने पूरे करना सीख सकती हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2YQXgum
IT shares extend gain; Infosys rallies 9%, TCS surges 7% in one week
from Markets https://ift.tt/2VzNUkM
Hero MotoCorp surges 5%, hits over 7-month high as June sales jump 4x MoM
from Markets https://ift.tt/3ioNnfq
टीनएज गर्ल 41 टेप रोल से प्रोम ड्रेस बनाकर बनी इंटरनेट सेंसेशन, इसे डिजाइन करने में बिताए 400 घंटे
इलिनोइस में रहने वाले 18 साल की टीनएज गर्ल को सोशल मीडिया पर उस वक्त वाहवाही मिली जब पता चला कि उसने अपनी ड्रेस को दर्जनों टेप की मदद से डिजाइन किया है।
टीनगर्ल पेटोन मेंकर ने जब इस साल जनवरी में प्रोम कॉन्टेस्ट का हिस्सा बनने के बारे में सोचा तब एक बार भीयह ख्याल उसके दिमाग में नहीं आया होगा कि इसे पहनकर वह रातों रात इंटरनेट सेंसेशन बन जाएगी। ये कॉम्पिटिशन पेटोन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं थी।
उनकी येचाहत पूरी न हो सकी
हाई स्कूल ग्रेजुएट इस लड़कीने अपनी सूझबूझ से प्रोम ड्रेस को डिजाइन करने में टेप का इस्तेमाल किया। शुरू से हीपेटोन अपनी प्रोम ड्रेस को लियोनोर्डो द विंसी की ड्रेस के अनुसार डिजाइन करवाना चाहती थीं। लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनकी येचाहत पूरी न हो सकी। तब उन्होंने इसी से मिलती-जुलती ड्रेस को खुद डिजाइन किया।
ड्रेस कोई और डिजाइन नहीं करेगा
पेटोन कहती हैं मैं कोरोना वायरस पर आधारित ड्रेस डिजाइन करना चाहती थीं। मैं जानती थी इस तरह की ड्रेस कोई और डिजाइन नहीं करेगा। इस दुनिया में इस समय बदलते हालात को मैं अपनी खूबसूरतड्रेस के माध्यम से बताना चाहती थी।
400 घंटे इस खूबखूरत ड्रेस को बनाने में लगाए
कोरोना महामारी की वजह से इस टीनएज गर्ल की ग्रेजुएशन इस साल कैंसिल हो गई। लेकिन अपनी ड्रेस को लेकर जो डिजाइन उसने सोच रखी थी,उसे साकार करने की हर संभव कोशिश वह अब करना चाहती थी। उसने 400 घंटे इस खूबखूरत ड्रेस को बनाने में लगाए।
इस ड्रेस के लिए तारीफें मिल रही हैं
वे अपनी ड्रेस को स्कूल मेट्स से छिपाना चाहती थीं। लेकिन आज स्कूल मेट्स ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया उनकी ड्रेस को देखकर तारीफ कर रही है। पेटोन की मां सूजी ने अपने फेसबुक अकाउंड पर प्रोम ड्रेस के फोटो शेयर किए। इसे अब तक 25,000 बार शेयर किया जा चुका है। पेटोन कोसारी दुनिया से इस ड्रेस के लिए तारीफें मिल रही हैं।
सारी दुनिया को शुक्रिया कहना चाहती हूं
पेटोन को ये देखकर यकीन नहीं हो रहा है कि उनकीड्रेस को इतनापसंद किया जा सकता है। वे कहती हैं मैं सारी दुनिया को शुक्रिया कहना चाहती हूं जिन्होंने मेरी प्रोम ड्रेस को इतना पसंद किया।उनकी ड्रेस पर फेस मास्क पहने हुए डॉक्टर्स, कोरोना वायरस के प्रभाव से भागते हुए लोग, यहां तक कि इस महामारी की वजह से सिर पर हाथ रखकर परेशान बैठा हुआ व्यक्ति भी दिखाई दे रहा है।
कोराेनाका हाल बयां किया है
पेटोन ने अपनी ड्रेस के माध्यम से कोरोना प्रभावित हर उस व्यक्ति का हाल बयां किया है जो मानसिक तौर पर बदतर हालातों से गुजर रहा है। हालांकि जिस कॉम्पिटिशन के लिए पेटोन ने अपनी प्रोम ड्रेस को डिजाइन किया है, वो 21 जुलाई को होने वाली है।
लेकिन पेटोन तारीफें पाकर इतनी खुश हैं किअभी भी खुद कोवीनर से कम नहीं मानती हैं। इस कॉम्पिटिशन से मिली रकम को वे कॉलेज फंड में जमा करना चाहती हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2NN2UaT
Traders thought Apple had 'holy grail' of oil data, but the quest continues
from Markets https://ift.tt/3ghYQvh
GVK Power declines 5% on report ED probes promoters for money laundering
from Markets https://ift.tt/3dTNL1O
June gold imports plunge 86% y-o-y to 11 tonnes due to lockdown: Report
from Markets https://ift.tt/38hAtv4
ITC, Balmer Lawrie, SKF India: Time to bet on high dividend yield plays?
from Markets https://ift.tt/31AIFoJ
70 वर्षीय लीलावती दूबे की कहानी बरखा दत्त ने यू ट्यूब के जरिये दर्शकों तक पहुंचाई, जब बेटे ने मारकर घर से निकाला तो दिल्ली के किरण वर्मा ने दी घर में जगह
जब से कोरोना काल की शुरुआत हुई है तब से आज तक ऐसी कई खबरें सुनने को मिली है, जिसमें कोरोना की वजह से लोग बेघर हो गए, नौकरी छूट गई या काम नहीं मिल रहा है। आपको दुखी करने वाली इन खबरों के बीच एक सुखद खबर यह भी है कि 70 साल की महिला को जब अपनों ने घर से निकाला तो गैरों ने उन्हें अपना लिया।
70 साल की लीलावती केदारनाथ दूबे की कहानी वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने पिछले दिनों अपने यू ट्यूब वेंचर मोजो के जरिये दर्शकों तक पहुंचाई। लीलावती को उनके बेटे ने मारकर घर से निकाल दिया।उनके बच्चे उन्हें पागल कहते हैं। वे मुंबई के रेलवे स्टेशन पर दिल्ली जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहीं थीं।
दिल्ली में उनका दूसरा लड़का रहता है। हालांकि वे ये भी जानती थीं कि वो लड़का भी उन्हें अपने घर में जगह नहीं देगा।
अब मैं क्या करूं
लीलावती के पास पैसे भी नहीं थे। वह मन ही मन बात करते हुए यहीं कह रही थीं कि अब मैं क्या करूं? तभी दिल्ली के एक सोशल आंत्रप्रेन्योर किरण वर्मा ने उन्हें अपनाया। वे कहते हैं लीलावती के रूप में एक बार फिर मुझे अपनी दादी मिल गई हैं।
कोरोना टेस्ट भी करवाई है
किरण वर्मा कहते हैं अपने घर लाने के बाद मैंने लीलावती दादी की कोरोना टेस्ट भी करवाई है। फिलहाल वे इस जांच की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। किरण कहते हैं जब तक रिपोर्ट नहीं आ जाती हम दादी को कुछ दिन अपने घर में सबसे अलग ही रखेंगे।
किरण को इस बात की खुशी है कि दादी उनके साथ रहते हुए लाइफ को एंजॉय कर रही हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3f56E3z
Wednesday, 1 July 2020
BASF India extends gain after completing sale of construction chemicals biz
from Markets https://ift.tt/2NJWh94
IDBI Bank's market-cap crosses Rs 50,000 cr, stock surges 51% in 2 weeks
from Markets https://ift.tt/38qVPWP
Pfizer up 8.5%; parent firm's potential Covid-19 drug shows positive result
from Markets https://ift.tt/3ifIncO
Rail-related stocks rally; RITES, Rail Vikas Nigam surge over 10%
from Markets https://ift.tt/2D17lg2
Stocks to watch: ABB Power Products, Tata Motors, Ashok Leyland, Coal India
from Markets https://ift.tt/2BmdHWZ
Top trading ideas by CapitalVia Global Research: Buy SBI, Varun Beverages
from Markets https://ift.tt/31NDv9h
MARKET LIVE: SGX Nifty indicates a positive start for benchmark indices
from Markets https://ift.tt/3gltnbQ
Market Ahead, July 2: Top factors that could guide markets today
from Markets https://ift.tt/2YVjpbj
Gold price at Rs 48,750 per 10 gm, silver crosses Rs 50,000 mark
from Markets https://ift.tt/38ifyIa
Rain-damaged crops, supply bottlenecks jack up tomato prices 9x in Delhi
from Markets https://ift.tt/2Zudfhh
Market Wrap, July 1: Here's all that happened in the markets today
from Markets https://ift.tt/38hWiKN
Abbott India, Pfizer, L&T Infotech: 11 stocks that may enter F&O segment
from Markets https://ift.tt/2CYSVNr
Chemical shares in focus; Clariant Chemicals, Balaji Amines rally up to 18%
from Markets https://ift.tt/3dJWxiR
रांची की कृतिका पांडे को कॉमनवेल्थ शॉर्ट स्टोरी प्राइज से किया गया सम्मानित, राइटिंग को मानती हैं समाज की सच्चाई बयां करने का बेहतर माध्यम
झारखंड के रांची की कृतिका पांडे को एशिया रीजन के लिए कॉमनवेल्थ शॉर्ट स्टोरी प्राइज 2020 से सम्मानित किया गया है।यह पुरस्कार एशिया, पेसिफिक, अफ्रीका, कनाडा, यूरोप, और कैरेबियन के पांच रीजन के विजेताओं दिया जाता है।
29 वर्षीय कृतिका को यह सम्मान 'द ग्रेट इंडियन टी एंड स्नैक्स' स्टोरी के लिए मिला है।यह दो युवाओं की कहानी है जो समाज की सदियों पुरानी बंदिशों को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। कॉमनवेल्थ फाउंडेशन ने कृतिका को एक ऑनलाइन सेरेमनी के तहत ये अवार्ड दिया।
सपने सच करने में मदद करेगा
कृतिका ने यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुएट्स से फाइन आर्ट्स फॉर पोएट एंड राइटर्स में इसी साल ग्रेजुएशन किया है। वे मानती हैं कि उन्हें मिला ये सम्मान अन्य लड़कियों के सपने सच करने में मदद करेगा। अब लोग उनके काम पर ज्यादा भरोसा करने लगेंगे।
कहानियों नेलिखने के लिए प्रेरित किया
अपने लेखन के बारे में बात करते हुए कृतिका कहती हैं कि पिछले कई वर्षों से वह कॉमनवेल्थ शॉर्ट स्टोरी प्राइज की विजेता कहानियां पढ़ रही थीं। इनकहानियों ने उन्हें लिखने के लिए प्रेरित किया।
कई प्रतिष्ठित अवार्ड मिल चुके हैं
इससे पहले भी कृतिका को कई प्रतिष्ठित अवार्ड मिल चुके हैं। इसी साल उन्हें जेम्स डब्ल्यू फोले मेमोरियल अवार्ड से सम्मानित किया गया है। 2018 में उन्हें हार्वे स्वाडोस फिक्शन प्राइज और कारा पारर्वानी मेमोरियल अवार्ड मिला था।
असितत्व को बयां करने का माध्यम
2014 में उन्हें क्रिएटिव राइटिंग के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग की ओर से चार्ल्स वैलेस इंडिया ट्रस्ट स्कॉलरशिप दी गई थी।कृतिका कहती है कहानी अपने असितत्व को बयां करने का बेहतर माध्यम है।
कई भावनाओं को व्यक्त करती हूं
इसके जरिये हम समाज की सच्चाई को बेहतर तरीके से बता सकते हैं। कहानी लेखन के जरिये मैं अपने दुख, सुख, आनंद, प्रेम और भी कई भावनाओं को व्यक्त करती हूं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2NK1EVJ
Goldprice dips Rs 10 to Rs 62,720, silver falls Rs 100 to Rs 74,900
The price of 22-carat gold also fell Rs 10 with the yellow metal selling at Rs 57,490 from Markets https://ift.tt/rpZGNwM
-
उषाशी का संबंध एक ऐसे परिवार से हैं जहां अधिकांश लोग शिक्षक हैं। उन्होंने बचपन से अपने घर में पढ़ाई-लिखाई का माहौल देखा। वे 1986 में शादी के...
-
साउथ इंडिया में थेनी के पास वेंकटचलपुरम में राधिका का जन्म हुआ। वे शादी के बाद दिल्ली आ गईं। एक शौक के तौर पर राधिका ने ट्रैवल फोटोग्राफी क...