Saturday, 3 October 2020

उनसे बिना गुस्सा हुए धैर्य के साथ बात करने का प्रयास करें, अगर बात न बनें तो अन्य पड़ोसियों से मिलकर उन्हें समझाएं

लंबे समय से घर में हैं, वर्क फ्रॉम होम भी कर रहे हैं। ऐसे में जब सभी काम खत्म कर चाय पीने बैठते हैं, तो पड़ोसियों के घर से आने वाला शोर आपको परेशान कर देता है। तेज़ आवाज़ में गाने बजते हैं, फेसटाइम पर बातें करने की आवाज़ें भी आती हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के दौरान इस तरह की आवाजों से परेशान हो चुके हैं, तो ऐसे में ये चार उपाय अपनाएं :

1. बात करने में देर ना करें

पड़ोसी का सामना करना आसान नहीं होता। यह बताना कि वो अपने ही घर में कैसे रहें, अजीब लग सकता है। लेकिन जब तक बात नहीं करेंगे, परेशान रहेंगे। ज्यादातर लोग लंबे समय तक परेशान रहते हैं, लेकिन बात नहीं करते। फिर अपना गुस्सा कहीं और निकालते हैं। इस बारे में अपने पड़ोसी से बिना गुस्सा हुए, धैर्य के साथ बात की जा सकती है। केवल एक विनम्र टेक्स्ट मैसेज भेजकर भी समस्या का हल निकाल सकते हैं।

2. परिस्थिति को समझें

शोर मचाने वाला पड़ोसी सिरदर्द बन सकता है। खासकर जब आप किसी बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं या सोने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में सबसे पहले उनका नज़रिया समझने की कोशिश करें। हो सकता है वो इस बात से पूरी तरह बेखबर हों कि उनकी आवाज़ आप तक पहुंच रही है।

3. अपनी बात रखिए

यदि पड़ोसी आपको शांत रहने के लिए कहें खासकर तब जब आप संगीत सुनकर रिलैक्स करने की कोशिश कर रहे हैं, तो आपको भी बुरा लग सकता है। स्वस्थ बातचीत तभी संभव है जब दोनों एक दूसरे के नजरिए से चीजों को समझें। जब आप गुस्से में बात करते हैं तो मकसद केवल दूसरे की गलती साबित करना होता है। विनम्रता के साथ अपनी समस्या बताएंगे तो वे आपको समझेंगे। उन्हें बताएं कि आपको शोर परेशान कर रहा है। कहें कि ‘आपके घर से आने वाली आवाजों की वजह से मुझे काम करने में दिक्कत होती है, सोने में भी दिक्कत होती है। आप मेरी मदद करें तो आभारी रहूंगा।’

4. पड़ोसियों से बात करें

जरूरी नहीं कि पड़ोसी से गहरी मित्रता रखें लेकिन संबंध बनाए रखने में आपका हित है। उन्हें टेक्स्ट मैसेज भेज सकते हैं। कभी आते-जाते हाल पूछ सकते हैं। पहले कभी बात नहीं की है, तो अपना फोन नंबर और नाम दरवाजे पर रख सकते हैं।



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Try to talk to them patiently without getting angry, meet the other neighbors and explain them


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उषाशी रथ ने पायलट बेटे को खोने का गम भुलाने के लिए काउंसिलिंग सेंटर खोलें, अपने स्टार्ट अप 'उत्कला' के जरिये कोरोना काल में बनीं कारीगरों का सहारा

उषाशी का संबंध एक ऐसे परिवार से हैं जहां अधिकांश लोग शिक्षक हैं। उन्होंने बचपन से अपने घर में पढ़ाई-लिखाई का माहौल देखा। वे 1986 में शादी के बाद अपने पति के साथ मुंबई आ गईं। वे घर में रहने के बजाय कुछ करना चाहती थीं। इसलिए मॉन्टेसरी ट्रेनिंग ली और एक प्री स्कूल में टीचर बन गईं। उसके बाद 2001 में नवी मुंबई क्षेत्र में खुद का प्री स्कूल शुरू किया जिसका नाम 'स्टेपिंग स्टोंस' रखा।

ये काम के प्रति उनकी लगन ही थी कि जल्दी ही इस स्कूल की दो ब्रांच खुली। वे स्कूल के बच्चों के साथ अपनी लाइफ को एंजॉय कर रहीं थी। 2009 में उन्हें नवी मुंबई में 'बेस्ट वुमन इंटरप्रेन्योर' के अवार्ड से सम्मानित किया गया। उसके बाद उषाशी की जिंदगी में वो दुखद पल भी आया जिसके बारे में खुद उसने कभी नहीं सोचा था। इसके आगे की कहानी जानिए उन्हीं की जुबानी :

स्टूडेंट्स की काउंसिलिंग करते हुए उषाशी रथ।

मैंने अपने जीवन में इतनी मेहनत की जिसके चलते ये कभी सोचा भी नहीं था कि एक ऐसा पल आएगा जब जिंदगी थम जाएगी। मेरे साथ ऐसा उस वक्त हुआ जब मेरा 21 साल का पायलट बेटा इस दुनिया में नहीं रहा। उस वक्त मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे लिए सबकुछ खत्म हो गया है। मैं डिप्रेशन में थी। उन्हीं दिनों मैंने अपने दोनों स्कूल बंद कर दिए। मुझे लग रहा था जैसे जीवन में चारों ओर बस अंधेरा ही है।

दिव्यांग विद्यार्थी की काउंसिलिंग करती उषाशी।

तभी मेरे पति की जॉब अबूधाबी में लगी और उनके साथ मैं भी वहीं शिफ्ट हो गई। मैं अपनी जिंदगी के खालीपन को स्कूली बच्चों के साथ रहकर भरना चाहती थी। इसी इरादे से मैंने अबूधाबी के एक इंडियन स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। उन्हीं दिनों मैंने साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग में डिप्लोमा किया और मुंबई आकर खुद का साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग सेंटर खोला। इस सेंटर का नाम 'नोशन' रखा।फिर वहां से वापिस मुंबई आने के बाद यहां की प्रतिष्ठित संस्थान से करिअर काउंसिलिंग में डिप्लोमा कोर्सेस किए। इसी के आधार पर मैंने काउंसिलिंग से जुड़े अपने दूसरे प्रोजेक्ट 'अन्वेषा' की शुरुआत की। मैं भुवनेश्वर के एक ऐसे एनजीओ में भी काउंसिलिंग करती हूं जहां अधिकांश दिव्यांग विद्यार्थी हैं।

अपने स्टार्ट अप 'उत्कला' के जरिये कारीगरों को रोजगार दे रही हैं।

इसी बीच मैं अपने पति के साथ भुवनेश्वर शिफ्ट हो गईं। यहां रहते हुए कुछ ही समय में मुझे इस बात का अहसास हुआ कि भुवनेश्वर और इसके आसपास बसे क्षेत्र में जो ओडिशी कारीगर और बुनकर इस कला को निखारने का काम करते हैं, उनकी स्थिति दयनीय है। तभी मुझे ये लगा कि इनके लिए मुझे अपनी ओर से प्रयास करना चाहिए। मैं अपने पति के साथ ऐसे कई गांव में गई जहां ओडिशी कला के प्रति कुशल कारीगर पूरी तरह समर्पित हैं। उनकी खराब आर्थिक स्थिति को देखकर खुद उनके बच्चे इस क्षेत्र में आगे बढ़ना नहीं चाहते।

वे ओडिशी कला को दुनिया के हर कोने तक पहुंचाना चाहती हैं।

इन कारीगरों के काम को सारी दुनिया तक पहुंचाने के लिए मैंने अपनी ई कॉमर्स वेबसाइट की शुरुआत की जिसे 'उत्कला डॉट कॉम' नाम दिया। इस वेबसाइट पर आप ओडिशा के हर क्षेत्र के हैंडीक्राफ्ट और हैंडलूम प्रोडक्ट देख सकते हैं। मैं अपने बेटे के गम को भुलाने के लिए हर उस काम को करने में यकीन रखती हूं, जो कर सकती हूं। उत्कला भी मेरे ऐसे ही प्रयासों में से एक है।

वे बच्चों के बीच खुशियां बांटकर अपना गम भुलाना चाहती हैं।

ओडिशा की हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के अलावा यहां की महिला कारीगरों की भलाई के लिए मैं कार्य कर रही हूं। लॉकडाउन के दौरान पुरी के शिल्पकारों की मदद के लिए भी मैं प्रयासरत हूं। मेरी जिंदगी अगर इन कारीगरों की मदद करने में किसी भी तरह से काम आ जाए तो ये मेरी खुशनसीबी होगी। मेरी संस्थाएं उत्कला और अन्वेषा मेरे लिए बच्चों की तरह ही है। अपने बेटे को खो देने के बाद मैं इन दोनों प्रोजेक्ट्स पर दिन-रात मेहनत करते हुए अपनी जिंदगी बिताना चाहती हूं।



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Ushashi Rath opened the counseling center to forget the sorrow of losing the pilot son, started his start up 'Utkala' and became the support of craftsmen in the Corona era


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Relief for consumer as Indrapastha Gas reduces CNG and PNG prices

Price cut implemented across NCR and other northern markets

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रोज कच्चा आंवला खाने से कम होगा वजन, इसमें मौजूद विटामिन सी की अधिक मात्रा आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करेगी

आमतौर पर आंवले का सेवन बालों को काला, घना बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन ये सिर्फ़ बालों की ही नहीं बल्कि शरीर की कई अन्य दिक़्क़तों को भी दूर भगाने में मददगार है। आंवला बहुत ही पौष्टिक होता है। यह अपने एंटीऑक्सीडेंट्स के कारण सौंदर्य प्रसाधनों में अधिक उपयोग में लाया जाता है। इसे आयुर्वेदिक दवा के रूप में त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं कि आंवला और किस प्रकार से हमारे लिए फ़ायदेमंद है।
पाचन क्रिया में लाभ
कई फलों की तरह आंवले में भी फाइबर भरपूर मात्रा में होता है जो पाचन क्रिया सुचारु रखने में मददगार है। इसलिए आंवले का सेवन पेट संबंधी विकारों को दूर करता है।

मधुमेह पर नियंत्रण
आंवले में क्रोमियम होता है, जो डायबिटीज़ के इलाज में महती भूमिका निभाता है।

वज़न घटाने में मददगार
वज़न कम करने के लिए कच्चा आंवला खाएं। इसके अलावा आंवले के पाउडर को शहद और गुनगुने पानी के साथ पिएं। कुछ ही दिनों में अंतर दिखने लगेगा।

माहवारी नियमित रखे
माना जाता है कि आंवले में पाए जाने वाले मिनरल्स और विटामिन मासिक धर्म में ऐंठन की समस्या से राहत दिलाने में और माहवारी को नियमित करने में भी मददगार हैं।

इम्युनिटी बढ़ाता है
चूंकि आंवले में विटामिन-सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है, इसलिए यह प्राकृतिक प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूत बनाने वाला माना जाता है।

हृदय संबंधी समस्याओं से राहत
आंवले का पाउडर हृदय की मांसपेशियों को मज़बूत करता है। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छी तरह से होता है।

यूरिन इंफेक्शन से बचाव
आंवला यूरिन की मात्रा को नियंत्रित करता है और यूरिन इंफेक्शन से भी बचाव करता है।

भूख बढ़ाता है
भोजन से पहले मक्खन, शहद के साथ आंवले के पाउडर का सेवन करने से भूख बढ़ती है। आंवला बुख़ार, अपच की समस्या, एनीमिया में भी फ़ायदेमंद साबित होता है।

ख़ून साफ़ करे
आंवला प्राकृतिक रूप से ख़ून को साफ़ करता है। अगर आपको मुंहासे होते हैं तो आंवला आधारित फेस पैक लगाएं। आंवला कोलेजन को बढ़ाने में भी मदद करता है, जो त्वचा को जवां बनाए रखता है।



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Eating raw amla daily will reduce weight, high amount of vitamin C present in it will help increase your immunity.


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अमेरिका में 317 फर्म की 40,000 महिला कर्मचारियों पर किया गया सर्वे, एक तिहाई महिलाएं कोविड-19 की वजह से पैदा हुए तनाव के चलते जॉब छोड़ने की इच्छुक

एक रिपोर्ट के अनुसार, कोविड -19 के कारण लाखों महिलाएं अपने करिअर को बदलने या जॉब छोड़ने पर विचार कर रही हैं। कोरोना काल के चलते पिछले कुछ महीनों से वर्क फ्रॉम होम करते हुए इन्हें दोहरी जिम्मेदारियों को निभाना पड़ रहा है।

एक और ऑफिस के काम का दबाव तो दूसरी ओर घर में बच्चों की देखभाल का जिम्मा भी इन्हीं पर है। ऐसे हालात में अपने पार्टनर या घर के अन्य सदस्यों की तरफ से मदद न मिलने पर वे अपना करिअर छोड़ने पर मजबूर हैं। यह सर्वे महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था 'लीन इन' द्वारा किया गया। इसकी स्थापना फेसबुक की सीओओ शेरिल सैंडबर्ग द्वारा 2013 में हुई थी।

यह सर्वे अमेरिका में 317 फर्म की 40,000 महिला कर्मचारियों पर किया गया। इसमें ये पाया गया कि एक तिहाई महिलाएं काम के तनाव की वजह से जॉब छोड़ना चाहती हैं, वहीं अधिकांश महिलाओं को इस बात की फिक्र लगी रहती है कि घर में बच्चों की देखभाल के चलते कहीं उनकी ऑफिशियल परफॉर्मेंस प्रभावित न हो जाए।

इस सर्वे के नतीजे यह भी बताते हैं कि महिलाओं के बजाय पुरुषों पर बच्चों की जिम्मेदारी कम होती है। इस वजह से उनका जॉब घर की जिम्मेदारियों के चलते प्रभावित नहीं होता है।

ये रिपोर्ट मानती है कि अगर भविष्य में कंपनियों की संख्या बढ़ती है तो लिंग विविधता की वजह से कई कंपनियों को काम करने के लिए महिला कर्मचारियों का मिलना मुश्किल हो जाएगा। पिछले छह सालों के दौरान अगर कार्यस्थल पर महिलाओं के परफॉर्मेंस की बात की जाए तो उन्होंने मैनेजमेंट के हर स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है। लेकिन महिलाओं द्वारा पिछले कई सालों के दौरान अपने काम के प्रति गंभीरता को इस साल की महामारी ने कम कर दिया।

इसकी वजह उन पर पड़ने वाली दोहरी जिम्मेदारी है। महामारी के दौरान घर में रहते हुए उन्हें बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस में शामिल होना पड़ता है। इसके अलावा घर के कामों का असर ऑफिस के कामों को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में अगर वे नौकरी छोड़ने के बारे में सोचती हैं तो आर्थिक असुरक्षा की भावना के चलते उनके लिए ये फैसला लेना भी मुश्किल है।

एक कंपनी की वाइस प्रेसीडेंट और दो बच्चों की मां से जब महामारी के दौरान अपनी ऑफिशियल परफॉर्मेंस के बारे में बात की गई तो वह कहने लगी - ''मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं हर मोर्चे पर असफल हो रही हूं। ऑफिशियल वर्क की वजह से मेरे पास बच्चों को देने के लिए पर्याप्त समय नहीं है, वहीं बच्चों की देखभाल करते हुए मैं ऑफिस का काम समय पर नहीं कर पा रही हूं''।



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Survey conducted on 40,000 female employees of 317 firms in US


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91 वर्षीय कांता स्वरूप कृष्ण सालों से चला रही हैं ब्लड डोनेशन कैंप, वे चाहती हैं अधिक से अधिक लोग ब्लड कैंप का आयोजन करें ताकि गरीबों को खून खरीदना न पड़े

अपनी उम्र की वजह से कांता स्वरूप कृष्ण घर से अकेले कहीं जा नहीं पाती। लेकिन जिस काम को सालों से कर रही हैं, उसे इस उम्र में भी छोड़ पाना भी उनके लिए मुश्किल है। वे पिछले कई सालों से ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन कर रही हैं। कोरोना काल में आजकल वे फोन पर बात करके रक्त दान के लिए लोगों को जागरूक करती हैं।

वे ब्लड बैंक के लिए लोगों से आर्थिक मदद करने की अपील भी करती हैं ताकि कभी किसी गरीब को पैसा देकर खून खरीदने की जरूरत न पड़े। फिलहाल कांता के ब्लड बैंक से जुड़े सभी कामों को उनकी बेटी नीति सरीन संभालती हैं।

कांता स्वरूप को उनके द्वारा किए गए सराहनीय कार्यों की वजह से 1971 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। कांता को इस बात का दुख है कि कोविड-19 की वजह से ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन कम हुआ है। जबकि यही वो दौर है जब लोगों को ब्लड की ज्यादा जरूरत है। इसलिए हर हाल में इस तरह के कैंप का आयोजन होना चाहिए।

कांता के ब्लड डोनेशन कैंप को नीति सरीन संभालती हैं।

कांता चाहती हैं कि अधिक से अधिक लोग ब्लड कैंप का आयोजन करें ताकि गरीबों की मदद हो सके। कांता ने 2004 में रोटरी क्लब की मदद से रोटरी और ब्लड बैंक सोसायटी रिसोर्सेस सेंटर की स्थापना की थी। यहां वे नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन द्वारा तय किए गए मूल्य पर पेशेंट्स के लिए ब्लड उपलब्ध कराती थीं।

कांता अपने पति और बच्चों के साथ अंबाला से चंडीगढ़ आई थीं। वे कहती हैं - ''1964 में डॉ. जेली जोली उनके घर आए जो पीजीआई ब्लड बैंक के इंचार्ज थे। उन्होंने मुझे बताया कि आजकल ब्लड बेचने और खरीदने का धंधा चल रहा है। इससे कई लोगों की जान जा रही है। तब उन्होंने मुझे ब्लड डोनेशन अभियान चलाने को कहा। फिर मैं इस अभियान का हिस्सा बनी''। कांता को अब तक पद्मश्री के अलावा राजीव गांधी अवार्ड और मदर टेरेसा अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।



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91-year-old Kanta Swaroop Krishna has been running a blood donation camp for years, she wants more and more people to organize blood camps so that the poor do not have to buy blood


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Fuel prices remain unchanged across metros after falling for two days

Diesel price remained unchanged across the four metro cities on Saturday after falling for two consecutive days.

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Investment expert Puri Buch gets a year more as Sebi's whole time member

Athe only female board member at Sebi, she oversees portfolios such as surveillance, collective investment schemes and investment management

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Friday, 2 October 2020

RailTel Corporation files draft papers with Sebi for Rs 700-cr IPO

The initial public offer (IPO) is entirely an offer-for-sale through which government will offload 8.66 crore equity shares, draft papers filed with Sebi showed

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Equity fund raising rises 88% to $32.7 bn in first 9 months of 2020

This is already a record year for amount mobilised through the equity capital markets (ECM), topping $31.2 billion raised during calendar 2007, according to financial data firm Refinitiv

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46 वर्षीय एंजेलिका गैतान दो साल बाद समुद्र में जिंदा मिली, पति के अत्याचारों से तंग आकर आत्महत्या करने वाली इस महिला को मछुआरों ने दी नई जिंदगी

दो साल पहले गुम हुई कोलंबिया की एक महिला समुद्र में जिंदा मिली। द सन की रिपोर्ट के अनुसार, इस महिला का नाम एंजेलिका गैतान है जिसे कोलंबिया में एक मछुआरे ने समुद्र में डुबते हुए देखा। सोशल मीडिया पर इस महिला के फुटेज वायरल हो रहे हैं।

46 साल की इस महिला को रोलैंडो विस्बर नाम के एक मछुआरे और उसके दोस्तों ने ढूंढा। सुबह लगभग छ बजे वह कोलंबिया के प्यूअटो समुद्र में डुबती हुई नजर आई। उस वक्त ये मछुआरे एंजेलिका से लगभग दो किलोमीटर अपनी बोट पर थे।

इस घटना के वीडियो फुटेज विस्बल नामक व्यक्ति ने अपने फेसबुक पर शेयर किए। रौलेंडो का कहना है कि जब उसने दो किमी दूर से देखा तो उसे ऐसा लग रहा था कि एक लकड़ी पानी में तैर रही है। लेकिन पास आने पर उसे महिला दिखी। इस वीडियो में दिख रहा है कि रोलैंडो पानी में डुबती एंजेलिका को बोट पर चढ़ा रहा है। एंजेलिका भी अपनी ओर से बोट पर चढ़ने की कोशिश कर रही है।

एंजेलिका बोट पर चढ़ने के बाद रोने लगी। उसने बताया कि वह पिछले आठ घंटे से पानी में तैर रही हैं। वह बहुत घबराई हुईं थीं और उनके हाथ-पैर भी ठंडे पड़ गए थे। बोट पर चढ़ने के बाद उन्होंने कहा - ''मुझे आज नया जन्म मिला है। ईश्वर भी मुझे मारना नहीं चाहता''।

रौलेंडो ने उसे बोट पर चढ़ाने के बाद पानी पीने को दिया और गैतान की चलने में मदद की। आरसीएन रेडियो को दिए अपने इंटरव्यू में एंजेलिका ने बताया कि उसने सालों तक अपने पति के अत्याचार सहे और घरेलू हिंसा का सामना किया। यहां तक कि दोनों बार प्रेग्नेंसी के दौरान भी वह एंजेलिका को मारता-पीटता रहा। पति के जुल्म से तंग आकर 2018 में उसे समुद्र में छलांग लगा दी। समुद्र में कूदने के बाद वह बेहोश हो गई। उसके बाद उसे कुछ याद नहीं है।



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46-year-old Angelica Gaitan was found alive in the sea after two years, fed by the atrocities of her husband, the fishermen gave a new life to this woman


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Franklin Templeton MF's six shut schemes generate Rs 8,262 cr since closure

Franklin Templeton Mutual Fund on Friday said its six shut schemes have received Rs 8,262 crore from maturities, pre-payments and coupon payments since closing down in April

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Commercial mining: Steel cos stay away from bidding in coking coal blocks

No steel company has shown interest in bidding for four coking coal blocks of 38 mines put on auction for commercial mining as they have concerns about fuel quality and high capital cost

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केरल की आरती रघुनाथ ने 90 दिन में 350 ऑनलाइन कोर्स करके बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, अपनी कॉलेज फैकल्टी की मदद से निश्चित समय में कर दिखाया ये काम

कोविड-19 की मुश्किलों के बीच जब लोग तरह-तरह की एक्टिविटीज कर अपना समय बिता रहे हैं, ऐसे में आरती रघुनाथ ने अपना समय पढ़ाई करने में बिताया। आरती कोची में एलमकारा की रहने वाली हैं। आरती एमईएस कॉलेज में एमएससी बायोकेमेस्ट्री की सेकंड ईयर स्टूडेंट हैं। उन्होंने पिछले 3 महीने में 350 ऑनलाइन कोर्स करके वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया।

आरती के अनुसार, मेरी कॉलेज फैकल्टी ने मुझे ऑनलाइन कोर्स की दुनिया से परिचित कराया। ऑनलाइन कोर्स की विशाल रेंज है। इसे मैंने निश्चित समय में अपने कॉलेज के प्रिंसिपल पी मोहम्मद, हनीफा के जी और क्लास ट्यूटर नीलिमा टी के की मदद से पूरा किया।

आरती के पिता का नाम मलियेक्कल मेदाथिल एम आर रघुनाथ और मां का नाम कलादेवी है। आरती ने जिन यूनिवर्सिटीज से कोर्स किए उनमें जॉन हॉकिंस यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया, यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरेडो बोल्डर, यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन, यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर, एमोरी यूनिवर्सिटी, कोरसेरा प्रोजेक्ट नेटवर्क और टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क भी शामिल हैं।



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Aarti Raghunath of Kerala created world record by doing 350 online courses in 90 days


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कोरोना काल में शादी के दौरान हल्दी लगाने का नया तरीका, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ऐसे पूरी की रस्म कि दुल्हन को भी आई हंसी

कोरोना काल में सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर बहुत कुछ फनी हो रहा है। इस दौर में ज्यादातर शादियां रूकी हुई हैं, वहीं कुछ जगह शादी हो भी रही है तो बहुत सावधानी के साथ। शादी का ऐसा ही एक वीडियो इन दिनों बेहद पॉपुलर हो रहा है। इसमें दिखाया गया है कि हल्दी सेरेमनी में सोशल डिस्टेंसिंग कैसे रखी जाए।

दुल्हन को हल्दी लगाने के लिए घर की महिलाओं ने पैंट रोलर ब्रश (घर की पुताई करने वाले ब्रश) का इस्तेमाल किया है। वीडियो में दिखाया गया है कि दुल्हन बैठी हुई है, तभी एक महिला पैंट रोलर ब्रश उठाती है। उसे हल्दी के घोल में डुबोकर दुल्हन के हाथ-पैरों पर लगाती है

वहां मौजूद बाकी महिलाएं यह सब देख हंसने लगती हैं, वहीं दुल्हन को भी खूब हंसी आती है। इस मजेदार वीडियो को सोशल मीडिया यूजर पायल भयाना ने शेयर किया जिसे अब तक 61 हजार से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं। दो हजार से ज्यादा लाइक्स और 500 से ज्यादा रीट्वीट्स इस पर आ चुके हैं। ज्यादातर कमेंट्स फनी किस्म के किए गए हैं, वहीं कुछ लोगों ने इसे सोशल डिस्टेंसिंग का मैसेज देने वाला अच्छा वीडियो बताया है।



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New way of applying turmeric during marriage in Corona era, following social distancing, such a ritual that bride also got a laugh


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फातिमा असला को मेडिकल एजुकेशन के लिए अनफिट माना गया लेकिन हार नहीं मानी, आज ये मेडिकल स्टूडेंट हैं, हौसलों के दम पर सपने पूरे कर रही हैं

फातिमा असला देश और दुनिया की उन हजारों लड़कियों का प्रतिनिधित्व करती हैं जो शारीरिक विषमताओं के बाद भी जिंदगी की परेशानियों से जूझते हुए हर हाल में आगे बढ़ रही हैं। इस लड़की के चेहरे की मुस्कान देखकर इसकी तकलीफों का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। असला की किताब, 'नीलवु पोल चिरिकुन्ना पेनकुट्टी' (एक धुंधली मुस्कान वाली लड़की) जल्दी ही रिलीज होने वाली है।

फातिमा के माता-पिता को इस बच्ची की हड्डियों से जुड़ी बीमारी 'ऑस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा' के बारे में डॉक्टरों से तब बताया जब वह महज तीन दिन की थीं। जैसे-जैसे वह बड़ी हुई, उन्हें व्हील चेयर की जरूरत पड़ने लगी। वह पढ़-लिखकर डॉक्टर बनना चाहती थीं ताकि अपनी ही तरह अन्य दिव्यांगों की मदद कर सकें लेकिन मेडिकल बोर्ड ने उन्हें मेडिकल की पढ़ाई के लिए अनफिट करार दिया। फिलहाल वे बीएचएमएस में फाइनल ईयर की स्टूडेंट हैं और अपने सारे सपनों को पूरा करने की जद्दोजहद में लगी हुई हैं।

फातिमा को आगे बढ़ाने में उनके माता-पिता और भाई ने बहुत मदद की। उनकी मां अमीना रोज अपनी बेटी को कोजिकोड, पुनुर के सरकारी स्कुल में लेकर जाती थीं। फातिमा ने 10 वी कक्षा में 90% अंक प्राप्त किए। 11 वी कक्षा में जब वह साइंस विषय लेने लगीं तो कई लोगों ने उन्हें इस विषय को न लेने की सलाह दी। लोगों ने यह भी कहा कि साइंस में प्रैक्टिकल के दौरान उन्हें व्हील चेयर पर होने की वजह से दिक्कत होगी। लेकिन फातिमा ने तय कर लिया था कि उसे हर हाल में साइंस ही लेना और आगे पढ़ाई कर डॉक्टर बनना है।

फातिमा के लिए अपनी बीमारी के चलते पढ़ाई करना आसान नहीं था। 12 वी कक्षा के दौरान भी वे कई बार बीमार हुई। फिर भी उन्हें 85% अंक मिले। फातिमा के इलाज और पढ़ाई में कांथापुरम के ए पी अबूबकर मूजलियार और मरकज ने मदद की। असला ने दो बार मेडिकल इंट्रेंस एग्जाम दी और शारीरिक विषमताओं के चलते दो बार उन्हें मेडिकल बोर्ड का सामना करना पड़ा।

उसके बाद फातिमा का एक ऑपरेशन और हुआ जिसकी वजह से व्हील चेयर पर रहते हुए उनकी मुश्किलें कुछ कम हुई हैं। फिलहाल वे कोट्‌टायम के एनएसएस होम्यो मेडिकल कॉलेज से बीएचएमएस कर रही हैं।



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Fatima Asla was considered unfit for medical education but did not give up, today she is a medical student, fulfilling dreams on her own


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Trump testing Covid-19 positive a temporary setback for markets: Analysts

US stock futures and Asian shares lost ground Friday after President Donald Trump said he and first lady Melania Trump had tested positive for Covid-19

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Thursday, 1 October 2020

Gold prices today at Rs 53,420 per 10 gm, silver trends at Rs 60,700 a kg

In New Delhi, the price of 22-carat gold remained at Rs 48,950 per 10 gm, and in Chennai, it climbed to Rs 48,250

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Sebi fines NSE Rs 6 cr for activities non-incidental to exchange business

Currently, NSE holds between 25 per cent and 100 per cent stakes in these entities through its arm NSE Investments

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Market Wrap, Oct 1: Here's all that happened in the markets today

BSE Sensex ended 629 points, or 1.65 per cent higher at 38,697 levels while the Nifty50 index topped the 11,400-mark to settle at 11,417, up 1.5 per cent

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Natural gas production loss-making after gas price cut: Rating agencies

Natural gas production in India remains a loss-making proposition for most fields after the government cut gas price by a steep 25 per cent, rating agencies said

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इंटरनेशनल वीमेंस कॉफी अलायेंस की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर हैं अलिजा, अपने ब्रांड 'सिटी गर्ल कॉफी' से बनाई विदेशों में खास पहचान

अलिजा ने पढ़ाई के दौरान 10 साल ईस्ट कोस्ट में बिताये। यहां उन्होंने रिटेल मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन किया और स्कूल काउंसिलिंग में मास्टर्स डिग्री ली। उसके बाद वे 2015 में अपने फैमिली बिजनेस को संभालने के लिए मिनेसोटा आ गई। अलिजा के पिता का 'अलकैफ कॉफी रोस्टर्स' के नाम से कॉफी रोस्टिंग बिजनेस है। इस बिजनेस को संभालते हुए अलिजा ने कॉफी की दुनिया में अपनी खास पहचान भी बनाई।

32 साल की अलिजा इंटरनेशनल वीमेंस कॉफी एलायेंस की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर हैं। वे सारी दुनिया में महिला अधिकारों के प्रति आवाज उठाने के लिए जानी जाती हैं। अपने परिवार के बिजनेस को आगे बढ़ाने के साथ ही अलिजा ने 1990 में खुद अपने कॉफी ब्रांड की शुरुआत की है जिसे 'सिटी गर्ल कॉफी' नाम दिया।

अपनी कंपनी के लिए वे उन महिलाओं से कॉफी लेती हैं जो खुद कॉफी की खेती करती हैं। वे अपनी कमाई का एक तिहाई हिस्सा उन संस्थाओं को देती हैं जो कॉफी की खेती करने वाली महिलाओं की मदद करती हैं। वे कॉफी की दुनिया में छोटे-बड़े काम कर रही महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए भी जानी जाती हैं।

अलिजा के अनुसार ''कॉफी के खेतों में काम करने वाली महिलाओं को कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती। वे अपना बिजनेस करने और इस क्षेत्र से जुड़ी बारीकियों के बारे में भी नहीं जानती हैं। इन महिलाओं की भलाई के लिए मैं अपने प्रयास से कुछ करना चाहती हूं''। वे अपने ब्रांड के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देती हैं।



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Alija, the board of directors of the International Women's Coffee Alliance, has gained overseas recognition with her brand 'City Girl Coffee'


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घर पर बनाएं 4 तरह की कॉफी, मसाला और चॉकलेट कॉफी डिप्रेशन दूर करके रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाएगी; शेफ अनस से जानिए इसकी रेसिपी

कॉफी स्वाद में जितनी लाजवाब होती है, थकान भी उतनी जल्दी दूर करती है। कॉफी का प्रकार सिर्फ़ उनमें मिलाई जाने वाली सामग्री और तैयार करने के तरीक़े से अलग हो जाता है। इसमें मिलाई जाने वाली सामग्री, कॉफी के फ्लेवर और अरोमा को बदल देती है। इसी स्वाद का मज़ा लेने के लिए हम कैफे या रेस्त्रां में जाते हैं। लेकिन इन्हें घर में भी बना सकते हैं।

आज इंटरनेशनल कॉफी डे है, इस मौके पर शेफ अनस कुरैशी से जानिए घर पर कैसे बनाएं अलग-अलग तरह की कॉफी...

एस्प्रेसो कॉफी

एस्प्रेसो कॉफी

  • क्या चाहिए : दूध - 1 कप, पानी- 1 बड़े चम्मच, कॉफी पावडर- 1 छोटे चम्मच, पिसी हुई शक्कर- 1 छोटा चम्मच, चॉकलेट गार्निश करने के लिए।
  • कैसे बनाएं : एक कॉफी मग में कॉफी पाउडर, पिसी शक्कर और एक बड़ा चम्मच पानी डालकर अच्छी तरह से फेंटें। इसे तब तक फेंटना है, जब तक पेस्ट हल्के भूरे रंग का न हो जाए। एक पैन में मध्यम आंच पर दूध गर्म करें। किनारों से बुलबुले आने तक इसे धीमी आंच पर गर्म करते रहें, लेकिन दूध को उबालना नहीं है। गर्म हो रहे दूध को कांच के जार में डालकर फेन बनने तक तेज़ी से हिलाएं। कॉफी वाले कप में इस फेन वाले दूध को धीरे-धीरे डालते हुए चम्मच से मिलाएं। पैन में बचे झाग को कॉफी के ऊपर डालें। बाद में इसे चॉकलेट सिरप या चॉकलेट पाउडर से गार्निश करें।

मसाला कॉफी

मसाला कॉफी

  • क्या चाहिए : कॉफी पाउडर- 1/2 छोटा चम्मच, इलायची पाउडर- 1/4 छोटा चम्मच, दालचीनी पाउडर- 1/2 छोटा चम्मच, अदरक - 1 छोटे चम्मच बारीक़ कटी हुई, फुलक्रीम दूध- 200 मिली, शक्कर- 1 छोटा चम्मच, पानी- 1/2 कप
  • कैसे बनाएं : एक पैन में पानी गर्म करें। इसमें कॉफी पाउडर, इलायची पाउडर, दालचीनी पाउडर और अदरक मिलाएं। इसे अच्छी तरह से मिलाएं और थोड़ी देर पकाएं। जब इसमें उबाल आ जाए तो इसमें धीरे-धीरे दूध डालेंं। इसमें उबाल आने तक पकाएं। आंच बंद करके इसमें शक्कर डालकर पकाएं। शक्कर आख़िर में डालें नहीं तो दूध फट सकता है। अपने स्वाद के अनुसार मसाला कम या ज़्यादा कर सकते हैं। अब इसे एक कप में छलनी से छान लें। मसाला कॉफी तैयार है जो रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाएगी।

चॉकलेट कॉफी

चॉकलेट कॉफी

  • क्या चाहिए : डार्क चॉकलेट- 1 बड़ा चम्मच, दालचीनी पाउडर- 1/4 छोटा चम्मच, इंस्टेंट कॉफी पाउडर- 1 छोटा चम्मच, जायफल पाउडर 1 चुटकी, शक्कर पाउडर- 1 बड़ा चम्मच, दूध- 1 बड़ा चम्मच, गर्म दूध- 1/2 कप।
  • कैसे बनाएं : एक गर्म पैन में डार्क चॉकलेट के टुकड़े, दालचीनी पाउडर, कॉफी पाउडर, जायफल पाउडर, शक्कर और एक बड़ा चम्मच दूध डालकर मिलाएं। मिश्रण के पिघलने तक इसे चम्मच से अच्छी तरह मिलाएं। इसे माइक्रोवेव में भी 20 मिनट गर्म कर सकते हैं। अब इसे एक कप में पलट लें और ऊपर से गर्म दूध डालें और अच्छी तरह से मिलाएं। चॉकलेट कॉफी तैयार है। यह आपको खुश रखने का काम भी करेगी।

कैफे लाते

  • क्या चाहिए : कॉफी पाउडर- 2 छोटे चम्मच, पिसी शक्कर- 1 छोटा चम्मच, गर्म पानी- 1/4 कप, दूध- 1 कप।
  • कैसे बनाएं : एक कप में कॉफी पाउडर, पिसी शक्कर और गर्म पानी डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। गर्मदूध को कांच के जार में डालकर फेन बनने तक हिलाएं। अब इस दूध को धीरे-धीरे कॉफी वाले कप में डालें। जैसे-जैसे दूध कप में डालेंगे, फेन नीचे होता जाएगा जो आख़िर में कॉफी के ऊपर आ जाएगा। अब छलनी की मदद से कोको पाउडर कॉफी पर छिड़क दें।


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