जामा कार्डियोलॉजी द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार, जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर से लेकर डायबिटीज जैसी बीमारियों का अनुभव करती हैं, उनमें मेनोपॉज के बाद दिल की बीमारियों का खतरा 25% से ज्यादा होता है।
गर्भवती महिलाओं की हेल्थ से जुड़ी इस रिसर्च में 50,000 उन महिलाओं को शामिल किया गया जो मेनोपॉज की अवस्था में हैं। इस रिसर्च में सामने आए डाटा के अनुसार 29% गर्भवती महिलाओं को नौ महीनों के दौरान स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है। इनमें से 8% महिलाओं में मेनोपॉज के बाद कार्डियोवेस्कुलर डिसीज देखी गईं।
जबकि 6% महिलाएं वो थी जिनमें इस बीमारी के लक्षण उम्र के आखिर दौर में नजर आए। इस स्टडी की को ऑथर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सेन फ्रांसिस्को की कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. निशा पारिख के अनुसार, प्रेग्नेंसी के दौरान स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का असर महिलाओं में हार्ट की बीमारियों के अलावा स्ट्रोक और पेरिफेरल वेस्कुलर डिसीज का खतरा भी बढ़ाता है। इस स्टडी के लिए पारिख ने मेनोपॉज के दौर से गुजर रही 55 से 64 साल की 48,311 महिलाओं को चुना।
इनमें से 13,482 महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कई बार हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्या का सामना करना पड़ा। इनमें से अधिकांश महिलाएं समय से पहले मां बनीं। 50% महिलाओं ने कम वजन वाले शिशु को जन्म दिया, वहीं कुछ में प्रेग्नेंसी के दौरान हाइपरटेंसिव डिसऑर्डर देखने को मिले। यहां तक कि 22% महिलाओं का वजन डिलिवरी के बाद तेजी से बढ़ा, वहीं 7% महिलाओं को डायबिटीज हुई।
डॉ. पारिख के अनुसार, इन बीमारियों से बचने के लिए प्रेग्नेंसी के शुरुआती दौर में महिलाओं को अतिरिक्त देखभाल करना चाहिए ताकि स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं से बचा जा सके।
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