It simply sucks. I don't personally read blog posts word by word, so how can I except you to read them too? I known ther are people who are kind enough to read a 10,000 word long blog article from start to finish, but I think that's a minority.why waste your time ? Let me..
Saturday, 17 October 2020
Covid-19 impact: Gold imports down 57% to $6.8 bn in first half of FY21
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अपोजिट फैशन देगा हर आउटफिट को ट्विस्ट, फॉर्मल शर्ट और कैजुअल बॉटम ही नहीं स्वेटशर्ट और फॉर्मल पैंट्स भी बढ़ाएंगे आपका लुक
अपोजिट ड्रेसिंग में कपड़ों के ऐसे दो पीस लिए जाते हैं जिन्हें पहली बार देखने से तो लगता है कि मिसमैच हैं, लेकिन यह पहनते ही परफेक्ट लुक देते हैं। जिन आउटफिट्स को देखने से ऐसा लगता है कि इन्हें कभी साथ में पेयर नहीं किया जा सकता, उन्हें साथ में टीम कर परफेक्ट लुक क्रिएट करना ही अपोजिट ड्रेसिंग है।
फैशन प्रोज़ इसे बेहद पसंद कर रहे हैं। जैसे, वे रफल ड्रेस के साथ मोटी वेल्क्रो सैंडल टीम कर रहे हैं। जींस के साथ फ्रिली ड्रेस कैरी कर रहे हैं। सेलेब्रिटीज़ भी अब यह ट्रेंड अपना रहे हैं। पिछले दिनों कैटी होम्स ने फॉर्मल कॉलर शर्ट को जॉगर्स के साथ टीम किया था। अपोजिट ड्रेसिंग में कोई नियम नहीं होता है। इसे कई तरह से कैरी किया जा सकता है।
1. फॉर्मल शर्ट और कैजुअल बॉटम
कैजुअल शॉर्ट्स के साथ बटन-डाउन फॉर्मल शर्ट टीम की जा सकती है। देखने में ऐसा नहीं लगता कि इन्हें साथ पहना जा सकता है। फॉर्मल शर्ट एक सीरियस आउटफिट है तो शॉर्ट्स रिलैैक्स्ड आउटफिट है, लेकिन दोनों को साथ पहनने से प्रेपी और कूल लुक मिलेगा।
2. ड्रेस संग कैजु़अल फुटवियर
यह एक एथलीज़र कॉम्बो है जिसे फैशनिस्टाज़ काफी लंबे समय से अपना रहे हैं और जो यह साबित करता है कि अपोजिट ड्रेसिंग बेहद सफल भी हो सकती है। फैंसी रफल्ड ड्रेस या फिटेड स्लिट ड्रेस के साथ सॉक्स और स्नीकर्स मॉडर्न लेड-बैक लुक देते हैं। यहां फिटेड स्लिट ड्रेस के साथ सॉक्स-स्नीकर्स पेयर किए हैं।
3. ड्रेस और जींस
अपोजिट ड्रेसिंग में कपड़ों को अलग-अलग तरह से लेयर भी किया जा सकता है। किसी भी नी-लेंथ ड्रेस को पैंट्स या जींस पर पहना जा सकता है। बस इसमें सही पीसेस टीम करना बहुत जरूरी है। जैसे, रैप ड्रेस किसी भी जींस के साथ पहनी जा सकती है। यह थोड़ा मॉडर्न लुक देगी। इसके अलावा कई लेयर्स वाली वॉल्यूमिनस रफल ड्रेस को स्किनी जींस के साथ पेयर किया जा सकता है।
4. शॉर्ट्स के साथ लॉन्ग ब्लेज़र्स
ऐसी ड्रेसिंग में ब्लेज़र और बाइक शॉर्ट्स को भी टीम किया जा सकता है। कैजुअल लुक कैरी करने के लिए इनके साथ स्नीकर्स पहने जा सकते हैं और डेट-नाइट या फैंसी लुक कैरी करने के लिए इनके साथ पेंसिल हील्स पहनी जा सकती हैं। ऐसेसरीज़ में नेक चेन्स, गॉगल्स और मेटल स्ट्रैप बैग कैरी करके लुक बढ़ाया ला सकता है।
5. स्वेट शर्ट और फॉर्मल पैंट्स
स्वेट शर्ट को केवल स्नीकर्स, जींस या शॉर्ट्स के साथ ही नहीं, क्रिस्प कॉटन पैंट्स और स्टिलेटोज़ के साथ भी पहना जा सकता है। इन्हें स्लैक्स के साथ पहनेंगे तो ‘बेस्ट ऑफ कैजुअल एंड फॉर्मल मिक्स’ लुक आपको मिलेगा।
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मार्केट जैसे फ्रेंच फ्राइज़ बनाने के लिए आलू के स्लाइस को तलने से पहले फ्रिजर में रखें, घर में चिप्स बनाने का ये तरीका भी है आसान
बाज़ार के चटपटे फ्रेंच फ्राइज़ मुलायम और कुरकुरे होते हैं। ख़ासतौर पर बच्चों को ये बहुत पंसद आते हैं। पर इस समय वे घर पर हैं और इनकी कमी महसूस कर रहे हैं, तो बाज़ार जैसे फ्रेंच फ्राइज़ घर पर बना सकते हैं। इसी तरह चिप्स भी बना सकते हैं।
ऐसे बनाएं फ्रेंच फ्राइज़ :
बड़े आकार के 1-2 आलू लेकर छील लें। अब फ्रेंच फ्राइज़ की तरह आलूओं को लंबा काट लें। पैन में पानी उबालें और उसमें स्वादानुसार नमक मिलाएं। आलू के टुकड़ों को इस पानी में डालें और पकाकर निकाल लें। उन्हें टिश्यू पेपर या कपड़े में निकालें और ठंडा कर लें। फिर इन टुकड़ों को हवाबंद डिब्बे या पाउच में बंद करके एक घंटे के लिए फ्रीज़र में रखें। फिर फ्रीज़र से निकालकर गर्म तेल में हल्का भूरा होने तक तलें।
फ्रेंच फ्राइज़ बनाने का दूसरा तरीका :
पानी में नमक डालकर उबाल लें। इसमें कटे हुए आलू डालकर आधा पका लें और निकाल लें। फिर इसे कपड़े से सुखाकर बड़ा चम्मच कॉर्नफ्लार इस पर डालें और टुकड़ों को उसमें लपेटें। इसके बाद हवाबंद डिब्बे या पाउच में बंद करके एक घंटे के लिए फ्रीज़र में रखें। फिर गर्म तेल में तल लें।
चिप्स बनाने का तरीका जानें:
ज़रूरत के अनुसार आलू लीजिए और उनका छिलका उतार दीजिए। अब आलू की किसनी से चिप्स निकालिए और इन्हें सीधा पानी में डालते जाइए। चिप्स को पानी से धो लीजिए। इसके बाद पानी में नमक डालकर आधा उबालें। इन चिप्स को काग़ज़ या कपड़े पर निकालकर अतिरिक्त पानी सुखाएं। चिप्स पर बिल्कुल पानी नहीं होना चाहिए। अब इन्हें हल्का भूरा होने तक तलिए और लाल/काली मिर्च और नमक मिलाकर परोसिए या हवाबंद डिब्बे में स्टोर करिए।
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Cold storage real estate stock rises up to 1,500 mn sq ft by 2023: Report
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41 वर्षीय ए के सबिता पिछले 8 सालों से जरूरतमंद दुल्हनों को मुफ्त में वेडिंग ड्रेस देती हैं, उनकी मदद करने के लिए पूरी दुनिया से महिलाओं ने डोनेट किए ब्राइडल वियर
लगभग दो महीने पहले 41 वर्षीय ए के सबिता के पास एक 23 साल की लड़की का फोन आया। इस लड़की की कुछ ही दिनों बाद शादी होने वाली थी। ये लड़की पैसों की तंगी के चलते अपनी शादी के लिए कपड़े नहीं खरीद पा रही थी। वह सबिता के आठ साल पुराने बुटीक के बारे में जानती थी। इसलिए उसने सबिता को फोन लगाया ताकि उसकी मदद से लड़की को शादी के लिए मुफ्त में कपड़े मिल सकें।
सबिता ने इस लड़की की मदद की और उसे ब्राइडल ड्रेस के साथ-साथ एसेसरीज भी भिजवाई ताकि वह अपनी शादी में खूबूसरत दुल्हन बन सके। उसने इस ड्रेस के बदले कोई चार्ज नहीं किया। इस लड़की की मदद करने के बाद सबिता को लगा कि मैंने एक लड़की का सपना तो पूरा कर दिया। लेकिन अगर इसी तरह कई जरूरतमंद लड़कियों की मदद की जाए तो हर लड़की का शादी के दिन पहने जाने वाले डिजाइनर कपड़ों का सपना पूरा हो सकता है। अपनी इसी सोच के साथ सबिता ने दुल्हन को मुफ्त में ब्राइडल ड्रेस देने की शुरुआत की।
सबिता ने सोशल मीडिया पर इस पहल के प्रति जब लोगों को आगाह किया तो ऐसे कई लोग थे जो उसकी मदद के लिए आगे आए। कई महिलाओं ने अपनी शादी की ड्रेस सबिता के इस नेक काम में डोनेट की। उनका कहना था कि वैसे भी ब्राइडल ड्रेस सिर्फ शादी वाले दिन पहनी जाती है। उसके बाद वह घर में रखी रहती है और यूं ही पुरानी हो जाती है। सबिता को इस बात की खुशी है कि उनके द्वारा शुरू किए गए इस नेक काम के लिए न सिर्फ मुंबई, एर्नाकुलम, कोची, दुबई बल्कि अन्य अमेरिकी देशों से भी महिलाओं ने अपनी वेडिंग ड्रेस भिजवाई।
एक महिला ने सबिता के पास अपनी जिस वेडिंग ड्रेस को जरूरतमंद लड़कियों के लिए भेजा, उसकी कीमत 1 लाख रुपए थी। सबिता ने इन सभी ब्राइडल ड्रेस को संभालकर रखने और जरूरतमंद ब्राइड्स तक पहुंचाने के लिए केरल के कुन्नूर में अपने बुटिक की शुरुआत की।
सबिता को कई महिलाओं ने इन ब्राइड्स की मदद के लिए फुटवियर्स, ज्वेलरी, बेडशीट्स और मेकअप सेट्स भी दिए। फिलहाल सबिता ने अपने आउटलेट्स तिरूवनंतपुरम, कोल्लम, एर्नाकुलम, कासरगोद, कोजिकोड़ में भी खोले हैं। पिछले महीने सबिता ने 300 दुल्हनों को ब्राउइल ड्रेस दी हैं। उनके बुटिक में दुल्हनों के लिए सब्यसाची और रितु कुमार द्वारा डिजाइन किए गए कपड़े भी हैं। इन दुल्हनों के शादी के दिन को खास बनाने के लिए सबिता ने फ्री में मेकअप अरैंजमेंट भी किया है।
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पालतू शेर के साथ घूमते हुए दिखी एक लड़की, ये नजारा गाड़ी में बैठे एक ड्राइवर ने देखकर कहा - देखो एक ऐसा शहर भी है जहां टाइगर के साथ बच्चे सड़कों पर नजर आते हैं
शेर का नाम सुनते ही बच्चे तो बच्चे बल्कि बड़े भी डर जाते हैं। लेकिन मैक्सिको की एक लड़की का वीडियाे इन दिनों वायरल हो रहा है। इस वीडियो में यह लड़की अपने पालतू टाइगर को घूमाते हुए दिख रही है। द सन की रिपोर्ट के अनुसार, मैक्सिको के गोसाव शहर की धुल भरी सड़क पर टाइगर के पैरों के निशान मिले।
यह लड़की टाइगर के साथ बहुत खुश दिख रही है। लड़की के साथ टाइगर बहुत शांत है और आराम से घूमता हुआ दिख रहा है। इस वीडियो में एक ड्राइवर अपनी गाड़ी से लड़की के पास आते हुए दिख रहा है। वह कह रहा है- ''देखो, एक ऐसा शहर भी है जहां टाइगर के साथ बच्चे सड़कों पर नजर आते हैं''। यह आदमी उस लड़की के पास पहुंचा और उसने लड़की से उसके पिता के बारे में पूछा। इस दौरान उसने अपने कैमरे के एंगल को चेंज किया ताकि लड़की के साथ शेर का क्लियर फोटो ले सकें।
सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल हो रहा है। कई लोग इस वीडियो की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि लोगों को नुकसान पहुंचाने वाले इस तरह के जानवरों को कैद में रखना चाहिए।
वहीं कई लोगों को ये वीडियो इंटरेस्टिंग लग रहा है। वीडियो को देखने के बाद कुछ लोगों ने कहा कि अथॉरिटीज द्वारा इस तरह की घटनाओं पर कार्रवाई न करने की वजह से ही ऐसी घटनाएं होती हैं। इसके खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए।
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Gems, jewellery exports may dip 20-25%; growth expected by FY22: GJEPC
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MCX invites bids for augmentation of commodity derivatives platform
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कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल में प्रवासी कामगारों की मजबूरी दिखाती प्रतिमा, इसमें एक मां कार्तिकेय रूपी बच्चे को पकड़े हुए और दो बेटियों के साथ शक्ति रूप में खड़ी है
मां दुर्गा के अनेक रूपों में से एक है प्रवासी मां का रूप। कोलकाता के बेहला इलाके में स्थित बड़िशा क्लब ने इसे प्रतिमा के रूप में प्रस्तुत किया है। देवी दुर्गा की गोद में कार्तिकेय रूपी बच्चे को दिखाया गया है। इस क्लब ने प्रवासी मां की व्यथा को मां दुर्गा की प्रतिमा के रूप में दिखाया है। इस साल महामारी की वजह से कई प्रवासी मजदूर अपने गांव वापिस लौट गए। इनमें बड़ी संख्या उन महिलाओं की भी थी जो अपने मासूम बच्चों के साथ पैदल ही लंबी दूरी की यात्रा करने को मजबूर हुईं।
प्रतिमा को बनाने वाले कलाकार रिंटू दास के अनुसार, ''इस प्रतिमा में एक महिला की गोद में बिना कपड़े पहने एक बच्चा है। इस प्रतिमा के माध्यम से ये दिखाया गया है कि किस तरह एक मां अपने भूखे बच्चों के साथ तेज धूप में चली जा रही है। वह अपने बच्चों के लिए पानी और खाने की व्यवस्था देख रही है। इस पंडाल के डेकोरेशन के लिए किसी से राशि नहीं ली गई है''।
पंडाल के संस्थापक सदस्य देबप्रसाद बोस ने कहा कोई भी पंडाल तालाबंदी के दौरान श्रमिकों की दुर्दशा को पूरी तरह नहीं बता सकता लेकिन हमने प्रवासी मजदूरों के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाने की कोशिश की है। मुझे याद है कि लॉकडाउन के दौरान टीवी और अखबारों में रोज ही यह खबर पढ़ने को मिली कि किस तरह प्रवासी कर्मचारी पैदल घर लौट रहे थे।
उनमें से कुछ सड़क पर मर रहे थे। मेरे कुछ दोस्त जो बंगाल से दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में चले गए, उन्होंने मुझे सड़कों पर परेशान हाल में घूमते हुए प्रवासी मजदूरों के बारे में बताया था। हालांकि उस वक्त दुर्गा पूजा में कुछ महीने बाकी थे। लेकिन बच्चों के साथ घर चलने वाली महिलाओं की इस भावना ने मेरे दिल को छुआ। मेरे मन में, उन्होंने देवी को अवतार लिया जिसे मैंने नवरात्रि पर इस प्रतिमा के माध्यम से बताया। वैसे भी इस बार बड़िशा क्लब की मुख्य थीम भी 'रिलीफ' यानी राहत ही है।
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Friday, 16 October 2020
संयुक्त राष्ट जलवायु सम्मेलन - 2019 को संबोधित कर चुकी हैं लिसिप्रिया कंगुजम, अब दिल्ली में वायु प्रदूषण के खिलाफ सड़क पर बैनर लेकर उतरी
दिल्ली एनसीआर में बढ़ रहे वायु प्रदूषण के खिलाफ 9 साल की बच्ची लिसिप्रिया कंगुजम दिल्ली के विजय चौक पर बैनर लेकर प्रदर्शन कर रही हैं। पर्यावरण कार्यकर्ता के रूप में पहले से ही चर्चित लिसिप्रिया ने मैड्रिड में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन - 2019 को संबोधित किया था।
कंगुजम ने कहा है - ''मैं अपने नेताओं से अपील करना चाहती हूं कि प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में कोई सार्थक कार्रवाई करें। इसका समाधान निकालने के बजाय नेता एक दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदूषण बेहद खतरनाक रुख ले रहा है। बच्चे अपने घरों से नहीं निकल सकते हैं। मैं बच्चों की सेहत को लेकर बहुत चिंतित हूं।
दिल्ली के प्रदूषण से जुड़े एक सवाल के जवाब में कंगुजम ने कहा पेट्रोल और डीजल कारों के अलावा हरियाणा और पंजाब में कचरा जलाना वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। लिसिप्रिया के बैनर पर लिखा है - ''दिल्ली अब घुट रही है। नेता अब दोष देना शुरू कर रहे हैं। अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है''।
कंगुजम का जन्म 2 अक्टूबर 2011 को मणिपुर में हुआ था। वह एक भारतीय बाल पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। 2019 में उन्हें डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम चिल्ड्रन अवार्ड के अलावा अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार और इंडिया पीस प्राइज से सम्मानित किया जा चुका है।
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Cut-off time for equity MFs to be restored from Monday, says Amfi
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IDBI Bank surges 18% on government stake sale plan report
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Steel stocks in focus; JSW Steel hits 52-week high, Tata Steel surges 5%
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After petrol, diesel demand returns to pre-Covid-19 levels in October
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This beaten-down stock has zoomed 306% in 6 weeks after restart of trading
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12 वीं की छात्रा गुनीशा अग्रवाल गरीब स्टूडेंट्स को मुफ्त बांट रहीं लैपटॉप और स्मार्टफोन, अपनी मां से प्रेरित होकर शुरू किया ये नेक काम
कोरोना महामारी की वजह से ऐसे कई गरीब स्टूडेंट हैं जिनके लिए ऑनलाइन पढ़ाई करना बिल्कुल भी आसान नहीं हैं। कहीं इंटरनेट कनेक्शन की दिक्कत है तो कहीं लैपटॉप और स्मार्टफोन जैसे डिवाइस खरीद पाना भी इन स्टूडेंट्स के लिए मुश्किल है। ऐसे स्टूडेंट्स की मुश्किलें चेन्नई की गुनीशा अग्रवाल ने कम की हैं। गुनीशा इन्हें मुफ्त में लैपटॉप और स्मार्टफोन बांट रही हैं।
गुनीशा अग्रवाल 12वीं की छात्रा हैं। वे चेन्नई पुलिस कमिश्नर महेश कुमार अग्रवाल की बेटी हैं। गुनीशा को इस काम की प्रेरणा अपनी मां से मिली। एक बार गुनीशा ने देखा कि उसकी मां ने घर में काम करने वाली एक बाई की बेटी को लैपटॉप दिया ताकि वह ऑनलाइन क्लास में हिस्सा ले सके।
तभी गुनीशा को इस बात का ख्याल आया कि अपनी मां की तरह उसे भी जरूरतमंद स्टूडेंट्स की मदद करना चाहिए। जब गुनीशा ने इन स्टूडेंट्स को फ्री में लैपटॉप और स्मार्टफोन देने की शुरुआत की। इतना ही नहीं जरूरतमंद छात्रों की मदद करने के लिए गुनीशा ने एक वेबसाइट भी बनाई है। स्टूडेंट्स के लिए ऑन लाइन क्लासेस को आसान बनाने के लिए गुनीशा के साथ कई आईटी एडवाइजर भी काम कर रहे हैं।
एडवाइजर बालासुब्रमण्यम के अनुसार, आईटी सेक्शन में काम करने के बाद भी मुझे कभी स्टूडेंट्स की मदद का ख्याल नहीं आया। लेकिन गुनीशा की वजह से हमें भी इस नेक काम को करने का मौका मिला है। वे अब तक 25 डिवाइस स्टूडेंट्स में बांट चुकी हैं। वहीं इस हफ्ते लगभग 15 स्टूडेंट्स को यह डिवाइस देने वाली हैं।
गुनीशा कहती हैं कि कोरोना काल की वजह से कई लोग बेरोजगार हैं। ऐसे में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम जरूरतमंदों तक ये डिवाइस पहुंचाएं ताकि उनकी ऑनलाइन पढ़ाई चलती रहे।
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Cyient gains 5% as Q2 consolidated Ebit margin grows 586 bps QoQ to 11%
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Angel Broking, Chemcon Speciality, Happiest Minds hit new lows since debut
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India's diesel sales rise above pre-Covid levels in October: Industry data
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Chris Wood hikes allocation to Indian equities; raises stake in HDFC
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Mindtree tumbles over 11% post September quarter result; brokerages mixed
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Consumer electronics shares gain as import of ACs with refrigerants banned
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Thursday, 15 October 2020
सब्यसाची मुखर्जी ने जैसलमेर के राजकुमारी रत्नावति गर्ल्स स्कूल की बच्चियों के लिए यूनिफॉर्म डिजाइन की, नैचुरल डाई, ब्लॉक प्रिंट और अजरख से बनाया इसे खास
फैशन डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी इंडियन काउचर इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान रखते हैं। फिलहाल वे सोशल मीडिया पर उनके द्वारा स्कूल यूनिफॉर्म डिजाइन करने को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने जैसलमेर के राजकुमारी रत्नावति गर्ल्स स्कूल की लड़कियों के लिए यूनिफॉर्म डिजाइन किए हैं। इस यूनिफॉर्म में बच्चियों के फोटो वायरल हो रहे हैं जिसे देखकर सब्यसाची मुखर्जी की यूनिक डिजाइन को सराहा जा रहा है।
डिजाइनर ने हाल ही में एक यूएसए आधारित गैर-लाभकारी संगठन के साथ सहयोग किया, जिसे CITTA कहा गया। यह संस्था भारत में गरीबों की शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में काम करती है। सब्यसाची ने इन यूनिफॉर्म का नाम 'अजरख' रखा है। यह यूनिफॉर्म घुटनों तक लंबी एक फ्रॉक है जिसमें राउंड नेक और थ्री क्वार्टर स्लीव के साथ मैरून स्लेग्स शामिल है। इसमें दो पैच पॉकेट्स भी हैं।
अजरख राजस्थान और गुजरात में होने वाली ब्लॉक प्रिंटिंग का एक पैटर्न है जिसे आमतौर पर मिनरल्स और सब्जियों की डाई से तैयार किया जाता है। इस खूबसूरत यूनिफॉर्म की फोटो सब्यसाची मुखर्जी ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर शेयर की हैं। इस डिजाइनर ने यूनिफॉर्म के माध्यम से राजस्थान के हैरिटेज को बखूबी बयां किया है।
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शिकागो की ब्रायना हिल 38 हफ्ते की प्रेग्नेंसी के दौरान लॉ की परीक्षा देने गईं, एग्जाम के बीच में शुरू हुआ लेबर पेन, दर्द से कराहते हुए दिए दो पेपर और फिर अस्पताल पहुंची
शिकागो में रहने वाली ब्रायना हिल लॉयोला यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से ग्रेजुएशन कर रही हैं। वे 38 हफ्ते की प्रेग्नेंसी के दौरान लॉ की परीक्षा देने गईं थी। वे जब कंप्यूटर पर ऑनलाइन परीक्षा में आए सवालों को हल कर रहीं थीं तब उन्हें लेबर पेन शुरू हुआ। ऐसे हालातों में उसके पास सीट छोड़ने का विकल्प नहीं था। अगर वे सीट से उठ जातीं तो उन पर चीटिंग का आरोप लग सकता था। उन्हें परीक्षा में फेल भी किया जा सकता था।
वैसे भी ऑनलाइन परीक्षा के दौरान स्टूडेंट्स को हमेशा कैमरे के सामने रहना पड़ता है। इसके चलते वह अपनी सीट पर डटी रहीं। इस महिला ने एक घंटे तक लेबर पेन सहते हुए पहला पेपर निपटाया। इसके बाद जब वह अपनी सीट से उठी तो उनकी एमनियॉटिक थैली फट चुकी थी। दो बारीक झिल्लियों से बनी यह थैली शिशु को गर्भाशय में सुरक्षित रखती है।
ब्रायना ने बताया कि उसके बाद मैंने ब्रेक लिया और अपने पति, मिड वाइफ व मॉम को फोन किया। मैं उस वक्त दर्द से कराह रही थी। उसके बाद मैं फिर से एग्जाम हाल में बैठी और एग्जाम दी क्योंकि मिड वाइफ ने फोन पर बता दिया था कि उन्हें अस्पताल पहुंचने में समय लगेगा।
ब्रायना कहती हैं मैं घर में मजाक किया करती थी कि मैं अपना एग्जाम हॉस्पिटल के बेड पर दूंगी। लेकिन मुझे इस बात का अहसास नहीं था कि मेरी डिलिवरी इस तरह होगी। एग्जाम खत्म होने के बाद वह अस्पताल में एडमिट हुईं और बेटे को जन्म दिया।
डिलिवरी के बाद दूसरे दिन भी ब्रायना का एग्जाम था। जब उसने ये बात हॉस्पिटल के स्टाफ को बताई तो उन्होंने ब्रायना को ऑनलाइन एग्जाम देने के लिए एक खाली कमरा उपलब्ध कराया। इस कमरे के बाहर 'डू नॉट डिस्टर्ब' का बोर्ड भी लगा दिया। एग्जाम के दौरान ब्रेक मिलने पर उसने अपने बेटे की देखभाल भी की।
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HCL Tech falls 4% on profit booking post September quarter results
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UPL dips 9% post resignation of auditors of material arm based in Mauritius
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Stocks to watch: HCL Tech, Mindtree, Cyient, Tech Mahindra, South Indian Bk
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Jindal Steel, Adani Ports: Two stocks that Anand Rathi is bearish on
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MARKET LIVE: SGX Nifty suggests a higher opening; HCL Tech results today
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Here's a Bear Spread Strategy on Nifty by Nandish Shah of HDFC Securities
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HDFC Bank Q2: Analysts see sub-20% profit growth despite lower provisions
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Market Ahead, October 16: Top factors that could guide markets today
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Gold prices today at Rs 53,740 per 10 gm, silver trends at Rs 61,000 a kg
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Equitas SFB prunes IPO size by half to Rs 518 cr, issue opens Oct 20
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Global sell-off, re-lockdown fear: 5 reasons why Sensex slipped 1066 pts
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शिकागो की ब्रायना हिल 38 हफ्ते की प्रेग्नेंसी के दौरान लॉ की परीक्षा देने गईं, एग्जाम के बीच में शुरू हुआ लेबर पेन, दर्द से कराहते हुए दिए दो पेपर और फिर अस्पताल पहुंची
शिकागो में रहने वाली ब्रायना हिल लॉयोला यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से ग्रेजुएशन कर रही हैं। वे 38 हफ्ते की प्रेग्नेंसी के दौरान लॉ की परीक्षा देने गईं थी। वे जब कंप्यूटर पर ऑनलाइन परीक्षा में आए सवालों को हल कर रहीं थीं तब उन्हें लेबर पेन शुरू हुआ। ऐसे हालातों में उसके पास सीट छोड़ने का विकल्प नहीं था। अगर वे सीट से उठ जातीं तो उन पर चीटिंग का आरोप लग सकता था। उन्हें परीक्षा में फेल भी किया जा सकता था।
वैसे भी ऑनलाइन परीक्षा के दौरान स्टूडेंट्स को हमेशा कैमरे के सामने रहना पड़ता है। इसके चलते वह अपनी सीट पर डटी रहीं। इस महिला ने एक घंटे तक लेबर पेन सहते हुए पहला पेपर निपटाया। इसके बाद जब वह अपनी सीट से उठी तो उनकी एमनियॉटिक थैली फट चुकी थी। दो बारीक झिल्लियों से बनी यह थैली शिशु को गर्भाशय में सुरक्षित रखती है।
ब्रायना ने बताया कि उसके बाद मैंने ब्रेक लिया और अपने पति, मिड वाइफ व मॉम को फोन किया। मैं उस वक्त दर्द से कराह रही थी। उसके बाद मैं फिर से एग्जाम हाल में बैठी और एग्जाम दी क्योंकि मिड वाइफ ने फोन पर बता दिया था कि उन्हें अस्पताल पहुंचने में समय लगेगा।
ब्रायना कहती हैं मैं घर में मजाक किया करती थी कि मैं अपना एग्जाम हॉस्पिटल के बेड पर दूंगी। लेकिन मुझे इस बात का अहसास नहीं था कि मेरी डिलिवरी इस तरह होगी। एग्जाम खत्म होने के बाद वह अस्पताल में एडमिट हुईं और बेटे को जन्म दिया।
डिलिवरी के बाद दूसरे दिन भी ब्रायना का एग्जाम था। जब उसने ये बात हॉस्पिटल के स्टाफ को बताई तो उन्होंने ब्रायना को ऑनलाइन एग्जाम देने के लिए एक खाली कमरा उपलब्ध कराया। इस कमरे के बाहर 'डू नॉट डिस्टर्ब' का बोर्ड भी लगा दिया। एग्जाम के दौरान ब्रेक मिलने पर उसने अपने बेटे की देखभाल भी की।
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Nifty IT slips over 3% on profit booking; HCL Tech, Mindtree down over 5%
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Rane Brake advances 12% as board approves buyback at Rs 825 via open market
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आंध्रप्रदेश के अनंतपुर में एक दिन की कलेक्टर बनीं एम. श्रावणी, कलेक्टर की कुर्सी पर बैठकर निपटाया कामकाज, सरकारी कन्या हाई स्कूल का दौरा भी किया
आंध्रप्रदेश के अनंतपुर में एम. श्रावणी को एक दिन की कलेक्टर बनने का मौक़ा मिला। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्रा, 16 साल की श्रावणी ने इस दौरान दो महत्वपूर्ण फाइलों पर हस्ताक्षर किए और शहर का दौरा किया। श्रावणी के पिता किसान हैं और मां मज़दूरी करती हैं। उसे कलेक्टर बनने का अवसर 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को एक विशेष योजना के तहत मिला।
ज़िला प्रशासन ने तय किया था कि उस दिन सारे सरकारी विभागों की कमान बालिकाएं ही संभालेंगी। लॉटरी पद्धति से चयनित होने के बाद श्रावणी ने बाक़ायदा कलेक्टर की कुर्सी पर बैठकर कामकाज निपटाया। उसने शोषण की शिकार एक महिला के लिए मुआवज़े के तौर पर 25 हज़ार रुपए स्वीकृत किए।
उसने बतौर कलेक्टर यह आदेश जारी किया कि महिलाओं पर कई तरह की ज़िम्मेदारियां होती हैं, इसलिए पूरे ज़िले में किसी भी सरकारी विभाग में महिलाओं को रात आठ बजे से सुबह आठ बजे तक किसी आधिकारिक कार्य के लिए नहीं कहा जाएगा। उसने इलाक़े का दौरा करके अधिकारियों को निर्देश दिए और सरकारी कन्या हाई स्कूल का निरीक्षण भी किया।
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एक अरबपति महिला ने बर्थडे पर पहनी 2 अरब रुपए की ड्रेस, कई देशों में ऑनलाइन रखीं 20 पार्टियां, शामिल मेहमानों को लाखों रुपए के गिफ्ट्स भेजे
लेबनान की एक अरबपति महिला ने स्पेन के मिजस शहर में अपनी हवेली में 40 वां जन्मदिन हाईफाई पार्टी के साथ सेलिब्रेट किया। इस पार्टी में उसने 21.5 मिलियन यानी 2 अरब 67 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर डाले। इसमें से 20 मिलियन पाउंड उसकी हीरा-मोती जड़ी ड्रेस पर खर्च हुए। कोरोना के चलते इस पार्टी को दुनिया भर में वीडियो कॉन्फ्रेंस के द्वारा 20 मिनी पार्टियों से जोड़ा गया था जिसमें लंदन, लॉस एंजिल्स, हॉन्गकॉन्ग, कुवैत, कतर, दुबई, पेरिस और मॉस्को शामिल थे।
यहां से बर्थडे पार्टी में 150 मेहमानों ने हिस्सा लिया। महिला के घर से 10 फैमिली मेंबर्स और दोस्त शामिल हुए। इस पार्टी में खर्च का ध्यान नहीं रखते हुए सभी ऑनलाइन गेस्ट को महंगे गिफ्ट पहुंचाए गए। हैरानी इस बात कि है कि बर्थडे गर्ल ने अपना नाम गुप्त रखा। महिला ने पूरा ध्यान रखा कि सभी की नजरें उसी पर हों। दुनिया भर में जो 20 मिनी पार्टी रखी गईं थीं, उनके हर होस्ट को धन्यवाद देने के लिए 3 हजार पाउंड का गुडी बैग दिया गया।
इस बैग में 1200 पाउंड की लुइस वुइटन पेंसिल रोल, शैंपेन, लिमिटेड एडिशन वाली ग्रैसी एस मैक्विव जींस, एक लुईवितान लेदर मास्क, फेस वॉश, क्रीम, सीरम, स्किन केयर के साथ ही डायमंड ब्रेसलेट भिजवाया गया। सभी दोस्तों को उनके एड्रेस पर पार्टी हैंपर भी भेजा जो खाने और वाइन से भरा हुआ था। हर मेहमान के घर को सैनिटाइज भी किया गया।
इस बर्थडे गर्ल की यह ड्रेस यूके डिजाइनर और आर्टिस्ट डेबी विंघम ने डिजाइन की। इस कैप ड्रेस में 4 कैरेट तक के 15 दुर्लभ रेड डायमंड जड़े हुए थे। 3 कैरेट के 20 ब्लैक डायमंड, 3 कैरेट के व्हाइट डायमंड, 1 लाख का ब्लू डायमंड और 6 यलो डायमंड जड़े हुए थे। इस ड्रेस की फिनिशिंग 4 हजार छोटे 1 कैरेट के डायमंड से की गई थी। इसमें 1 हजार फ्रेश वाटर पर्ल लगाए गए। 2 लाख 50 हजार पाउंड का बुलगाड़ी नेकलेस भी पहना था।
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वैशाली, कीर्ति कुमारी और बसंती बेन ने बदली गांव की तकदीर; वहीं छवि, जबना चौहान, परवीन कौर पढ़-लिखकर बनीं सरपंच और गांवों में लाईं खुशहाली
आमतौर पर गांव की महिलाओं की जब बात होती है तो सिर पर पल्लू, बातों में झिझक और सीधी-सादी महिला की छवि हमारे दिमाग में होती है। लेकिन इसके उलट कुछ महिलाएं गांव में रहते हुए वहीं की अन्य महिलाओं का सहारा बन रही हैं।
यहां कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं, जो सरपंच बनीं। पढ़ाई-लिखाई में आगे ये महिलाएं शहर में रहकर भी अपना भविष्य बेहतर बना सकती थीं। लेकिन, उन्होंने अपनी मर्जी से गांव की तकदीर को संवारने का फैसला किया। आज सारी दुनिया में ये महिलाएं अपने गांव के साथ-साथ देश का नाम भी रोशन कर रही हैं। वर्ल्ड रूरल वीमेंस डे के मौके पर हमने गांव की ऐसी ही महिलाओं को सामने लाने की कोशिश की है।
वैशाली ने गांव की महिलाओं को ऑर्गेनिक प्रोडक्ट बनाना सिखाया
25 वर्षीय वैशाली ने ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को रोजगार देकर और उनमें फैशन की समझ विकसित करके बेस्ट क्वालिटी के कपड़े और सामान के जरिये यूरोपियन एक्सपोर्ट मार्केट में जगह बनाई है। इस युवा आंत्रप्रेन्योर ने 'सुरमई बनाना एक्सट्रेक्शन प्रोजेक्ट लॉन्च' किया है। अपने प्रोजेक्ट के माध्यम से वे ग्रामीण महिलाओं को ऑर्गेनिक और नैचुरल फाइबर प्रोडक्ट बनाना सिखाती हैं। वैशाली ने इस काम की शुरुआत गांव हरिहरपुर की 30 महिलाओं के साथ की थी।
कीर्ति कुमारी 10 स्व-सहायता समूहों के जरिए महिलाओं को ट्रेनिंग दे रही हैं
कीर्ति उत्तराखंड के तेहरी गांव की कृषि विज्ञान केंद्र में फूड साइंटिस्ट हैं। कीर्ति ने इस गांव की महिलाओं को आयरन रिच रागी और बाजरे के लड्डू बनाना सिखाएं हैं। इन लड्डू को आंगनबाड़ी में काम करने वाली कार्यकर्ताओं के बीच बांटा जाता है। यहां की रागी बर्फी को गांव के कुपोषित बच्चों को दिया जा रहा है ताकि उनका विकास हो सके।
कीर्ति की मदद से जिस ब्लॉक लेवल प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत हुई है, फिलहाल उसका टर्नओवर 1 करोड़ है। फिलहाल कीर्ति के 10 स्व सहायता समूहों द्वारा बनाए गए फूड प्रोडक्ट पौष्टिक होने की वजह से इन्हें गर्भवती महिलाओं, बच्चों और टीनएज लड़कियों को दिया जाता है। गांव की महिलाएं इन चीजों को बेचकर अच्छी कीमत पा लेती हैं।
बसंती बेन ने बाल विवाह के खिलाफ चलाया जागरूकता अभियान
अल्मोड़ा के कसौनी गांव में बसंती बेन एक टीचर हैं और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने वाली बसंती बेन अब तक कई बच्चियों को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाएं भी उपलब्ध करा चुकी हैं। इससे पहले बसंती कोसी नदी के लिए ''वनरोपण अभियान'' भी चला चुकी हैं।
बसंती ने 200 महिलाओं का समूह तैयार किए और इन्हें ''महिला मंगल दल'' नाम दिया। उनके प्रयासों से यह क्षेत्र आज ओक और कफाल के पेड़ों से लहलहा रहा है। वे प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करके पानी बचाने के प्रति लोगाें को जागरूक कर रही हैं।
पढ़-लिखकर गांव की मिट्टी से जुड़ी 3 सरपंच की कहानी, जिन्होंने गांववासियों की परेशानी को समझा और उसका समाधान भी ढूंढा :
अपने गांव सोंडा की छवि बदलती छवि राजावत
छवि राजावत टोंक जिले के छोटे से गांव सोड़ा की सरपंच हैं। वे भारत की सबसे कम उम्र की और पहली एमबीए पास सरपंच भी हैं। उन्होंने अपने गांव में वॉटर हार्वेस्टिंग कार्यक्रम चलाया है। वे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के तहत चलाई जा रही सभी योजनाओं पर सक्रिय कदम उठाती हैं।
इस युवा सरपंच के दादा ब्रिगेडियर रघुबीर सिंह लगातार तीन बार सोडा से सरपंच चुने गए थे। उनकी इच्छा थी कि एक दिन छवि भी सरपंच बने। छवि को अपने गांव में पानी की व्यवस्था, सोलर पावर, पक्की सड़कें, टॉयलेट्स और बैंक बनवाने का श्रेय दिया जाता है। कोरोना काल के दौरान छवि ने ऑनलाइन फंड इकट्ठा करके 900 परिवारों का अस्तित्व बचाया है।
हिमाचल प्रदेश में सबसे कम उम्र की सरपंच जबना चौहान
हिमाचल प्रदेश की जबना चौहान 22 साल की उम्र में मंडी जिले के अपने गांव थारजुन को संवारने में लगी हुई हैं। उन्होंने अपनी पंचायत में शराबबंदी लागू की। शराब पर पाबंदी लगाने का उनका अभियान दूसरी पंचायतों के लिए रोल मॉडल जैसा है।
हालांकि, अपनी इस पहल के लिए उन्हें जान से मारने की धमकी भी मिली। लेकिन, वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटीं। जबना ने थरजून पंचायत को स्वच्छ बनाने में बेहतर काम किया है। 24 वर्षीय जबना द्वारा किए गए कामों की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अक्षय कुमार ने भी की है।
परवीन ने सुरक्षा के नजरिये से पूरे गांव में सीसीटीवी कैमरा लगवाया
परवीन कौर ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की। उसके बाद एक प्राइवेट कंपनी में अच्छे पैकेज की नौकरी का ऑफर मिलने के बाद भी उन्होंने नौकरी नहीं की। इस युवा लड़की ने महज 21 साल की उम्र में हरियाणा की सबसे कम उम्र की सरपंच बनकर दिखाया।
उन्होंने सबसे पहले सड़कें ठीक कराईं, पानी की कमी दूर करने के लिए वाटर कूलर लगवाए। सुरक्षा के नजरिये से पूरे गांव में सीसीटीवी कैमरा और रोशनी के लिए सोलर लाइट का प्रबंध किया। सरपंच बनने के बाद परवीन अपनी उपलब्धि इस बात को मानती हैं कि आज उनकी वजह से गांव की लड़कियां कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित हुई हैं। वे भी समाज के लिए कुछ करना चाहती हैं।
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Goldprice dips Rs 10 to Rs 62,720, silver falls Rs 100 to Rs 74,900
The price of 22-carat gold also fell Rs 10 with the yellow metal selling at Rs 57,490 from Markets https://ift.tt/rpZGNwM
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उषाशी का संबंध एक ऐसे परिवार से हैं जहां अधिकांश लोग शिक्षक हैं। उन्होंने बचपन से अपने घर में पढ़ाई-लिखाई का माहौल देखा। वे 1986 में शादी के...
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साउथ इंडिया में थेनी के पास वेंकटचलपुरम में राधिका का जन्म हुआ। वे शादी के बाद दिल्ली आ गईं। एक शौक के तौर पर राधिका ने ट्रैवल फोटोग्राफी क...