It simply sucks. I don't personally read blog posts word by word, so how can I except you to read them too? I known ther are people who are kind enough to read a 10,000 word long blog article from start to finish, but I think that's a minority.why waste your time ? Let me..
Saturday, 18 April 2020
Coronavirus crisis: FPIs withdraw Rs 12,650 cr from capital market in April
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RBI assumes protective role, asks banks not to pay dividend for FY20
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सरसों टमाटर की चटनी और काले चने के पुलाव से बढाएं खाने का जायका, घर पर ही नए व्यंजनों का लुत्फ
लॉकडाउन रेसिपी की सीरीज में इस बार हम लाए हैं, सरसों टमाटर की चटनी और काले चने के पुलाव। इसे आप घर पर ही मौजूद सामानों की मदद से मिनटों में बना सकते हैं। तो आज ही बनाएं और परिवार के साथ इन व्यंजनों का लुत्फ उठाएं...
सरसों टमाटर की चटनी
क्या चाहिए
- एक प्याज
- दो लहसुन की कली
- अदरक के मोटे टुकड़े
- एक बड़े टमाटर
- नमक- स्वादानुआर
- मिर्च- 1 चम्मच
- धनिया- ½ चम्मच
- हल्दी- एक चुटकी
- सरसों का तेल
कैसे बनाएं
सबसे पहले प्याज, लहसुन की कली और अदरक के मोटे टुकड़े कर बिना तेल के तेज आंच पर कड़ाई में भूनें। 5 से 7 मिनट तक इसे करछी से चलाते रहें। इन तीनों चीजों के साथ टमाटर को पीस लें। अब कड़ाई में सरसों का तेल गर्म करें। इसमें 5 से 6 लहसुन की कली को बारीक काट कर तलें। जैसे ही लहसुन की महक आने लगे और वो गोल्डन ब्राउन हो जाए तब इसमें पेस्ट मिलाएं। अब इसमें नमक, मिर्च, धनिया और एक चुटकी हल्दी मिलाएं। चटनी को ढक कर पकने दें। यह जितना ज्यादा देर पकेगी, इसमें उतना ही ज्यादा स्वाद आएगा। इसको पराठे के साथ खाया जा सकता है।
काले चने का पुलाव
क्या चाहिए
- 1 कप काले चने (एक रातभर भिगोएं)
- दो प्याज
- जीरा - ½ चम्मच
- दालचीनी- एक छोटा टुकड़ा
- 3 से 4 इलायची
- नमक- स्वादानुआर
- मिर्च- ½ चम्मच
- हल्दी- 1 चम्मच
कैसे बनाएं
पहले थोड़ी प्याज को डीप फ्राई करें। यह प्याज पुलाव बनाने के समय और सर्व करने से पहले काम आएंगे। पुलाव के लिए चावल भी एक तरफ भीगने रख दें। कुकर में तेल गर्म कर जीरा, दालचीनी, इलायची और बारीक कटा छोटा प्याज भूनें। इसमें भीगे चावल डालें। चावल की खुशबू आते ही इसमें भीगा हुआ काला चना और गुनगुना पानी मिलाएं। उबाल आते ही नमक, मिर्च, हल्दी के साथ थोड़े से तले हुए प्याज मिलाएं। चावल पकने और पानी उड़ने तक खुले में पका सकते हैं। एक सीटी आने तक भी पुलाव काे पकाया जा सकता है।
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कोरोना संकट काल में मदद के लिए आगे आ रहीं महिलाएं, घर के काम के बाद कोरोना वॉरियर्स को खुद सिलकर बांट रहीं मास्क
कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग की वजह से हुए लॉकडाउन का सभी को काफी नुकसान हो रहा है। इसके चलते एक ओर जहां बड़े-बड़ेउद्योग बंद हो रहे हैं और लोग बेरोजगार हो रहे हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस संकट काल में रोजगार के साथ ही कोरोना युद्ध में योगदान भी कर रहे हैं। आइए जानते है ऐसे ही लोगों के बारे में जो अपने जज्बे से कोरोना की जंग लड़ रहे कोरोना वॉरियर्स की लगातार मदद कर रहे हैं।
थैला बनाने वाली संस्था बना रही मास्क
मुश्किल की इस घड़ी में 'जीवनम' नाम की एक संस्था ने मास्क बनाने का बीड़ा उठाया है। इस संस्था को दीपा नायर वेणुगोपाल चलाती हैं। संस्था की सभी सदस्य महिलाएं मास्क की कमी दूर करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं। खास बात यह है कि यह संस्था पहले कपड़ों से थैला बनाती थी। लेकिन अब इन महिलाओं ने ऑनलाइन वीडियो ट्यूटोरियल देखकर कोरोना से लड़ाई के लिए मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया है। यहां करीब तीस महिलाएं रोजाना लगभग 200-300 मास्क बनाती हैं।
इसके अलावा यह संस्था हैंड सैनिटाइजर बनाने पर भी विचार कर रही है। इसके लिए सरकार से जरूरी अनुमति लेने का प्रयास जारी है। सरकार से इसकी अनुमति मिलते ही हैंड सैनिटाइजर बनाकर उसे मुफ्त में वितरित करेंगे। इस दौरान सभी महिलाएं सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए अपने घरों से ही काम कर रही हैं। एक टीम लोगों को कुछ मास्क मुफ्त में भी बांटती है। साथ ही ये महिलाएं अपने आसपास के लोगों को भी मास्क बनाना सिखा रही हैं।
साठ हजार मास्क बना चुकी आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं
स्वरोजगार और खुद को सक्षम बनाने के लिए सिलाई-कढ़ाई करती भोपाल की आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं भी इस दौरान आगे आई हैं। इस संगठन से जुड़ी करीब 169 महिलाओं ने कोरोना वॉरियर्स के तौर पर खुद कमान संभाल ली है। मास्क की कमी से जूझ रहे शहर कीमदद के लिए इन महिलाओं ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को संक्रमण से बचाने के लिए मास्क सिलने का काम शुरू किया है। ये महिलाएं भोपाल के आसपास के 22 गांवों से ताल्लुक रखती हैं और रोजाना घर के कामकाज से निपटकर मास्क बनाने पहुंच जाती हैं। यह दस दिन में अब तक साठ हजार मास्क बना चुकी हैं।
इनका मकसद क्षेत्र के हमीदिया अस्पताल, जेके हॉस्पिटल,पुलिस हेडक्वार्टर, नगर निगम, आदिवासी विभाग, प्रशासन, सुल्तानिया अस्पताल, सतपुड़ा भवन, ग्राम पंचायत के साथ-साथ सेना को भी जरूरत के मास्क पहुंचाना है। इतना ही नहीं, यह महिलाएं कोरोना की भयावहता और नुकसान, सोशल डिस्टेंसिंग और साफ-सफाई आदि के विषय में भी लोगों को जागरुक कर रही हैं।
65 महिलाएं समूह में तैयार कर रही मास्क
कन्नौज ब्लॉक के बेहरिन, रजमईमऊ राजा, फगुहा, नथापुर्वा, तेरारब्बू, जलालाबाद ब्लॉक के जलालाबाद, अनौगी, पवपुखरा व उमर्दा ब्लॉक के सुर्सी, अजोरा, अगौस और जैनपुर आदि की 65 महिलाएं समूह में मास्क तैयार कर रही हैं। इनको विकास भवन की ओर से12 अप्रैल से मास्क बनाने का काम दिया गया है। इन्हें कुल 40 हजार मास्क बनाने का लक्ष्य सौंपा गया है। छह से सात के ग्रुप में ये महिलाएं घर का काम करने के बाद रोज आठ घंटे मास्क बनाती हैं।
वहीं, इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल भी रखती हैं। एक महिला रोजाना 150 मास्क बना लेती है, जिसके लिए हर एक मास्क पर एक महिला को चार रुपये मिलते हैं। मास्क के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कपड़ा पर्यावरण के अनुकूल है। तीन से चार घंटे उपयोग के बाद एंटीसेप्टिक युक्त पानी से धोने के बाद सुखाकर इसे फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।
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इच्छाशक्ति और परिवार के सहयोग से जीती कोरोना की लड़ाई, अमेरिका की 104 वर्षीय वेरा मुलर स्वस्थ होकर वापस लौंटी घर
कोरोनोवायरस के प्रकोप से दुनिया भर के लोग प्रभावित हैं। इसकी वजह से पूरी दुनिया के लोगों में डर और दहशत का माहौल है। बड़े-बड़े देश इस महामारी से लड़ने के लिए अपने-अपने स्तर काम कर रहे हैं। इस संक्रमण ने सबसे ज्यादा बुजुर्गों को अपनी चपेट में लिया हैं। ऐसे में इंटरनेट पर सबसे ज्यादा खबरें बुजुर्गों के बारे में ही आ रही हैं।
वेरा मुलर ने जीती जंग
लेकिन कई बुजुर्ग ऐसे भी है, जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और जज्बे से कोरोनावायरस को मात दे दी। इन्हीं में से एक है अमेरिका के मिनेसोटा शहर की 104 वर्षीय वेरा मुलर, जिन्होंने इस संक्रमण से पीड़ित होने पर भी हिम्मत नहीं हारी और इस जंग को जीत लिया। अमेरिका, जहां पूरी दुनिया में अभी तक सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं और सबसे ज्यादा लोग संक्रमित हैं। ऐसे में वेरा ने अपने परिवार को सपोर्ट से कोरोनावायरस को हरा दिया।
जन्मदिन के दो दिन बाद दिखें लक्षण
13 साल से मिनेसोटा के विनोना में सॉयर हेल्थ केयर होम में रह रही वेरा मुलर का 23 मार्च को जन्म दिन था। इसके दो दिन बाद 25 मार्च को खांसी-बुखार और मिचली जैसे लक्षण सामने के बाद उनका टेस्ट कराया गया तो वो कोरोना पॉजिटिव पाई गईं।
परिवार को मिला सपोर्ट
इस कठिन दौर में वेरा के परिवार ने उनका पूरा सपोर्ट किया। सब नियमित रूप से उनसे मिलने आते थे। उन्हें देखने के लिए परिवार के लोग शेल्टर होम की खिड़की के आसपास इकट्ठा होते थे, जिससे उन्हें अच्छा लगे और उनका मनोबल बढ़ता रहे। इतना ही नहीं उनका परिवार वाले उनसे फोन पर बातचीत भी करते थे। परिवार के इसी सपोर्ट की वजह अब वेरा बिल्कुल ठीक है और पहले की ही तरह अपनी जिंदगी बिता रहीं है।
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Friday, 17 April 2020
ब्रिटेन की एमी को लगा दुनिया का पहला थ्री-डी प्रिंटेड बायोनिक हाथ, बोली- मैं इससे अपनी आर्ट लोगों तक पहुंचाने के लिए तैयार हूं
ये है ब्रिटेन की 14 साल की आर्ट स्टूडेंट एमी एश्टन। जन्म से ही उसका बायां हाथ नहीं था। अब वह दुनिया की पहली ऐसी किशोरी बन गई है, जिसे मेडिकल सर्टिफाइड थ्री-डी प्रिंटेड बायोनिक हाथ लगाया गया है। अब वह इन हाथों से न केवल अपनी मनपसंद डिजाइन बना लेती है, बल्कि जितना चाहे बारीक काम भी कर सकती है। पिछले साल क्रिसमस की छुटि्टयों में उसे यह हाथ लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई। तीन महीने इसे बनाने में लगे। एमी ने कभी सोचा भी नहीं था कि बैटरी से चलने वाला हाथ उसकी मसल के इशारों पर वैसे ही काम करेगा, जैसा वह चाहती है।
साढ़े नौ लाख की कीमत वाला हाथ
ब्रिस्टल की ओपन बायोनिक्स कंपनी द्वारा बनाए गए इस हाथ की कीमत 10 हजार पाउंड यानी करीब साढ़े नौ लाख रुपए है। एमी अब अपने नए हाथ को हर एंगल से घुमा सकती है, पानी के गिलास को आसानी से उठा सकती है और इच्छानुसार स्कैच भी बना सकती है। उसने कहा- ‘अब मैं इस हाथ से अपनी आर्ट लोगों तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह तैयार हूं।’ एमी की टीचर भी उसके नए हाथ से बने स्कैच देखकर आश्चर्यचकित हैं।
बचपन में लगवाया कत्रिम हाथ
एमी ने बताया- ‘जब मैं 18 महीने की हुई तो मेरी मां ने मुझे चलने-फिरने में कोई सहारा न लेना पड़े इसलिए कृत्रिम हाथ लगवा दिया। लेकिन मैं उससे बहुत ज्यादा काम नहीं कर पाती थी। मुझे लगता था कि यह हाथ सिर्फ दिखानेभर का है, काम का बिल्कुल नहीं। न तो मैं चाय का कप उठा सकती थी और न ही पानी का गिलास। जब मैं पांच साल की हुई तो मुझे दूसरा नया हाथ लगवाया गया। मैं यह सोचकर बहुत खुश हुई कि अब मैं इस हाथ से वह सारे काम कर पाऊंगी, जो मैंने सोच रखे थे। लेकिन मेरी यह हसरत भी अधूरी ही रही। लेकिन मैंने जिद नहीं छोड़ी। पिछले साल मैं कंप्यूटर पर सर्च कर रही थी, उसी दौरान मुझे थ्री-डी प्रिंटेड बायोनिक हाथ के बारे में पता चला। मैंने खुद ओपन बायोनिक्स से संपर्क किया। मेरे उत्साह को देखते हुए कंपनी ने मुझे यह हाथ अपने खर्च पर लगवाने का वादा किया। और लगाकर दिया भी। बुधवार को जब मुझे यह हाथ लगा मुझे लगा कि मेरा सपना पूरा हो गया।’
8 किलो तक वजन उठाने में सक्षम है एमी का बायोनिक हाथ
बैटरी से चलने वाला बायोनिक हाथ मांसपेशियों के इशारे पर काम करता है और 8 किलो तक वजन उठाने में सक्षम है। इसे इंसान की जरूरत के मुताबिक बनाया जाता है। यह हाथ कलाई से 180 डिग्री घूम सकता है।
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स्वीडन की राजकुमारी बनीं स्वास्थ्य सहायक, बोलीं-देश मुश्किल में, तो मैं महल में कैसे रहूं
स्वीडन की राजकुमारी सोफिया ने स्टॉकहोम के सोफियाहेमेट हॉस्पिटल में स्वास्थ्य सहायक के रूप में काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि वे कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में सीधे तौर पर शामिल नहीं होंगी। इसके बजाय वे गैर-चिकित्सा कार्यों के साथ-साथ डॉक्टर, नर्स और मेडिकल स्टाफ की मदद करेंगी। इसके लिए सोफिया ने तीन दिन की ट्रेनिंग भी ली है।
अस्पताल हर हफ्ते 80 लोगों को ट्रेनिंग दे रहा है। इसमें साफ-सफाई, रसोई के काम शामिल हैं। सोफिया भी यही काम करेंगी। वे इसी अस्पताल की मानद अध्यक्ष भी हैं। इस बारे में सोफिया ने कहा- "जब मेरे देश के लोगों की मौत हो रही हो, तो मैं महल में कैसे रह सकती हूं। इसी कारण अब मैं सबकी सेवा में लग गई हूं।''
मॉडल रह चुकीं हैं सोफिया
35 साल की सोफिया शाही परिवार का हिस्सा बनने से पहले मॉडल थीं। उन्होंने 2015 में कार्ल फिलिप से शादी की। इनके दो बच्चे प्रिंस एलेग्जेंडर और प्रिंस गेब्रियल हैं। सोफिया की पहले दिन अस्पताल की तस्वीरें भी सामने आई हैं। इनमें वे नीले यूनिफॉर्म में अपने सहकर्मियों के साथ नजर आ रही हैं।
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RBI move to cut reverse repurchase rate fuels rally in short-term bonds
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Q4 earnings preview: Nifty50 firms' net profit likely to decline 19%
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SIPs closure ratio spikes to 70% in March, highest in previous fiscal
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RBI measures, global markets surge propel Sensex, Nifty to one month high
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Crude oil sheds over 7% on global cues, bullion take a beating too
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NFOs likely to see lower flows over weak investor sentiment, lockdown
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Market Wrap, April 17: Here's all that happened in the markets today
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भारतीय महिला क्रिकेट खिलाड़ियों ने शुरू किया 'आइसोलेशन क्रिकेट वर्ल्डकप', इंटरनेट पर वायरल खेलने का अनोखा तरीका
कोरोनावायरस के लगातार बढ़ रहे संक्रमण के कारण देश में लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके चलते आम से लेकर खास सभी अपने- अपने घरों में कैद है। साथ ही अलग- अलग तरीकों से लॉकडाउन में समय काट रहे है। इस दौरान सभी एक्टर्स, खिलाड़ी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव है। इसी क्रम में भारतीय महिला टीम की खिलाड़ियों ने लॉकडाउन में क्रिकेट खेलने का एक अनोखा तरीका निकाला है। इन खिलाड़ियों ने मिलकर इसका एक वीडियो भी बनाया है, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है।
घर पर शुरू की लीग
वीडियो में भारतीय महिला टीम की खिलाड़ी वेदा कृष्णमूर्ति, मोना मेशराम और महिला कमेंटेटर रिमा मल्होत्रा के साथ ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर लिसा स्थालकर भी मौजूद हैं। वायरल वीडियो में महिला खिलाड़ी क्रिकेट खेलती हुई नजर आ रहीं हैं। जबकि लिसा स्थालकर कमेंट्री कर मैच का आंखों देखा हाल सुना रही हैं। इस वीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए वेदा कृष्णमूर्ति ने लिखा, हम लोग क्रिकेट को मिस कर रहे हैं, इसलिए हमने घर पर ही अपनी क्रिकेट लीग शुरू की है। हम आपके सामने पेश कर रहे हैं 'आइसोलेशन क्रिकेट वर्ल्डकप'
बच्चियों को बनाया ऑडियंस
वीडियो में वेदा अपने घर की बालकनी में बल्लेबाजी कर रही हैं। साथ ही आकांक्षा कोहली उनके पीछे विकेट कीपिंग कर रही हैं। इसके अलावा अगले ही सीन में पूर्व भारतीय क्रिकेटर रीमा मल्होत्रा अपने घर से गेंदबाजी करती नजर आ रही हैं। वहीं, भारतीय खिलाड़ी मोना मेशरम फील्डिंग करती दिख रही है। खास बात यह है कि वीडियो में दो बच्चियां ऑडियंस के रूप में बजाती हुई दिखती हैं। वीडियो ऐसे एडिट किया गया है जैसे यह सब अलग-अलग जगह नहीं, बल्कि एक साथ खेल रही हैं।
महिला वर्ल्ड कप 2021 के लिए किया क्वालिफाय
हाल ही में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने शानदार परफॉर्मेंस कर आईसीसी महिला वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाय कर लिया है। बुधवार को आईसीसी ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी। इससे पहले महिला टी-20 वर्ल्डकप में भारत को फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन टूर्नामेंट में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार परफॉर्मेंस ने सभी का दिल जीत लिया।
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सोशल मीडिया पर वायरल पिता-बेटी का भावुक वीडियो, कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे डाॅक्टर पिता से नहीं मिल पा रही बेटी
कोरोना वायरस फैलने के बाद से ही ऐसे कई वीडियो सामने आ रहे हैं जो दुनियाभर के लोगों को भावुक कर रहे हैं। ऐसा ही एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है,जिसमें एक बच्ची अपने डाॅक्टर पिता से मिलना चाहती है। दोनों के बीच कांच का एक दरवाजा है, जिसे मासूम बच्ची खोलना चाहती है। लेकिन वह ऐसा नहीं कर पातीं। हारकर वह रुआंसी हो जाती है। जिस पर दूसरी तरफ बैठे उसके पिता इशारे से उसे संभालते नजर आ रहे है।
44 हजार से ज्यादाव्यूज
वीडियो को ट्विटर यूजर @ThePlacardGuy ने शेयर किया है। वो इसके कैप्शन में लिखते हैं, ‘इस वीडियो ने मुझे सच में दुखी कर दिया।’ उनके द्वारा शेयर इस वीडियो को 44 हजार से अधिक व्यूज मिल चुके हैं। कई यूजर्स ने इस पिता को सलाम किया। इस वीडियो को देखकर लोग बेहद इमोशनल हो गए और कमेंट्स कर रहे हैं।
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Select real estate shares surge after RBI announces liquidity measures
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Rupee can depreciate another 4% despite RBI's liquidity support measures
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ड्यूटी के बाद दीप जलाकर दिया एकता का संदेश, सोशल मीडिया पर वायरल महिला डॉक्टर्स का डांस परफॉर्मेंस
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण चारों तरफ डर और निराशा के माहौल है। ऐसे में केरल के तिरुवनंतपुरम की डॉक्टर्स का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। यहां सभी कोरोना के चलते डरे और सहमे हुए हैं। ऐसे में इन महिला डॉक्टर्स ने एकता संदेश देता एक वीडियो शेयर किया है। वायरल वीडियो में एक अस्पताल की 24 महिलाओं ने अस्पताल में काम करने के बाद घर जाकर दीया जलाकर डांस किया है। तिरुवनंतपुरम के एसके अस्पताल की 24 महिला डॉक्टर्स ने ड्यूटी के बाद घर जाकर दीया जलाया और भगवान से प्रार्थना की।
चर्चित भजन पर किया डांस
वीडियो में सभी महिलाएं चर्चित भजन ''लोकम मुझुवन सुखम पकारन'' पर डांस करती नजर आ रही है। अस्पताल की तरफ से जारी किए गएइस वीडियो में ये डॉक्टर्स एकता का संदेश देती दिख रही हैं। इसे एसके अस्पताल की एनेस्थेटिस्ट डॉ. शरण्या कृष्णन ने कोरियोग्राफ किया है। वह बताती है कि " एक दम से ये विचार आया। मेरे सहयोगी डॉ. कुक्कु गोविंदन ने मेरे इस विचार से सहमति जताई। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं कोरियोग्राफी कर सकती हूं, क्योंकि मैंने पेशेवर रूप से नृत्य सीखा है, तो मैंने तुरंत हां कर दी।''
लोगों को पसंद आ रहा वीडियो
उनके इस वीडियो को खूब पसंद किया जा रहा है। इसे कई हजार व्यूज भी मिल चुके है। वीडियो के वायरल होने पर डॉ. शरण्या ने कहा कि उन्होंने कभी भी इस तरह की हिट की उम्मीद नहीं की थी। उन्होंने बताया कि, ''कुछ ही दिनों में उन्हें वॉट्सऐप और सोशल मीडिया पर वीडियो देखने को मिले, जिससे यह पता चला कि ये वीडियो आखिरकार काम कर गया।
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RBI actions will act as lifelines for NBFCs; await steps on bond buying
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RBI measures are good; markets will recover only when Covid-19 cases dip
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Thursday, 16 April 2020
Financials in focus post RBI meet; Axis Bank, RBL Bank, Bajaj Finserv rally
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FPIs, MFs book profit in IRCTC; cut stake during March 2020 quarter
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How will the Covid-19 pandemic impact Nifty companies' earnings in Q4FY20?
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Market Ahead, April 17: Top Factors That Could Guide Markets Today
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HDFC Bank Q4 preview: Net profit may jump 30% YoY; biz growth guidance eyed
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Outlook & trading strategies for Gold, Natural Gas by Tradebulls Securities
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MARKET LIVE: SGX Nifty up 250 pts; RBI Governor to address media at 10 AM
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Markets close in green: Stocks gain in a volatile trading session
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Covid-19 impact: Bond and currency markets to close at 2 pm till April 30
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Mutual funds likely to get Sebi lifeline to tide over liquidity woes
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Branded edible oil reaches only a few retailers, prices up as stocks fall
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Covid-19: Domestic sugar retail pipeline drying up as lockdown hits offtake
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Foxed by market volatility, MFs hold cash to invest when the market dips
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Market Wrap, April 16: Here's all that happened in the markets today
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Nestle India scales fresh record high; stock rallies 38% in 4 weeks
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Goldman Sachs downgrades India from 'overweight' to 'marketweight'
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Nifty unlikely to go past 10,000 anytime soon, keep buying at low levels
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Larsen & Toubro gains for seventh straight day; stock up 19% in 2 weeks
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Wednesday, 15 April 2020
Rupee tanks 36 paise to all-time low of 76.80 against USD in early trade
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Covid-19 pandemic may eat into bonuses of domestic investment bankers
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IndusInd Bank jumps 4% as Goldman Sachs buys stake; stock up 12% in 3 days
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IT stocks slide after Wipro's weak Q4 show; TCS slips 2% ahead of results
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Biocon gains 5% as two Bengaluru facilities receive EIR from USFDA
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80% of financial sector IPOs since four years trade below issue price
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बांटना सिखाने का एक मौका है ये लॉकडाउन, देने के इस सुख में बच्चों को शामिल कर एक अच्छा इंसान बनने की ओर अग्रसर करें
कोरोना संक्रमण के विपदा वाले इन दिनों में सबसे ज्यादा जरूरी है- सुरक्षित बचे रहना। इसके लिए घरों में ही रहने, सफाई का ध्यान रखने के साथ भोजन भी महत्वपूर्ण है। देश का हर शहर बंद की स्थिति का सामना कर रहा है। घर में रहने को विवश कुछ लोगों को राशन व भोजन उपलब्ध नहीं है। प्रशासन, सरकार मदद कर रही है, लेकिन जब जीवन, सेहत और भूख दांव पर लगी हो तो हम सभी सक्षम लोगों की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। यह लोगों की मदद का समय है। और इस पहल में हम अपने बच्चों को शामिल करते है तो वे एक अच्छे इंसान बनने की ओर अग्रसर होंगे।
अद्भुत होता है देने का सुख
पिछले दिनों मुझे एक स्कूल की प्रिंसिपल ने फोन कर बुलाया कि बच्चों ने एक डोनेशन ड्राइव कर कुछ वस्तुएं एकत्रित की हैं। मैने सारे कार्य छोड़ कर शहर से 25 कि.मी. दूर उस स्कूल में जाना इसलिए सुनिश्चित किया क्योंकि अभाव में भी उन बच्चों में देने का जो भाव पैदा हुआ था यह बहुत मायने रखता है। वह एक साधारण सा स्कूल है जिसमें सामान्य घर के बच्चे पढ़ते है। पिछली बार की डोनेशन ड्राइव में उन बच्चों ने एक बॉक्स में चिल्लर के रूप में कुछ रुपए एवं अपनी पुरानी काॅपियों के बचे हुए कोरे पन्ने मुझे बड़े उत्साह से भेंट किए थे। ये वस्तुएं देते वक़्त उनकी आंखों में तसल्ली की चमक थी।
उस वक्त मैने उन्हें देने के महत्व पर एक कहानी सुनाई, जिसमें बंधे हाथ वाले सामने रखे भोजन को नहीं खा पा रहे थे, सो दुख में थे, वहीं दूसरी जगह लोग एक-दूसरे को खिला रहे थे, सो सुखी थे।
बच्चे केवल अपेक्षाएं रखते हैं?
किसी भी बच्चे का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है उसका बर्थडे। वह बड़ा उत्साहित होता है कि पार्टी होगी, उसे बहुत सारे गिफ्ट मिलेंगे, केक मिलेगा। इससे हम उसे पाना सिखाते हैं और वह बच्चा रिसिविंग मोड यानी स्वीकार करने के रुख में आ जाता है। लेने वाले भाव में बच्चा अपेक्षा करना प्रारंभ कर देता है। जैसे एक साल की उम्र में हमने उसे खिलौने दिए, पांच साल की उम्र में वीडियो गेम तो 15-18 साल की उम्र में वह चाहत रखेगा कि मुझे महंगा स्मार्टफोन मिले। जब अपेक्षा पूरी नहीं होगी तो वह जिद करना शुरू कर देगा।
जब मनचाही वस्तु नहीं मिलती है तो अमूमन बच्चे गुस्सा करना शुरू कर देते हैं और अपसेट रहते हैं। इसी तरह चलता रहता है तो कुछ दिनों बाद बच्चा डिमान्डिंग मोड में आ जाता है और पसंदीदा ब्रांड वस्तुओं की चाहत जताने लगता है। ऐसे विचारों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव यह होता है कि बच्चा अपनी ख़ुशी के लिए दूसरों पर निर्भर रहने लगता है और धीरे-धीरे उस पर स्वार्थ हावी होने लगता है। उसका पूरा ध्यान इस बात पर लगा रहता है कि मुझे क्या मिलेगा। इससे सबसे खतरनाक स्थिति यह बनती है कि बच्चे में तेरा-मेरा का विचार घर कर जाता है। वह केवल लेना चाहेगा और उसके लिए लड़ाई भी कर लेगा।
बच्चों में बदलाव ला सकता है
आप चाहते है आपका बच्चा ऐसा बिल्कुल ना करे और उसमें अच्छे संस्कार विकसित हों तो उसमें देने का भाव पैदा करें। उससे मदद के काम करवाएं अर्थात परोपकारी कार्यों में उसकी भागीदारी सुनिश्चित करें। लॉकडाउन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, पर इसकी वजह से सामाजिक मुश्किलें उभर आई हैं। इस वक़्त बहुत सारे लोग दैनिक ज़रूरत की वस्तुओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनके पास खाना नहीं है, राशन नहीं है, बेघर हो गए है। हजारों लोग भूखे-प्यासे मीलों पैदल रास्ते तय कर रहे है। इन सभी बातों से बच्चों को अवगत करवाइए।
सोशल डिस्टेंसिंग को निभाते हुए इन ज़रूरतमंद लोगों को आप स्वयं मदद करिए। अपने बच्चों के मार्फ़त करवाइए।
चंद कदम देने के सुख की तरफ
- इससे बच्चे समझेंगे कि उनके पास बहुत सारी ऐसी वस्तुएं हैं जो दूसरों के पास नहीं हैं। इससे बच्चें बांटना सीखेंगे और उनके अंदर आभार का भाव जाग्रत होगा।
- जब बच्चा किसी भूखे बच्चे को खाना देगा तो न सिर्फ़ उसे साझा करने की सीख मिलेगी, बल्कि दूसरे को अभाव में देखकर वह शिक़ायतें करना बंद कर देगा। उसमें ख़ुद को मिले सुकून-भरे जीवन के लिए आभार विकसित होगा।
- यदि आप किसी रिलीफ फंड में पैसे दे रहे हैं तो अपने बच्चों को इसमें शामिल करें। उन्हें जानकारी दें कि यह किस तरह और किस कार्य के लिए यह मदद की जा रही है।
- इस वक्त आप घर में ही हैं तो रोज़ कुछ खाना अतिरिक्त बनाइए और उन्हें बच्चों के हाथों वितरित करवाइए। हर शहर में बहुत से समूह, संस्थाएं, पुलिस व प्रशासन ऐसे प्रयास कर रहे हैं कि आपके घर बना ताजा भोजन आपसे लेकर ज़रूरतमंदों तक पहुंचा दें।
- अभी मास्क की बहुत जरूरत है। आप घर में बच्चों की मदद से सूती मास्क बनाकर वितरित कर सकते हैं। शहर में चलने वाले सामुदायिक रसोई घरों में भोजन के पैकिंग के लिए सामान की बहुत कमी है। बच्चों को सिखाने व मदद करने के इरादे से पुराने पेपर से लिफाफे बनाकर उन्हें इन रसोई घरों में भिजवा सकते हैं।
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लॉकडाउन में बनाएं बच्चों के लिए सेहतमंद स्नैक्स, नटी बॉल्स और मूंग लाटे से बदले परिवार के मुंह का स्वाद
देशभर में कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग की वजह से लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। ऐसे में घर में बंद सभी लोगों को कई ऐसे व्यंजनों की याद आ रही होगी जो लॉकडाउन की वजह से फिलहाल हमें नहीं मिल पा रहे है। फास्ट फूड से लेकर तरह- तरह के पकवान हम में से सभी काफी याद कर रहे होंगे। इसी क्रम में भास्कर अपने पाठकों के लिए लाया है लॉकडाउन रेसिपी की नई सीरीज, जहां आप रोज नए-नए तरह के व्यंजनों को बनाने का तरीका जानकर रोज के खाने से बोर और बाहर के फूड को याद कर रहे परिवार के सदस्यों के मुंह का स्वाद बदल सकेंगे। अगर आप भी एक ही तरह के नाश्ते खा-खाकर ऊब गए हैं, तो कुछ अलग और स्वादिष्ठ बनाकर देखिए। इस बार हम आपके लिए ला रहे है कुछ ऐसे ही नए और हटकर व्यंजन, जिनमें नयापन है और ये बनाने में आसान भी हैं।
नटी बॉल्स
क्या चाहिए
- आलू- 4 मध्यम आकार के उबले ठंडे और मसले हुए
- साबूदाना- ½ कप भीगा हुआ
- मूंगफली का पावडर- कप
- मक्के के आटे या बेसन
- जीरा- 1 छोटा चम्मच
- नमक- 1 छोटा चम्मच
- हरा धनिया - 2 छोटे चम्मच बारीक कटा
- तेल- तलने के लिए।
भरावन बनाने के लिए
- मूंगफली- ¼ कप भुनी और छिली हुई
- काजू- 3 छोटे चम्मच बारीक कटे हुए
- अखरोट - 2 छोटे चम्मच बारीक कटे हुए
- नमक- 1 छोटा चम्मच
- हरी मिर्च और अदरक का पेस्ट- 1 छोटा चम्मच
- पिसी काली मिर्च- छोटा चम्मच
- पुदीना पाउडर- 1 छोटा चम्मच,
- सौंफ पाउडर- 1 छोटा चम्मच
- तिल- 1 छोटा चम्मच
- हरा धनिया- 3 छोटे चम्मच बारीक कटा हुआ।
ऐसे बनाएं
भरावन बनाने के लिए सभी सामग्री को एकसार करके अच्छी तरह से मिलाएं। इनकी एक से आकार के लोइयां बना लें और एक तरफ रख दें। अब एक बोल में उबले और मसले हुए आलू, भीगा हुआ साबुदाना, मूंगफली का पावडर, जीरा, नमक और कटा हुआ हरा धनिया डालकर मिलाएं और नटी बॉल्स की ऊपरी परत तैयार करें। इस मिश्रण की लोइयां बनाकर इनमें भरावन की लोइयां भरें। इसे चारों तरफ से अच्छी तरह से बंद करें। फिर मक्के के आटे या बेसन में लपेटकर तल लें। गरमा-गरम बॉल्स को बचे हुए भरावन के मिश्रण के साथ परोसें। इसे टमाटर सॉस और हरी चटनी के साथ भी परोस सकते हैं।
मूंग लाटे
क्या चाहिए
- धुली हुई मूंग की दाल- 1 कप
- साबुत धनिया- 1 छोटा चम्मच
- पानी- ¼ कप
- बेसन- 4 छोटे चम्मच
- अदरक और हरी मिर्च का पेस्ट- 2 छोटे चम्मच
- हरी मिर्च- 1 बारीक कटी हुई
- नमक- 1 बड़ा चम्मच
- कुटी लाल मिर्च (चिली फ्लेक्स)- 1 छोटा चम्मच
- नींबू का रस- छोटा चम्मच
- हरा धनिया- 2 छोटे चम्मच बारीक कटा हुआ
- चाट मसाला- 1 छोटा चम्मच
- तेल- तलने के लिए
- इमली की खट्टी- मीठी चटनी।
ऐसे बनाएं
मूंग की दाल और साबुत धनिए को चौथाई कप पानी में चार घंटे के लिए भिगोकर रख दें। इसके बाद इनको मिक्सी में पीस लें। इसे बहुत गाढ़ा नहीं रखना है। दाल के मिश्रण को बड़े बोल में निकालकर इसमें बेसन, हरी मिर्च अदरक का पेस्ट,हरी मिर्च, नमक, कुटी हुई लाल मिर्च, नींबू का रस और हरा धनिया डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। पैन में एक बड़ा चम्मच तेल डालकर हल्का गर्म करें। मध्यम आंच करके दाल के मिश्रण को इसमें डालकर रोटी के आकार में फैला लें। इसकी मोटाई उत्तपम की तरह रखनी है। इसे पलटते हुए दोनों तरफ से कुरकुरे होने तक सेकें या इसे शैलो फ्राई भी कर सकते हैं। तैयार लाटे को मनचाहे आकार में काटकर ऊपर से चाट मसाला बुरकें। गरमा-गरम मूंग लाटे इमली की खट्टी- मीठी चटनी के साथ परोसें।
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Market Wrap, April 15: Here's all that happened in the markets today
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Wipro posts 6.3% YoY fall in its Q4 net profit; misses Street estimates
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स्कीन प्रोब्लम की वजह बन सकता है फेस मास्क, ऐसे हालात में जानें इसे इस्तेमाल करने का सही और सुरक्षित तरीका
पूरे में देश में फैल चुके कोरोनावायरस के कारण सभी लोग अपने-अपने घरों में कैद है। 21 दिन के लॉकडाउन के फिर से 3 मई तक के लिए इसे बढ़ा दिया गया है। ऐसे में सभी को अपने घरों में ही रहने की हिदायक दी गई है। लेकिन अगर किसी कारण बाहर निकलना पड़ रहा है, तो लोग फेस मास्क जरूर लगा रहे हैं। साथ ही सरकार की नई गाइडलाइन में भी पब्लिक प्लेस पर माक्स लगाने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। लेकिन देर तक फेस मास्क लगाने की वजह से त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। फेस मास्क लगाने से लगातार चेहरे पर पसीना आता है और लगातार रगड़ भी लगती है। ऐसे में जानते है फेस मास्क से होने वाली समस्याएं और उससे बचने के उपाय के बारे में.......
क्या हो सकती है समस्याएं?
वह लोग जिनके चेहरे पर ज्यादा पसीना आता है, अगर वे मास्क लगाए रखेंगे तो और ज्यादा पसीना आएगा। इसके कारण व्यक्ति को बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का डर बना रहता है। साथ ही मास्क के कपड़े से कुछ लोगों को खुजली, रैशेज, मुंहासे, डर्मेटाइटिस और रूखेपन जैसी परेशानी भी हो सकती है।
समस्या पैदा कर सकता है एन95
पॉलिप्रोपिलीन से बने एन95 मास्क से भी स्किन को परेशानी हो सकती है। यह एक ऐसा फैब्रिक है, जिसकी बुनाई नहीं की जाती है। एन95 मास्क में 4 परते होती हैं, जिसकी सबसे भीतरी परत सीधे मुंह के संपर्क में आती है। यह परत पॉलिप्रोपिलीन की बनी होती है। हालांकि, पॉलिप्रोपिलीन को त्वचा के लिए सुरक्षित माना जाता है, लेकिन कई मामलों में यह समस्या पैदा कर सकते हैं।
कैसे करें मास्क का सुरक्षित इस्तेमाल?
मास्क से होने वाली परेशानी का ये मतलब नहीं कि इसे लगाना ही छोड़ दे। कोरोना की रोकथाम के लिए इसके इस्तेमाल जरूर करें, लेकिन कुछ सुरक्षित उपायों के साथ। इस परेशानियों से बचने के लिए मास्क लगाने से पहले चेहरे पर अच्छे से मॉइस्चराइजर लगाए। मॉइस्चराइजर लगाने से त्वचा की नमी लॉक हो जाती है और तेल के कारण स्किन पोर्स बंद हो जाते हैं, जिससे सीबम का निर्माण कम होता है। ऐसा करने से कील-मुंहासे की समस्या भी कम हो जाती है। वहीं, बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचने के लिए 6-8 घंटे में अपना मास्क बदलते रहें और मुंह का पसीना साफ करते रहें।
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क्या थकान बनी रहती है? लॉकडाउन ने ऊर्जा को डाउन किया है, तो अपनी दिनचर्या पर ध्यान दें
घर की महिलाओं पर लॉकडाउन ने काम का नया बोझ लाद दिया है। घरेलू मददगार हैं नहीं, घर के अन्य सदस्य मदद करें, तो ठीक अन्यथा घर की सफ़ाई और फर्श का पोछा तो लगाना ही है, हर दो घंटे बाद बर्तनों के ढेर निपटाने हैं, खाना तो खैर बनाना ही है। इसी बीच खुद भी और दूसरों को भी हाथ धोते रहने की याद दिलाना भी एक काम ही है। ऐसे में थकान होना लाजिमी है।
इसका पहला उपाय तो है कि घर के हर सदस्य की अलग-अलग कामों की ड्यूटी बांध दें। और दूसरा उपाय, अपने खाने पर ध्यान दें। ढेर सारे काम के चलते शरीर से ज़रूरी लवण पसीने के रास्ते निकल जाते हैं। चिड़चिड़ाहट के कारण खाने पर विशेष ध्यान नहीं रहता। चलते-फिरते खाना तो और भी ग़लत है।
दिनचर्या से जुड़े कुछ सुझाव
- कोरोना संकट के इस दौर में सुबह उठते ही गुनगुना पानी पीने की सलाह सभी को दी ही गई है। तो इसी समय लगभग एक चौथाई कप गुनगुने पानी में थोड़ी-सी हल्दी और काली मिर्च का चुटकी-भर पाउडर डालकर पी लीजिए। यह इंफ्लेमेशन के लिए सुरक्षा कवच है।
- इसके थोड़ी देर बाद ग्रीन टी पी सकें, तो अच्छा होगा जिसमें ढेर सारे एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं। सामान्य चाय पिएं तो इसमें काली मिर्च और अदरक डाल लें।
- नाश्ता अंकुरित दालों का होगा, तो शरीर में देर तक ऊर्जा तो बनी ही रहेगी, इसके साथ ही खनिजों, विटामिनों की कमी भी नहीं होगी।
- नाश्ते और दोपहर के भोजन के बीच में एक संतरा या एक गिलास नीबू पानी ले सकें, तो बेहतर होगा। लेकिन अगर ये उपलब्ध न हों, तो इमली के पानी का शर्बत बना कर भी पिया जा सकता है। आप शायद न जानती हों कि इमली गुणों की खान है। इसका चटनी के रूप में या दाल में डालकर भी उपयोग कर सकते हैं।
- दोपहर के भोजन के लिए दाल बनाने से पहले उसे भिगो दें। इसकी सलाह स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दी है, क्योंकि भिगोने से जहां दालों के गुण बढ़ जाते हैं, वहीं उसमें मौजूद उस स्टार्च का रूप बदल जाता है, जो शरीर में इंसुलिन बढ़ा सकता है। और भीगी दाल जल्दी पकती है, यह तो हम पहले से ही जानते हैं।
- अक्सर थकावट को दूर करने के लिए हम ज़्यादा खाना खा लेते हैं क्योंकि लगता है कि न खाने की वजह से कमज़ोरी आ गई है, जबकि मसला पोषण की कमी का होता है। एक चौथाई बेसन और तीन चौथाई आटे से बनी दो-तीन रोटियां, दाल के साथ खाएं।
- शाम को ढोकला, चने की चाट या कुछ हल्के स्नैक्स लें और रात का भोजन एक रोटी के साथ दाल का हो सकता है।
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कठिन वक्त है लेकिन इसमें भी नगीने जड़े जा सकते हैं, लॉकडाउन के दौरान समय को बहुमूल्य बनाएं
जीवन का यथार्थ बीते हुए बिंदुओं को जोड़ना है- कनेक्टिंग द डॉट्स! यानी अतीत की वो घटनाएं जो भविष्य में हमारे लिए वरदान बन जाती हैं। यह कहने वाले कोई और नहीं बल्कि महान उद्यमी स्टीव जॉब्स थे। अपने संघर्ष और मुश्किल दिनों में वे कैलीग्रैफी सीखने लगे और वह सीख उनके तब काम आई जब उन्होंने मैकिंटोश कम्प्यूटर की शुरूआत की। आज विश्व एक बहुत बड़े संकट से गुजर रहा है। प्रतिदिन बढ़ती संक्रमण प्रभावितों की संख्या किसी को भी निराशा के गर्त में धकेल सकती है। तो चलिए, स्टीव जॉब्स की तर्ज पर इस कड़े वक्तमें हम भी कुछ ऐसा कार्य करते हैं जो भविष्य के बिंदुओं को जोड़ सके।
कुछ भी नया सीखें
रवींद्रनाथ टैगोर लम्बी बोझिल यात्रा से कभी मायूस नहीं होते थे। समुद्र की यात्रा और कई दिनों तक चलते जहाज में बैठे टैगोर को नेगृतो भाषा सीखने की इच्छा हो गई और वो लगे सीखने। और वो भी अपने जीवन के आखिरी दौर में।
अगर आप सीखने की ख्वाहिश रखते हैं, तो इससे बेहतर कोई और समय नहीं होगा। ऑनलाइन हो जाइए और कुछ नया सीखिए और पढ़िए। भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी यजुवेंद्र चहल आजकल फिर से शतरंज खेल रहे हैं। अपनी पुरानी सीख को वो इस खाली समय इस खेल के साथ जोड़ रहे हैं क्योंकि उनके शब्दों में इस खेल ने उन्हें संयम सिखाया है। वहीं महान टेनिस खिलाड़ी रोजर फेडरर अपने घर में घंटों-घंटों दीवार के सहारे टेनिस की प्रैक्टिस कर रहे हैं और संसार के अन्य खिलाड़ियों को नए-नए तरीके से सीखने की प्रेरणा भी दे रहे हैं। और अब तो वो ऑनलाइन टेनिस भी सिखा रहे हैं।
उनकी भी मदद करें
हमारे घरों में अब काम का सारा भार किसी एक सदस्य पर आ गया है। अगर आप पुत्र या पुत्री हैं तो अपनी मां की मदद करिए और अगर आप पति की भूमिका में हैं तो पत्नी के साथ कुछ काम में हाथ तो जरूर बंटाइए।
यही समय है जब आप घर को चलाने की अपनी ताकत और इच्छा का भी सही आकलन कर पाएंगे। आपको सफ़ाई से रहना पसंद है या नहीं? यह साबित हो जाएगा क्योंकि घर महज़ कमरे नहीं बल्कि एक भाव होता है। लेकिन घर के बुजुर्गों को काम पर मत लगाइए। वो अगर आपकी मदद भी करना चाहें तो भी आप उनके प्रति अपनी संवेदनशीलता प्रदर्शित करिए।
अपने साथ रहिए
यह वक़्त है यह जानने का कि आपके अंदर कितना अच्छा इंसान स्थापित है। आप स्वयं की अच्छी संगत में हैं भी या नहीं। अगर नहीं तो आपका अधिकांश समय मोबाइल के साथ ही चिपका मिलेगा और अगर हां तो आप कुछ समय स्वयं के साथ भी जुड़ने में लगाइए। हो सकता है आपकी इस यात्रा में आपको अपनी किसी खोई हुई प्रतिभा से मुलाक़ात हो जाए या किसी नकारात्मक आदत से छुटकारा ही मिल जाए। हो सके तो अपने अंतर्मन के साथ भी रहिए।
बिल गेट्स फोन और कम्प्यूटर से दूर अधिक से अधिक समय पढ़ने-लिखने और परिवार के साथ बिता रहे हैं और अपने बच्चों को भी फोन से दूर रखते हैं। फिर आप क्यों नहीं?
कुछ नया सरजें
हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु को जेल के अंदर समय मिला तो उन्होंने वहीं कालजयी रचनाएं लिखीं। ‘भारत एक खोज’ को उन्होंने कालकोठरी के अंदर ही ढूंढा।
प्रतिकूल समय को अनुकूल बनाना असाधारण व्यक्तित्व की पहचान होती है और ऐसे सभी लोग उसी श्रेणी में आते हैं। जब भगत सिंह को फांसी पर चढ़ाने की तैयारी हो रही थीं तो वे पढ़ने में तल्लीन थे। और विवेकानंद ने निर्धनता के बीच अपनी साधना को जारी रखा।
घर को बनाएं पार्क
एक दिन में हमें कम से कम एक घंटे तो लगातार चलना ही चाहिए। आप आजकल कितना चल रहे हैं? पार्क का इंतजार अभी रहने दीजिए और अपने कमरे में ही लगातार चलिए। यही समय है जब आपकी बहानेबाजी की परीक्षा होगी और धैर्य की भी।
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Cement, paint, pipes: Will construction relaxation aid these sectors?
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Muthoot Finance slips 7% as Moody's downgrades outlook to 'negative'
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Tuesday, 14 April 2020
Road construction relaxation not enough to buy related stocks, say analysts
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Realty, capital goods stocks gain; Indiabulls, Oberoi ReaIty up 5%
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L&T gains for sixth straight day, up 12% in 2 days on multiple order wins
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Covid-19 lockdown to hit consumer durable firms; FY21 earnings estimate cut
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Metropolis Healthcare share price falls 14% after block deals
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Strong outlook, attractive valuations driving Glenmark's bounce back
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Clearance from US drug regulator key for Lupin to sustain stock gains
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Cash levels jump to highest since 9/11 terrorist attacks: BoFA survey
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Gold, equities show unusual sync in March; nosedive, recover at same times
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Equity market sell-off takes heavy toll on performance of PMS in March
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Mutual Funds play it safe on equity bets amid market volatility
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Lockdown, moratorium are microfinance institutions' biggest fears
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FTSE Russell proposes to raise India's weight in its global indices
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Low consumption deepens SBI Cards' woes as Covid-19 lockdown gets extended
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Chinese investment into Indian markets amid meltdown draws Sebi's attention
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Too early to say cheers: Liquor stocks face risks over extended lockdown
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Gold climbs to seven-year high on growth fears, stimulus measures
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संक्रमण से बचाव के लिए मिजोरम की 95वें साल की पी नघकिलनि रोजाना बना रही 10-20 वॉशेबल मास्क
देशभर में कोरोना वायरस की वजह मौजूदा हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। ऐसे में इसकी रोकथाम में लिए एक ओर प्रधानमंत्रा नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 3 मई तक के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिया है, तो वहीं लोग भी इसमें अपने- अपने स्तर पर योगदान दे रहे हैं। लोग कोरोनावायरस के चलते परेशान हैं, और ऐसे में कई लोग हैं जो आशा की किरण बनकर इस वायरस से लड़ने के लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रहे है।
सीएम रिलीफ फंड में दी पेंशन
इन्ही लोगों में से एक हैं मिजोरम की रहने वाली पी नघकिलनि। 95 साल की उम्र में इस महिला ने ना सिर्फ अपनी एक महीने की पेंशन चीफ मिनिस्टर रिलीफ फण्ड में दान की, बल्कि हर रोज अपने आसपास रहने वाले डॉक्टरों और नर्सेज के लिए 10-20 वॉशेबल मास्क्स भी बनाती हैं।
उनकी बहु, जोतंगसंगी संगपुई बताती है कि उनकी सास उन लोगों के लिए कुछ करना जो कोरोनावायरस से लड़ाई में शामिल हैं। “मिजोरम में मास्क की कमी है। जो मास्क पहले 10 रुपए के मिलते थे, अब 100-200 के मिलने लगे हैं। ऐसे में उन्होंने सोचा कि इसके लिए डोनेट करना अच्छा होगा। इतनी उम्र होने के बावजूद, उनका हौसला बुलंद है और आँखें भी बिल्कुल ठीक हैं।
इसी जज्बे से हारेगा कोरोना
ये हैं सुखलिया निवासी 80 वर्ष की सुषमा केलकर। इन दिनों घर में रोज मास्क बना रही हैं। अब तक 100 से ज्यादा मास्क बनाकर जरूरतमंदों को नि:शुल्क दे चुकी हैं। सुषमा बाल आश्रम में रहने वाली निराश्रित बच्चियों के लिए नि:शुल्क फ्रॉक बनाती हैं। इसके लिए कपड़ा भी खुद ही लाती हैं। जब से कोरोना महामारी फैली है, उन्होंने मास्क बनाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है सभी लोग मास्क में रहेंगे तो संक्रमण फैलने से रुकेगा।
10,000 रीयूजेबल कॉटन मास्क किए डोनेट
मुझे कुछ दिन एक आईडिया आया कि हमें सांगली पुलिस को 10,000 रीयूजेबल कॉटन मास्क्स डोनेट करने चाहिए। इसके बाद मैंने इस आईडिया को अपनी एक दोस्त नीलिमा को सुनाया और हम इस काम में लग गए। बाद में हमने 1 घंटे से भी कम टाइम में हमें ऐसी 25-30 महिलाओं को अपने साथ जोड़ लिया, जो घर में मास्क बनाने के लिए रेडी थी। हमने ऐसे 10,000 मास्क बनाने का काम पूरा किया” सांगली डिस्ट्रिक्ट में रहने वाली श्रुति दांडेकर आसपास के एरिया में मास्क उपलब्ध कराने के लिए पूरा दिन काम करती हैं ।
उन्होंने बताया कि “जब वह एक बच्ची थी , तो मेरी दादी उन्हें वॉर के बारे में कहानियां सुनाती थीं। उस समय इंडिया में वीमेन सोलजर्स के लिए स्वेटर बनती थी। इसी तरह COVID- 19 के अगेंस्ट इस वॉर में डॉक्टर्स और उनकी टीम हमारे सैनिकों की तरह फ्रंटलाइन पर लड़ रही है ।
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लापता साबुन का रहस्य कहानी से समझाएं बच्चों को क्या होता है कोरोना वायरस, कैसे करें इससे बचाव
लापता साबुन का रहस्य शीर्षक से लिखी यह कहानी काफी रोचक है। कहानी की लेखिका गीता धर्मराजन ने कोरोना वायरस के भारत और दुनिया में आतंक और फिर बार-बार हाथ धोते रहने की हिदायत और मेडिकल स्टोर में गायब सेनेटाइजर को लेकर बेहद रोचक ढंग से कहानी के रुप में बताया है। ' यह ई-बुक katha.org पर मुफ्त में उपलब्ध है। खास बात यह है कि यह हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, तमिल और असमिया भाषा में मौजूद है।
लेखिका गीता धर्मराजन के मुताबिक, '' बच्चों को इस समय महामारी के बारे में कई तरह की हिदायतें दी जा रही हैं। क्या करें, क्या न करें? टीवी चैनल्स, अखबार, वॉट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर ऐसे में यह एक प्रयास है कि कैसे रोचक ढंग से बच्चों को इस गंभीर महामारी के बारे में न सिर्फ बताएं बल्कि उन्हें डराए बिना यह बताएं कि वे अपना और अपने प्रियजनों का कैसे ख्याल रख सकते हैं।'
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Goldprice dips Rs 10 to Rs 62,720, silver falls Rs 100 to Rs 74,900
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उषाशी का संबंध एक ऐसे परिवार से हैं जहां अधिकांश लोग शिक्षक हैं। उन्होंने बचपन से अपने घर में पढ़ाई-लिखाई का माहौल देखा। वे 1986 में शादी के...
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साउथ इंडिया में थेनी के पास वेंकटचलपुरम में राधिका का जन्म हुआ। वे शादी के बाद दिल्ली आ गईं। एक शौक के तौर पर राधिका ने ट्रैवल फोटोग्राफी क...