It simply sucks. I don't personally read blog posts word by word, so how can I except you to read them too? I known ther are people who are kind enough to read a 10,000 word long blog article from start to finish, but I think that's a minority.why waste your time ? Let me..
Saturday, 2 May 2020
FPIs in selloff mode for 2nd straight month, pull out Rs 15,403 cr in April
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Jio-Facebook deal likely to boost adoption of crypto-blockchain in India
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Fake ransom seeking email scam prowling in Indian cyberspace
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बोरियत भगाने के लिए लड़की ने डाॅग को हरे रंग से किया डाई, इंटरनेट पर वायरल हरे रंग के डॉग की तस्वीरें
इंसानों के बालों पर डाई किए गए अजीब रंगों ने तो आपको कई बार चौंकाया होगा, पर कोई अपने पेट्स केे साथ भी ऐसा कर सकता है ऐसा आपने कभी नहीं सोचा होगा। उत्तरी आयरलैंड में रहने वाली 20 वर्षीय कैटलिन ओ काॅनर लाॅकडाउन में घर में रहकर बोर हो गई थीं। ऐसे में इस बोरियत से उबरने के लिए उन्होंने अलग ही तरीका अपनाया। कैटलिन ने अपने घर के पालतु कुत्ते टेड को हरे रंग से डाई कर दिया।
मां से छिपकर किया डाई
कैटलिन को पता था कि अगर उसकी मां को इस बारे में पता चल गया तो वो उसे ऐसा करने नहीं देंगी। इसलिए मां जब किचन में खाना बना रहीं थीं, तब कैटलिन टेड को अपने साथ बाथरूम लेकर गई और लाइट ग्रीन कलर की सेमी परमानेंट डाई उसके बालों में लगा दी। डाई से पहले सफेद रंग का खूबसूरत डाॅग अब हरे रंग में बदल चुका है और इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही हैं। खास बात यह है कि डाॅग का ये कलर लोगों को पसंद आ रहा है। कैटलिन ने कहा कि मैंने पहले लोगों को अपने कुत्ते के हरे रंग को रंगते हुए देखा था और मुझे लगा कि टेड पर हरा रंग उसे नया और खूबसूरत लुक देगा। इसलिए मैंनेे ऐसा करने का निर्णय लिया।
10 धुलाई तक रहेगा डॉग पर डाई का असर
कैटलिन ने बताया कि उनकी मां टेड को काफी प्यार करती हैं और उसे इंसानों की तरह मानती हैं। मां टेड के बर्थडे पर केक लाती हैं और मुझे उसमें से कुछ भी नहीं मिलता है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मां को टेड से कितना प्यार है। मुझे पता था कि अगर यह उनसे छिपकर किया जाएगा तो उनका रिएक्शन देखने लायक होगा। कैटलिन ने मां के इस रिएक्शन का वीिडयो भी बनाया। वीडियो में नजर आ रहा है कि कैटलिन की मां चिल्लाकर पूछ रही हैं कि उसने टेड के साथ ये क्या किया। मां के इस सवाल को सुनकर कैटलिन डरकर जवाब देती हैं कि यह पेट्स की सेमी परमानेंट डाई है जो कि 10 बार धुलने तक रहती है।
विश्वास नहीं हो रहा
कैटलिन की मां ने कहा कि टेड को देखने के बाद मैं सदमे में थी। मुझे पता नहीं चला कि आखिर कैटलिन ने ये कब और कैसे किया। मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि मेरी बेटी ने टेड के साथ ऐसा किया। अच्छा रहा कि ये एक सुरक्षित डाई है और 10 वाॅश तक रहेगी। मैं हमेशा चाहती थी कि मेरी बेटी क्रिएटिव हो पर ये उससे बहुत ज्यादा आगे निकल गई। कैटलिन के मां के द्वारा दिए गए रिक्शन के वीडियो को ट्विटर पर 4 लाख से अधिक व्यूज मिल चुके हैं।
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एक जैसे नाश्ते से हो गए हैं बोर तो घर पर बनाएं खांडवी, शेफ कुनाल कपूर बता रहे हैं इसे कैसे बनाएं
लॉकडाउन के दौरान अगर आप भी बाहर का खाना मिस कर रहे हैं, तो आज लॉकडाउन रेसिपी में हम लाए है झटपट बनने वाली खांडवी। खास बात है कि इसमें पड़ने वाले सारे इंग्रीडिएंट्स आमतौर पर घर पर आसानी से मिल जाते हैं। शेफ कुनाल कपूर बता रहे हैं इसे घर पर आसानी से कैसे तैयार किया जा सकता है।
क्या चाहिए
- बेसन - 1 कप
- फैंटा हुआ दही- 1 कप
- नमक- 1/2 छोटी चम्मच या स्वादानुसार
- हल्दी- 1/4 छोटी चम्मच से कम
- अदरक पेस्ट -1/2 छोटी चम्मच
- तेल-2 छोटी चम्मच
- हरा धनिया- 1 टेबल स्पून (बारीक कटा हुआ)
- ताजा नारियल - 1-2 टेबल स्पून (कद्दूकस किया हुआ)
- राई - 1/2 छोटी चम्मच
- हरी मिर्च - 1
ऐसे बनाएं
- खाण्डवी के लिए घोल करने के लिए बेसन, फैंटा हुआ दही, नमक, अदरक पेस्ट, हल्दी पाउडर और 1 कप पानी डाल कर अच्छी तरह मिलाएं।
- अब इसे पकाने के लिए पैन में घोल को डाल दीजिए और चमचे से घोल को चलाते हुये अच्छा गाढाहोने तक पकाइये। घोल को लगातार चलाते रहिये। करीब 4-5 मिनिट में यह घोल पर्याप्त गाढ़ा हो जायेगा।
- अब एक थाली को उल्टा रख दीजिए और खांडवी के घोल को थाली में पतला-पतला फैला दीजिये और इन्हें ठंडा होने दीजिए।
- छोटी कढ़ाई में तेल डाल कर गरम कीजिये। अब में राई डाल दीजिये, राई भून जाने पर इसमें बारीक कटी हरी मिर्च डाल कर मिक्स कीजिए। साथ ही कद्दूकस किया हुआ नारियल और बारीक कटे हुए हरे धनिये को भी तड़के में डाल दें।
- अब इस मिश्रण की जमी हुई परत के ऊपर तैयार किए तड़के को डाल दीजिये। इसे चाकू की सहायता से लम्बी चौड़ी पट्टियाँ में काट लीजिये और इन पट्टियों का रोल बना लीजिये, सारे रोल को थाली में लगा दीजिये.
- स्वाद से भरपूर खांडवी तैयार है. खांडवी को हरे धनिये की चटनी के साथ परोसिये और खाइये।
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एक-दूसरे को और बेहतर ढंग से, और करीब से जानने का अच्छा मौका है लॉकडाउन, बेशुमार वक्त से सींचें प्रेम का पौधा
कोरोना वायरस के कारण बाहर के संसार से दूरी ने बेशक घर के भीतर लोगों के बीच नजदीकियां बढ़ा दी है। लोग अपने जीवनसाथी के साथ पहले से अधिक वक्त गुजार रहे हैं। यदि दंपती घर से ही अपने दफ्तरी कामकाज में जुटा है तो यह एक-दूसरे को और बेहतर ढंग से, और करीब से जानने का अच्छा मौका है। यह आपसी समझ को संवारने का समय भी है।
रिश्ते को रौंद सकते हैं मन केचार कड़वेसवार
बहरहाल, अमेरिकी साइकोलॉजी रिसर्चर जॉन गॉटमैन ने चार ऐसे व्यवहारों के बारे में बताया है जो दंपती के बीच रिश्ता टूटने की अहम वजह बनते हैं। वे इन्हें मन के चार कड़वे सवार कहते हैं, तो जीवन-भर के रिश्ते को रौंद सकते हैं। अब चौबीसों घंटे साथ रहने के कारण ऐसे बर्ताव की संभावना भी बढ़ गई है। ऐसे में आवश्यक है कि पति-पत्नी सजग रहें।
- नकारात्मक आलोचना: यदि दंपती के बीच एक-दूसरे को नीचा दिखाने के उद्देश्य से आलोचना होती है तो यह रिश्ते के लिए बहुत घातक साबित होती है। मनोचिकित्सक बताते हैं कि नकारात्मक आलोचना में ‘हमेशा’ और ‘कभी नहीं’ शब्दों का समावेश होता है, जैसे ‘तुम हमेशा ऐसा ही करती/करते हो’ या ‘तुम कभी नहीं सुनते/सुनती’। ऐसे शब्दों और रवैए से बचें।
- अपमान करना: बोलकर, किसी कार्य के जरिए या सिर्फ भाव-भंगिमा द्वारा किया गया अपमान बहुत पीड़ादायक हो सकता है। मसलन, आपका साथी आपसे कुछ कहना चाह रहा है और आप अनसुना करके कह दें ‘तुम अब फिर से मत चालू हो जाना।’ इस तरह की छोटी-छोटी चीजें रिश्ते में दरार ले आती हैं। बात सुन लें या जब चैन से सुन सकें, वो समय बता दें।
- पलटवार करना: यह एक प्रतिहिंसा है जो अक्सर आलोचना के जवाब में होती है। लोग खुद को पीड़ित महसूस करने पर ऐसा कर बैठते हैं। वे साथी में अपराध बोध पैदा करने की कोशिश करते हैं कि उनके दर्द का कारण वही (साथी) है। जब व्यक्ति लगातार स्वयं को पीड़ित महसूस करता है, तो वह यह मान लेता है कि मैं सही हूं और सामने वाला हमेशा गलत, तब वह इस तरह पलटवार करने से नहीं हिचकता। यह दोनों के लिए सावधान रहने की बात है।
- दीवार खड़ी करना: ऐसे अवरोध खड़े करना जिनके चलते साथी के साथ कम से कम बातचीत और आमना-सामना हो। नजरअंदाज करना, साथी के कमरे में आते ही दूसरे कमरे में चले जाना आदि ऐसी चीजें हैं जो दो लोगों के बीच दीवार खड़ी करती हैं।
रिश्ते की डोर सुलझी रहे
इन चार कड़वे सवारों से अपने रिश्ते को बचाए रखने में आपसी समन्वय और समझ की खास भूमिका होती है। चंद उपाय हम सुझा रहे हैं-
- अपने रिश्ते पर एक स्वस्थ नजर बनाए रखें। देखें कि आपके बीच कितने सकारात्मक और नकारात्मक वाकये हुए हैं। कोशिश करें कि सकारात्मक और नकारात्मक प्रसंगों का अनुपात 5:1 हो। यानी कम से कम पांच बार प्यार, अच्छी चर्चा, हंसी-मजाक आदि हो, एकाध बार ही छोटी-मोटी झड़प।
- धैर्य से साथी की बात सुनें। कई बार उन्हें सिर्फ सुने जाने की दरकार होती है, सलाह या सहानुभूति नहीं चाहिए होती। धैर्य से सुनें, उनकी भावनाएं समझें।
- एक-दूसरे की सुरक्षा का ख्याल रखें। उन्हें बताएं कि उनकी सुरक्षा आपके लिए मायने रखती है और सुरक्षित रखने के लिए आप क्या कदम उठा रहे/रही हैं।
- घर का नया रुटीन तैयार करें। इसमें आपके साथी के साथ क्वालिटी वक्त बिताना भी जरूरी है।
- इस नए रुटीन में दोनों अपने लिए व्यक्तिगत समय भी रखें। उस समय में दोनों अपनी रुचि के कार्यों को करें, परिवार के बाकी सदस्यों का ख्याल रखें।
- इस समय को अच्छी आदतों के निर्माण में भी लगाएं। पहले व्यस्तता के चलते खाने और सोने का समय बिगड़ता था। अब इसे सुधार सकते हैं। साथ ही सभी सदस्यों के साथ मिलकर राेजाना आधे घंटे का समय व्यायाम के लिए जरूर निकालें।
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बहस से बचने के लिए पर्सनल स्पेस मेंटेन करें, मौन की सौम्यता को हमेशा बनाएं रखें
अक्सर घर के बड़े या बच्चे जब चुप होकर बैठना चाहते हैं, तो उनके मौन के नख दूसरों को चुभते मालूम होते हैं। लेकिन लॉकडाउन के तनाव और अनिश्चितता भरे दौर में इस मौन को राहत का स्रोत मान स्वीकार करें।
फिलहाल हमारा रुटीन, लाइफ स्टाइल, सामाजिक मेलमिलाप, काम करने के हालात, तमाम चीजें बदल गई हैं। राहत की बात है कि परिजन साथ हैं। लॉकडाउन में उनके साथ क्वालिटी टाइम बिताने का एक अच्छा अवसर तो है, लेकिन हरदम साथ रहने से बहस होने के आसार भी बढ़ जाते हैं। ऐसे में पर्सनल स्पेस मेंटेन करने की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है। इसकी जरूरत बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर व्यक्ति को होती है।
सुकून की जगह
पर्सनल स्पेस को एक ऐसी जगह के रूप में देखा जा सकता है, जो सुकून और स्वायत्तता यानी ऑटोनमी का अहसास देती है। ये वो जगह है जहां आप ‘आप’ ही होते हैं। आप पर किसी की अपेक्षाओं या मांग पूरा करने का दबाव नहीं होता।
संतुलन का ध्यान रहे
पर्सनल स्पेस में कुछ वक्त बिताना तनाव और कामकाज की थकान मिटाकर राहत से भर देता है। हालांकि क्वालिटी टाइम बिताने और पर्सनल स्पेस में रहने के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है।
- पहले ही बता दें : खुद के लिए एक अलग समय रखें। चाहें तो परिजनों को बता दें कि मुझे आधे/एक घंटे के लिए डिस्टर्ब न करें। लेकिन जरूरत पड़ने पर बात करने या उठकर काम करने के लिए भी तैयार रहें।
- पसंदीदा एक्टिविटी करें : इस दौरान ऐसा कुछ करें, जो आपको सुकून दे। हॉबी को समय दे सकते हैं, कोई नई स्किल सीख सकते हैं। कुछ नया करने की कोशिश भी करें, जो संतुष्टि दे।
- समझाइश न दें : परिवार के हर सदस्य के पास अपना ‘मी’ टाइम बिताने का एक अनूठा तरीका हो सकता है। किसी को उसकी पसंद का काम करते या आराम से बैठे देखें, तो डिस्टर्ब न करें।
- जजमेंटल न हों : दूसरों के पर्सनल स्पेस और तनाव भगाने वाली गतिविधि को लेकर जजमेंटल न बनें। ‘टीवी देखना अच्छी बात नहीं है’, ‘फोन पर क्या लगी हो’, ‘इतनी पूजा करने से क्या होता है’, ऐसी टिप्पणियां न करें।
- साथ का अर्थ समझें : साथ रहने का यह मतलब नहीं कि एक-दूसरे के कामों पर टीका-टिप्पणी करें। खुद से और दूसरों से यथार्थवादी अपेक्षाएं ही रखें।
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Friday, 1 May 2020
SGX Nifty slumps 6% after capping highest monthly gain in 11 years
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Global stocks drop after comments from Amazon, Apple on Covid-19 impact
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Sebi receives Rs 1.5 cr from 6 entities for settling fraudulent share case
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Average mandi prices of most agri commodities show mixed trend in April
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PMS debt assets double since FY15; investors seek reassurance on holdings
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बची हुई सब्जी के कबाब और कबाब रैप से बढाएं खाने का जायका, घर पर ही उठाएं नए व्यंजनों का लुत्फ
लॉकडाउन रेसिपी की सीरीज में इस बार हम लाए हैं, सब्जी के कबाब और कबाब रैप। इसे आप घर पर ही मौजूद सामानों की मदद से मिनटों में बना सकते हैं। तो आज ही बनाएं और परिवार के साथ इन व्यंजनों का लुत्फ उठाएं...
सब्जी के कबाब
सामग्री
- बची हुई सब्जी
- 100 ग्राम उबले आलू
- एक चम्मच अदरक
- एक चम्मच लहसुन
- हरी मिर्च
- एक चम्मच नींबू का रस
- 2 चम्मच लाल मिर्च पाउडर
- 2 चम्मच धनिया पाउडर
- एक चम्मच हल्दी
- एक चम्मच कॉर्न फ्लार या मैदा
- 2 चम्मच गरम मसाला और नमक
विधि
एक कटोरे में बची हुई सब्जी लेकर उसमें उबले हुए आलू मैश करें। अब कसी हुई अदरक और पिसा हुआ लहसुन मिलाएं। कतरी हुई हरी मिर्च, नींबू का रस, लाल मिर्च, धनिया, जीरा पाउडर, गरम मसाला, नमक और हल्दी मिलाएं। अब मैदा मिक्स करके 30 मिनट तक फ्रिज में रख दें। फिर इस मिश्रण के छोटे-छोटे गोल कबाब बनाकर गोल्डन ब्राउन होने तक हल्का फ्राई करें। केचअप या ग्रीन चटनी के साथ सर्व करें।
कबाब रैप
सामग्री
- बचे हुए कबाब (एक रोटी के साइज के हिसाब से पीस कर लें)
- बची हुई रोटी
- 2 प्याज
- 100 ग्राम दही
- 7-8 कली लहसुन
- एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर
- एक चम्मच चाट मसाला
- एक चम्मच नींबू रस
- कालीमिर्च पाउडर
- 3 चम्मच तेल
- नमक
विधि
सबसे पहले योगर्ट सॉस बनाने के लिए दही में कटा हुआ लहसुन, नमक और कालीमिर्च पाउडर मिक्स करके साइड में रखें। अब प्याज के सलाद के लिए प्याज को छोटी स्लाइस में रिंग्स अलग हों, वैसे काटें और नींबू का रस, लाल मिर्च पाउडर और नमक मिलाएं। बची हुई रोटी पर योगर्ट सॉस फैला कर उस पर कबाब रखें। अब प्याज़ का सलाद उस पर रखकर लपेट दें यानी रैप बना लें। अब नॉन स्टिक पैन में थोड़ा तेल लेकर रैप को ब्राउन होने तक पकाएं। चाट मसाला डालकर सर्व करें।
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20 दिन बाद घर लौटीं महिला डॉक्टर का लोगों ने फूल बरसाकर किया स्वागत, प्रधानमंत्री और रेल मंत्री ने ट्वीट किया वीडियो
देशभर में लगातार फैल रहे कोरोनावायरस के खिलाफ जारी जंग में कोरोना वॉरियर्स डटकर खड़े हुए हैं। हर कोई घर- परिवार से दूर देश सेवा में अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा है। ऐसी ही एक कोरोना वॉरियर का वीडियो इंटरनेट पर काफी वायरल हो रहा है। 20 दिन बाद हॉस्पिटल से घर लौटी एक महिला डॉक्टर के सम्मान का यह वीडियो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया है।
20 दिन लौटीं डॉक्टर
कोविड-19 के मरीजों का आईसीयू में इलाज कर रही है यह महिला डॉक्टर 20 दिन बाद अपने घर लौटी, जहां उनके परिवार और सोसाइटी वालों ने एक हीरो की तरह उनका स्वागत किया। इस वीडियो को रिट्वीट करते हुए पीएम मोदी ने लिखा कि यह देश की सच्ची भावना को दर्शाता है। यह पल दिल को खुशी से भर देते हैं और उन्हें फ्रंटलाइन पर काम कर रहे इन कोरोनावॉरियर्स पर गर्व है।
लोगों ने फूल बरसाकर किया सम्मान
वीडियो में एक महिला सोसाइटी के अंदर जाती दिख रही है। वह जैसे सोसाइटी में दाखिल हुई तो थाली बजाकर और फूलों की पंखुड़ियों की वर्षा कर महिला डॉक्टर का स्वागत किया गया। यह देख महिला भी भावुक हो गई। वहीं इस वीडियो पर लोगों के भी काफी रिएक्शन आ रहे हैं।
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Govt posts third-highest mop-up ever in gold bond sales this April
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एक बार फिर ट्रेंड में आया 90 के दशक वाला मेकअप का पुराना तरीका, क्या आपने किया ट्राय?
याद कीजिए 90 के दशक के वे मेकअप ट्रेंड, जब ब्लू आई शैडो लगाना और पफ बनाना गर्ल्स को खूब भाता था। यह ट्रेंड एक बार फिर लौट आया है। जानिए क्या है ये।
आंखों के किनारे स्टोन्स : ये 90 के दशकका पॉपुलर ट्रेंड था, जिसे प्रीति जिंटा से लेकर रानी मुखर्जी तक कई बॉलीवुड एक्ट्रेस ने फॉलो किया। एक बार फिर इसकी वापसी हुई है। पार्टी वियर ड्रेस के अलावा कॉलेज गर्ल्स भी इसे अपनी ब्यूटी बढ़ाने के लिए वेस्टर्न या एथनिक ड्रेस के साथ अप्लाय कर सकती हैं।
सिल्वर आई शैडो: आपकी आंखों को उभारने के लिए सिल्वर आई शैडो परफेक्ट है। फेयर काॅम्प्लेक्शन के साथ इसे सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। हर तरह की आंखों के लिए आईशैडो का ये कलर उपयुक्त है। स्मोकी शेड के साथ भी इस लुक को मिक्स किया जा सकता है।
ब्लू आईशैडो : पिछले कुछ समय से ब्राइट ब्लू आईशैडो एक हॉट ट्रेंड बना हुआ है। आप बिंदास होकर अपनी ग्लैमरस ब्लू आंखों को फ्लॉन्ट कर सकती हैं। इसे ब्लैक आईशैडो के साथ मिक्स एंड मैच करके भी लगाया जा सकता है। हालांकि इसके लिए आपको अलग-अलग साइज के आईशैडो ब्रश की जरूरत होगी।
पफ हेयर स्टाइल : पार्टी में जाना हो या खुद की शादी में लड़कियों का फेवरेट स्टाइल रहा पफ एक बार फिर पसंद किया जा रहा है। आप इसे वेरिएशन्स के साथ बनाकर खास लुक भी क्रिएट कर सकती हैं। अगर आपको ट्रेडिशनल आउटफिट पहनना है तो क्राउन या साइड पफ बना सकती हैं।
लिप ग्लॉस : लिपस्टिक के ऊपर ग्लॉसी फिनिश चाहिए तो लिप ग्लॉस ट्राय करें। हालांकि गर्मी के मौसम में इसे कम ही लगाएं ताकि यह न फैले। बेहतर होगा पहले आप चेहरे और हाेंठों के आसपास पाउडर लगाएं और फिर लिप ग्लॉस अप्लाय करें। लिप लाइनर लगाकर भी लिप ग्लॉस को फैलने से रोका जा सकता है।
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घर बैठे पार्टी वियर ड्रेस डिजाइन करने के 3 तरीके, अपना लुक बदलने के लिएघर पर रखें महंगे कपड़ों को करें री- डिजाइन
हर घर में ऐसे कई कपड़े होते हैं जिन्हें महंगा होने के बाद भी कम ही पहना जाता है। इस तरह की ड्रेस का इस्तेमाल कर आप एथनिक से लेकर वेस्टर्न वियर डिजाइन कर सकती हैं।
लहंगे से जैकेट
अगर आप अपने महंगे लहंगे को अलग तरह से कैरी करना चाहती हैं तो उसकी फ्यूजन वियर जैकेट बनाएं। इस स्टाइलिश जैकेट को प्लेन प्लाजो सूट से लेकर स्कर्ट-टॉप के साथ पेयर कर सकती हैं।
टिप: जैकेट की फिटिंग का ख्याल रखना जरूरी है। सही फिटिंग के जैकेट जहां आपका लुक बढ़ाते हैं, वहीं इनकी गलत फिटिंग आपकी पर्सनालिटी बिगाड़ भी सकती है।
जींस से मिनी स्कर्ट
आप जींस की कटिंग कर मिनी स्कर्ट या एपैन बना सकती हैं। अगर आपके पास दो अलग-अलग तरह की जींस हैं तो इसे मिलाकर भी स्टाइलिश स्कर्ट डिजाइन करें। इसके अलावा जींस से बैग और बॉटल कवर भी बन सकता है।
टिप : मिनी स्कर्ट के पॉकेट आप अलग-अलग कलर के कपड़ों से भी बना सकती हैं। ये स्टाइल आपको युनिक लुक देने में मदद करेगी।
लहंगे से अनारकली
अगर आपके पास एक हैवी लहंगा है तो उसका उपयोग जींस बनाने में करें। लहंगे से अनारकली का खूबसूरत घेर बनाएं और ऊपरी हिस्सा हैवी फेब्रिक से बनाकर नया लुक दे सकती हैं। इस तरह आप कम खर्च में एथनिक लुक पा सकती हैं।
टिप : लहंगे की बॉर्डर का इस्तेमाल अनारकली कुर्ते के साथ कैरी किए जाने वाले दुपट्टे को हैवी लुक देने के लिए करें। इसे दुपट्टे के किनारों पर लगाकर आकर्षक बनाएं।
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Thursday, 30 April 2020
Stock market eyeing economy reopening, not virus-related data: Chris Wood
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लॉकडाउन से आए लाइफस्टाइल में बदलाव बनी मूड स्विंग की वजह, इन 4 उपायों से दूर करें यह समस्या
लॉकडाउन के दौरान आपकी लाइफस्टाइल में काफी बदलाव आए हैं। हर वक्त घर में रहते हुए मूड स्विंग की समस्या का सामना हर उम्र के लोग कर रहे हैं। इससे निजात के लिए ये चार उपाय आपकी मदद कर सकते हैं।
क्या है मूड स्विंग: ये एक प्रकार का बायोलॉजिकल डिसऑर्डर होता है, जिसकी वजह से दिमाग में एक प्रकार का रासायनिक असंतुलन हो सकता है। मूड स्विंग होने पर कभी व्यक्ति बेहद खुश और कभी बहुत उदास हो जाता है। हालांकि बार-बार मूड बदलने का कारण खून में मौजूद कार्टिसोल नामक स्ट्रेस का बढ़ना या थाइरॉयड असंतुलन भी है। यह महिलाओं और पुरुषों दोनों को किसी भी उम्र में हो सकता है।
1. पानी ज्यादा पिएं
शरीर से टॉक्सिंस दूर करने के लिए रोज 8 से 10 गिलास पानी पीना पिएं। इससे शरीर में नमी बनी रहती है। साथ ही संपूर्ण शरीर और दिमाग में रक्त संचार सुचारू रूप से होता है। इस तरह पर्याप्त पानी पीने से मूड स्विंग की समस्या कम करने में मदद मिलती है। पानी के अलावा शिकंजी बनाकर पी सकते हैं। इससे मन शांत होता है और एनर्जी लेवल मेंटेन रहता है।
2. व्यायाम करें
रोज पिलाटे करें। इससे फेफड़े व खून का प्रवाह ठीक होता है। शरीर का एनर्जी लेवल बढ़ता है। तनाव और मूड स्विंग जैसी समस्याएं दूर करने में पुश अप्स, एरोबिक्स और जंपिंग स्क्वाट जैसी एक्सरसाइज भी कारगर हैं। इससें आपके वजन को नियंत्रित करने में भी भरपूर मदद मिलेगी।
3. हेल्दी डाइट लें
खाने में मैग्नीशियम युक्त चीजों का सेवन ज्यादा करें जैसे केला। साथ ही विटामिन सी जैसे ऑरेंज, आंवला और नींबू की मात्रा बढ़ाएं। यह शरीर को एनर्जेटिक रखने में मदद करता है। डार्क चाॅकलेट, बींस, हर्बल चाय और हरी सब्जियां भी मूड स्विंग दूर करने में आपकी मदद कर सकती हैं। डाइट में शुगर और फैट सीमित मात्रा में ही लें।
4. अपनाएं म्यूजिक थैरेपी
जब मन उदास हो तो अच्छा म्यूजिक ‘मूड लिफ्ट’ करने का काम करता है। अपना मनपसंद संगीत सुन कर मूड को अच्छा कर सकते हैं। साथ ही अगर आप डांस करने का शौक रखते हैं तो यही सही वक्त है जब आप डांस करके टेंशन फ्री रह सकते हैं। घर में रहते हुए परिवार के अन्य सदस्यों को भी डांस में शामिल करें। आप ज्यादा एंजॉय कर सकेंगे।
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RIL consolidated Q4 PAT at 6,348 crore; announces Rs 53,125 cr rights issue
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Franklin Templeton MF sees erosion in debt schemes, dip in asset size
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घर पर खुद सैनिटाइजर बना कर जरूरतमंदों को बांट रहीं सिमर शर्मा, अब तक 150 बोतलों कर चुकीं हैं दान
पूरे देश को अपनी चपेट में ले चुके कोरोना वायरस के कारण मौजूदा समय में सैनिटाइजर और फेस मास्क की मांग बढ़ रही है। ऐसे में इन उत्पादों की कमी लोगों को इस जरूरी सामान का निर्माण करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके चलते कई लोग अपने- अपने स्तर पर जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। इसी बीच कोलकाता की सिमर शर्मा मौजूदा हालात में सैनिटाइजर की कमी को देखते हुए जरूरतमंद लोगों को खुद सैनिटाइजर बना कर बांट रही हैं। मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन के तीसरे वर्ष में बायोटेक्नोलॉजी की पढ़ाई कर रही सिमर बेहद अभावग्रस्त पीड़ितों की मदद के लिए आगे आई हैं।
जरूरतमंदों तक पहुंचाई 150 बोतलें
दरअसल, सैनिटाइजर महंगा होने की वजह से कई लोग इसे खरीद नहीं पा रहे हैं। इसलिए इन लोगों की मदद के लिए सिमर ने आइसोप्रोपिल एल्कोहल, ग्लिसरॉल और आवश्यक तेलों और पानी की मदद से तैयार किए 150 सैनिटाइजर जरूरतमंदों तक पहुंचाएं हैं। सैनिटाइजर बनाते समय वह इस बात का ध्यान में रख रही हैं कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से उल्लिखित सुरक्षा मानकों का भी पालन करें। 80 फीसदी एल्कोहल बेस्ट यह सैनिटाइजर उचित देखभाल के साथ तैयार किए गए हैं।
पुलिस भी कर रहीं सहयोग
घर पर ही तैयार किए इन सैनिटाइजर्स को सिमर कोलकाता में अपने घर पर काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी, सब्जी विक्रेताओं, मछली विक्रेताओं, होम क्वारैंटाइन के साथ ही झुग्गी झोपड़ी में रह रहे लोगों को भी बांट रही हैं। सिमर बताती है कि वहा इन्हें स्लम और जरूरी जगहों पर बांटने के लिए पुलिस का भी सहयोग ले रही हैं। उन्होंने अगले बैच के उत्पादन के लिए केमिकल और बॉटल का ऑर्डर दे दिया है। उनकी इस पहल के बारे में पता लगने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों से लोग उन्हें इस कार्य के लिए दान दे रहे हैं, जिसके बाद अब सिमर हैंड सैनिटाइजर का 600 लीटर अधिक उत्पादन करने जा रहे हैं।
डिजिटल पेमेंट के जरिए लोग कर रहे मदद
स्थानीय पुलिस की मदद से सिमर यह सुनिश्चित करती है कि इन बोतलों को ऐसी जगह वितरित किया जाए, जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनके दोस्त जो इस काम में विश्वास रखते हैं, उन्होंने डिजिटल पेमेंट के जरिए इस काम में अपनी पॉकेट मनी का योगदान दिया है। वह समाज से बड़े पैमाने पर धन इकट्ठा कर रही हैं और अब इकट्ठा किए इस धन का उपयोग करने में वह पारदर्शिता रखते हुए अपने काम को आगे बढ़ा रही हैं। फिलहाल सिमर रोजाना ऑनलाइन क्लासेस भी अटेंड कर रही है, लेकिन अपने खाली समय में इंजीनियरिंग के कॉन्सेप्ट्स को इस तरह से प्रैक्टिस कर रही है, जिससे वह समाज की मदद कर सकें।
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मुफ्त में कोरोना मरीजो का इलाज कर रहीं नर्स पीआर शिजी, बिना किसी वेतन के सरकारी अस्पताल में दे रहीं सेवाएं
देशभर में फैले कोरोनावायरस के दौरान सभी कोरोना योद्धा अपने- अपने स्तर पर इससे लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसी ही एक फ्रंटलाइन हेल्थ केयर वर्कर केरल के त्रिशूर की एक युवा नर्स है, जो मुश्किल के समय में भी बहादुरी से अपना कर्तव्य निभा रही हैं। नर्स पीआर शिजी इन दिनों त्रिशूर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 इंसेंटिव केयर यूनिट में एक सेल्फ हेल्प स्टाफ नर्स के रूप में बिना किसी वेतन के अपनी सेवाएं दे रही हैं।
इंटर्न के तौर पर कर रहीं काम
बचपन में ही अपने पिता को खोने वाली शिजी की परवरिश उनकी मां ने की। फिलहाल वह एक इंटर्न के रूप में काम कर रही है, जिसके लिए उन्हें अस्पताल से ना ही कोई वेतन मिलता है और ना ही कोई अन्य भत्ता। एक निजी कॉलेज से बीएससी नर्सिंग पूरी करने वाली 22 वर्षीय शिजी ने बताया कि उन्होंने 4 महीने तक एक निजी अस्पताल में काम किया। इसके बाद पिछले साल ही उन्होंने जून में त्रिशूर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया, लेकिन शिजी को अभी तक सरकारी अस्पताल की तरफ से उनके काम के लिए कोई भुगतान नहीं किया गया है।
काफी कुछ सीखने को मिल रहा
उनके लिए सरकारी अस्पताल के लिए काम करना एक विकल्प था, जिससे शिजी ने अपना कर्तव्य समझकर चुना। ऐसे कई वॉलिंटियर्स है, जो कोविड-19 वार्ड में नहीं जा रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके शिजी ने अपना काम जारी रखा हुआ है। दरअसल प्रकोप के तुरंत बाद जब अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या को देख अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए शिजी ने इस काम को बखूबी तरीके से संभाल लिया है। उनका मानना है कि इस दौरान उन्हें मेडिकल इमरजेंसी के बारे में काफी कुछ सीखने को मिला है।
12 साल में हुआ पिता का देहांत
वह बताती है कि ज्यादातर मरीज जिनका उन्होंने इलाज किया, वह बेहोश रहते थे। एक बार उनकी स्थिति में सुधार आने के बाद उन्हें आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। शिजी अपने पिता राजन की इकलौती बेटी है, जिनका 12 साल की उम्र में ही निधन हो गया था। पिता के बाद उनकी मां ने दैनिक मजदूरी करते हुए अपनी जरूरतों कर शिजी और अपनी जरूरतों को पूरा किया है।
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Wednesday, 29 April 2020
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Tuesday, 28 April 2020
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कोरोना वैक्सीन बना रही टीम का हिस्सा है भारतीय मूल की चंद्रा दत्ता, बतौर क्वॉलिटी अश्योरेंस मैनेजर कर रहीं काम
दुनियाभर में तबाही मचाने वाले कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम कोरोना की रोकथाम के लिए वैक्सीन डेवलप कर रहे है। इस टीम की खास बात यह है कि भारतीय मूल की एक महिला इस टीम का अहम हिस्साहै। कोलकाता की रहने वाली चंद्रा दत्ता इस टीम में बतौर क्वॉलिटी अश्योरेंस मैनेजर के तौर पर काम कर रही हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की यह टीम संक्रमण के रोकथाम के लिए ऐंटी-वायरल वेक्टर वैक्सीन डेवलप कर रहा है।
कोलकाता से किया बीटेक
इस वैक्सीन को पिछले हफ्ते ही इंसानों पर टेस्ट किया गया था। अगर वैक्सीन परीक्षण में पास हो जाती है, तो सितंबर- अक्टूबर से आम लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगी। कोलकाता के हेरिटेज इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी में बीटेक करने के बाद 34 साल की चंद्रा दत्ता ने 2009 में बायोसाइंस में एमएससी करने के लिए यूके के लीड्स यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था। पढ़ाई पूरी करने के बाद कई कंपनियों में काम करने के बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में नौकरी जॉइन की।
जूम पर किया सेलिब्रेशन
वर्तमान में वह यूनिवर्सिटी के क्लीनिकल बायोमैन्यूफैक्चरिंग विभाग में बतौर क्वॉलिटी अश्योरेंस मैनेजर कार्यरत हैं, जिसमें उन्हें वहां बनाई जा रही वैक्सीन्स की क्वॉलिटी को परखना होता है। अगर वैक्सीन्स में किसी भी तरह की गड़बड़ी होती है तो उन्हें दुरुस्त करना होता है। अपने अनुभव को शेयर करते हुए चंद्रा ने कहा कि ‘‘मेरे द्वारा सभी पेपरवर्क की जांच करने के बाद क्वॉलिटी प्रोफेशनल ने उस बैच को सर्टिफिकेशन इश्यू किया। हमें खुशी है कि वैक्सीन को क्लीनिकल ट्रायल के लिए आगे भेजा गया है। हमने जूम पर वाइन और केक के साथ सेलिब्रेशन भी किया।’’
शुरुआत में बनाएं 600 वैक्सीन
उन्होंने यह भी कहा कि ,‘‘यह एक अद्भुत अनुभव था। मैं शुरू से ही फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री के साथ रही हूं और मुझे लगता है कि हमारा लक्ष्य ही है इंसानी जिंदगी को और बेहतर बनाना। यह एहसास इसलिए भी खास है, क्योंकि शायद पूरी दुनिया इस वैक्सीन का इंतजार कर रही है, ताकि लोगों की जिंदगी सामान्य हो सके।’’ आमतौर पर किसी वैक्सीन को बनाने में तीन से चार साल लगते हैं, पर कोरोना की वैक्सीन कुछ महीनों में तैयार करना चाहते हैं। शुरुआत में हमने करीब 600 वैक्सीन बनाए हैं और जब हम 1,000 के आसपास वैक्सीन्स बना लेंगे, तब इसके मास प्रोडक्शन के बारे में सोचना शुरू करेंगे।
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कोरोना-लॉकडाउन पर केंद्र का सुझाव, बच्चों के तनाव को महसूस करें, उपाय करना भी अभी ही जरूरी
महीना से ज्यादा घर में गुजर गया। स्कूल-कॉलेज बंद। शॉपिंग बंद। आउटिंग बंद। हर कोई परेशान है- कब तक यह सब चलेगा? उन्हें कितना खतरा है? जाहिर है, बच्चे भी परेशान हैं। अगर आप निश्चिंत बैठे हैं कि ऐसा नहीं है, तो यह गलत है। संभव है कि बच्चों का तनाव आप समझ नहीं पा रहे हों। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कोरोना-काल में बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए सुझाव जारी किए हैं। पाठकों की सहूलियत के लिए मंत्रालय के सुझावों को भास्कर बच्चों की उम्र के हिसाब से सामने ला रहा है।
हावभाव से समझें हाल
- ज्यादा चिड़चिड़ा तो नहीं रहा?
- सामान्य से अधिक रो तो नहीं रहा है?
- बिस्तर गीला तो नहीं करने लगा है?
- गुमसुम-अकेला तो नहीं रहने लगा है?
- पढ़ाई से विमुख तो नहीं हो रहा?
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी तो नहीं?
- जिससे खुश होता था, उसे छोड़ा है क्या?
- सिर या शरीर में दर्द तो नहीं है उसे।
- छिपकर अल्कोहल, तंबाकू आदि तो नहीं ले रहा है।
4-8 वर्ष
- सकारात्मक रूटीन बनाएं। जल्दी सुलाएं, जल्दी जगाएं। इनके लिए इनडोर गेम रखें। पेंटिंग-कार्टून का भी समय दें।
- सभी को घर में बंद देखकर इस उम्र के बच्चे असहज होते हैं। ऐसे में इन्हें अपने करीब होने का एहसास कराएं। कुछ पूछें तो प्यार से समझाएं।
- सुनी-सुनाई बातों की चर्चा यह दोहरा सकते हैं। अफवाहों पर बातें न करें।
- टीवी पर वह जो देख रहे हैं, उससे गलत जानकारी तो नहीं मिल रही। ध्यान रखें।
- बच्चे अगर किसी दोस्त, रिश्तेदार या जानकार के लिए चिंतित हों तो इस चिंता को दरकिनार नहीं करें। कॉल या वीडियो कॉल से उन्हें दिखाएं।
9-13 वर्ष
- मई तक तो शायद ही स्कूल खुलें। ऐसे में समय का महत्व समझाते हुए रूटीन बनाएं।
- कोरोना की चर्चा से इन्हें डर और चिंता हो सकती है। प्यार से समझाएं। इनके सवालों का सकारात्मक उत्तर दें।
- बच्चा हमेशा ही जानकारी लेने के मूड में नहीं रहता। इसलिए, उसके मूड और उसकी जरूरत में मुताबिक जानकारी दें।
- बच्चों को बताएं कि सोशल मीडिया पर कितनी गलत खबरें-बातें चलती हैं। यह सूचनाएं फैलाई जाती हैं। इनपर भरोसा न करें, आपसे समझ लें।
- बच्चे टीवी पर खबरें भी देखें तो यह नजर रखें कि क्या देखना उनके लिए सही है।
13-16 वर्ष
- किसी की परीक्षा रह गई तो कोई अपनी किताबें नहीं ले सका। उसपर सोशल मीडिया की खबरें इन्हें विचलित कर रहीं। इनकी भ्रांतियों को समझें। जानें कि वह जो जान रहे, वह गलत है या सही। सही बातें फैक्ट्स के साथ रखें।
- जबरदस्ती बैठाएंगे तो उन्हें कुछ थोपे जाने का एहसास होगा। उन्हें भरोसा दिलाएं कि उनसे बात करने को आप हमेशा तैयार हैं।
- टीवी पर खबरों के स्तर की समझ विकसित करें। विश्वसनीय अखबार से पक्की खबर विस्तार से समझने के लिए प्रेरित करें।
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Market Wrap, April 28: Here's all that happened in the markets today
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ममता-मानवता की मिसाल, रिश्तों पर भारी महामारी, एक साथ दो मोर्चे पर जूझती कमर्वीर महिलाएं
कोरोना के कहर से जब दुनिया दहल गई है, तब जान हथेली पर रखकर कुछ बेटियां मरीजों की सेवा-सुश्रुषा में जुटी हैं। घर पर भी इन्हें परिजनों से पर्याप्त दूरी बनाए रखना पड़ती है। फिर चाहे इनके मासूम बच्चे ही क्यों न हो। इस दौरान स्वाभाविक मौत होने पर भी पड़ोसी व रिश्तेदार अंत्येष्टि में शामिल होने से छिटक रहे हैं।
एक ओर ममता तो दूसरी तरफ मानवता
ड्यूटी से घर लौटने पर भी इन्हें अलग-थलग रहना पड़ता है। वे चाहकर भी अपने कलेजे के टुकड़े को गले लगाना तो दूर, ढंग से दुलार भी नहीं कर पाती हैं। दरवाजे की आड़ से ही मासूमों का बचपन देखने को मजबूर हैं। नौकरीपेशा दंपत्तियों को तो कड़ा दिल कर बच्चों को पड़ोसियों या आया के पास छोड़ना पड़ रहा है। लिहाजा ये कर्मवीर एक साथ दो मोर्चों पर जूझ रही हैं। एक ओर ममता तो दूसरी तरफ मानवता है।
पड़ोसी संभाल रहे बच्चियां
अर्सेसे मैंने अपनी बच्चियों को गले नहीं लगाया। वे देखते ही रोने लगती हैं, मेरी आंखों में भी आंसू छलक आते हैं-भावना पट्टेया
अशोका गार्डन, इंद्रप्रस्थ कॉलोनी निवासी भावना पट्टेया हमीदिया अस्पताल में नर्स हैं। वे कोरोना मरीजों की सेवा में लगी हैं। उनके परिवार में पति और दो छोटी-छोटी बेटियां हैं। पति भी नौकरी करते हैं। इसलिए बेटियाें की देखभाल पड़ोस में रहने वाले बुजुर्ग दंपती करते हैं। दोनों बच्चियां उनके ही घर में रहती हैं। ड्यूटी से लौटने पर उन्हें परिजनों से दूरी बनाकर रखना पड़ती है। मेरी तीन शिफ्ट में ड्यूटी लगती है, घर जाते ही मैं अपने रूम में आइसोलेट हो जाती हूं। मजबूरी में मैं अपनी बच्चियों को दूर से ही देखकर खुश हो लेती हूं।
दूर से निहार लेती हूं
मनीषा का कहना हैं कि सामने होते हुए भी मैं बेटी को गोद में नहीं ले सकती। मैं आंसू के घूंट पी रही हूं-मनीषा बरबेटे
सेमरा निवासी मनीषा बरबेटे सुल्तानिया अस्पताल में नर्स हैं। उनके पति दिल्ली में जॉब करते हैं और लॉकडाउन के चलते वहीं फंसे हैं। मनीषा ने बताया कि उनकी एक साल की बेटी है, जिसे घर में एक बुजुर्ग आया संभालती हैं। मनीषा तीन शिफ्ट में काम करती हैंै। उसके बाद वे घर आकर सीधे आइसोलेट हो जाती हैं। वे अपनी बेटी को दूर से ही निहारकर खुश हो जाती हैं। सुरक्षा के मद्देनजर उनकी बेटी को बॉटल से दूध पिलाया जा रहा है।
बेटी से बात नहीं कर पाती
मैं अपने घर पर अपनी बेटी और परिवार से भी नहीं मिल पाती हूं। सुरक्षा के लिए दूरी बहुत जरूरी है-बिट्टू शर्मा
बिट्टू शर्मा सीएसपी कोतवाली हैं। वे दिन-रात ड्यूटी में जुटी रहती हैं। साथ ही अपनी टीम की हौसला अफजाई भी करती हैं। उनकी तकलीफ यह है कि घर पहुंचकर भी उन्हें परिजनों और बेटी से दूर रहना पड़ता है। चेकिंग के दौरान सभी तरह के लोगों से सामना होता है। संक्रमण के चलते जब मैं अपने परिवार से दूर रह रही हूं, तो लोगों को अपने घर में रहने में क्या परेशानी है? संक्रमण से बचाव का सबसे कारगर तरीका सोशल डिस्टेंसिंग है। लॉकडाउन में कई लोग बेवजह बाहर घूमने निकल पड़ते हैं। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।
बेटी को गले न लगा पाने का मलाल
जनसेवा के साथ परिवार की सुरक्षा भी जरूरी है। इसलिए कुछ दिन की परेशानी उठा लेंगे-डॉ. पूर्वा
कोरोना से जंग लड़ने वाले योद्धा डॉ. आशीष गोहिया और उनकी पत्नी डॉ. पूर्वा हमीदिया अस्पताल में पदस्थ हैं। ड्यूटी के दौरान ये कई मरीजों के संपर्क में आते हैं। सुरक्षा के लिहाज से ये डॉक्टर दंपत्ति अपने परिवार से भी नहीं मिल पाते हैं। वे अपनी 12 वर्षीय बेटी रिद्धिमा को गले तक नहीं लगा पाते हैं। बच्ची का ज्यादातर वक्त पढ़ाई में ही बीतता है। उसे जब भी मम्मी-पापा की याद आती है तो वह दूर से उन्हें निहारती है। डॉ. पूर्वा की तकलीफ यह है कि वह चाहकर भी बेटी के करीब नहीं जा पाती हैं।
दूर रहना मुश्किल
अवधपुरी निवासी शोभा नरवरे सुल्तानिया अस्पताल में नर्स हैं। शोभा का दर्द यह है कि वह पिछले एक माह से 4 वर्ष के बेटे से मिलना तो दूर, उससे बात तक नहीं कर पाईं। मैं जब भी ड्यूटी पर जाती हूं तो वह मेरी सासू मां को छोड़कर साथ जाने की जिद करने लगता है। जब मैं घर आती हूं तो टीवी की आवाज तेज कर बेटे के हाथ में मोबाइल थमा देते हैं, ताकि उसका ध्यान मेरी तरफ न जाए। कई बार मेरी आवाज सुनते ही वह दौड़ पड़ता है। ऐसे में मुझे दूर भागना होता है। फिर भी संतोष इस बात का है कि मेरा परिवार मेरे साथ है।
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Goldprice dips Rs 10 to Rs 62,720, silver falls Rs 100 to Rs 74,900
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