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It simply sucks. I don't personally read blog posts word by word, so how can I except you to read them too? I known ther are people who are kind enough to read a 10,000 word long blog article from start to finish, but I think that's a minority.why waste your time ? Let me..
मस्कट में रहने वाली मरियम अल बलूशी के पास 480 पालतू बिल्लियां और 12 डॉगी हैं। यही इनका परिवार है। इनमें से 17 पेट्स दृष्टिहीन हैं। इनके खाने-पीने और देखभाल पर मरियम प्रति माह 5 लाख 75 हजार रुपए खर्च करती हैं। हालांकि इन पेट्स का खर्च उठाना भी उनके लिए आसान नहीं है। इतने जानवरों को घर में जगह देने की वजह से उनके पड़ोसी आए दिन शिकायत करते रहते हैं। लेकिन फिर भी मरियम इनका साथ छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वे मानती हैं कि जानवर इंसानों से ज्यादा वफादार होते हैं।
उनके पास रहने वाले अधिकांश पेट्स वे हैं जो गलियों में भटक रहे थे और जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। इनको खाना खिलाने से लेकर इनकी सफाई का काम मरियम खुद ही करती हैं। जब ये पेट्स बीमार हो जाते हैं, वो इन्हें अस्पताल भी ले जाती हैं। फिलहाल उनका घर पेट्स के पिंजरों से भरा हुआ है। वे इनके साथ बारी-बारी से खेलती हैं। इन्हें एक्सरसाइज कराती हैं और वॉक के लिए बाहर भी लेकर जाती हैं। इन जानवरों की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाली मरियम की उम्र 51 साल है।
मरियम से जब यह पूछा जाता है कि उन्होंने इन्हें पालने की शुरुआत कैसे की तो वे कहती हैं- ''2008 में मेरा बेटा एक परशियन कैट घर लेकर आया था। दूसरी मांओं की तरह मैंने भी उसे घर में रखने से मना कर दिया ताकि इनकी वजह से घर में गंदगी न हो। फिर दो साल बाद बेटे ने एक बिल्ली पाली। उस वक्त तक मेरी सोच पेट्स को लेकर बदल चुकी थी। मैं उस बिल्ली को खिलाने लगी। उसे नहलाने लगी और उसके साथ अपने दिन का ज्यादातर वक्त गुजारने लगी। 2014 में मैंने अपना खुद का घर खरीदा और जानवरों की सेवा में दिन-रात एक कर दिया''।
क्रिसमस पर हर साल एक ही तरह की सजावट करके ऊब गए हैं तो इस बार कुछ नया ट्राय किया जा सकता है। घर को विंटर वंडरलैंड में बदल सकते हैं। पॉमपॉम और रिबन से घर को सजा भी सकते हैं। इस बार क्रिसमस पर घर को क्लासिक या कंटेंपररी, दोनों तरह से सजा सकते हैं।
1. हॉट चॉकलेट स्टेशन : अपने किचन आइलैंड सेंटरपीस के लिए आकर्षक दिखने वाला छोटा सा हॉट चॉकलेट स्टेशन सजा सकते हैं। यहां हर वो चीज मौजूद होनी चाहिए, जिससे बढ़िया हॉट चॉकलेट बनाई जा सके। ये पूरी सर्दियों भर आपको वॉर्म और कोज़ी बनाए रखेगा। इस स्टेशन पर हॉट कोको, हॉट कोको बार, कोको साइन, कॉफी बार, थ्री टियर ट्रे, हॉट चॉकलेट बार, किचन साइन, क्रिसमस साइन रख सकते हैं।
2. फ्रंट डोर रैप : घर के मुख्य दरवाजे यानी फ्रंट डोर को खूब बड़े और चौड़े लाल रिबन से गिफ्ट रैप की तरह सजा सकते हैं ताकि ये बिल्कुल क्रिसमस गिफ्ट की तरह दिखे। सफेद दरवाजा है तो स्नो मैन स्टिकर परफेक्ट लगेगा। इसके अलावा भी अन्य क्रिसमस स्टिकर लगाए जा सकते हैं।
3. वुडन क्रिसमस ट्री : असली क्रिसमस ट्री के बजाय लकड़ी का क्रिसमस ट्री बनवा सकते हैं या फिर इसे खुद ही बना सकते हैं। बाद में इसे फ्रेश पत्तियों से सजाया जा सकता है या बिना सजाए भी इसे ऐसे ही रखा जा सकता है। लकड़ी की खूब सारी खाली टहनियां खूबसूरत लगती हैं।
4. स्पार्कल वॉल्स : रिमूवेबल वॉल स्टिकर जैसे गोल्डन स्टार, किसी भी दीवार को जगमगा देते हैं। इस तरह के स्पार्कल स्टिकर्स को अपनी स्टडी टेबल, क्रिसमस ट्री या फिर घर के एंट्रेंस पर भी लगाया जा सकता है।
अमेरिका के फोर्ट सेंडर्स रिजनल हॉस्पिटल में वो दिन बहुत खास था जब दो जुड़वां बहनों ने अपने बर्थडे पर एक ही दिन और वक्त पर दो अलग-अलग बच्चों को जन्म दिया। इन बहनों का नाम ऑटम शॉ और अंबर ट्रेमोंटेना है। इनकी बेटी के नाम चार्ल्सटन और ब्लैकली है। इस हॉस्पिटल ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिये ये खबर देते हुए लिखा - ''आज हमारी खुशी दोगुनी हो गई और हमारा प्यार भी। इस हफ्ते का ये दिन हमारे लिए खास है। जब दो जुड़वां बहनों ने बेटियों को जन्म दिया। इन दोनों परिवारों को हमारी ओर से बधाई''।
फोटो साभार : people.com
इनकी डिलिवरी डॉ. जॉर्ज विक ने की। ऑटम और अंबर ने बताया कि हमने साथ में अपनी प्रेग्नेंसी प्लान की थी। हमें ये लग रहा था कि एक ही महीने में हम दो बच्चों को जन्म देंगे। लेकिन ये कभी नहीं सोचा था कि इन बच्चों का जन्म एक ही टाइम पर होगा। इन दोनों बहनो को इस बात की भी खुशी है कि वे अपने जन्मदिन के साथ-साथ इन बच्चों का जन्मदिन मना पाएंगी। डॉ. जॉर्ज विक के अनुसार, मैंने अपने 45 के करिअर में ऐसा होते पहली बार देखा। ये मेरे लिए अद्भुत है। आप सबको बधाई हो। एक दूसरे डॉक्टर ने कहा मुझे ये देखकर बहुत खुशी हुई।
ऐसे कई लोग हैं जो अलग-अलग तरह की चीजों को कलेक्ट करते हैं। कई बार इन कामों की वजह से उन्हें शोहरत भी मिलती है। ऐसा ही कुछ ओडिशा की रहने वाली तीसरी कक्षा की स्टूडेंट दिब्यांशी ने भी किया। दिब्यांशी ने विभिन्न देशों के 5,000 मैच बॉक्स जमा किए। दिब्यांशी ने बताया कि अलग-अलग देशों के मैच बॉक्स जमा करने के लिए उसने इतने देशों की यात्रा नहीं की बल्कि उसके रिश्तेदारों में से जब भी कोई विदेश जाता तो वह उनसे अपने कलेक्शन के लिए मैच बॉक्स मंगवा लेती।
दिब्यांशी को इस काम के लिए उनके पिता ने प्रेरित किया। वे एक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हैं। वे जब भी कहीं जाते तो अपनी बेटी के लिए मैच बॉक्स लेकर आते। इस तरह दिब्यांशी के पास कई तरह के अलग-अलग मैच बॉक्स जमा होने लगे। दिब्यांशी ने उन्हें अलग-अलग थीम के आधार पर ऑर्गेनाइज किया।
दिब्यांशी के पास विभिन्न देशों के मैच बॉक्स हैं। इनमें नेपाल, पोलैंड, भूटान, जापान और बांग्लादेश शामिल हैं। उनके पेरेंट्स इन मैच बॉक्स को जमा करने में दिब्यांशी की मदद करते हैं। दिब्यांशी की मां गोपा मोहंती ने बताया- ''दिब्यांशी पिछले तीन साल से मैच बॉक्स जमा कर रही है। उसके पिता जब भी यात्रा करते तो अपने कुछ दोस्तों के लिए मैच बॉक्स लेकर आते। इनकी डिजाइन दिब्यांशी को खूब पसंद आती। फिर दिब्यांशी ने भी इसे संभालकर रखना शुरू किया। वे इन बॉक्स को संभालकर प्लास्टिक के बॉक्स में रखती हैं''।
ओडिशा के भुवनेश्वर में 40 आदिवासी बच्चों को शिक्षित करने का काम मानशी सथपति बखूबी कर रही हैं। वे भुवनेश्वर के पास बसे गांव रसूलगढ़ के नाला बस्ती क्षेत्र में पेड़ की छांव के नीचे ही इन बच्चों को पढ़ाती हैं। मानशी का कहना है कि इन बच्चों के माता-पिता दिहाड़ी करने वाले मजदूर हैं। हालांकि सरकार इनके लिए कई तरह की योजनाएं चला रही हैं। लेकिन वे इस जगह को छोड़ना नहीं चाहते। मुझे लगा कि अगर मैं इन बच्चों को पढ़ाने लग जाऊं तो संभव है कि उनकी रूचि पढ़ाई में पैदा हो जाए।
मानशी इन बच्चों को इंग्लिश, उड़िया, सामान्य ज्ञान और गणित पढ़ाती हैं। मानशी की रूचि सिंगिंग, डांसिंग और ड्रॉइंग में भी है। वे हफ्ते में एक-दो बार इन बच्चों को डांस भी सीखाती हैं। मानशी के ये स्टूडेंट भी आम बच्चों की तरह बड़े होकर मॉडल या डॉक्टर बनना चाहते हैं। लेकिन मानशी मानती हैं कि अच्छे भविष्य के सारे सपने बिना पढ़ाई के पूरे नहीं हो सकते। इसके लिए जरूरी है कि इन बच्चों को रोज पढ़ाया जाए। वे इन बच्चों को पढ़ाने के अलावा उनके बीच बिस्किट और चॉकलेट भी बांटती हैं।
महामारी के बीच भी मानशी का जोश कम नहीं हुआ। लेकिन बच्चों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए कोरोना काल के दौरान उन्होंने इन बच्चों की क्लास हफ्ते में एक बार ही ली। ये बच्चे क्लास अटैंड करने से पहले मास्क पहनते हैं और क्लास में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करते हैं।
क्रिसमस और न्यू ईयर पार्टी बिना केक के अधूरी है। यूं तो क्रिसमस पर रम और प्लम केक हमेशा से टॉप डिमांड में रहते हैं। लेकिन इस बार क्रिसमस केक के रिप्लेसमेंट के रूप में बाजार में काढ़ा केक, जिंजर केक, सेहत से भरपूर मसालों से बने केक, मिल्क केक, ऑरेंज पील के पसंद किए जा रहे हैं। केक में इस बदलाव का कारण है कि सेहत को लेकर लोगों में फिक्र बढ़ी है। बेकरीज पर केक के लिए आने वाली डिमांड में 35% लोग इम्युनिटी बूस्टर केक की मांग कर रहे हैं। कस्टमर की डिमांड पर लोग तुलसी, लौंग और दालचीनी वाले केक भी बना रहे हैं।
बेकरी एक्सपर्ट निशा बलवानी ने बताया कि पहली बार इम्युनिटी बूस्टर काढ़े की सामग्री से केक तैयार किया गया है। इसमें तुलसी, दालचीनी, लौंग, कालीमिर्च और अदरक डाला गया है। यह केक ऑर्डर पर तैयार किए जा रहे हैं। सूखे मेवे के साथ क्लासिक क्रिसमस केक भी डिमांड में हैं। गिफ्ट देने के लिए जिंजर कुकीज भी बनाई जा रही हैं। इसमें सोंठ का इस्तेमाल किया गया है। नॉर्मल केक की तुलना में इसकी प्राइस में सिर्फ 10 से 20% का ही अंतर है।
बेकरी शेफ बृजेश बहादुर सिंह ने बताया कि इम्युनिटी के साथ ड्राई फूट, ऑरेंज पील केक, जिंजर के भी काफी पसंद किए जा रहे हैं। शुगर फ्री केक के अलावा विटाइमिन सी से भरपूर होने के कारण ऑरजें पील केक की काफी डिमांड है। इसमें हैंड ग्राइंड गरम मसाला डाला जाता है।
हर व्यक्ति का अपना पसंदीदा कलर होता है। लेकिन बेंगलुरु के रहने वाले 58 साल के सेवनराज की फैमिली का फेवरेट कलर रेड एंड व्हाइट है। यह रंग उन्हें इतना पसंद है कि फर्नीचर, परदे, मोबाइल, दीवारें, कार, ऑफिस, चश्मा, शूज-मोजे, क्रॉकरी, टॉयलेट यहां तक कि टूथ ब्रश सहित घर ही हर चीज रेड एंड व्हाइट है। उनकी पत्नी पुष्पा भी अपने घर के लिए इन्हीं दो रंगों की चीजें खरीदती हैं। उनका बेटा भरतराज और मनीषा भी लाल और सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं।
माता-पिता की सातवीं संतान होने पर सेवनराज को यह नाम मिला। बचपन से ही वे दुनिया से अलग दिखना चाहते थे। इसलिए लाल और सफेद रंग अपनाया। उनका कहना है कि परिवार के सभी लोग सफेद रंग ज्यादा पसंद करते थे। मैंने बस इतना किया कि इसके साथ सफेद रंग और जोड़ दिया। जब मैं 18 साल का हुआ तो कसम खा ली थी कि अब मरते दम तक इन्हीं दो रंगों के साथ जिऊंगा। पहले लोग मेरी बात पर हंसते थे, लेकिन जुनून की हद तक वे इन रंगों में रम गए और देश-विदेश में फेमस होने लगे। इनके घर की अलमारियां रेड एंड व्हाइट कपड़ों से भरी पड़ी हैं। इनके पास दर्जनों रेड-व्हाइट शर्ट हैं।
उन्होंने रेड एंड व्हाइट में तो पहचान बनाई ही, साथ ही 7 के अंक को जीवन में अपना लिया क्योंकि वे इसे लकी नंबर मानते हैं। इनकी हर ड्रेस में 7 बटन और 7 पॉकेट होते हैं। यहां तक कि कढ़ाई द्वारा 7 का अंक पॉकेट पर भी बनवा रखा है। इनकी कार का नंबर सात है। वे सात भाषाएं भी बोलते हैं। जब ये रेड सिग्नल पर रूकते हैं तो कई लोग इनके साथ सेल्फी लेने आ जाते हैं।
इन दिनों बाजार में मटर और आलू दोनों खूब मिल रहे हैं। तेज ठंड के बीच अगर आप कुछ गर्मागर्म और मजेदार खाना चाहते हैं तो आलू और मटर से ये तीन डिश बना सकती हैं। इसमें इस्तेमाल होने वाले मसाले आपके किचन में आसानी से मिल जाएंगे।
आलू-मटर की टिक्की
इंग्रीडिएंट्स :
आलू उबले- 4
हरा धनिया - 2 टीस्पून
हरी मिर्च- 1/2 कप
तेल - मटर तलने के लिए
हरी चटनी - स्वादानुसार
नमक- स्वादानुसार
बनाने की विधि :
- उबले हुए आलू को अच्छे से मैश करके इसमें हरा धनिया, हरी मिर्च नमक डालें। इस मिश्रण को ठीक से मिला लें।
- इस मिश्रण की छोटी-छोटी बॉल्स बनाकर हाथ से चपटा करें।
- इसके बीच में कुछ मटर भरकर अच्छी तरह कवर करें और टिक्की का आकार दें। ऐसे ही सभी टिक्कियां तैयार कर लें।
- पैन में तेल गर्म करके टिक्कियों को गोल्डन ब्राउन व क्रिस्पी होने तक फ्राई करें। इसे चटनी के साथ गर्मागर्म सर्व करें।
आलू मटर विद व्हाइट ग्रेवी
सामग्री:
छोटे आलू- 1 1/4 कप
उबले हरे मटर- 1 कप
घी- 1 चम्मच
इलायची- 2
लौंग- 2
तेजपत्ता- 1
फ्रेश क्रीम- 1/4 कप
फेंटा हुआ दही- 2 चम्मच
गरम मसाला पाउडर- 1 चम्मच
नमक- स्वादानुसार
पेस्ट बनाने के लिए इंग्रीडिएंट्स
कटा प्याज- 1 कप
काजू- 8
कटा हुआ अदरक- 1 चम्मच
कटी मिर्च- 2 चम्मच
बनाने की विधि :
- पेस्ट बनाने की सभी सामग्री को बिना पानी डालें बारीक पीस लें। आलू को उबालकर छील लें। कढाही में घी गर्म करें और उसमें इलायची, लौंग और तेजपत्ता डालकर भूनें
- इस पेस्ट को कढाही में डालें और मध्यम आंच पर दो मिनट भूनें। क्रीम, दही, गरम मसाला, नमक और एक कप पानी डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। - मध्यम आंच पर दो से तीन मिनट तक इसे लगातार चम्मव चलाते हुए पकाएं। अब आलू और मटर को कढाही में डालें। इसे कुछ देर पकाएं और हरा धनिया डालकर सर्व करें।
आलू मटर की पूरी
सामग्री :
गेहूं का आटा- 2 कप
आलू- 2
मटर - आधा कटोरी
धनिया पाउडर- 1 छोटा चम्मच
लाल मिर्च पाउडर- 1/4 छोटा चम्मच
हल्दी पाउडर- 1/4 छोटा चम्मच
अजवायन- 1/4 छोटा चम्मच
तेल- पूरियां तलने के लिए
हरा धनिया- 2 टेबल स्पून (बारीक कटा हुआ)
नमक- स्वादानुसार
बनाने की विधि :
- आलू और मटर को धोकर उबाल लें। जब आलू ठंडे हो जाएं तो उन्हें धोकर छील लें और कद्दूकस कर लें। एक प्लेट में आटा और आलू और मटर को डालकर इसमें अजवाइन, नमक, हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और हरा धनिया डालकर हाथों से मसलते हुए अच्छे से मिक्स कर लें।
- पूरी के लिए आटे में 2 छोटा चम्मच तेल मिलाएं। इसमें पानी मिलाते हुए आटा गूंथें। अब हथेली पर थोड़ा सा तेल लगाकर इसकी छोटी-छोटी लोइयां बना लें। इन लोइयों को गोल बेल लें।
- एक पैन में तेल गर्म होने के लिए रख दें। जब तेल गर्म हो जाए इसमें एक-एक पूरी डालकर गोल्डन होने तक फ्राई करें। इसे आलू की सब्जी, अचार या चटनी के साथ खाएं।
चेन्नई में एस एन लक्ष्मी सांई श्री ने 58 मिनट में 46 डिशेज बनाकर यूनिको वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया। लक्ष्मी ने बताया कुकिंग में उसका शौक मां की वजह से पैदा हुआ। उसने अपनी मां से खाना बनाना सीखा। वे वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम पाकर भी बेहद खुश हैं।
लक्ष्मी की मां का नाम एक कलाईमगल है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान लक्ष्मी ने कुकिंग सीखने की शुरुआत की। मैं तमिलनाडु स्थित अपने घर पर अलग-अलग तरह की पारंपरिक चीजें बनाती हूं। लॉकडाउन में जब लक्ष्मी ने मुझे किचन में इन चीजों को बनाते हुए देखा तो उसने भी इस सीखने की कोशिश की। जब मैंने लक्ष्मी की इस रुचि के बारे में मेरे हसबैंड को बताया तो उन्होंने ये सलाह दी कि हमें कुलीनरी एक्टिवटी में वर्ल्ड रिकार्ड के लिए लक्ष्मी का नाम देना चाहिए। इस बारे में जब हमने और जानकारी जुटाई तो पता चला कि लक्ष्मी से पहले केरल में 10 साल की सान्वी ने 30 डिश बनाकर वर्ल्ड रिकार्ड कायम किया था। लेकिन लक्ष्मी ने 46 डिशेज बनाकर सान्वी का रिकॉर्ड तोड़ा।
चौबीस साल की रेन गार्डन स्कूल टीचर हैं। वैसे तो इनका जीवन बिल्कुल सामान्य लोगों की तरह ही है लेकिन एक मामले में ये बेहद अलग हैं। वो है निर्जीव चीजों से प्रेम करना। ये प्रेम इस हद तक है कि इन्होंने बीते जून माह में एक ब्रीफकेस से शादी की है। वे इस ब्रीफकेस को कीडियॉन कहकर बुलाती हैं। मैटेलिक ब्रीफकेस गीडियॉन को इन्होंने करीब 5 साल पहले एक हार्डवेयर स्टोर से उस वक्त खरीदा था जब वे फोटोशूट के कुछ उपकरण खरीदने दुकान पर गई थीं।
रेन कहती हैं कि मैं अपने पति से 2015 में पहली बार मिली थी। मुझे उसी समय उससे प्रेम हो गया। रेन आगे बताती हैं - ''करीब आठ साल की उम्र से ही मुझे निर्जीव चीजें बहुत अच्छी लगने लगी थीं। मैं जहां भी जाती थी, मॉल या मार्केट मुझे इन चीजों से प्यार हो जाता था''। रेन का दावा है कि वो अपने ब्रीफकेस यानी गीडियॉन से अक्सर चार-चार घंटे बात करती रहती हैं। वे रोजाना लंबा समय साथ में बिताते हैं। उनका दावा है कि दोनों के बीच एक स्प्रीचुअल कम्यूनिकेशन है। गीडियॉन उन्हें सुन सकता है और वो गीडियॉन को।
खास बात यह है कि रेन ने यह शादी अपने दोस्तों की मौजूदगी में ऑनलाइन की और इनके बाद के कार्यक्रम में उनके भाई और दोस्तों ने भी शिरकत की। यहीं नहीं दोनों के पास शादी की अंगूठी भी है। जिसे खासतौर से बनवाया गया है। वास्तव में रेन की इस स्थिति को ऑब्जेक्ट सेक्शुएलिटी कहते हैं। इस पर दुनिया भर में काफी रिसर्च हुई है।
हमारे समाज में शादी-ब्याह के दौरान निभाई जाने वाली रस्मों का खास महत्व है। कहीं दूल्हे के जूते छिपाना तो कहीं दुल्हन का दूल्हे के पैर छूना भी एक परंपरा है। ऐसी ही परंपरा बंगाल में भी है जहां शादी की सारी रस्में पूरी होने के बाद दुल्हन दूल्हे के पैर छूकर आशीर्वाद लेती है। अब वक्त बदला है और कुछ कपल ये मानने लगे हैं जिस तरह से एक दुल्हन दूल्हे के पैर छूती हैं, उसी तरह दूल्हे को भी दुल्हन के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। इससे ये समझ में आता है कि दूल्हा और दुल्हन दोनों एक समान हैं।
हाल में संपन्न एक बंगाली शादी में इसी तरह का एक मामला सामने आया जिसकी लोग तारीफ कर रहे हैं। यहां जैसे ही दुल्हन ने दूल्हे का आशीर्वाद लेने के लिए उसके पैर छुए, वैसे ही दुल्हा भी दुल्हन का आशीर्वाद लेने लगा। उसने दुल्हन के पैर छूकर अपनी उदारता का परिचय दिया।
सोशल मीडिया पर इस खबर के वायरल होते ही यूजर्स दूल्हे की तारीफ करने लगे। एक यूजर ने कहा इसे कहते हैं शादी के बंधन को सम्मान देना। एक यूजर ने लिखा इस रिश्ते को मजबूत बनाना वर-वधु दोनों का फर्ज है। आप दोनों ने शादी के तुरंत बाद इस काम को बखूबी पूरा किया। ईश्वर आप पर सदा अपना आशीर्वाद बनाए रखे।
The price of 22-carat gold also fell Rs 10 with the yellow metal selling at Rs 57,490 from Markets https://ift.tt/rpZGNwM