It simply sucks. I don't personally read blog posts word by word, so how can I except you to read them too? I known ther are people who are kind enough to read a 10,000 word long blog article from start to finish, but I think that's a minority.why waste your time ? Let me..
Saturday, 23 November 2019
FPIs infuse Rs 17,722 cr into Indian markets in November so far; still wary
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Sebi plans to rope in agency to implement data analytics project
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Digital Gurukul becomes India's first institute to offer blockchain powered certificates
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31 अंगुलियों के साथ जन्मी 63 वर्षीय कुमार की कहानी, बोलीं; पड़ोसी मुझे डायन समझते हैं, उनके तानों के कारण घर छोड़ना पड़ा
लाइफस्टाइल डेस्क. एक जन्मजात बीमारी ने मुझे जीवनभर के लिए लोगों से अलग कर दिया। लोगों के तानों ने घर छोड़ने पर मजबूर किया। वह मुझे अपने जैसा नहीं समझते। 63 सालों से मैं यह सब झेल रही हूं। यह कहना है, पैरों में 19 और हाथों में 12 अंगुलियों के साथ जन्मीं कुमार नायक का। ओडिसा की कुमार कहती हैं कि पड़ोसी मुझे डायन समझते हैं, वह मुझे आम इंसान नहीं मानते। बात करना तो दूर, वे मेरे पास तक नहीं आते।
कुमार नायक की उम्र 63 साल है। जन्म ओडिसा के गंजाम जिले में हुआ। वह जन्म से पॉलीडेक्टली नाम की बीमारी से ग्रस्त थीं। नतीजा, हाथ और पैर में अंगुलियों की संख्या आम इंसान से ज्यादा है। इसे पड़ोसी और राहगीर अशुभ मानते थे। उनके तानों ने कुमार को घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
कुमार कहती हैं कि गरीब परिवार में जन्म लेने के कारण इलाज नहीं हो पाया। आज 63 बाद भी लोगों की सोच में कोई बदलाव नहीं हुआ है। उनके और मेरे बीच की दूरी बरकरार है। एक समय के बाद मैं उनकी आलोचनाओं की आदी हो गई और घर से बाहर न निकलने का फैसला लिया। कुछ लोग पास आते भी हैं तो सिर्फ ये देखने के लिए कि कितनी अंगुलियां हैं।
क्या है पॉलीडैक्टली
हाथों और पैरों में सामान्य से अधिक अंगुलियों का कारण पॉलीडैक्टली की जन्मजात बीमारी है। ऐसी स्थिति तब बनती है जब गर्भ में 7वें या 8वें हफ्ते में भ्रूण में अधिक अंगुलियां विकसित हो जाती हैं। आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में 700-1000 में से एक ऐसा मामला ऐसा होता है। हालांकि प्रेग्नेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड से इसका पता लगाया जा सकता है।
बॉस्टन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के मुताबिक, विकसित देशों में ऐसा मामला सामने आने पर बच्चा दो का होने पर उसकी अंगुलियों को सर्जरी की मदद से हटा दिया जाता है।
भारत में ऐसे कई हैं मामले
गुजरात के देवेंद्र सूथर भी इससे जूझ रहे हैं। उनके हाथ और पैरों में 7-7 अंगुलियां हैं। इसके लिए इनका नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज है। देवेंद्र पेशे से कारपेंटर है और दुनिया में एकमात्र इंसान हैं इन्हें मैक्सिमम फिंगर्स मैन भी कहा जाता है। देवेंद्र के परिवार में दूसरे सदस्यों के साथ ऐसा नहीं है। गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड से देवेंद्र ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धी पाई लेकिन आर्थिक तौर पर कोई मदद नहीं मिली।
ऐसा ही एक और मामला भारत के ही अक्षत में देखा गया था। जिनके हाथों और पैरों में 7-7 अंगुलियां थी और 2010 में गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम भी दर्ज हुआ था। लेकिन बाद में सर्जरी की मदद से इनकी संख्या सामान्य कराई थी। इसलिए वर्तमान में यह रिकॉर्ड देवेंद्र के नाम है।
पिछले महीने चीन में जन्मजात दाहिने पैर में 9 अंगुलियों के साथ पैदा हुए 21 वर्षीय अज़ुन की सर्जरी की गई। 4 अतिरिक्त अंगुलियों को हटाया गया। अजु़न लोगों से दूर रहते थे क्योंकि वे उन्हें सामान्य नहीं मानते थे। पेरेंट्स उनकी अतिरिक्त अंगुलियों को शुभ मानते थे लेकिन अजु़न के दबाव बनाने पर सर्जरी की गई।
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मार्केट में मिलने वाले महंगे क्लीनिंग प्रोडक्ट्स से ज्यादा असरदार है पानी
लाइफस्टाइल डेस्क. हाल ही में हुए शोध बताते हैं कि पानी से की गई सफाई ही सबसे असरदार होती है। किचन प्लेटफॉर्म और सिंक को किसी महंगे क्लीनिंग लिक्विड से साफ करने की बजाय सादे पानी से साफ करना बेहतर है। शोध में पाया गया कि महंगे क्लीनिंग ऐजेंट से सरफेस साफ करना पानी की सफाई जैसा ही था। इसका ये मतलब है कि हम बेकार ही इन महंगे लिक्विड्स पर पैसे बर्बाद करते हैं। शोध में ये भी पाया गया कि फ्लोर क्लीनर्स की सफाई पानी की सफाई से ज्यादा नहीं थी। किसी भी क्लीनिंग एजेंट की सफाई पानी की सफाई से बेहतर नहीं थी। हाथ से लगने वाली ताकत पर भी सफाई निर्भर थी। हर कमरे के लिए अलग क्लीनिंग लिक्विड रखने से बेहतर है पूरे घर के लिए एक ही लिक्विड रखें।
केवल इन्हें जरूरी माना गया
- तेज ब्लीच वाले टॉयलेट क्लीनर्स।
- बाथरूम क्लीनर।
- विंडो क्लीनर्सकि दाग-धब्बे ना दिखें।
- इसके अलावा घर में किसी अन्य क्लीनर की जरूरत नहीं है।
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घर में ही बन सकता है आपका मनपसंद परफ्यूम
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स्टेटस सिंबल बन गई है विंटेज वैनिटी, खरीदते वक्त खास टिप्स का ध्यान रखें
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Friday, 22 November 2019
भारत में सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक बांग्लादेश, ब्रिटेन और अमेरिका से आए, तमिलनाडु में सबसे ज्यादा पहुंचे
नई दिल्ली .भारत में 2016 से 2018 तक 3 सालाें में सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक बांग्लादेश, अमेरिका और ब्रिटेन से आए। इसके साथ ही विदेशी पर्यटकाें से आय में भी बढ़ाेतरी हुई है। यह जानकारी केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने दी है। राज्याें की बात करें ताे 2018 में सबसे ज्यादा 60 लाख विदेशी पर्यटक तमिलनाडु में आए।
इसके बाद महाराष्ट्र में 50 लाख और यूपी में 37 लाख से ज्यादा विदेशी पर्यटक पहुंचे। देश में विदेशी पर्यटकाें की संख्या और उनसे हुई आय संबंधित यह जानकारी केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने लाेकसभा में एक सवाल के जवाब दी है। बांग्लादेश से भारत आनेवाले सैलानियाें की संख्या 2016 में 13.80 लाख थी। 2018 में यह करीब दोगुना बढ़कर 22.56 लाख पहुंच गई। वहीं, पाकिस्तान में 2016 में 1.04 लाख विदेशी पर्यटक आए थे। 2017 में यह संख्या 44,266 रह गई।
भारत में किस साल किस देश से कितने पर्यटक आए
साल बांग्लादेश अमेरिका ब्रिटेन श्रीलंकाकनाडा
2016 13.80 12.96 9.41 2.97 3.17
2017 21.56 13.76 9.86 3.03 3.35
2018 22.56 14.56 10.293.53 3.51
विदेशी पर्यटक औरआय
साल कुल पर्यटक आय
2016 88 लाख 1.62
2017 1.04 कराेड़ 1.93
2018 1.56 कराेड़ 2.02
तीन साल में 18 लाख पर्यटक बढ़े
2018 में राज्यों की स्थिति
राज्य विदेशी पर्यटक
तमिलनाडु 60.74लाख
महाराष्ट्र 50.78 लाख
उत्तर प्रदेश 37.80लाख
दिल्ली 27.40लाख
तमिलनाडु तीन साल से टॉप पर है
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Sebi bans Karvy Stock Broking for Rs 2,000 crore client defaults
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इस वेडिंग सीजन पांच अभिनेत्रियों से लें सिल्क साड़ी पहनने की इंस्पिरेशन
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Investments via P-notes rise to Rs 76,773 cr in Oct after 4-month decline
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अपने बोरिंग वार्डरोब को नियॉन कलर से बनाएं बोल्ड और बिंदास
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Zee Entertainment extends gain after promoter's stake sale
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Thursday, 21 November 2019
क्रॉप स्वेटर और ओवरसाइज्ड स्टाइल डिजाइन से लें स्टाइलिश लुक की इंस्पिरेशन
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टाइट जींस पहन लॉन्ग ड्राइव पर गए युवक को कार्डियक अरेस्ट, डॉक्टरों ने 45 मिनट सीपीआर देकर जान बचाई
नई दिल्ली. टाइट जींस पहनकर लॉन्ग ड्राइव पर गए दिल्ली के एक युवक को कार्डियक अरेस्ट के बाद अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। हार्ट बीट और पल्स रुकने के साथ ही शरीर के अंग नीले पड़ गए। डॉक्टरों ने 45 मिनट तक लगातार सीपीआर दिया, जिसके बाद हार्ट बीट और पल्स वापस आई। डॉक्टरों के अनुसार, टाइट जींस में लगातार आठ घंटे तक ऑटोमैटिक कार चलाने के दौरान पैरों में खून का थक्का जम गया, जो टूटकर फेफड़ों तक पहुंच गया। इसी वजह से उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया।
पीतमपुरा निवासी सौरभ शर्मा 10 अक्टूबर को कार से ऋषिकेश गए थे। वहां पहुंचने पर उन्हें तकलीफ हुई तो किसी और की मदद से 12 अक्टूबर को दिल्ली लौट आए। घर पर बेहोश होने के बाद परिजन उन्हें मैक्स अस्पताल लेकर पहुंचे। जांच में पता चला कि पल्मोनरी इम्बोलिज्म की वजह से कार्डियक अरेस्ट आया है।फेफड़ों की धमनियों में रक्त की आपूर्ति बाधित होने को पल्मोनरी इम्बोलिज्म कहते हैं।
पल्मोनरी इम्बोलिज्म की वजह टाइट कपड़े
हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. नवीन भामरी ने बताया कि सौरभ की सांसें थम गई थीं। बीपी या पल्स भी रिकॉर्डनहीं हो रहा था। उन्हें पेशाब भी नहीं हो रही थी। सीपीआर से धड़कन शुरू हुई और वह होश में आए। 24 घंटे में उनका बीपी स्थिर हुआ।डॉ. भामरी ने बताया कि पूरी जांच के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि पल्मोनरी इम्बोलिज्म की वजह टाइट कपड़े पहनकर लॉन्ग ड्राइव करना है।
टाइट कपड़े पहनकर लंबी यात्रा भी घातक
सौरभ का इलाज करने वाले डॉक्टर योगेश कुमार छाबड़ा ने कहा कि टाइट कपड़े पहनकर लॉन्ग ड्राइव करना खतरनाक हो सकता है। फ्लाइट में टाइट कपड़े पहनकर लंबी यात्रा भी घातक हो सकती है। ऐसे में टाइट कपड़ों से बचना चाहिए या फिर हर घंटे ब्रेक लेना चाहिए।
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ऑफिस से ब्रेक लेने के लिए तबीयत खराब होने का बहाना सबसे लोकप्रिय; हर 5 में से 2 कर्मचारी ऐसा करते हैं
नई दिल्ली.ब्रिटेन में कर्मचारी अपने बॉस से बीमारी के छोटे-छोटे झूठ बोलकर छुट्टी लेते हैं। हर पांच में से दो कर्मचारी ऐसा करते हैं। यह खुलासा बीबीसी के सर्वे में हुआ है। सर्वे में जब कर्मचारियों की नैतिकता और मूल्यों पर सवाल उठाया गया, तो उन्होंने बीमारी के बारे में झूठ बोलने, चोरी करने और अन्य लोगों के काम का श्रेय लेने की बात स्वीकार की। ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, एक कर्मचारी साल में लगभग चार दिन की सिक लीव लेता है। साल 2018 में ऑफिस न आने के लिए कर्मचारियों ने सबसे आम कारण सामान्य सर्दी, मस्कुलोस्केलेटल समस्याएं (जैसे पीठ दर्द) और दिमागी थकावट जैसी बीमारियां बताई थीं।
जूनियर कर्मचारी सीनियर्स की तुलना में अधिक झूठ बोलते हैं। हालांकि, वे सहयोगियों का साथ देने के लिए भी ज्यादा तैयार होते हैं। रिपोर्ट में यह बात भी उजागर हुई कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में दूसरे के काम की प्रशंसा खुद ले लेने की प्रवृत्ति दोगुनी पाई जाती है। सर्वे में शामिल एक तिहाई सदस्यों ने यह भी बताया कि उन्होंने ऑफिस से स्टेपलर औरनोटबुक जैसी छोटी-छोटी चीजें भी चुराईं। 16 सालसे अधिकउम्र के3655 वयस्कों से पूछताछ के आधार पर सर्वे रिपोर्ट तैयार की गई है। सर्वे में पाया गया कि 66% कर्मचारी बॉस को उनके सहकर्मी के बीमार न होने के बाद भी गैरहाजिर रहने की जानकारी को छुपाते हैं।
कंपनी नहीं, लोग बॉस को अलविदा कहते हैं
एक व्यावसायिक मनोवैज्ञानिक हेले लुईस ने बताया कि अक्सर कर्मचारी ऐसा अपने बॉस को यह जताने के लिए बीमारी का बहाना बनाते हैं कि उन्हें एक ब्रेक की आवश्यकता है। यदि उनके बॉस से संबंध खराब है, तब कर्मचारी कम ही सच बताते हैं। लुईस कहती है कि लोग किसी कंपनी को नहीं छोड़ते हैं बल्कि वे अपने बॉस को अलविदा कहते हैं। कर्मचारी अपने बॉस के व्यवहार से भी प्रभावित हो सकते हैं।
नाराजगी से बचने के लिए बहाना
हेले लुईस के मुताबिक,कर्मचारी किसी मॉडल की तरह अपने बॉस को फॉलो करते हैं। यदि बॉस ब्रेक नहीं ले रहा है और वहलंच टाइम में भी अपने टेबल पर ही भोजन कर रहा है तो यह जताने की कोशिश है कि बाकी कर्मचारी भी बॉस को फॉलो करें। इससे कर्मचारी बॉस के हिसाब से काम करने लगते हैं। लेकिन जब उसे ब्रेक लेने की इच्छा होती है तो उसे बॉस की नाराजगी से बचने के लिए बहाना बनाना पड़ता है।
55 से अधिक उम्र वाले कर्मचारी कम साथ देते हैं
ऑफिस में पुरुष बॉस यदि महिला कर्मचारी को गलत तरीके से छू रहा है तो 34 से कम उम्र वाले कर्मचारी बुजुर्ग कर्मचारी की तुलना में दोगुना विरोध करते हैं। यदि सीनियर व्यक्ति युवा सहकर्मी पर यौन टिप्पणी कर दे तो 70 प्रतिशत युवा महिला के साथ खड़े हो जाएंगे। जबकि 55 की उम्र पार करने वाले कर्मचारियों में आधे से भी कम महिला सम्मान के लिए साथ दे पाते हैं।
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कपल ने 37 हजार की फीट की ऊंचाई पर विमान में शादी की, एयरलाइन ने मुफ्त में इंतजाम किए
मेलबर्न. विमान में 37 हजार फीट की ऊंचाई पर एक कपल की शादी का मामला सामने आया है। न्यूजीलैंड की महिला और ऑस्ट्रेलिया के पुरुष ने सिडनी से ऑकलैंड जाने वाली कमर्शियल जेटस्टार फ्लाइट 201 में शादी की।
इस शादी का गवाह विमान के सभी पैसेंजर बने। एयरलाइन ने इस शादी के लिए कपल से कोई शुल्क नहीं लिया, बल्कि उनकी इच्छा के मुताबिक पूरा सहयोग दिया। सिडनी से टेक ऑफ होते ही दूल्हा-दुल्हन ने हवा में अपने प्यार का इजहार किया और साथ रहने का वादा किया। फ्लाइट जैसे ही आधे रास्ते पर पहुंची शादी की रस्म अदा की गई।
दुल्हन ने कहा, "यह सबसे शानदार अनुभव रहा
शादी के बाद दुल्हन कैथी ने कहा, "यह सबसे शानदार अनुभव रहा। हम इसे पूरी जिंदगी याद रखेंगे। हमारी जान-पहचान 2011 में कम्प्यूटर गेम खेलने के दौरान हुई थी। दो साल बाद 2013 में मेरी मुलाकात सिडनी एयरपोर्ट पर डेविड से हुई थी। हवाई सफर के प्रति हमारा प्यार ही हमें एक साथ इस मुकाम पर लेकर आया। पहले डेविड ने ब्रिसबेन से मेलबर्न जा रही फ्लाइट में मुझे शादी के लिए प्रपोज करने की योजना बनाई थी, लेकिन झिझक की वजह से यह हो नहीं सका था। हालांकि, डेविड ने उसी शाम मुझे प्रपोज कर दिया था।
फेसबुक पोस्ट को जेट स्टार ने किया मंजूर
कैथी ने बताया, "वह अपनी शादी में कुछ यादगार करना चाहती थी। इसलिए उसने अपना आइडिया जेट स्टार की फेसबुक पेज पर पोस्ट किया। हम अपनी शादी को विमानन के प्रति, ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड और एक दूसरे के लिए प्रतीक के तौर पर यादगार बनाना चाहते थे। यह आइडिया जेट स्टार ने स्वीकार कर लिया और बिना पैसे के लिए सारे इंतजाम कर दिए।"
यात्रियों को ई-मेल से जानकारी दी थी
इस मौके पर जेट स्टार क्रू मेंबर रॉबिन हॉल्ट ने कहा, यात्रियों ने डेविड और कैथी की शादी को एन्जॉय किया। इसकी जानकरी फ्लाइट में सफर कर रहे सभी यात्रियों को यात्रा के पहले ई-मेल के जरिए दी थी। उन्हें यह ऑफर भी किया गया था कि यदि वह अपनी फ्लाइट बदलना चाहें तो बदल लें। इसके लिए उनसे कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाएगा।
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Essel Propack hits record high, surges 41% in 2 weeks on strong Q2 results
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There's greater comfort in owning pvt banks: Deepak Jasani, HDFC Securities
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Commodity outlook by Tradebulls Securities:Buy crude, natural gas
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Derivatives strategy on Havells by Nandish Shah of HDFC Securities
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Top stock recommendations by Anand Rathi: Buy Lupin, Zensar Tech
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बर्फ की चादर से ढके टूरिस्ट डेस्टिनेशंस, यहां एंजॉय कर सकते हैं विंटर वेकेशंस
लाइफस्टाइल डेस्क. सर्दियां शुरु हो चुकी हैं, अगर आप भी बर्फबारी में एडवेंचर एक्टिविटीज एंजॉय करना चाहते हैं तो विंटर डेस्टिनेशन का रुख कर सकते हैं। गुलमर्ग, कुल्लू-मनाली, धनौल्टी, मसूरी, कुफरी और औली जैसे डेस्टिनेशंस आपके टूर को यादगार बनाते हैं। विंटर वेकेशन के लिए चुनें अपना डेस्टिनेशन....
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सर्दियों के मौसम में गुलमर्ग में हर तरफ बर्फ ही बर्फ दिखती है। यह डेस्टिनेशन स्कीइंग करने वालों की खास पसंद है। खिलनमर्ग, गुलमर्ग के आंचल में बसी एक खूबसूरत घाटी है, जो गुलमर्ग से केवल 4 किमी दूर है। सैलानी यहां वादियों कि सैर करते पहुंचते हैं। यहां क्लब पार्क, जो कि पहलगाम का सबसे पुराना पार्क है, वह बेहद खूबसूरत है। साथ ही एरु विलेज, लिड्डर वैली-कैंपिंग साइट, बेताब वैली भी खास हैं। गुलमर्ग का फिल्मों से भी नाता है। पॉपुलर शूटिंग लोकेशंंस भी यहीं हैं। 1973 में आई फिल्म बॉबी का गीत 'अंदर से कोई बाहर न आ सके" गुलमर्ग में ही फिल्माया गया था। फिल्म "जब तक है जान', ये जवानी है दीवानी जैसी फिल्में यहां शूट हो चुकी हैं।
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बर्फ से जमी हुई झीलें। बर्फ के मैदानों पर स्नोबोर्डिंग का मजा। कुछ ऐसा ही नजारा होता है कश्मीर के सोनमार्ग का। अगर आप स्नो लवर हैं तो आप को सोनमर्ग पसंद आएगा। सोनमार्ग दुनिया के सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। यहां के पहाड़ बर्फ की चादर ओढ़े रहते हैं। यहां की 2.7 किलोमीटर लंबी गंगाबल झील, युस्मर्ग (फेमस पिकनिक स्पॉट), बालटाल वैली और खीर भवानी टेंपल देखने के लिए खास स्थान हैं।
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उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से 125 किलोमीटर दूर मुनस्यारी में भी हर साल अच्छी बर्फबारी होती है। नवंबर से जनवरी के बीच बर्फबारी का मजा लेने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। गोरी गंगा नदी किनारे स्थित इस जगह की खूबसूरती लाजवाब है। वहीं बर्फबारी के लिए हिमाचल प्रदेश का कुल्लू-मनाली भी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। एडवेंचर लवर्स के लिए यह बेहतरीन जगह है। हनीमून डेस्टिनेशन के तौर पर भी यह काफी पॉपुलर है।
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सर्दियों में मसूरी आपके लिए अच्छा ऑप्शन हो सकता है। अकेलेपन की तलाश करने वाले और हनीमून कपल के लिए सबसे बेहतर विकल्प केमल्स बैक की सड़कों पर चहलकदमी करना हो सकता है। धनौल्टी भी खूबसूरत हिल स्टेशन है, जो कि मसूरी से 24 किलाेमीटर दूर और चंबा से करीब 31 किमी दूर है। देवदार के जंगलों से घिरे इस स्थान की पहचान भी ये जंगल ही बन गए हैं। यह शांत और प्रकृति से परिपूर्णस्थान आपको आकर्षित करेगा।
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नैनीताल को झीलों का शहर भी कहा जाता है। अगर झील की खूबसूरती के साथ स्नोफॉल के नजारे देखना चाहते हैं तो नैनीताल एक बेहतर विंटर डेस्टिनेशन है। बर्फ की चादर देखने के लिए रोपवे का सहारा ले सकते हैं।यहां आप किसी भी मौसम में आ सकते हैं। यहां बर्फबारी का आनंद लेना आप के लिए एकदम नया अनुभव होगा। यहां की नैनी झील में आसपास के सारे पहाड़ों का रिफ्लेक्शन पड़ता है, जिससे पानी बिल्कुल हरा दिखता है।
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हिमाचल प्रदेश में स्थित कुफरी एक पॉपुलर डेस्टिनेशन है। ठंड के मौसम में बर्फ की चादर ओढ़े यह शहर और भी खूबसूरत हो उठता है। इसे सर्दियों का हॉटेस्ट प्लेस कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान पर्यटक अपने स्कीइंग गीयर्स के साथ यहां पहुंचते हैं और एक-दूसरे पर बर्फ के गोले फेंकने व स्नोमैन बनाने के लिए तैयार रहते हैं। कुफरी हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में एक छोटा पहाड़ी स्टेशन है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 पर राजधानी शिमला से 20 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां स्की स्लोप्स से लोगों को उतरते देखना काफी रोमांचक होता है। हाइकिंग, स्कीइंग, खूबसूरत नजारे, देवदार के लंबे पेड़ों की मीठी सुगंध व ठंडी-ठंडी बहती हवाएं यह सब आपको कुफरी में मिलेगा। यहां स्थित हिमालयन नेचर पार्क को कुफरी नेशनल पार्क भी कहा जाता है। यह पार्क 90 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इस पार्क में 180 प्रजातियों के पक्षी और पहाड़ी वन्यजीव निवास करते हैं।
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उत्तराखंड का शहर औली सर्दी के मौसम में ड्रीमलैंड की तरह दिखाई देता है। नवंबर-दिसंबर माह में जब यहां पर बर्फ की मोटी परत जम जाती है तो स्कीइंग के शौकीन लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। स्कीइंग के शौकीन लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। बर्फीले मौसम में यह खासतौर पर लोगों की सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है। इसके खूबसूरत नजारे पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। देवदार के बड़े-बड़े वृक्ष ठंडी हवाओं में अपनी खुशबू बिखेरते हैं। औली से आप नंदा देवी, माना पर्वत जाकर भी वहां की खूबसूरती का लुफ्त उठा सकते हैं। औली से जोशीमठ जाने के लिए भी ट्रिप प्लान की जा सकती है। यहीं आदि शंकराचार्य ने ज्ञान प्राप्त किया था। बेस्ट स्कीइंग प्लेस औली स्कींग स्लोप्स को एशिया का बेस्ट ढलान माना गया है। एशिया की सबसे लंबी केबल कार औली में है जो 4 किमी की दूरी तय करती है। केबल कार को गोंडोला कहते हैं जिसमें चेअर लिफ्ट और स्की लिफ्ट की सुविधा उपलब्ध है। स्नो पैकिंग मशीन और स्नो बीटर की सहायता से इन ढलानों को नियमित रूप से समतल किया जाता है।
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Polycab India hits new lifetime high of Rs 950, surges 71% in three months
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Wednesday, 20 November 2019
Himadri Speciality extends fall on weak Q2 results, hits 2-year low
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1924 में कार्डबोर्ड और पंखे की मोटर से बना था पहला टीवी, 17 साल बाद पहला विज्ञापन प्रसारित हुआ
गैजेट डेस्क. आज वर्ल्ड टेलीविजन डे है।टीवी का सफर भले ही 95 साल पुराना हो, लेकिन यह आज अपने सबसे मॉडर्न अवतार में हमारे बीच है। 9 दशक पहले कभी भारी-भरकम डिब्बे के रूप में दिखने वाला इडियट बॉक्स आज हमारे बोलने भर से ही चैनल को बदलने में सक्षम है। 1924 में बक्से, कार्ड और पंखे के मोटर से तैयार हुई टीवी से लेकर स्मार्ट टीवी के बदलाव का सफर जितना लंबा है, उतना ही दिलचस्प भी। रेडियो के दौर में टीवी की शुरुआत ही विरोध के साथ हुई थी। समय के साथ लोगों में इसकी दीवानगीयूं बढ़ी कि भारत में ही 1962 में 41 टीवी सेट और एक चैनल से टीवी की शुरुआत हुई। 1995 तक आते-आते 7 करोड़ भारतीयों के घरों में टेलीविजन जगह बना चुका था।
भारत में कलर टीवी 1982 में पहुंचा। आलम यह था कि 8 हजार रुपए का टीवी 15 हजार रुपए में खरीदने को तैयार थे। नतीजा, सरकार ने 6 महीने में विदेश से 50 हजार टीवी सेट आयात कराए। संयुक्त राष्ट्र में सबसे पहले वर्ल्ड टेलीविजन डे21 नवंबर 1997 को मनाया गया। इस मौके पर जानते हैं टेलीविजन के सफर के कुछ दिलचस्प किस्से...
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टेलीविजन के आविष्कारक जॉन लोगी बेयर्ड बचपन में अक्सर बीमार रहने के कारण स्कूल नहीं जा पाते थे। 13 अगस्त1888 को स्कॉटलैंड में जन्मे बेयर्ड में टेलीफोन से इतना लगाव था कि 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना टेलीफोन विकसित किया। बेयर्ड सोचते थे कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब लोग हवा के माध्यम से तस्वीरें भेज सकेंगे। बेयर्ड ने वर्ष 1924 में बक्से, बिस्किट के टिन, सिलाई की सुई, कार्ड और बिजली के पंखे से मोटर का इस्तेमाल कर पहला टेलीविजन बनाया था।
टेलीविजन के रिमोट कंट्रोल का आविष्कार यूजीन पोली ने किया था। यूजीन पोली का जन्म 1915 में शिकागो में हुआ था। वे जेनिथ इलेक्ट्रॉनिक में काम करते थे। 1950 में रिमोट कंट्रोल वाला पहला टीवी बाजार में आया, इसका रिमोट तार के जरिए टीवी सेट से जुड़ा होता था। 1955 में पूरी तरह से वायरलेस रिमोट कंट्रोल वाले टीवी की शुरुआत हुई। -
दुनिया का पहला विज्ञापन 1 जुलाई 1941 को अमेरिका में प्रसारित किया गया। यह विज्ञापन घड़ी बनाने वाली कंपनी बुलोवा (Bulova) ने दिया था। इसे एक बेसबॉल मैच के पहले डब्ल्यूएनबीटी चैनल पर प्रसारित किया गया था। 10 सेकंड के इस विज्ञापन के लिए घड़ी कंपनी ने 9 डॉलर का भुगतान किया था।
इसे विज्ञापन में बुलोवा कंपनी की घड़ी को अमेरिका के मैप के साथ रख कर दिखाया गया था। मैप पर रखी इस दीवार घड़ी की तस्वीर के साथ कंपनी का स्लोगन अमेरिका रन्स फॉर बुलोवा टाइम की आवाज दी गई थी। -
मार्च 1954 में वेस्टिंगहाउस ने पहला कलर टीवी सेट बनाया। शुरुआती तौर पर इसके सिर्फ 500 यूनिट्स ही बनाए गए थे। इसकी समय इसकी कीमत करीब 6,200 रुपए थी। यानी कह सकते हैं कि उस समय यह आम लोगों की पहुंच से बाहर थी।
इसके कुछ समय अमेरिकन इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी आरसीए ने कलर टीवी CT-100 को पेश किया, कीमत लगभग 5 हजार रुपए थी। कंपनी ने इसके 4 हजार यूनिट तैयार किए थे। इसके बाद अमेरिकन कंपनी जनरल इलेक्ट्रॉनिक्स ने अपना 15 इंच का कलर टीवी पेश किया, जिसकी कीमत लगभग 5 हजार रुपए थी। -
इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग के छात्र बीशिवाकुमारन ने चेन्नई में हुए एक एग्जीबिशन में पहली बार टीवी को पेश किया था। यह एक कैथोड-रे ट्यूब वाला टीवी था। हालांकि इससे जरिए ब्रॉडकास्ट नहीं किया गया, लेकिन इसे भारत की पहली टीवी के तौर पर पहचान मिली। भारत में पहला टेलीविजन कोलकत्ता की एक अमीर नियोगी फैमिली ने खरीदा था।
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भारत में टेलीविजन के इतिहास की कहानी दूरदर्शन से ही शुरू होती है। दूरदर्शन की स्थापना 15 सितंबर 1959 को हुई थी। भले ही आज टीवी पर हजारों चैनल्स की भरमार हो लेकिन उस दौर में दूरदर्शन ने जितनी लोकप्रियता हासिल की उसे टक्कर दे पाना मुश्किल है। दूरदर्शन का नाम पहले 'टेलीविजन इंडिया' था। 1975 में इसका हिंदी नामकरण 'दूरदर्शन' के रूप में किया गया। शुरुआती दौर में दूरदर्शन पर हफ्ते में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटा ही प्रसारण हुआ करता था।
1959 में शुरू हुए दूरदर्शन का 1965 में रोजाना प्रसारण होना शुरू हुआ। 1986 में शुरू हुए रामायण और महाभारत जैसे सीरियल्स को देखने के लिए लोगों में इतना उत्साह रहता था कि इस दौरान हर रविवार को सुबह देश भर की सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर जाता था। कार्यक्रम शुरू होने के पहले न सिर्फ लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके अगरबत्ती और दीपजलाकर रामायण का इंतजार करते थे, बल्कि एपिसोड खत्म होने पर बाकायदा प्रसाद भी बांटते थे। -
5 जुलाई 1954 में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) ने पहली बार टेलीविजन पर डेली न्यूज बुलेटिन का प्रसारण किया गया। उस दौरान टीवी पर एंकर की बजाए सिर्फ फोटो और नक्शे ही दिखाई देते थे। तर्क यह था कि न्यूज एंकर का चेहरा देखने से समाचार जैसी गंभीर चीज से लोगों का ध्यान भटकता है। उस समय 20 मिनट के इस न्यूज बुलेटिन को रिचर्ड बैकर ने पढ़ा था। हालांकि इसके तीन साल बाद उन्हें स्क्रीन पर दिखने का मौका मिला था।
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अपने कद के मुताबिक चुनें वेडिंग ड्रेस, हेल्दी हैं तो फिटिंग का लहंगा पहनने से बचें
लाइफस्टाइल डेस्क. नानी-दादी की शादी की तस्वीरें, उनके परिधान और जेवरों को देखकर मुंह से ‘अहा’ निकल ही जाता है। यह जादू सदाबहार क्लासिक लुक का है। वैसा ही क्लासिक लुक पाने के लिए शादी के परिधान और जेवरों को बहुत ध्यान से चुनना जरूरी है। इसके अलावा दो और आधार हैं, जिनके बारे में शादी के मुख्य परिधान को तय करने से पहले सोचना चाहिए। पहला कि शादी के बाद के हर सुहाग पर्व या किसी बड़े अवसर पर आप उस परिधान को पहनना चाहेंगी और दूसरा, उसको अगली पीढ़ी को देना चाहेंगी। शादी के अवसर के परिधान चुनते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि प्रयोग करने या नए चलन को अपनाने के चक्कर में ऐसा न हो कि सात-आठ साल बाद अपनी ही शादी की तस्वीरें देखकर लगे कि यह क्या चुन लिया था।दूल्हा-दुल्हन के लिए शादी की तैयारियों में असली काम कपड़ों, जेवर व अन्य एक्सेसरीज की खरीदारी का होता है। विकल्प कई हैं, लेकिन कैसे चुनें, जो सही हो, इसके लिए चंद सुझाव दे रही हैं फैशन एक्सपर्ट अक्षरा दलाल...
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शादी के परिधान की खरीदारी करने जाते समय बहुत सारे लोगों के साथ न जाएं। शादी से कई महीने पहले ही अपना मुख्य परिधान न चुन लें। शादी के आस-पास के दिनों में लें। जरा भी अस्वस्थ हों, तो खरीदारी के लिए न जाएं। पीरियड्स के दिनों में पेट थोड़ा फूला रहता है और मन भी अच्छा नहीं रहता। इन दिनों में खासकर खरीदारी से गुरेज करें।
- बहुत सारे परिधानों को न आजमाएं। इससे असमंजस बढ़ेगा। जो बाज़ार बजट से बाहर हों, वहां न ही जाएं। वहां कुछ अच्छा लग गया, तो बजट बिगड़ेगा या मूड।
- लहंगा चुनते समय अपने व्यक्तित्व व शरीर के आकार का ध्यान जरूर रखें। साड़ी पहनने वाली हैं, तो बेहतरीन विचार है। अपने देश के हर राज्य की अपनी शानदार पारम्परिक साड़ियां हैं। बनारसी, कांजीवरम या घारचोला अपनी रेशमी चमक-दमक के कारण दुल्हनों की पसंद बनती हैं।
- शादी-रिसेप्शन के लिए अलग परिधान चुनें। फुटवेयर की हील मध्यम ऊंचाई की चुनें। डबल दुपट्टा इन दिनों चलन में है और हमेशा ही अच्छा लगता है। इसका चुनाव करते समय दोनों दुपट्टे डालकर देखें। तब ही लुक पूरा होगा और ड्रेस कैसी दिखेगी, यह समझ में आएगा। साड़ी के साथ भी दुपट्टे का मेल बैठा सकते हैं।
- कुंदन की जूलरी का चुनाव करें। इसमें चोकर हो या लंबे हार दोनों ही हमेशा जंचते हैं। दुल्हन के लुक में सोने के जेवर सबसे ज्यादा सजते हैं।
मेकअप- होंठ और आंखों का मेकअप खिलता हुआ हो। बाक़ी मेकअप सामान्य रखें। लिपस्टिक कन्ट्रास्ट या लहंगे (साड़ी) से मिलते-जुलते रंग की लगा सकती हैं। हमेशा चलने वाली में मैरून, गहरी गुलाबी, वाइन या ब्राउन लगा सकती हैं।
हेयर स्टाइल- चेहरे के मुताबिक हेयर स्टाइल बनवाएं। छोटा चेहरा है तो पफी हेयर स्टाइल रखें और बड़ा चेहरा है तो हाई बन, ब्रेडेड बन बनवा सकती हैं।
क्या करें, क्या न करें
- यदि छोटा कद है, तो बहुत घेरदार लहंगे का चयन न करें, न ही वेल्वेट जैसा कपड़ा चुनें। शिफॉन, जॉर्जेट ठीक होंगे। हैल्दी हैं तो फिटिंग का लहंगा पहनने से बचें।
- मंझोले कद की दुल्हनें भी बहुत बड़े मोटिफ वाले लहंगे या साड़ी न चुनें। छोटे बूटे अच्छे लगेंगे। बहुरंगा परिधान भी कद को छोटा दिखाता है। इसलिए एक-सा रंग या एकाध रंग का मेल रखें। साड़ी चुनते समय ध्यान रखें कि बॉर्डर बहुत चौड़े न हों।
- शादी के परिधान को आजमाकर देखा ही जाता है, तस्वीरें भी लें। इससे लुक, कपड़े के रंग का चेहरे पर असर और उसका फॉल पता लग जाएगा। सौ बात की एक बात, बहुत लकदक दुल्हन के लिए ठीक तो लगती है, लेकिन यादगार रूप के लिए परिधान के प्रकार, उसकी कारीगरी और जेवरों व मेकअप में संतुलन रखें।
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कई बार होता है कि लड़के अलग लुक की चाह में फंकी ड्रेस या कुछ ऐसा पहन लेते हैं, जो मौके से बेमेल होता है। शादी के मौके पर पहनावे में गलतियां न हो इसलिए हम कुछ सुझाव लेकर आए हैं।
शादी के परिधान-
शादी के कपड़ों में धोती-कुर्ता सदाबहार है। धोती के साथ सादा कुर्ता रोके, शगुन आदि रस्मों में जंचेगा और अगर शादी के लिए चुनना है, तो शेरवानी के साथ चुन सकते हैं। यदि कद अच्छा है तो शेरवानी के संग धोती फबेगी ही और सामान्य कद के हैं तो पजामा पहनें।साफा जंचता है-
जोधपुरी सूट, उस पर ब्रोच और एक माला के साथ सिर पर कलफ़दार साफे से दूल्हे के सजीलेपन में चार चांद लग जाते हैं। खासतौर पर लम्बे क़द के लड़कों पर यह खूब जमता है।पठानी सूट के रंग निराले-
मेहंदी-संगीत के लिए पठानी सूट की फबन बेहतरीन है। ये अच्छे शारीरिक गठन वाले दूल्हों पर जंचती है।नेहरू जैकेट-
रोके, सगाई और हल्दी जैसे पारम्परिक अवसरों पर सादे कुर्ते-पजामे पर नेहरू जैकेट पहनी जा सकती है। गुलाबी ठंड के दौर में यह परिधान अच्छा लगता है। जैकेट के लिए खिलता रंग चुनें। कुर्ता-पजामा सिल्क या सूती, एक से रंग का हो, तो ही जैकेट के साथ अच्छा लगता है।सूट के विकल्प हैं-
रिसेप्शन व कॉकटेल के लिए औपचारिक सूट चुन सकते हैं। बैचलर्स पार्टी और सगाई के लिए वेस्टकोट और रिसेप्शन के लिए टक्सेडो अच्छा विकल्प है।जूते ऐसे हों-
सूट आदि पहन रहे हैं तो सोबर जूते पहनें। शेरवानी या कुर्ते-पायजामे पर कॉन्ट्रास्ट में पॉइंटेड मोजड़ी पहनें। आगे से घुमावदार मोजड़ी भी जंचती हैं।शेव कैसी करें-
शादी-ब्याह के मौके पर क्लीन शेव हमेशा जंचता है। यदि दाढ़ी रखना चाहते हैं तो हल्की-सी ही रखें।क्या न करें
- शेरवानी का रंग अलग-सा न हो जो पहनने के बाद अजीब-सा लगने लगे। कढ़ाई बूटेदार है तो बूटे बड़े न हों। सामान्य कद वाले शेरवानी में धोती का चयन न करें। इससे कद कम लगता है।
- दिन के कार्यक्रम में गहरे और चटख रंग वाले परिधान न पहनें। रात के प्रोग्राम के लिए हल्के रंगों का चयन न करें।
- पगड़ी दो रंगों में न लें। इनका फैशन एक समय के बाद चला जाता है।
- मोजड़ी पॉइंट पर फ्लैट न हो। इसके अलावा हल्के रंग में भी न लें, जो परिधान के संग सामान्य-सी लगें।
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Market Wrap: Q2 numbers mostly on expected lines, MOFSL's Khemka
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Sebi approves stricter loan default disclosure norms for listed companies
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व्यक्ति ने 30 साल रोजाना सिगरेट पी, दोनों फेफड़े काले पड़े; ट्रांसप्लांट नहीं हो सके
बीजिंग. चीन के जिआंगसु के वूशी पीपुल्स अस्पताल के डॉक्टरों ने एक मृत व्यक्ति के फेफड़े ट्रांसप्लांट करने से मना कर दिया। दरअसल, व्यक्ति 30 साल तक रोजाना एक डिब्बी सिगरेट पीता रहा। इस कारण उसके फेफड़े काले पड़ गए थे।
डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया। कैप्शन में लिखा- क्या आप में अब भी धूम्रपान करने की हिम्मत है? यदि आप बहुत ज्यादा सिगरेट पीते हैं तो ट्रांसप्लांट के लिए आपके फेफड़े कभी भी स्वीकार नहीं किए जाएंगे।'
सबसे अच्छा धूम्रपान विरोधी विज्ञापन
डॉक्टरों द्वारा अपलोड किए गए वीडियो को 2.5 करोड़ लोगों ने देखा और अब तक का सबसे अच्छा धूम्रपान विरोधी विज्ञापन माना।
मरीज को सांस लेने में तकलीफ थी
नेशनल हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर पीटर ओपेंशॉ ने कहा, ‘मरीज के फेफड़े में सूजन थी। उसे सांस लेने में तकलीफ होती थी। ट्रांसप्लांट होने पर यह दूसरे मरीज को सांस लेने में परेशानी पैदा करता।’
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Goldprice dips Rs 10 to Rs 62,720, silver falls Rs 100 to Rs 74,900
The price of 22-carat gold also fell Rs 10 with the yellow metal selling at Rs 57,490 from Markets https://ift.tt/rpZGNwM
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उषाशी का संबंध एक ऐसे परिवार से हैं जहां अधिकांश लोग शिक्षक हैं। उन्होंने बचपन से अपने घर में पढ़ाई-लिखाई का माहौल देखा। वे 1986 में शादी के...
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साउथ इंडिया में थेनी के पास वेंकटचलपुरम में राधिका का जन्म हुआ। वे शादी के बाद दिल्ली आ गईं। एक शौक के तौर पर राधिका ने ट्रैवल फोटोग्राफी क...