Saturday, 26 September 2020

साइंस की दो रिसर्च कहती हैं कि परिवार में बेटी के जन्म लेने से पिता की उम्र 74 हफ्तों तक बढ़ जाती है, बिटिया साथ रहने से पूरा परिवार खुश रहता है

आज डॉटर्स डे है। साल में बेटियों के नाम एक दिन जो सितंबर के आखिरी इतवार को मनाया जाने लगा है। इस बार लॉकडाउन ने पूरे परिवार को प्रभावित किया। खासतौर पर बेटियों को बहुत ज्यादा। बेटियां घर की जान और शान होती हैं और उतनी संवदेनशील भी। इसी कारण घर की हर छोटी-बड़ी बात सबसे पहले समझ जाती हैं।

लॉकडाउन के दौरान बीस साल की मीना के पिता की नौकरी छूट गई। घर में अपने दो छोटे भाई-बहनों और माता-पिता के साथ रहने वाली मीना से जब घर के तंग हालात देखे नहीं गए तो उसने मास्क सिलना शुरू किए। उसने घर के आस-पड़ोस में ये मास्क बाजार से कम कीमत में दिए।

इस तरह मास्क बेचकर मिले पैसों से घर का खर्च चल पाया। जब लॉकडाउन खुला तो मीना ने मार्केट की कुछ दुकानों पर ले जाकर मास्क बेचने की शुरूआत की। आज मीना न सिर्फ घर का खर्च चला रही है, बल्कि अपने छोटे बहन-भाईयों की पढ़ाई का खर्च भी उठा रही है।

मास्क बनाकर मीना जैसी कई बेटियों ने लॉकडाउन के दौरान अपने परिवार की आर्थिक मदद की है।

पिछले कुछ सालों में भारतीय समाज में बेटियों को लेकर लोगों की मानसिकता में तेजी से बदलाव आया है। परिवार के बड़े फैसले उनकी मर्जी से लिए जाने लगे हैं। घर की आर्थिक स्थिति सुधारने में उनकी भूमिका अहम रही है। इन बेटियों ने अपनी मेहनत और हौसले के दम पर देश और दुनिया में कामयाबी हासिल की है। आज डॉटर्स डे के अवसर पर बात करें उस रिसर्च की जिससे ये पता चलता है कि परिवार में पिता की खुशियां बेटियों की वजह से किस तरह बढ़ती हैं:

पिता हमेशा खुद को बेटियों के साथ ज्यादा खुशहाल महसूस करते हैं।

पहली रिसर्च: बेटी के जन्म लेने से पिता की उम्र लगभग 74 सप्ताह बढ़ जाती है

पौलेंड की जेगीलोनियन यूनिवर्सिटी ने अपनी रिसर्च में ये दावा किया कि बेटी के जन्म लेने से पिता की उम्र लगभग 74 सप्ताह तक बढ़ जाती है, जबकि बेटे के जन्म लेने पर ऐसा कोई बदलाव नहीं होता है। इस रिसर्च में प्रेग्नेंसी के दौरान यह भी देखा गया कि पिता और बेटी का रिश्ता जन्म से पहले ही मां से ज्यादा मजबूत होता है।

यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पिता और बेटी के रिश्ते से जुड़े शोध में लगभग 4310 लोगों को शामिल किया। जिसमें 2147 मां और 2163 पिता थे।

अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन बायोलॉजी के अध्ययन में ये सामने आया कि बेटी के पैदा होने से पिता को भले ही फायदा होता हो, लेकिन मां के लिए ऐसा नहीं होता है। वहीं इस रिसर्च में ये भी पाया गया कि बेटी के घर में होने पर पिता की कार्यक्षमता बढ़ जाती है।

मां के साथ बेटियों की बेहतर बॉन्डिंग उन्हें आगे बढ़ाने में मदद करती है।

दूसरी रिसर्च: पिता बेटों के बजाय बेटियों के साथ ज्यादा खुश रहते हैं
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन जर्नल बिहेवियरल न्यूरो साइंस में प्रकाशित स्टडी के अनुसार जब एक बेटी अपने पिता के साथ होती है तो उनके ब्रेन के सिग्नल बेटे के साथ होने की तुलना में बिल्कुल अलग होते हैं। बेटियों की छोटी-छोटी बातें उन्हीं खुशियां देती है और वे खुद बेटियों के प्रति ज्यादा जिम्मेदार बन जाते हैं। पिता बेटों के बजाय बेटियों के सामने अपनी भावनाएं ज्यादा अच्छी तरह व्यक्त कर पाते हैं।

शोधकर्ताओं ने बेटियों का पिता के साथ बर्ताव देखने के लिए उनके दिमाग की एमआरआई भी की। ब्रेन स्कैनिंग के परिणाम से यह पता चला कि पिता बेटों के बजाय बेटियों के साथ ज्यादा खुश रहते हैं। वे खुद को बेटियों के ज्यादा करीब पाते हैं।

साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक बेटियों ने परिवार के सपोर्ट और अपनी मेहनत के बल पर समाज में एक खास मुकाम हासिल किया है।

हरियाणा के साइकोलॉजिस्ट डॉ. ब्रह्मदीप सिंधु के अनुसार, बेटियों ने परिवार के सपोर्ट और अपनी मेहनत के बल पर समाज में एक खास मुकाम हासिल किया है। लॉकडाउन से पहले सिर्फ लड़कियां ही नहीं बल्कि सभी के पास आगे बढ़ने के कई अवसर थे। लेकिन महामारी का विपरीत असर सभी पर हुआ है।

अगर बात लड़कियों की करें तो ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से उनकी फिजिकल एक्टिविटी कम हुई है। जिसका असर मोटापे के रूप में सामने आ रहा है। इससे बचने के लिए फिजिकल एक्टिविटी पर हर हाल में ध्यान दें। साथ ही घर से न निकलने की वजह से लड़कियों में भी बिहेवियरल चेंज देखने को मिला है। उनका परिवार के लोगों के साथ मन-मुटाव जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। इससे बचने के लिए जरूरी है कि परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताएं, एक्टिविटीज करें, खाना खाएं और खूब पॉजिटिव बातें करें।

बेटियों के बिना परिवार अधूरा है। वे पूरे परिवार को रोशन करने का दम रखती हैं।

मोबाइल या सोशल मीडिया के साथ कनेक्ट होने का समय तय करना भी जरूरी है। कई बार ये माध्यम भी आपके तनाव की वजह बन सकते हैं। वक्त के साथ तालमेल बैठाने के लिए आप कुकिंग जैसे कामों में खुद को व्यस्त रखने का प्रयास करें। इससे वक्त भी कटेगा और आप एक हुनर भी सीख पाएंगी।

बुजुर्गों को टेक सेवी बनाने में बेटियों ने उनकी खूब मदद की है।

लॉकडाउन में बेटी बनी परिवार का सहारा
लॉकडाउन के दौरान आम परिवारों की लड़कियों ने घर के कामों में मां का हाथ बंटाकर काम कम करने की कोशिश की। ऐसे कई परिवार हैं जहां बेटियों की वजह से मां और नानी-दादी ने इंटरनेट चलाना सीखा। सोशल मीडिया से घर के बुजुर्गों को कनेक्ट करने में बेटियों की अहम भूमिका रही है। अपने छोटे बहन-भाईयों को सुबह मेडिटेशन से लेकर शाम तक इंडोर गेम में व्यस्त रखने में भी बेटियों ने मदद की है।

लॉकडाउन में बेटियां ऑनलाइन जॉब करके परिवार का सहारा बनी हैं।

यहां उन बेटियों की तारीफ भी की जानी चाहिए जो निम्न मध्यम वर्ग या निम्न वर्ग की हैं और लॉकडाउन के चलते परिवार का खर्च चला रही हैं। एक ओर ये बेटियां ऑनलाइन जॉब कर परिवार की आय का जरिया बनीं, वहीं अपने छोटे-बड़े स्टार्ट अप के जरिये खास पहचान बनाने में भी ये सफल रही हैं।

मिथिलांचल के मधुबनी में आज हजारों की संख्या में बेटियां मिथिला पेंटिंग करके परिवार का सहारा बनी हैं। वे घर बैठे अपनी कला व हुनर से अच्छी खास कमाई कर रही हैं। इसी तरह बिहार के हरिहरपुर गांव की बेटियां गन्ने के तने से ऑर्गेनिक कपड़ा बनाकर विदेशों में नाम कमा रही हैं।



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Two research based on daughters claim that the birth of a daughter increases the age of father by 74 weeks, they are more happy to be with them.


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दिल्ली की कोमल 19 साल की उम्र में बनी गाइड, महामारी में की ट्रैवल कम्युनिटी की शुरुआत, अब टूरिज्म इंडस्ट्री में जेंडर गैप कम करने में जी-जान से जुटीं

कोमल दरीरा ये बात बहुत अच्छी तरह जानती हैं कि ऑटो रिक्शा वालों से मोलभाव करके पैसे कम कैसे करवाए जाते हैं। अगर दिल्ली में कोई विदेशी टूरिस्ट परेशान हैं तो उसका साथ कैसे दिया जा सकता है, उसे कौन से ऐतिहासिक स्थानों पर ले जाना चाहिए, टूरिस्ट के साथ बातचीत करने और उन्हें समझने की कुशलता ही कोमल को एक कामयाब गाइड बना सकी।

कोमल महज 19 साल की उम्र में इंटरपिड ट्रैवल की पहली वुमन अरबन एडवेंचर गाइड बनीं। वो भी तब जब वे इस जॉब के साथ अपनी पढ़ाई भी कर रहीं थीं। कोमल रोज लगभग 6 या 7 घंटे 10 लोगों को गाइड करने का काम करती हैं। वे हफ्ते भर इस काम को करते हुए कभी थकान महसूस नहीं करतीं। दिल्ली के भीड़-भाड़ वाले इलाके हों या शांत माहौल टूरिस्ट को गाइड करते हुए वे देखी जा सकती हैं।

कोमल रोज लगभग 6 या 7 घंटे 10 लोगों को गाइड करने का काम करती हैं।

जब कोमल ये यह पूछा जाता है कि अपनी गाइड जर्नी के दौरान कोई ऐसा अनुभव जो आपको डरा देने वाला हो तो वे दिसंबर 2015 की वो रात याद करती हैं जब वे एक ऑटो रिक्शा में बैठकर काम से निपटने के बाद घर जा रहीं थीं। तब रात के लगभग 10 बजे थे। ऑटो वाले ने कुछ दूर ले जाकर ऑटो रास्ते में रोक दी और उन्हें नीचे उतरने को कहा।

वे कहती हैं जब ''मैंने उससे वजह पूछी तो वह कहने लगा कि मुझे सिगरेट पीना है। दरअसल उस वक्त उसने शराब पी रखी थी। फिर वह जोर से चिल्लाने लगा और मैं ऑटो से उतर गई। वह बीच रास्ते में मुझे छोड़कर चला गया। मैं जिस जगह खड़ी थी, वहां से मेरा घर 15 किमी दूर था। सुनसान रास्ते को अकेले काटना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था।''

कोमल ने अपने ऑफिस या दोस्तों को फोन लगाया लेकिन किसी से बात नहीं हो पा रही थी। कुछ देर बाद इंटरपिड के मैनेजर से बात हो पाई। वह जल्दी ही कोमल के पास टैक्सी से पहुंचे और उसे घर तक पहुंचाया।

कोमल के करिअर को सफल बनाने में उनकी नानी का अहम योगदान रहा है।

उस वक्त कोमल को ये समझने में देर नहीं लगी कि अगर सही वक्त पर उनके मैनेजर ने मदद नहीं की होती तो उस रात उनके लिए 15 किमी का सफर करना कठिन था जहां उसके साथ कुछ भी हो सकता था।कोमल चाहे घर देर से पहुंचे या अपने काम की वजह से देर रात तक जागती रहे, उनका किसी ने हमेशा साथ दिया है तो वो 69 साल की उनकी नानी हैं।

कोमल अपनी नानी की तारीफ करते नहीं थकती। उन्हीं के सहयोग की वजह से कोमल अपने करिअर में सफल रही हैं। साथ ही अपनी कंपनी इंटरपिड को अपनी सफलता का श्रेय देती हैं जिसकी वजह से वे एक कॉन्फिडेंट लीडर बन सकीं।

अरबन एडवेंचर में अपने बेस्ट परफॉर्मेंस की वजह से उन्हें 'टॉप परफॉर्मर ऑफ द ईयर' अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। कोमल कहती हैं ''टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है जहां काम करते हुए मुझे अपने शहर के बारे में विदेशियों को बताने का मौका मिला। मैंने हर पल नए अनुभव किए और उनसे बहुत कुछ सीखा। जिंदगी को लेकर मेरा नजरिया बदलने में टूरिज्म का खास योगदान रहा है''।

कोमल को इस बात की खुशी है कि उनके गाइड के तौर पर काम करने के बाद दिल्ली में महिला गाइड की संख्या बढ़ी है।

26 की उम्र में वॉइस ऑफ इंडिया टूरिज्म और इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म स्टडीज यूनिवर्सिटी, लखनऊ की सबसे युवा गेस्ट स्पीकर बनीं। कोमल ने अपनी मेहनत के बल पर टूरिज्म के क्षेत्र में होने वाले जेंडर गैप को कम करने का प्रयास किया है। उन्हें इस बात की खुशी है कि उनके गाइड के तौर पर काम करने के बाद दिल्ली में महिला गाइड की संख्या बढ़ी है।

कोमल कहती हैं ''इस क्षेत्र में आने वाली हर लड़की से मैं कहना चाहती हूं कि मेल गाइड की तरह यह फीमेल गाइड के लिए भी एक यादगार लम्हा होता है जब वह गाइड बनकर अपने देश की धरोहर, सभ्यता और संस्कृति के बारे में टूरिस्ट को बताती हैं। इस काम को करके जो खुशी मिलती है, वो अद्भुत है।'' कोमल अपने काम को एक थैरेपी और हर पल कुछ सीखने का जरिया मानती हैं।

कोमल अपने घर में मां, दादी और कुछ टूरिस्ट के साथ।

कोमल को इस बात की खुशी है कि घर के हर बड़े फैसले उससे पूछकर लिए जाते हैं। जब कोमल के पापा से एक पड़ोसी ने ये पूछा कि आपकी लड़की गाइड का काम क्यों करती है? क्या आपके पास इतने पैसे नहीं थे कि उसे पढ़ा-लिखाकर आप डॉक्टर या इंजीनियर बनाते? तो उसके पापा ने गर्व के साथ कहा, ''मुझे उसके काम से इसलिए एतराज नहीं है क्योंकि वो खुद इस काम से खुश है।''

जब कोई कोमल की शादी के बारे में उनके मम्मी-पापा से बात करता है तो वे कहते हैं, ''कोमल हमारी बेटी नहीं, बेटा है। वो अपनी मर्जी से हर फैसला ले सकती है।'' अपने मम्मी-पापा का कोमल पर भरोसा देखकर उन्हें बहुत खुशी होती है। कोमल के लिए ये छोटी-छोटी सी बातें भी बहुत मायने रखती हैं।''

कोमल ने अपनी दोस्त सृष्टि के साथ मिलकर एक ट्रैवल कम्युनिटी की शुरुआत की है।

कोमल चाहती हैं कि पुरुष प्रधान मानी जाने वाली टूरिज्म इंडस्ट्री में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं आएं। यहां काम करने वाले वर्कर्स को लड़का या लड़की होने की वजह से नहीं बल्कि उनकी योग्यता के बल पर काम मिले। टूरिज्म कंपनीज को इस दिशा में प्रयास करने की जरूरत है ताकि अन्य क्षेत्र की तरह यहां भी महिलाओं का वर्चस्व हो।

टूरिज्म के क्षेत्र में काम करते हुए कोमल को इस बात का अहसास है कि यहां काम करने वाली महिलाएं किन दिक्कतों का सामना करती हैं। कोमल ने अपनी दोस्त सृष्टि के साथ मिलकर एक ट्रैवल कम्युनिटी की शुरुआत की है जिसे 'वुमन फॉर वर्ल्ड' नाम दिया है।

वे चाहती हैं उनके इस प्रयास से सारी दुनिया की महिलाओं की रियल स्टोरी लोगों के सामने आए। इससे अन्य महिलाओं को भी कुछ कर दिखाने की प्रेरणा मिलेगी।

कोरोना काल में कोमल टूरिज्म को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं।

अगर कोरोना काल के दौरान टूरिज्म इंडस्ट्री की बात हो तो ये हम सभी जानते हैं कि इस महामारी का विपरीत प्रभाव जिन क्षेत्रों में हुआ है, उसमें टूरिज्म इंडस्ट्री भी शामिल है। टूरिज्म इंडस्ट्री के जरिये रोजगार पाने वालों की नौकरी बचाने के लिए आप इस साल के अंत या अगले साल के लिए अच्छी होटल्स या टूरिस्ट स्पॉट्स में बुकिंग करें ताकि वहां काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी बच सके। इस वक्त जब आप सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घर में हैं तो वर्चुअल वर्ल्ड की सैर कर टूरिज्म के प्रति अपने साथ-साथ बच्चों की भी जानकारी बढ़ाएं।



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Delhi's gentle 19-year-old guide, travel community in epidemic 'Woman for the World' is trying to reduce the gender gap in the tourism industry


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Bullion refiner MMTC-PAMP launches buy-back, exchange offers for gold

For a nominal transaction fee, sellers can receive the maximum value of gold as a direct bank transfer or in the form of a gold bar with 9999, 999 and 995 purity, the bullion refiner said

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Mindtree co-founder, family sell 466,000 shares; holding down at 2.01%

The transactions were carried out by Krishnakumar N, wife Akila Krishnakumar and son Siddarth in multiple tranches between September 15-23, Mindtree said in a regulatory filing on Saturday

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भारत में 94.5% विवाहित महिलाओं को गर्भ निरोध के साधनों के बारे में जानकारी है, पर इस्तेमाल सिर्फ आधी ही कर पाती हैं - ऐसे ही 10 चौंकाने वाले फैक्ट्स

गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग से अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है। अनचाहे गर्भ से जहां माताओं को बच्चों के बेहतर देखभाल में मुश्किलें आती हैं, वहीं इससे माता व शिशु के स्वास्थ्य प्रभावित होने के ख़तरे भी बढ़ जाते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों में 21 करोड़ से अधिक महिलाएं अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं। लेकिन तब भी उनके द्वारा किसी गर्भ निरोधक साधन का उपयोग नहीं किया जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए बड़ी आबादी को जागरूक करने के लिए 2007 से हर वर्ष 26 सितंबर को विश्व गर्भ निरोध दिवस मनाया जाता है।



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World Contraception Day on 26th September. It is our mission to spread the word and raise awareness about contraception and Logo is Family Planning 2020.


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अमेरिका की ब्रिटनी वॉल्श ने 40 फीट दूर स्थित लक्ष्य को भेदने के लिए पैरों से तीर चलाया, 5.5 इंच के सर्कल में निशाना लगाकर गिनीज बुक में दर्ज किया नाम

तीरंदाजी के यूं तो कई मुकाबले देखे होंगे लेकिन पैरों से तीर चलाकर निशाना साधने का प्रदर्शन देखकर रोमांचित हो जाएंगे। वैसे तो यह कारनामा कई लोगों ने दिखाया, लेकिन सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़कर सबसे ज्यादा दूरी तक निशाना साधने का रिकॉर्ड अमेरिका में पोर्टलैंड ऑरगेन की ब्रिटनी वॉल्श के नाम पर है।

ब्रिटनी ने 31 मार्च 2018 में अपने दोनों हाथ एक पोल पर रखकर शीर्षासन की मुद्रा में पैरो से तीर चलाया। उसने 40.4 फीट दूर स्थित 5.5 इंच के सर्कल में परफेक्ट निशाना लगाकर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराया।

ब्रिटनी का कहना है इसके लिए कड़ी ट्रेनिंग, एकाग्रता, बैलेंस के साथ लचीला शरीर होना बहुत जरूरी है। कुछ समय से ब्रिटनी प्लेनेट हॉलीवुड और लॉस वेगास में द वेनेटियन में परफॉर्म कर रही हैं।

ब्रिटनी से पहले इनके नाम भी थे रिकॉर्ड
- 2012 में अर्जेंटीना की क्लोडिया गोमेज ने 18 फीट की दूरी पर निशाना साधकर नया रिकॉर्ड बनाया था।
- 2014 में कैलिफोर्निया की नैंसी सिपकर ने पुराने रिकॉर्ड तोड़ कर 20 फीट की दूरी तक निशाना साधकर नया रिकॉर्ड बनाया था। नैंसी ने मंगोलिया जाकर मंगोल के लोगों से कलाबाजियां सीखी।



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Brittany Walsh of America shot arrows with her feet to hit the target 40 feet away, aiming in a 5.5-inch circle and entered the Guinness Book.


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Friday, 25 September 2020

23 साल की एश्ना कुट्‌टी ने साड़ी के साथ स्नीकर्स में 'ससुराल गेंदा फूल' पर किया शानदार डांस, सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोग करने लगे तारीफ

हूप डांसर एश्ना कुट्‌टी द्वारा 'ससुराल गेंदा फूल' गाने पर किया गया डांस सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। जहां कुछ लड़कियों के लिए साड़ी पहनकर चलना भी मुश्किल होता है, ऐसे में एश्ना ने साड़ी में हूला हूप्प करते हुए डांस किया जो तारीफ के काबिल है।

24 सितंबर को एश्ना ने अपने डांस का यह वीडियो इंस्टाग्राम पर अपलोड किया था जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया। इस वीडियो को उनकी मां और जर्नलिस्ट चित्रा नारायणन ने ट्विटर पर रि-ट्वीट किया है। उन्होंने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘सुबह बहुत सारे वॉट्सऐप मैसेज के साथ उठी। मिलिए मेरी बेटी से, जिसने #sareeflow ट्रेंड पर डांस किया।’

एश्ना ने हूला हूप्प डांस करते समय मैरून कलर की साड़ी और स्नीकर्स पहने हैं। गुरूवार को इस वीडियो पर 2.6 लाख व्यूज आए। साथ ही इस पर बेशुमार लोगों के कमेंट्स आए जिन्होंने एश्ना के इस डांस मूव की जी भर कर तारीफ की। कई महिलाओं ने #SareeFlow के साथ साड़ी पहने हुए अपने फोटो भी शेयर किए।

एश्ना कुट्टी के इंस्टाग्राम पर 40,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने अपने किसी पोस्ट में #SareeFlow हैशटैग का इस्तेमाल किया है। उसने पहले भी वे हूप डांसिंग के अपने वीडियो साड़ी पहनकर अपलोड कर चुकी हैं।

एश्ना ने साड़ी फ्लो हैशटैग का इस्तेमाल करने की वजह बताते हुए कहा - ''साड़ी में हूप डांस करने का विचार मेरे मन में महीनों से था। इसे पहनकर डांस करके मैं कोई कामुक वीडियो नहीं बनाना चाहती थी, बल्कि यह दिखाना चाहती थी कि बिना किसी दबाव के साड़ी में आरामदायक महसूस करते हुए और खुशी के साथ मजे से डांस किया जा सकता है''।



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23-year-old Eshna Kutty did a great dance with Sari in 'Sasural Genda Phool' in sneakers, people started praising as soon as they went viral on social media


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Gold price jumps Rs 324 to Rs 50,824 per 10 gm, silver up by Rs 2,124

Silver prices also bounced back and gained Rs 2,124 to Rs 60,536 per kilogram from previous close of Rs 58,412 per kilogram

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Market Wrap, Sept 25: Here's all that happened in the markets today

On a weekly basis, both Sensex and Nifty declined nearly 4 per cent

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केट रूबिंस ने अंतरिक्ष में पहली बार डीएनए सीक्वेंसिंग की, अगले महीने लॉन्च होने वाले मिशन के अंतर्गत कोल्ड एटम लैब में करेंगी कार्डियो वेस्कुलर एक्सपेरिमेंट

नासा की एस्ट्रोनॉट कैथलीन रूबिंस को केट रूबिंस के नाम से जाना जाता है। केट को 2009 में नासा ने चुना था। रूबिंस ने अपने अभियान 48/49 पर पहला स्पेस फ्लाइट पूरा किया। साथ ही पहली बार अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक डीएनए सिक्वेंसिंग करने का कारनामा कर दिखाया। स्पेस में किसी लिविंग ऑर्गेनिज्म के डीएनए से जुड़ा यह काम अंतरिक्ष में इस दिशा में आगे किए जाने वाले कार्यों को प्रशस्त करता है।

केट ने मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री ली। उसने कैंसर बायोलॉजी में पीएचडी की डिग्री स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल बायोकेमेस्ट्री डिपार्टमेंट और माइक्रो बायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी विभाग से हासिल की।

फिलहाल वे स्पेस स्टेशन में फ्लाइट इंजीनियर के तौर पर ट्रेनिंग ले रही हैं ताकि 14 अक्टूबर 2020 में कजाकिस्तान में सोयूस एमएस-17 स्पेसक्राफ्ट का हिस्सा बन सकें।

वे 22 अक्टूबर को इस क्रू के धरती पर आने से पहले नासा के स्टेशन कमांडर क्रिस कैसिडी और कोस्मोनॉट्स आनाटोली ईवानिशिन को जॉइन करेंगी।

केट अगले माह होने वाले अंतराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के मिशन में स्पेस स्टेशन की कोल्ड एटम लैब में कार्डियो वेस्कुलर एक्सपेरिमेंट करेंगी।



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Kate Rubins did DNA sequencing for the first time in space, to do Cardio Vascular Experiment in Cold Atom Lab as part of mission to be launched next month


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Vakrangee hits 10% upper circuit on RBI's in-principle nod to set up BBPOU

Despite the 10 per cent surge on Friday, the stock has underperformed the market by falling 19 per cent in past three months, as against 7 per cent rally in the S&P BSE Sensex

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Camlin Fine surges 11% in one week after it starts production at Dahej unit

The company will produce Hydroquinone and Catechol, key raw materials for the business, at the lowest cost in the world at the Dahej facility, which shall benefit margins

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मायेला ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में बताया महिलाओं का बुरा हाल, कोरोना काल में उनके छोटे-मोटे काम बंद होने से बढ़ी मुश्किलें

16 साल की उम्र में यूनाइटेड नेशंस को संबोधित करने का अवसर ऑस्ट्रेलिया की एक स्टूडेंट और सोशल एक्टिविस्ट मायेला डेह को मिला है। मायेला ने 23 सितंबर की रात को यूनाइटेड नेशंस को दिए अपने संबोधन में कोरोना काल के दौरान महिलाओं की बदतर हालत को बयां किया। मायेला कहती हैं जब मैंने अपने दोस्तों को इस संबोधन के बारे में बताया तो उनमें से ऐसे कई दोस्त थे जिन्हें मेरी इस उपलब्धि पर यकीन नहीं हुआ।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में दुनिया भर के कई देशों की युवा लड़कियों और महिलाओं के साथ मायेला को भी यह अवसर प्राप्त हुआ। इस युवा लड़की ने एक सर्वे से प्राप्त नतीजों को अपने संबोधन के दौरान बताया।

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनी बात कहने का मौका मिलने से वे बहुत खुश हैं।

प्लेन इंटरनेशनल के सर्वे में ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, इक्वाडोर, यूथोपिया, घाना, इंडिया, मोजांबिक, निकारागुआ, स्पेन, फ्रांस और जांबिया की 7105 महिलाओं को शामिल किया गया। इन महिलाओं में कोरोना लॉकडाउन के दौरान मध्यम से लेकर उच्च स्तर की चिंता और तनाव देखा गया।

मायेला ने सोशल एक्टिविस्ट के तौर पर स्कूल के दिनों से काम करना शुरू कर दिया था।

मायेला कहती हैं ''मुझे मालूम है कि महामारी के दौरान हालातों को देखते हुए सरकार जरूरी कदम उठा रही है। लोगों की आर्थिक रूप से मदद भी की जा रही है। लेकिन यही वो वक्त है जब सदियों से खामोश रही महिलाओं को अपने हक के लिए आवाज उठाना चाहिए''।

मायेला ने अपने संबोधन में आस्ट्रेलिया की उन लड़कियों के बारे में भी बात की जो महामारी से पहले अपनी आर्थिक स्थित सुधारने के लिए छोटे-मोटे काम करती थीं। लेकिन कोरोना के बाद इनके पास ये काम भी करने के लिए नहीं हैं। इस युवा लड़की ने एक सोशल एक्टिविस्ट के तौर पर स्कूल के दिनों से ही काम करना शुरू कर दिया था। वे अपने प्रयास से हर हाल में महिलाओं की तरक्की चाहती हैं।



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Mayella told the UN General Assembly, that the epidemic is bad for women, reports of 7105 women living in 14 countries presented


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Cipla surges 5% on USFDA approval for dimethyl fumarate DR capsules

The drug, indicated for treatment of relapsing forms of multiple sclerosis, had annual US sales of US$3.8 billion as per IQVIA MAT July 2020.

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Granules India up 5% on USFDA approval for generic Aleve PM tablets

According to media reports, global private equity firms have expressed interest in acquiring a controlling stake in the company

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21 से 65 साल की महिलाओं को तीन साल में एक बार सवाईकल कैंसर की जांच और 50 साल के बाद हर 2 साल में मेमोग्राफी करानी चाहिए

अमेरिका की प्रिवेंटिव सर्विस टास्क फोर्स ने महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े खतरों को देखते हुए एक गाइडलाइन तैयार की है। इसके कब कौन सा टेस्ट कराएं इसका चार्ट भी जारी किया है। जानिए, कब-कौनसा टेस्ट करवाना चाहिए।

  • हड्डियों के घनत्व के लिए : 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र होने पर हड्डियों के घनत्व से जुड़ा टेस्ट एक बार जरूर कराना चाहिए।
  • ब्रेस्ट कैंसर : 50-74 वर्ष की महिलाओं को प्रत्येक 2 वर्ष में मेमोग्राफी जरूर करानी चाहिए।
  • सर्वाइकल कैंसर : 21 से 65 साल की महिलाओं को तीन साल में एक बार पीएपी टेस्ट जरूर कराना चाहिए।।
  • कोलोरेक्टल कैंसर : 50 से 75 वर्ष की महिलाओं को यह टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। इसके लिए कई टेस्ट विकल्प हैं।
  • डायबिटीज : यदि ब्लड प्रेशर 135/80 से अधिक अथवा हाई ब्लड प्रेशर के दवा लेती हैं तो डायबिटीज की जांच जरूर कराएं।
  • लिपिड प्रोफाइल : इसमें टोटल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल, एचडीएल और ट्राइग्लिसराइड शामिल है। 20 वर्ष के बाद करा सकते हैं
  • ब्लड प्रेशर : नॉर्मल रेंज 120/80 के बीच है तो 2 साल में एक बार। यदि 120/80139/89 के बीच है तो साल में 1 बार।

खुद को स्वस्थ रखने के लिए ये बातें ध्यान रखें

1. सुबह का नाश्ता जरूरी ये वजन नियंत्रित रखने में मदद करता है
ज्यादातर महिलाएं फैमिली मेम्बर्स की देखभाल करने में नाश्ता करना छोड़ देती हैं या इसे रेग्युलर नहीं लेतीं। ऐसा न करें। सुबह का नाश्ता एनर्जी देता है और वजन भी कंट्रोल में रहता है। नाश्ते में पोहा, उपमा, केला, सेब, संतरा जैसे फल और पनीर, दूध, सूखा मेवा भी ले सकती हैं। इनसे कैल्शियम और विटामिन डी मिलता है।

2. 30 मिनट की एक्सरसाइज जरूरी, पानी की बोतल वजन का विकल्प
हफ्ते में 3 दिन में 30 मिनट का एरोबिक वर्कआउट जरूरी है। यह इम्युनिटी बढ़ाता और फिट रखता है। 30 मिनट के वर्कआउट से पहले 10 मिनट का वार्मअप जरूर करें। एक्सरसाइज में स्ट्रेचिंग, स्कवॉट्स कर सकती हैं। अगर घर पर वजन उठाने के लिए कुछ भी नहीं है तो पानी की बोतल के साथ वर्कआउट कर सकती हैं।

3. बॉडी को एक्टिव रखें, पॉश्चर न बिगड़ने दें
बॉडी को एक्टिव रखने की कोशिश करती रहें। जैसे बहुत देर से टीवी देख रही हैं तो कुछ देर के लिए उठकर टहल लें। बैठते वक्त कमर को सीधा रखें। रीढ़ की हड्‌डी झुकाकर न तो चलें और न हीं बैठें।

4. मन को शांत रखें, प्राणायाम और योग को रूटीन का हिस्सा बनाएं

जितना शरीर का फिट रहना जरूरी है उतना अहम है मन का शांत होना। कई रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि कई बीमारियों की वजह मन का भटकाव, तनाव और बेचैनी है। इस पर काबू पाने के लिए अपने रूटीन में प्राणायाम, योग और ध्यान को शामिल करें। इससे मन को शांति मिलेगी।



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