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Saturday, 15 August 2020
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रतन के दिल का हाल जानकर मां का फैसला बयां करती कहानी 'अनुकम्पा', कोरोना काल में कामवाली बाई की हालत बताती शॉर्ट स्टोरी 'बचाव'
कहानी : अनुकम्पा
लेखक : मो. अशरफ
रतन के घर में दाख़िल होते ही हमेशा की तरह पिता माखन बाबू की चिक-चिक उसके कानों में पड़ी- ‘सारा दिन आवारागर्दी करना और घर आकर मुफ़्त की रोटी तोड़ना, बस यही काम रह गया है तुम्हारे जीवन में! कुछ तो सीखो अपने बड़े भाई से।’
रतन ने अपने बड़े भाई सुजीत की ओर देखा, उसके चेहरे के भाव भी रतन को दुत्कार ही रहे थे। बग़ैर कोई प्रतिक्रिया दिए रतन अपने कमरे में चला गया। ये इस घर का रोज़ का नाटक था। रतन चाहे देर आए या सवेर, माखन बाबू उसके ही इंतज़ार में बैठे रहते थे।
उसे खरी-खोटी सुनाते, फिर रतन अपने कमरे में और सब लोग अपने-अपने काम में लग जाते। फिर उसकी मां कमला चुपके से उसका खाना उसके कमरे में दे जातीं। अगले दिन फिर वही दिनचर्या। सुबह-सुबह सुजीत का दुकान के लिए निकल जाना, फिर माखन बाबू का ऑफिस के लिए, और निकलते वक़्त कमला को दो खरी-खोटी सुनाकर जाना।
एक दिन सुबह-सुबह मूसलधार बारिश हो रही थी और गली में बिजली के खंभे पर अब तक लाइट जलती देख माखन बाबू भुनभुनाते हुए बिना चप्पल-छाता के निकल गए, ‘अगर एक दिन भी मैं ये लाइट बंद न करूं तो सारा दिन जलती ही रहेगी। ऐसा लगता है, मोहल्ले में सिर्फ़ मैं ही रहता हूं।’
उन्होंने बिजली बंद करने की कोशिश की, परंतु बारिश की वजह से कहीं से करंट आ रहा था, लाइट तो नहीं बुझी, माखन बाबू हमेशा-हमेशा के लिए बुझ गए। उनका असमय काल के गाल में समाना सबको एक बड़ी विपदा दे गया।
सरकारी नौकरी में रहते हुए गुज़रने के कारण अनुकम्पा नियुक्ति तो दोनों भाइयों में से किसी एक को मिलनी ही थी। परंतु पेंच फंसा कि किसे मिले, क्योंकि नौकरी की सारी योग्यता दोनों ही भाई पूरी कर रहे थे। रतन ने तो पहले ही यह कहकर मना कर दिया कि भैया बड़े हैं, समझदार हैं, उन्हें ही करने दो।
फिर बात उठी कि सुजीत ने नौकरी की तो दुकान कौन संभालेगा? काफी सोच-विचार के बाद कमला की ज़िद पर यह फ़ैसला हुआ कि नौकरी रतन को, दुकान सुजीत को और माखन बाबू को मिलने वाला रिटायरमेंट का पैसा और मां को मिलने वाली पेंशन भी सुजीत को।
समय के साथ माखन बाबू वाला सारा भार रतन ने ले लिया। अपने जीवन के लिए अब उसके पास न तो समय बचता था और न ही पैसा। माखन बाबू के रहते हुए कुछ खरी-खोटी के बाद ही सही उसे पॉकेट ख़र्च मिल भी जाया करता था पर अब तो उतना भी नहीं।
तनख़्वाह मिलते ही वह सिर्फ़ आने-जाने का बस किराया अपने पास रखकर सारा पैसा मां को दे देता, कभी ज़रूरत पड़ती तो उन्हीं से मांग लेता। कमला अपने हिसाब से घर चलाती थीं, महीना ख़त्म होते-होते उनके पास कुछ भी नहीं बचता था, वह चाहकर भी रतन को अलग से कुछ पैसे नहीं दे पाती थीं।
इधर सुजीत दुकान से हुई आमदनी पहले भी ख़ुद ही रखता था, अब भी रख रहा था, मां की पेंशन के पैसे भी उसे अलग से मिलते थे। हंसी-मज़ाक़ करने वाला रतन हंसना भूल चुका था। कोई कह नहीं सकता था, यह वही रतन है जो देर रात को घर आता था और सुबह पिताजी के जाने के बाद सोकर उठता था।
समय के साथ सुजीत की शादी भी हो गई। एक पिता की तरह पूरी ज़िम्मेदारी के साथ रतन ने सुजीत की शादी करवाई। ऐसा लग रहा था मानो बड़ा भाई सुजीत नहीं रतन है। शादी के सारे मेहमान जा चुके थे, बस रमा रह गई थी। रात में पूरा परिवार साथ ही खाना खा रहा था, तभी रमा ने रतन से कहा, ‘अब बस तुम्हारी बारी है, कोई लड़की देख रखी है या वो भी हमें ही ढूंढनी होगी?’
‘अरे नहीं दीदी, अभी इतनी जल्दी कहां, अभी-अभी तो भैया की शादी हुई है।’ रतन ने शर्माते हुए कहा।
‘क्यूं? तुम्हें तो चुटकी में लड़की मिल जाएगी, बस तुम हां तो करो, पिताजी वाली सरकारी नौकरी है भाई, कौन नहीं देगा अपनी लड़की। कुछ भी कहो, फ़ायदा तो रतन को ही हुआ है, बग़ैर किसी मेहनत के सरकारी नौकरी मिल गई। वैसे ये हक़ तो सुजीत भैया का बनता था।’ रमा कुछ सोचे बिना ही बोल गई।
‘मैंने तो कहा ही था भैया को करने दो, पर मां की ही ज़िद थी।’ रतन ने संक्षिप्त में उत्तर दिया।
‘हां भाई! मां के तो तुम्हीं लाड़ले हो, बाक़ी हम दोनों भाई-बहन तो बस ऐसे ही हैं।’ इस बार रमा ने तंज़ कसा। ‘पर सुजीत भैया को एक नहीं तीन-तीन फ़ायदे हुए हैं। एक- पिताजी द्वारा करवाई दुकान, दूसरा- उनके रिटायरमेंंट के पैसे और तीसरा-पेंशन, बस मुझे ही कुछ नहीं मिला।’ रमा ने फिर छेड़ा।
‘सबकी मुझ पर ही नज़र है, इसे जो नौकरी मिली इसका क्या?’ सुजीत ने तेज़ आवाज़ में कहा। घर में आई नई-नवेली दुल्हन चुपचाप सब सुन रही थी।
‘नौकरी मिली तो क्या, निभा तो रहा हूं सबको, दिन-रात पिताजी वाली नौकरी, पिताजी वाली नौकरी सुन-सुनकर मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया है। नौकरी तो मिल गई परंतु बदले में मेरी सुख-शांति सब ख़त्म हो गई है। ख़ुद के लिए पैसे तो दूर, समय तक नहीं बचता है। रमा दीदी की शादी का लोन अब तक चल रहा है।’ रतन ने ग़ुस्से में कहा।
‘अब पिताजी वाली नौकरी तुम्हें मिली है तो तुमको ही करना पड़ेगा।’ रमा ने बग़ैर किसी अफ़सोस के कहा।
‘तो फिर मुझे क्या मिला दीदी? सबको लगता है कि पिताजी वाली नौकरी मिल गई है, पर फिर सब पिताजी वाली उम्मीद भी तो लगाए बैठे रहते हैं, अपने लिए तो कुछ भी नहीं बचता है मेरे पास। इतना कुछ करने के बाद भी अगर आप लोगों को लगता है कि आप लोगों के साथ ग़लत हुआ है और मेरेे नौकरी छोड़ देने से सब ठीक हो जाएगा तो मैं ये नौकरी छोड़ने को तैयार हूं।’
‘नौकरी छोड़ दोगे तो घर कैसे चलेगा?’ रमा ने पूछा।
‘मां के पेंशन के पैसे हैं न... मां भैया के साथ रह जाएगी... मैं ख़ुद के लिए कुछ न कुछ कर लूंगा, इन सब झंझटों से कहीं दूर चला जाऊंगा।’ रतन ने अपनी बात रखी।
‘सबके हिस्से के पैसे मारकर रखे हों तो हम सब तो झंझट ही लगेंगे न!’ सुजीत ने ताना मारा। इतना सुनना था कि रतन खाना छोड़ अपने कमरे में चला गया।
‘अगर नौकरी छोड़ देगा तो लोन के पैसे कौन भरेगा?’ रतन के जाने के बाद सुजीत ने सबके बीच अपना सवाल रखा।
‘क्यों? तुम्हारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती है?’ कमला ने गु़ुस्से से पूछा। ‘तेरे पिताजी ने तुम्हें दुकान करके दी, उनके रिटायरमेंट के पैसेे तुम्हें मिले, मेरी पेंशन के सारे पैसे तुम्हें मिलते हैं, तुम्हारी भी तो ज़िम्मेदारी बनती है कि अपनी बहन के लिए कुछ करो।
तुम्हारी शादी हुई, एक पैसा नहीं मांगा तुमसे, कल को तुम्हारा परिवार बढ़ेगा, अगर घर के ख़र्च में तुम हाथ नहीं बंटाओगे तो इस तरह से कैसे चलेगा!’ कमला का ग़ुस्सा जारी था। उन्होंने रतन का खाना उठाया और उसके कमरे में चली गई । ‘उठ, खा ले,’ कमला ने रतन के सर को सहलाते हुए कहा।
‘आज पिताजी की बहुत याद आ रही मां।’ रतन अपनी सिसकियां दबाते हुए बोला, "अब समझ में आता है कि पिताजी हमेशा ग़ुस्से में क्यों रहते थे। वह तो अपना सारा ग़ुस्सा मुझ पर निकाल लेते थे पर मैं तो सबसे छोटा हूं, मैं अपना ग़ुस्सा किस पर निकालूं?'
‘तुम्हें ग़ुस्सा करना है न, मुझ पर कर लिया कर। तेरे पिताजी के ग़ुस्से की मुझे तो आदत हो गई थी, मेरे ऊपर ग़ुुस्सा करेगा तो लगेगा तेरे पिताजी अब भी मेरे आस-पास हैं। चल उठ, खाना खा ले।’ कमला की आंखें भी डबडबा गईं।
‘आप पर क्या ग़ुस्सा करना मां, आप कहती थीं न कि मैं तो आपका बोनस बेटा हूं, आपने तो बस दो बच्चों का ही सोचा था, पिताजी की ज़िद पर मैं इस दुनिया में आया। याद है, बचपन में हमेशा आप पापा से कहती थीं कि सुजीत के लिए अच्छी क़िस्म का कपड़ा लाइएगा, कपड़े अच्छे होंगे तो ज़्यादा दिन चलेंगे ताकि वही कपड़े सुजीत को छोटे होने पर रतन भी पहन सके।’
हर साल भैया की स्कूल ड्रेस, उनकी किताबें, बैग, उनकी छोड़ी हुई हर पुरानी चीज़ मुझे थमा दी जाती थी। भैया के लिए सब नया आता था, मेरे लिए कभी कुछ नया नहीं आया मां, किसी ने कभी पूछा तक नहीं कि तुम्हें भी कुछ चाहिए।
सारा प्यार, सारा दुलार तो सुजीत भैया के लिए था, मेरे हिस्से में तो कभी कुछ आया ही नहीं। उनके कपड़ों में भी मैं कभी फिट नहीं बैठा, वो ठहरे मोटे गोल-मटोल और मैं दुबला-पतला, फिर भी मुझे वो कपड़े पहनने पड़ते थे। मैं तो कहीं पर था ही नहीं मां, फिर ये नौकरी मेरे हिस्से कैसे आ गई और क्यों आ गई?
ये भी भैया को दे देतीं। सिर्फ़ नौकरी नहीं, मेरा बचपन और अब ये मेरा जीवन भी अनुकम्पा पर ही गुज़र रहा है। मैं आज भी इस घर में फिट नहीं बैठ रहा हूं, आप ही कुछ रास्ता बताओ मां।’
रतन की बातों ने कमला को एकदम नि:शब्द कर डाला, गहरी सांस लेते हुये बोलीं, ‘उठ खाना खा ले, रमा के जाने से पहले मैं कोई रास्ता निकालती हूं।’ उनकी आवाज़ भर्रा चली थी। कमला की नींद ग़ायब थी। आज वो सब सुना जिस पर उनका कभी ध्यान ही नहीं गया।
बचपन से लेकर आज तक इतना कुछ इसके अंदर भरा पड़ा था, बेरोज़गारी में और इनके हमेशा डांटते रहने पर भी यह नहीं टूटा पर घर के हालात ने इसे तोड़ दिया। कुछ तो हल निकालना होगा, वरना यह दशा भयावह रूप ले लेगी।
सुबह पूरा परिवार फिर साथ में नाश्ता कर रहा था। रात की घटना की वजह से माहौल एकदम शांत था। कमला ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, ‘बहुत सोचने के बाद मैंने कुछ फ़ैसला किया है...’ उन्होंने बात अधूरी छोड़ दी इस उम्मीद में कि कोई प्रतिप्रश्न करेगा, पर किसी ने कोई सवाल नहीं किया।
वह पूरी दृढ़ता से बोलीं, ‘मैंने फ़ैसला किया है कि रमा की शादी के लोन का भुगतान मेरी पेंशन के पैसों से होगा और घर का आधा ख़र्च सुजीत और आधा रतन उठाएगा।’ फिर थोड़ा रुककर कहा, ‘अगर किसी को कोई परेशानी है तो अभी ही खुलकर कह दे।’
सब ख़ामोशी से नाश्ता कर रहे थे, किसी ने कुछ नहीं कहा। शायद किसी को कोई परेशानी नहीं थी, शायद...!
लघुकथा : बचाव
लेखिका : अदिति कंसल
दोषी होने के लिए किसी ख़ास वर्ग या हैसियत की ज़रूरत नहीं होती।
‘अरे दूर रख अपने बच्चे को। जब इतनी ज़ोर से खांस-छींक रहा है तो क्यों लाई साथ। देख मेरे सन्नी की नाक भी बहने लगी। तुम अनपढ़ों की यही दिक़क़त है।
जानती नहीं आजकल कोरोना वायरस फैला हुआ है। बचाव ही इसका इलाज है। तेरे बच्चे के कारण मेरे सन्नी को भी कहीं कोरोना का संक्रमण न हो गया हो!’
ऑफिस से वापस आते ही पर्स सोफे पर धरती हुई मिसेज भल्ला अपनी नौकरानी पर टूट पड़ीं।
‘क्या करूं मालकिन, बच्चे को कहां छोड़कर आती। वह भी रोज़ दिहाड़ी लगाने जाते हैं। माफ़ कर दो मालकिन।
मेरे बच्चे के कारण सन्नी की तबीयत भी ख़राब हो गई। मालकिन मैं तो ग़रीब हूं। मेरे बच्चे का भी इलाज करवा दो तो बड़ी मेहरबानी होगी।’
‘रुक जा, अभी सन्नी के पापा को फोन करती हूं, दोनों को अस्पताल ले जाएंगे।’
अस्पताल में दोनों बच्चों की जांच की गई। रिपोर्ट आई, तो सन्नी को करोना से संक्रमित पाया गया तथा नौकरानी के बच्चे का टेस्ट नेगेटिव आया।
‘आप ठीक कह रही थीं मालकिन। अब मैं अपने बेटे को किसी के घर नहीं ले जाऊंगी। सचमुच, बचाव में ही इलाज है। सन्नी का ख़्याल रखना मालकिन।’ कहते-कहते नौकरानी अपने बेटे को गोद में समेटे हुए चल दी।
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एक जैसे नाश्ते को बदलने के लिए ट्राय करें मसाला इडली, गोभी साग और इमली की चटनी से मेहमानों को करें इम्प्रेस
खाने का एक जैसा टेस्ट अच्छा होने के बावजूद ऊब पैदा कर सकता है। अगर आप एक जैसा खाना खाकर बोर हो गए हैं तो घर में बनने वाले नाश्ते या खाने में थोड़ा सा बदलाव करके देखें। ये चेंज आपके साथ-साथ बच्चों को भी पसंद आएगा।
विधि :
- पैन में मध्यम आंच पर तेल गर्म करें। इसमें प्याज़ और हरी मिर्च डालें। हल्का-सा नमक छिड़ककर कुछ देर भूनें। अब अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर 30 सेकंड तक भूनें। इसे तब तक पकाना है जब तक कच्चे लहसुन की महक ख़त्म न हो जाए।
- इसमें टमाटर डालकर मुलायम होने तक पकाएं। अब दो बड़े चम्मच पानी मिलाएं। इसमें स्वादानुसार नमक, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और सांभर मसाला डालकर अच्छी तरह से मिलाएं और कुछ देर पकाएं।
- अब इसमें कटी हुई इडली डालकर अच्छी तरह से मिलाएं, ताकि मसाला इसमें लिपट जाए। ऊपर से कटा हरा धनिया मिलाएं।
विधि :
- गोभी के पत्तों को अच्छी तरह से धोकर 5-10 मिनट तक उबालें। इस बीच मूंगफली, लहसुन और हरी मिर्च बारीक पीसकर पेस्ट तैयार कर लें। अब कड़ाही में तेल गर्म करें और राई तड़काएं।
- इसमें छिला और कटा हुआ बैंगन डालकर 2 मिनट तक पकाएं। गोभी का साग डालकर 2 मिनट तक भूनें। फिर कटे हुए टमाटर और नमक डालकर चलाएं। फिर ढंककर 10 मिनट तक पकाएं।
- अब इसमें मूंगफली, लहसुन और हरी मिर्च का पेस्ट मिलाएं। 15 से 20 मिनट तक इसे पकाएं। तैयार साग रोटी या चावल के साथ परोसें।
विधि :
इमली के बीज और रेशे अच्छी तरह से अलग कर गूदा निकाल लें। इमली समेत चटनी की सारी सामग्री मिक्सर जार में बारीक पीस लें। तैयार इमली की चटनी स्नैक्स या चावल के साथ परोसें।
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बच्चों में बचपन से डालें अच्छी आदतें, उसे रोज एक पेज पढ़ने को कहें, अपने डॉगी की देखभाल का जिम्मा देकर उसे बनाएं होनहार
बच्चे की इस दुनिया के लिए तैयार होने की प्रक्रिया स्कूल जाने के बाद शुरू नहीं होती, बल्कि बचपन से ही आरंभ हो जाती है। वह जो देखता है, सुनता है, उसको समझने और सीखने भी लगता है।
इसलिए उसके कच्चे मन की मिट्टी में उन गुणों को रोपें, जिनकी छाया में उसका ही नहीं, उससे जुड़े लोगों का जीवन भी सुखमय हो जाए।
बच्चों का भविष्य आज पर निर्भर करता है। अगर उन्हें अभी से शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करेंगे, तो आगे चलकर वे हर चुनौती का सामना आसानी से कर सकेंगे।
इसके अलावा भविष्य में वे कैसे इंसान बनकर उभरते हैं, ये भी आज पर निर्भर करता है। बच्चों को रोज़ाना कुछ ऐसे अभ्यास कराएं, जिनसे दिमाग़ तेज़ होगा, शारीरिक रूप से मज़बूत बनेंगे और अच्छे इंसान बनकर उभरेंगे। इसके लिए तैयारी आज ही से शुरू करनी होगी।
नैतिक कहानियां सुनाएं
अगर बच्चों में शुरू से ही अच्छे संस्कार डाल दिए जाएं, तो आने वाले समय में वे बेहतर इंसान बनकर उभरते हैं। वे अच्छी भावनाएं रखें, सही और ग़लत में अंतर समझें, इसके लिए उन्हें नैतिक कहानियां सुनाएं।
शिशुकाल से ही रोज़ एक कहानी की आदत डालना शुरू करें। उन्हें कहानियां पढ़कर सुनाने से उनकी सुनने की क्षमता बढ़ेगी और वे बेहतर श्रोता भी बनेंगे। जब वे बड़े हो जाएं, तो उन्हें पढ़कर सुनाने के लिए कहें जिससे उनमें अच्छे वक्ता के गुण भी आएंगे।
रोज़ पढ़ने का नियम बनाएं
बच्चे को रोज़ाना किताब का एक पन्ना पढ़ने के लिए कहें। इसके लिए हिंदी और अंग्रेज़ी, दोनों ही भाषा चुनें। आजकल अधिकांश बच्चे अंग्रेज़ी आसानी से पढ़ लेते हैं, लेकिन हिंदी पढ़ने में अटकने लगते हैं। इसके विपरीत कुछ बच्चे अंग्रेज़ी के शब्दों में अटक जाते हैं। इसलिए ये दोनों ही भाषाएं ज़रूरी हैं।
नियम से एक पेज अंग्रेज़ी और एक पेज हिंदी का पढ़ने के लिए कहें ताकि ये दोनों भाषाएं उन्हें आसान लगें। अगर हो सके तो एक पन्ना संस्कृत का भी जोड़ लें। ये केवल भाषा ज्ञान के लिए नहीं है, बेहतर उच्चारण और मज़बूत समझ के लिए भी है।
प्रेम और सहानुभूति जगाएं
रोज़ाना बच्चों के साथ मिलकर गाय या अन्य पशुओं को भोजन खिलाएं। उन्हें प्रेम करना सिखाएं। पौधे लगाने, पानी देने और पेट की देखभाल में बच्चों को शामिल करें। इनसे उनमें प्रेम, सहानुभूति और देखभाल की भावना विकसित होगी। अगर घर में पालतू है तो उसकी देखभाल की ज़िम्मेदारी बच्चे के साथ बांट सकते हैं।
संस्कृति के बारे में बताएं
बच्चों के लिए अपनी देश की विविधताओं को जानना बेहद ज़रूरी है। सिर्फ़ ज्ञान के लिए ही नहीं बल्कि सभ्यता और संस्कृति को समझने के लिए भी यह जरूरी है। विभिन्न राज्यों की लोक से जुड़ी एक कहानी रोज़ाना बच्चे को सुनाएं।
अगर आपको लगता है कि वह ऊब रहा है, तो इसे नाटकीय तरीक़े से दिलचस्प बनाकर सुना सकते हैं। इसके अलावा उन चीज़ों को भी शामिल कर सकते हैं जो इतिहास बन चुकी हैं, जैसे- पुराने सिक्के, पोस्टकार्ड, स्टेम्प आदि। इंटरनेट के ज़रिए उन्हें तस्वीरें भी दिखा सकते हैं। बच्चों की जानकारी जितनी ज़्यादा होगी, वो उतने ही बेहतर बनेंगे।
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पत्नी की याद में मोम की प्रतिमा बनाई, उसके साथ ही नए घर में किया गृह प्रवेश; 2017 में कार एक्सीडेंट में हुई थी पत्नी माधवी की मौत
कर्नाटक ने एक पति ने पत्नी को अनोखी श्रद्धांजलि दी है। उद्योगपति श्रीवास गुप्ता ने अपनी पत्नी माधवी के लिए घर में मोम की प्रतिमा बनवाई है। श्रीनिवास ने अपनी पत्नी माधवी की सिलिकॉन वैक्स की प्रतिमा के साथ अपने नए घर का गृह-प्रवेश किया। उनकी पत्नी माधवी की जुलाई 2017 में एक कार दुर्घटना में मौत हो गई थी।
प्रतिमा देखकर हर कोई हैरान
गृह प्रवेश के दौरान जब मेहमान घर पहुंचे तो माधवी को बैठा देखकर हैरान रह गए। प्रतिमा काफी हद तक वास्तविक लग रही थी। इस दौरान लोग प्रतिमा के साथ तस्वीरें लेते नजर आए। सोशल मीडिया पर प्रतिमा की फोटो और वीडियो वायरल हो रहे हैं।
आर्किटेक्ट से बनवाई प्रतिमा
श्रीनिवास ने सिलिकॉन वैक्स से पत्नी की प्रतिमा बनवाई है। श्रीनिवासी ने मोम की मूर्ति जाने-माने आर्किटेक्ट रंघनन्नावर से बनवाई है। प्रतिमा को देखकर यह कहना है मुश्किल है कि यह एक महज स्टेच्यु है या पत्नी माधवी खुद बैठी हैं। प्रतिमा को एक चटक मैजेंटा साड़ी पहनाई गई है और सोने के गहने पहनाए गए हैं। माधवी की मूर्ति को सोफे पर बैठाया गया है।
साेशल मीडिया यूजर बोले, यह सच्चे प्यार का उदाहरण
सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि वाकई में इसे सच्चा प्यार कहते हैं। श्रीनिवास की पत्नी न रहते हुए ही सारी जिंदगी उनके पास रहेगी। बहुत ही खूबसूरत उदाहरण है।
वही, एक अन्य यूजर ने लिखा, यह सबसे लम्बी रिलेशनशिप का बेहद उम्दा उदाहरण है। श्रीनिवास ने वाकई में रिश्ते की वो अहमियत बताई है जो परिवारों में अब खत्म होती जा रही है।
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रूखी त्वचा के लिए पपीता-शहद से बना फेस पैक, बढ़ती उम्र का असर कम करने के लिए पपीते में केला मिलाकर लगाने से होगा फायदा
पपीता सेहत के साथ-साथ सौंदर्य भी संवारता है। इसमें मौजूद विटामिन सी, विटामिन ई और बीटा कैरोटीन जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट्स त्वचा को साफ़ और खिला-खिला बनाने के साथ ही झुर्रियों से भी बचाते हैं।
बारिश में अक्सर त्वचा चिपचिपी रहती है। पपीता चिपचिपाहट की समस्या दूर करने के साथ ही रंग निखारता है और त्वचा को मुलायम बनाता है। यह दाग़-धब्बे हटाने के अलावा मुंहासों की समस्या में भी राहत देता है।आइए जानते हैं कि घर बैठे ही पपीते के कौन-से सौंदर्य लाभ पाए जा सकते हैं।
पपीता-शहद पैक
अगर आपकी त्वचा रूखी है तो पपीते और शहद का फेस पैक लगाएं। इसके लिए पपीते को काटकर मैश कर लें। अब इसमें थोड़ा-सा दूध और शहद मिलाकर पैक तैयार करें। इस पैक को चेहरे और गर्दन पर लगाएं। 15-20 मिनट बाद ठंडे पानी से चेहरा साफ़ कर लें। इस पैक को सप्ताह में एक-दो बार लगा सकते हैं। दरअसल पपीता और शहद रूखी त्वचा को मुलायम बनाते हैं।
पपीता और टमाटर
अगर आपके चेहरे पर काले धब्बे हो गए हैं तो खीरा, पपीता और टमाटर का रस बराबर मात्रा में मिलाकर लेप जैसा बना लें। यह लेप चेहरे पर लगाएं। जब लेप सूख जाए तो एक बार फिर लगाएं। इस प्रकार सूखने पर तीन-चार बार इस लेप को चेहरे पर लगाएं। क़रीब 20 मिनट बाद चेहरा ठंडे पानी से धो लें। 7 दिन लगातार इस प्रक्रिया को दोहराएं। इससे धीरे-धीरे धब्बे कम होने लगेंगे और त्वचा भी निखर उठेगी।
पपीता और नींबू
पपीते को मैश करके उसमें शहद व नींबू का रस मिलाकर पैक तैयार करें। इसे अपने चेहरे पर कुछ देर के लिए लगाएं और फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें। अगर आपकी त्वचा तैलीय है तो इसमें थोड़ी-सी मुल्तानी मिट्टी भी मिला सकते हैं। यह मुंहासों को दूर करने के लिए काफ़ी अच्छा पैक है।
पपीते संग केला
यह पैक त्वचा को आराम देने के साथ ही अच्छा महसूस कराएगा। इसके लिए खीरे को काटकर उसमें केला और पपीता मिलाकर अच्छे से ब्लेंड करें ताकि एक चिकना पेस्ट तैयार हो जाए। अब इस पेस्ट को चेहरे और गर्दन पर लगाएं। 10-15 मिनट बाद गुनगुने पानी से चेहरा साफ़ करें और फिर ठंडे पानी से धो लें। यह पैक त्वचा को मॉइश्चराइज़ करने के साथ−साथ सनबर्न व एंटी−एजिंग पैक की तरह काम करता है।
पपीता-एग व्हाइट
यह एक एंटी−एजिंग मास्क है। इसे बनाने के लिए पपीते को मैश करके उसमें एग व्हाइट मिलाएं। फिर इसे अच्छी तरह से फेंटें ताकि एक चिकना पेस्ट तैयार हो जाए। अब इसे चेहरे पर लगाकर 15 मिनट बाद चेहरा धो लें। इस पैक को सप्ताह में एक बार लगाएं। यह त्वचा में कसावट लाने के साथ ही झुर्रियों को भी कम करता है।
पपीता और संतरा
अगर आपकी त्वचा तैलीय है तो पपीते और संतरे का पैक इस्तेमाल करना बेहतर रहेगा। पपीते को मैश करके उसमें संतरे का रस मिलाएं। इस पैक को चेहरे पर लगाएं और थोड़ी देर बाद धो लें। इस फेस पैक को सप्ताह में दो बार इस्तेमाल कर सकते हैं। संतरा चेहरे पर मौजूद अतिरिक्त तेल को कम करने का काम करता है।
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वुमन स्टील अथॉरिटी की अगली चेयरपर्सन होंगी सोमा मंडल, वे कहती हैं मैं वो हर काम करने का साहस रखती हूं जो पुरुष कर सकते हैं
देश की सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी सेल की अगली चेयरपर्सन के लिए सोमा मंडल के नाम सामने आया है। यह पहली बार होगा जब देश में कोई महिला इस पद को संभालेगी। फिलहाल सोमा मंडल सेल में डायरेक्टर (कमर्शल) का पदभार संभाल रही हैं। अगर उनकी नियुक्ति को स्वीकृति मिलती है तो वह अनिल कुमार चौधरी की जगह लेंगी। अनिल कुमार इस साल दिसंबर में रिटायर होने जा रहे हैं। इसके बाद 1 जनवरी 2021 से सोमा मंडल अपना कार्यभार संभालेंगी।
उनके पिता चाहते थे कि वे डॉक्टर बनें
सोमा भुनवेश्वर की रहने वाली हैं। उनका संबंध एक मध्यम वर्गीय परिवार से है जहां उनके पिता एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट हैं। वे चाहते थे कि उनकी बेटी डॉक्टर बने लेकिन उन्होंने इंजीनियर की डिग्री लेना पसंद किया। उनके पति भी इंजीनियर थे जो 2005 में इस दुनिया को छोड़ गए। फिलहाल वे अकेले ही तीन बच्चों की परवरिश कर रही हैं।
सेल में डायरेक्टर का पदभार संभाला
सोमा मंडल ने एनआईटी राउरकेला में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। डिग्री हासिल करने के बाद सोमा ने साल 1984 में एक सरकारी एल्युमीनियम कंपनी नालको में ट्रेनी के तौर पर जॉइन किया था। कई साल नालको में रहने के बाद उन्होंने साल 2017 में सेल में डायरेक्टर का पदभार संभाला।
कभी अलग महसूस नहीं हुआ
उन्हें पुरुषों की दुनिया में भी कभी अलग महसूस नहीं हुआ। जब उनका चयन हुआ था तो उन्होंने सभी प्लांट्स का दौरा किया था। उन्हें पता हैं कि उनका इस पदभार को संभालना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कितना जरूरी है। वे कहती हैं ''मैं वो हर काम करने का साहस रखती हूं जो पुरुष कर सकते हैं''।
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लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने पर विचार करेगी भारत सरकार, 1 लाख नए एनसीसी कैडेट में शामिल होंगी एक तिहाई बेटियां
74 वें स्वतंत्रता दिवस पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु पर फिर से विचार करने की बात कही है। अब लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 की जा सकती है। इससे लड़कियों के जीवन में कई बदलाव आएंगे।
पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर कहा कि हमने अपनी बेटियों की शादी के लिए न्यूनतम आयु पर पुनर्विचार करने के लिए समिति का गठन किया है। समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद हम उचित निर्णय लेंगे।नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण पर जोर देने और महिलाओं की उपलब्धि की बात भी कही।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि देश के जो 40 करोड़ जनधन खाते खुले हैं उनमें से 22 करोड़ खाते महिलाओं के हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली 5 करोड़ महिलाओं को सैनिटरी पैड्स उपलब्ध कराएं हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि ''हमने अनुभव किया है जब भी महिलाओं को अवसर मिला, उन्होंने भारत को गौरवान्वित किया और इसे मजबूत बनाया। आज देश उन्हें रोजगार के समान अवसर प्रदान कर रहा है। आज महिलाएं कोयला खदानों में काम कर रही हैं, हमारी बेटियां लड़ाकू विमान उड़ाते हुए आसमान को छू रही हैं''।
पीएम मोदी ने एनसीसी में लड़कियों को और बढ़ावा देने पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान एनसीसी के विस्तार की भी बात कही है। उनके अनुसार एक लाख एनसीसी कैडेट को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी, जिसमें एक तिहाई लड़कियां भी शामिल हैं।
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China ramps up US oil purchases ahead of trade deal review: Report
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15 अगस्त 1947 से हुई थी वीरता पुरस्कार 'परमवीर चक्र' की शुरुआत, सबसे पहले एक स्विस महिला इवा ने डिजाइन किया था इसे
बिना किसी स्वार्थ के किए गए समर्पण का दूसरा नाम ही प्यार है। ये प्यार ही था जो स्विस में जन्मी एक कलाकार को भारत ले आया। जिसने यहां आकर अपने कल्चर के प्रति प्रेम को दर्शाया और कुछ ऐसा किया जो दूसरों के लिए मिसाल बन गया। ये इस महिला का भारत के प्रति प्रेम ही था जो देश के इतिहास में दर्ज हुआ।
इवा की पैदाइश 20 जुलाई 1913 में स्विटजरलैंड के न्यूचैटेल में हुई। इवा के पिता आंद्रे डी मैडे मूल रूप से हंगरी और मां मार्टे हेंट्जेल रूसी महिला थीं।
इवा के पिता जिनेवा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और लीग ऑफ़ नेशन्स में लायब्रेरी के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट भी थे( वहीं उनकी मां मार्टे हेंट्जेल इंस्टीट्यूट जीन-जैक्स रूसौ में पढ़ाती थीं। इवा के जन्म के साथ ही उनकी मां का निधन हो गया था। जिसके बाद, इवा का पालन-पोषण उनके पिता ने किया।
इवा ने अपनी पढ़ाई रिवियेरा के एक स्कूल से की। अपनी मां के गुजर जाने के बाद इवा अक्सर अपने पिता की लाइब्रेरी में चली जाती थीं।
यहां पर उनका ज्यादातर समय किताबों के बीच बीतता था। इसी दौरान, इवा ने लायब्रेरी में भारत की संस्कृति से जुड़ी कई किताबें पढ़ीं। यहीं से उनका आकर्षक इंडियन कल्चर की ओर हुआ।
1929 में इवा की मुलाकात विक्रम रामजी खानोलकर से हुई। विक्रम इंडियन आर्मी कैडेट के सदस्य थे। वे ब्रिटेन के सेंडहर्स्ट में रॉयल मिलिट्री अकेडमी में ट्रेनिंग के लिए गए थे। इवा रामजी से शादी करना चाहती थीं लेकिन उनके पिता इस बात के लिए राजी नहीं हुए।
इवा अपने इरादों की पक्की थीं। कुछ सालों बाद इवा भारत आ गईं और 1932 में दोनों ने लखनऊ में शादी कर ली। शादी के बाद इवा सावित्री बाई खानोलकर कहलाईं।
मेजर जनरल विक्रम की पत्नी बनने के बाद इवा का झुकाव संस्कृत भाषा और इंडियन कल्चर के प्रति हुआ। जल्दी ही सावित्री ने संस्कृत, मराठी और हिंदी बोलना सीखा।
उन्होंने शास्त्रीय संगीत, डांस और पेंटिंग सीख ली। वे हमेशा यह कहती थी कि ''वास्तव में मैं भारतीय ही हूं जो गलती से यूरोप में पैदा हो गई।'' अगर कोई उन्हें विदेशी कहता तो उन्हें बुरा लगता था।
सावित्री को भारत के प्राचीन इतिहास की गहरी जानकारी थी। उनकी इसी जानकारी ने भारत के लिए परमवीर चक्र की रचना करने वाले मेजर जनरल हीरा लाल अटल को प्रभावित किया।
उन्होंने इस मेडल को डिजाइन करने का प्रस्ताव सावित्री बाई के सामने रखा। जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। कुछ ही दिनों में परमवीर चक्र का डिजाइन तैयार कर मेजर जनरल अट्टल को भेज दिया।
जल्दी ही इस डिजाइन को स्वीकृत कर लिया गया। सावित्री बाई द्वारा डिजाइन किया गया परमवीर चक्र सबसे पहले मेजर सोमनाथ शर्मा काे प्रदान किया गया।
उसके बाद सावित्री ने महावीर चक्र, वीर चक्र और अशोक चक्र की डिजाइन भी तैयार की। विक्रम के इस दुनिया से चले जाने के बाद सावित्री ने अपना जीवन सोशल वर्क को समर्पित कर दिया। 1990 में उनकी मृत्यु के समय तक वे रामकृष्ण मिशन का हिस्सा रहीं।
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Friday, 14 August 2020
Covid effect: Worst Indian profits in a decade are beating expert estimates
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Gold price today at Rs 55,100 per 10 gm, silver slumps to Rs 66,950 a kg
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Ramco Cements slips over 2.5% as Q1 PBT drops 43% to Rs 157.5 crore
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Hindalco dips 1.5% on Rs 709 crore loss in June quarter
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Parag Milk Foods up 7% on launching a new product in its premium category
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Balkrishna Ind drops 5% post weak Q1 result; declares dividend of Rs 3/sh
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Telecom stocks trade flat ahead of today's SC hearing on AGR payments
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July palm oil imports rise to a 10-month high at 824,078 tonnes: Trade body
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Stock of this RIL-owned company has jumped 600% from March low
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Thursday, 13 August 2020
Hero MotoCorp shares slip 2% after June quarter profit plunges 95% YoY
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ऑनलाइन पढ़ाई जब बच्चे के लिए समझना हो मुश्किल तो अपनाएं ये 4 तरीके, नोट्स बनाकर और टीचर से बात करके निकालें हल
मौजूदा हालात में बच्चों के स्कूल बंद होने के कारण उनकी ऑनलाइन क्लासेस लगाई जा रही हैं। इसी तरह परीक्षाएं भी ऑनलाइन ली जाने लगी हैं। ऐसे में बच्चों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसमें समुचित संवाद से लेकर समय प्रबंधन तक में दिक़्क़त हो रही है।
1. समझने में मुश्किल
बच्चों को इस तरह पढ़ने की आदत नहीं है, इसलिए उन्हें समझने में वक़्त लगता है। ऐसे में शिक्षक की बात ठीक से सुनने, उसे समझने और नोट्स बनाने में मुश्किल और समय की कमी जैसी समस्याएं आती हैं।
समाधान
बच्चे को समझाएं कि जब शिक्षक पढ़ाएं तो पूरी तरह ध्यान लगाकर पढ़ें, और अपने नोट्स ख़ुद बनाएं न कि शिक्षक के नोट्स पर निर्भर रहें। इससे उनका रिवीज़न भी होगा और विषय-ज्ञान भी दुरुस्त होगा।
2. कनेक्टिविटी समस्या
ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान सबसे आम समस्या जो देखने में आती है वो है कनेक्टिविटी की है। इसमें बच्चे कई बार समय पर लॉग-इन नहीं कर पाते या जब तक लॉग-इन हो पाता है क्लास शुरू हो चुकी होती है। कई बार कनेक्शन स्लो होने पर प्रक्रिया रुक जाती है और रीफ्रेश करना पड़ता है। इस कारण समझना मुश्किल होता है कि टॉपिक कहां पहुंच गया है या कई बार तो कुछ भी समझ में नहीं आता।
समाधान
अगर मोबाइल पर ऑनलाइन क्लास करने जा रहे हैं, तो कक्षा शुरू होने से पहले बैकग्राउंड में चल रहे एप्स को बंद कर दें। इससे स्पीड पर असर पड़ता है।
3. भटकाव बढ़ना
ये सबसे बड़ी समस्या है। कई बच्चे पढ़ने या क्लास करने के बहाने माता-पिता का फोन ले जाते हैं और उसमें पढ़ाई को छोड़कर बाक़ी सब कर डालते हैं, जैसे सोशल साइट या यूट्यब चलाना, चैटिंग, गेम खेलना आदि। इसलिए पढ़ाई से भटकाव होना लाज़मी है।
समाधान
बच्चे की क्लास के वक़्त उसे सामने बैठाएं या फिर बीच-बीच में जाकर देखते रहें। इसके अलावा उसे समझाएं कि जिनसे ध्यान भटकता है, उनसे दूर रहें। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को क्लास के दौरान बार-बार टोकें नहीं। इससे बच्चे चिढ़ जाते हैं क्योंकि वे इसे अपने क्लासरूम में दख़लअंदाज़ी समझते हैं।
4. कम्युनिकेशन गैप
स्कूल की कक्षा में बच्चे सीधे शिक्षक के संपर्क में रहते थे, तो किसी विषय में संदेह होने पर या उससे जुड़ी अतिरिक्त जानकारी पूछने के लिए वे सहज महसूस करते थे। इसके साथ ही शिक्षक भी बच्चों को देखकर समझ जाते थे कि उन्हें समझ में आ रहा है या नहीं।
वहीं ऑनलाइन पढ़ाई में आमने-सामने न होने पर या सहज महसूस न होने पर बच्चे और शिक्षक दोनों ही एक-दूसरे से समुचित ढंग से संवाद नहीं कर पा रहे हैं।
समाधान
बच्चों से कहें कि यदि कक्षा में किसी विषय को लेकर संदेह है तो उसे लिखकर अलगे दिन की क्लास में पूछ लें। इससे शिक्षक को भी तसल्ली होगी कि उनका पढ़ाया बच्चे ने ध्यान से पढ़ा है और बच्चे के मन से ऑनलाइन क्लास का डर भी निकल जाएगा।
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Nifty Pharma index rallies nearly 3%; Lupin surges 10%, Cipla, Cadila up 3%
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Greaves Cotton dips 3% post Q1 nos; Nagesh Basavanhalli steps down as CEO
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3M India slides 4% on consolidated net loss of Rs 43 crore in June quarter
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Eicher Motors dips 3% after posting a loss of Rs 55 crore in June quarter
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Redington India in focus; shares jump 18% post June quarter nos
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BPCL dips 1% despite 93% YoY jump in Q1 PAT of Rs 2,076 cr, recovers later
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Stocks to watch: Tata Steel, telcos, Hero MotoCorp, Eicher Motors, BPCL
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Oil prices head for second weekly gain amid hopes for fuel demand recovery
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Trading strategies for Copper and Natural Gas by Tradebulls Securities
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VIX shows no downside risk for Nifty in short-term: Nilesh Jain
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Here's a Bull Spread strategy for Larsen and Toubro by HDFC Securities
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Market Ahead, Aug 14: All you need to know before the opening bell
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MARKET LIVE: SGX Nifty indicates a flat start; AGR hearing in SC today
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Gold prices steady at Rs 52,701 per 10 gram, silver rises to Rs 67,439 a kg
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मेटरनिटी फैशन को बढ़ावा देने में करीना ने अदा की खास भूमिका, फोटोज में देखिए पहली प्रेग्नेंसी में ड्रेसिंग सेंस से कैसे चर्चा में रही ये दीवा
करीना कपूर खान एक बार फिर प्रेग्नेंट हैं। करीना के घर खुशखबरी की बात सामने आते ही उनकी पहली प्रेग्नेंसी के दौरान पहने गए मेटरनिटी वियर की चर्चा हो रही है। अपनी पहली प्रेग्नेंसी के दौरान करीना ने फैशन के नए गोल सेट करने में खास भूमिका अदा की है।
वैसे भी करीना उन महिलाओं को रिप्रजेंट करती हैं जो घर और बाहर की दुनिया को बैलेंस करने का हुनर जानती हैं। उन्होंने अपने मेटरनिटी वियर में एथनिक से लेकर वेस्टर्न वियर को पूरे आत्मविश्वास से कैरी किया।
उनके मेटरनिटी वियर में मैक्सी, एंकल लेंथ श्रग्स, गाउन, डेनिम्स, कुर्ते और घेरदार पलाजो भी शामिल रहे। ड्रेस से लेकर पैंट और गाउन में करीना की खूबसूरती देखती ही बनती है।
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Confusion over MSCI weightage triggers volatility in Bharti Airtel
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Market Wrap, August 13: Here's all that happened in the markets today
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Tata Consumer Products overtakes Marico in m-cap; stock scales fresh peak
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This highway developer's Q1 nos beat estimates; analysts bullish on the stk
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पेरिस की उषा और अर्लेन का ‘हाईब्रिड भरतनाट्यम’ सोशल मीडिया पर हुआ वायरल, डांस की दो स्टाइल मिक्स करके सारी दुनिया में पाई तारीफ
यूं तो हर किसी को लंबे समय तक घर में रहने का मौका नहीं मिलता, लेकिन कोरोना काल में कई प्रतिबंधों का पालन करते हुए लोग ज्यादातर वक्त घर में बिता रहे हैं। यह एक ऐसा समय है जिसका उपयोग कुछ लोग अपनी प्रतिभा दिखाने में कर रहे हैं। उनकी इस प्रतिभा को दुनिया भर में सराहना मिल रही है।
अपने समय का सही यूज करके तारीफ पाने वालों में पेरिस की दो युवतियां भी शामिल हैं। ओर्लेन डेडे और उषा जेई ने घर में रहते हुए हिप-हॉप और भरतनाट्यम का फ्यूजन पेश किया है, यानी दो नृत्यों को मिलाकर नए तरीके से डांस का वीडियो शेयर किया है जो इंटरनेट पर खूब वायरल हो रहा है।
हाईब्रिड भरतनाट्यम नाम दिया
अपने परफार्मेंस से लोगों का दिल जीत रही उषा और अर्लेन की जोड़ी ने इसे ‘हाईब्रिड भरतनाट्यम’ नाम दिया है। देखा जाए तो इन्होंने हिप-हॉप शैली में जैक हार्लो के ‘व्हाट्स पोपिन’ में शास्त्रीय स्टेप्स को मिलाते हुए डांस परफार्म किया है। उषा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखा है कि यह उनका तरीका है, जिसमें वे दो स्टाइल, जिन्हें वे बेहद पसंद करती हैं, उन्हें मिक्स कर रही हैं।
कल्चर ही उनकी ताकत
इसे कोरियोग्राफ करने वाली उषा ने बताया हिप-हॉप उनका पहला प्यार है। जब वे 8-9 वर्ष की थीं, तभी से हिप-हॉप कर रही हैं। वहीं, भरतनाट्यम इन्होंने 20 वर्ष की उम्र में सीखना शुरू किया। वे तमिल कल्चर से हैं और यही कल्चर उनकी ताकत है। वे भरतनाट्यम की एक्सपर्ट नहीं हैं, लेकिन एक दिन जरूर बन जाएंगी।
एक डांस संस्था की मेंबर हैं
उषा एक इंटरनेशनल डांस संस्था की मेंबर हैं। इंडियन डांस सीखना उसके लिए एक चैलेंज था। लोग नोटिस में लें, इसलिए दोनों लड़कियों ने पीली साड़ी और काला ब्लाउज पहना है। वहीं, चोटी के साथ सफेद फूल लगाकर नृत्य किया। इस वीडियो को कुछ ही घंटों में 27 हजार व्यूज और सैकड़ों कमेंट मिल चुके हैं।
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This highway developer's Q1 nos beat estimates; analysts see 100% upside
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Ashok Leyland leaps 10% post Q1 nos; Co expects margin to improve ahead
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Wednesday, 12 August 2020
Bharat Forge surges 13% post June quarter nos; here's what brokerages say
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Raiding RBI war chest, asking people to deposit gold needless distractions
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Tata Power rallies 8% on merger proposal with 3 wholly-owned subsidiaries
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राधा भाटिया की किताब 'लस्सी' को मिला इंटरनेशनल कुक बुक अवार्ड, भारत के ट्रेडिशनल फूड को बढ़ावा देने के लिए लिखा इसे
जब राधा भाटिया ने अपनी किताब लस्सी लिखने के बारे में सोचा तो उनके दिमाग में सबसे पहले आज की पीढ़ी के वे युवा आए तो लस्सी के बजाय स्मूदी पीना पसंद करते हैं। वे लस्सी जैसे इंडियन ड्रिंक्स का टेस्ट लेना ही नहीं चाहते। अपनी किताब के जरिये वे आज के युवाओं को ट्रेडिशनल फूड से परिचित कराना चाहती हैं।
नॉन अल्कोहलिक ड्रिंक्स पर आधारित उनकी किताब को '25 वां गोरमेंड वर्ल्ड कुकबुक अवार्ड 2020' का सम्मान मिला। इंडियन कुजीन को बढ़ावा देने वाली यह किताब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी खास पहचान रखती है।
इस किताब में राधा ने 74 इंडियन ट्रेडिशनल रेसिपीज लिखी हैं। इसमें भारत के अलग-अलग राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों को जगह मिली है। राधा के लिए यह सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि एक दादी मां के द्वारा अपने पोता-पोतियों पर दर्शाया गया प्यार भी है। इसमें पांच पीढ़ियों की कहानियां और किचन के सीक्रेट शेयर किए गए हैं।
इस किताब में विभिन्न रेसिपीज को अलग-अलग कहानियों के साथ मिलाकर पाठकों के लिए प्रस्तुत किया गया है। लस्सी के माध्यम से राधा ने अलग-अलग मौसम में बनने वाली खास डिशेज की रेसिपी भी बताई है। मौसम से भारतीय खानपान के संबंध को जानने के लिए उनकी किताब उपयुक्त है।
उनकी किताब में पंजाब की सदाबहार मानी जाने वाली मीठी लस्सी से लेकर तमिलनाडु के 'तालिचा मोर' ड्रिंक को बनाने का तरीका बताया गया है। राधा द्वारा लिखी गई हर डिश का टेस्ट लाजवाब है जिसके कई हेल्थ बेनिफिट्स भी हैं। राधा से जब ये पूछा जाता है कि इस किताब को लिखने का विचार उन्हें कैसे आया तो वे संडे की उस दोपहर को याद करती हैं जब अपने पोता-पोतियों के साथ बैठ कर बातें कर रहीं थीं।
तब राधा ने अपने पोते से लस्सी के स्वाद के बारे में पूछा तो उसने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। लेकिन जब मैंने उनसे यह कहा कि लस्सी का स्वाद किसी स्मूदी से कम नहीं होता तो वे फौरन इस बारे में जानने के इच्छुक नजर आए। राधा कहती हैं उसी वक्त मैंने सोचा कि भारत के पारंपरिक स्वाद को आज की पीढ़ी तक पहुंचाने का इससे अच्छा माध्यम कोई और नहीं हो सकता।
वे कहती हैं ये अवार्ड पूरी दुनिया के लोगों को भारत के खानपान की ओर जागरूक करेगा। हमारा खानपान भारतीय विरासत का अभिन्न हिस्सा है। इसलिए इंडियन कुजीन को सारी दुनिया के अलग-अलग रेस्टोरेंट में बनाया जाता है। हमारा देसी स्वाद विदेशियों को खूब पसंद आता है। हालांकि वे इंडियन डिशेज से जुड़ी कई सारे बातें नहीं जानते।
वे इन व्यंजनों से सेहत को मिलने वाले फायदों के बारे में भी नहीं जानते। मुझे मिला ये अवार्ड उन सभी विदेशियों को भारतीय खानपान और इससे जुड़ी वो सारी बातें बताने में समर्थ होगा, जो उन्हें जानना चाहिए। इंडियन कुजीन को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में उनकी किताब लस्सी का अहम योगदान है। उन्हें उम्मीद है कि इस किताब को पढ़कर आज की पीढ़ी स्मूदी के बजाय लस्सी जैसे देसी ड्रिंक्स की ओर रूख करेगी।
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Goldprice dips Rs 10 to Rs 62,720, silver falls Rs 100 to Rs 74,900
The price of 22-carat gold also fell Rs 10 with the yellow metal selling at Rs 57,490 from Markets https://ift.tt/rpZGNwM
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उषाशी का संबंध एक ऐसे परिवार से हैं जहां अधिकांश लोग शिक्षक हैं। उन्होंने बचपन से अपने घर में पढ़ाई-लिखाई का माहौल देखा। वे 1986 में शादी के...
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साउथ इंडिया में थेनी के पास वेंकटचलपुरम में राधिका का जन्म हुआ। वे शादी के बाद दिल्ली आ गईं। एक शौक के तौर पर राधिका ने ट्रैवल फोटोग्राफी क...