Saturday, 8 August 2020

मां और बेटी के संबंधों को दर्शाती कहानी बिछुए, कविता आखरी पड़ाव में उम्र के अंतिम दौर की भावनाओं को व्यक्त करती है

कहानी : बिछुए
लेखिका : प्रज्ञा तिवारी

माहौल में ख़ुशी और ग़म दोनों की रंगत थी। आख़िर बेटी की विदाई का पल ही कुछ ऐसा होता है। मां चकरघिन्नी बनी हुई थी। ये लाओ, उसे रखो... इन सबके बीच घूमती मां ने एक नज़र दुल्हन बनी अपनी छोटी बेटी रानी पर डाली तो बरबस आंसू बह पड़े।

तभी बड़ी बेटी राधिका मां के पास आकर दर्द से कराहती हुई बोली, ‘मां, देखो न, ये बिछुए चुभ रहे हैं, चल भी नहीं पा रही।’ रानी की बिदाई का सामान पैक करती मां को सांस लेने तक की फुर्सत नहीं थी, ‘जा जाकर कड़वा तेल लगा ले, क्या ज़रूरत थी नए बिछुए पहनने की, अभी मुझे तो बिल्कुल फुर्सत नहीं है।’ अपना काम करते-करते हुए मां ने कहा। राधिका भी लंगड़ाते हुए वहां से चुपचाप चली गई।

जैसे-जैसे बेटी की विदाई का पल क़रीब आने लगा, मां के हाथ-पांव फूलने लगे, दिल की धड़कन अचानक थमती और अगले ही पल तेज़ी से दौड़ने लगती। रिश्तेदार समझा रहे थे, ‘बड़ी क़िस्मत वाली हो तुम जो इतनी जल्दी दोनों बेटियों के हाथ पीले करके गंगा नहा लीं, वरना आज के ज़माने में बेटियों को इतनी आसानी से अच्छे घर कहां मिल पाते हैं!’

‘हां, अच्छे घर... यही सुकून की बात है। दोनों बेटियां अच्छे घरों में हैं, इससे ज़्यादा और क्या चाहिए!’ यही सोचकर मां ने राहत की सांस ली और पानी का गिलास उठाया। तभी राधिका फिर से आई। ‘मां!’ इस बार उसने धीरे से आवाज़ लगाई। ‘तू यहां क्या करने आ जाती है बार-बार, अपनी बहन के पास जाकर बैठ न, उसे कोई ज़रूरी बात कहनी हुई तो किससे कहेगी?’ मां ने समझाते हुए कहा।

‘मां, मेरी भी बिदाई की तैयारी कर दो, अभी मुझे भी निकलना है!’ ‘तू कहां जा रही है?’ मां ने हैरानी से पूछा। ‘मां... ये (राधिका का पति) ज़िद कर रहे हैं, इनके साथ ही ससुराल चलने के लिए!’
‘अरे...! ऐसे कैसे ज़िद करे हैं, इतनी जल्दी कैसे जा सकते हैं दामाद जी, तू रुक मैं बात करती हूं उनसे।’ फलों की डलिया वहीं पटक मेहमानों की भीड़ चीरते हुए मां बाहर निकल गईं।

‘नहीं... आप नहीं मां.... रुको...’ पीछे से राधिका चिल्लाती रह गई लेकिन मां सीधे अपने दामाद के पास पहुंच गईं।
‘दामाद जी! ये क्या सुन रही हूं मैं? आप लोग अभी से जा रहे हैं?’

‘जाना होगा मां जी घर से फोन आ रहा है।’ दामाद जी बोले। ‘अभी रानी की बिदाई होने दो बेटा, आप लोग तो घर के हैं, आराम से विदा कर दूंगी। वैसे भी एक बेटी की बिदाई में छाती फट रही है, दोनों बेटियां एक साथ चली गईं तो मैं इस घर में मर ही जाऊंगी!’ रुंधे गले से जैसे-तैसे आवाज़ निकल पाई।

‘हम्म...’ दामाद जी कुछ सोचते हुए बोले, ‘राधिका चाहे तो यहां रुक जाए, मुझे तो अभी जाना है। मेरे पापा जी को ज़्यादा भीड़ बर्दाश्त नहीं होती। वो और ज़्यादा यहां रुके तो बीमार पड़ जाएंगे।’ एक चालाक व्यापारी की तरह दामाद जी ने अपनी बात मां को समझा दी।

दामाद जी की ज़िद और तर्क के आगे उन्होंने हार मान ली। मगर राधिका के रुकने भर से मन ने राहत की सांस लेकर दामाद को हज़ारों दुआएं दे डालीं। ‘तू भी न राधिका फालतू में हल्ला करती है, कितना भला लड़का मिला है तुझे। मेरे कहे बिना ही तुझे रुकने को कह दिया उन्होंने, ऐसा दामाद भगवान सबको दे।’

राधिका का चेहरा देखे बिना मां कहकर चली गईं। ख़ुशी और ग़म के बीच रानी गाड़ी मैं बैठकर विदा हो गई। बेटी की बिदाई में दुश्मन भी पिघल जाए, मां तो बेसुध-सी हो गईं। इधर राधिका भी अपना सामान लेकर तैयार खड़ी थी। मां कुछ समझ ही नहीं पा रही थीं। दामाद जी भी अपने पापा के साथ गाड़ी में बैठ चुके थे।

‘तू कहां चली बिटिया? और ये घूंघट क्यों डाला हुआ है? मां ने पूछा तो राधिका मां के गले लग गई, ‘ससुर जी हैं न साथ, इसलिए घूंघट ले लिया। मुझे जाने दो मां...’ राधिका की आवाज़ भर्रा गई। वह झट से मां से अलग हुई, बाक़ी मेहमानों से विदा ली और बाहर जाने लगी। मां को घबराहट हो रही थी, शरीर तो थक ही चुका था, अब दिमाग़ भी सुन्न पड़ चुका था।

आख़िर में रहा नहीं गया तो जाकर राधिका के गले लग गई, ‘मां से क्यूं घूंघट कर रही है पागल! एक बार अपनी बेटी का चेहरा तो देख लेने दे।’ एक झटके से मां ने घूंघट खींच दिया, राधिका ने छटपटाकर घूंघट पकड़ना चाहा मगर पकड़ न सकी। एक पल को मां की आंखों के सामने अंधेरा छा गया।

नीली पड़ी आंख की कोर, होंठ के नीचे रिसता हुआ ख़ून, गाल पर उंगलियों की नीली छाप सारी कहानी बयां कर गए थे। मेहमानों की नज़र पड़े, उससे पहले मां ने खुद ही घूंघट वापस डाल दिया। दामाद हॉर्न पे हॉर्न बजाए जा रहा था। राधिका बाहर निकलने को हुई तो मां ने लड़कों को उसका सामान वापस अंदर लाने को कहा और उसका हाथ पकड़कर वापस लौटने लगी।

‘ऐसा मत करो मां... प्लीज़ जाने दो। आपको मेरी क़सम..!’ राधिका गिड़गिड़ाने लगी। ‘तेरी क़सम का मान रखने से कौन-सा तू ज़िंदा रहने वाली है!!’ मां ने ग़ुस्से से उसे घूरते हुए कहा, ‘अब एक शब्द और मत कहना तू।’
‘इंसान मरने के बाद ही गंगा नहाता है, बेटियों की शादी करके नहीं।’ मां ने आंगन में ज़ोर से कहा और राधिका को उसके कमरे में ले गईं।

मां-बेटी ने एक-दूसरे के सामने सारे दर्द उड़ेल दिए। जितनी बार मां राधिका का नीला पड़ा चेहरा देखतीं, उनका ख़ून खौल उठता। रात भर मां उसके सिरहाने बैठ सोचती रहीं, ‘एक मां होकर मैं क्यों अपनी बेटी की आंखों में छिपा दर्द नहीं देख पाई।

अनपढ़ हूं मगर इतनी भी नहीं कि बेटी का मन न पढ़ सकूं। हर बार मायके आने के नाम पर काम का बहाना करना, मायके आने पर भी चेहरे पर ख़ुशी की जगह ख़ौफ़ बना रहना, पति की बात आने पर बात घुमा देना, बेवजह चेहरे पर मेकअप की परतें चढ़ाते रहना... क्यों कुछ नहीं समझ पाई।

दो साल से दामाद को बेटा मानते ही बेटी का दर्द आंखों से ओझल कैसे हो जाने दिया, आज उस लड़के की इतनी हिम्मत बढ़ गई कि मेरे ही घर में आकर मेरी बेटी पर...?’
‘मां बिछुए चुभ रहे हैं!’ बेटी नींद में ही दर्द से कुनमुनाई। मां ने राधिका के पैरों को देखा, उंगलियां पानी में काम करते-करते गल चुकी थीं। अचानक मां को न जाने क्या सूझा, एक-एक करके राधिका के सारे बिछुए उतार फेंके। ‘ये क्या कर रही हो मां? दर्द हो रहा है।’ अपने पैरों को खींच राधिका उठकर बैठ गई।

उसके पैरों को गोद में रख मलहम लगाते हुए मां बोलीं, ‘इसी दर्द से तुझे आज़ादी दिला रही हूं बेटा, अब ये बिछुए नहीं चुभने दूंगी तुझे।’ राधिका को मां की बातें समझ नहीं आईं मगर घाव पर ममता का स्पर्श लगा तो दर्द में राहत ज़रूर मिली थी। वह वापस सो गई। राधिका की बेपरवाह नींद इस चुभन से आज़ाद होने की निशानी थी।

मां अब भी जाग रही थीं, अंधेरा छंटने के इंतज़ार में- बेटी की ज़िंदगी से भी और अपने आंगन से भी। अगली सुबह उन ज़मीन पर पड़े बिछुओं की चुभन का हिसाब लेना भी तो बाक़ी था।

कविता : आखरी पड़ाव में

लेखिका : अनीता वाधवानी

मैंने बंद कर दी है सौदेबाज़ी
लेनदेन रिश्तों के बाज़ार में
कुछ देने में ही बादशाही है
तो लेने की फिक्र क्यों करूं
जीवन के इस आख़िर पड़ाव में।
छोड़ दी हैं क्षुद्र अपेक्षाएं
जिनसे हासिल न कुछ होना था
भुरभुरी मिट्टी के सिवाय
पर अब बनना है चट्टान सम
जीवन के इस आख़री पड़ाव में।
सबसे प्यार करने के बाद
अब कुछ कुछ प्यार
खुद से भी करने लगी हूं
ज़िंदगी को समझने लगी हूं
जीवन के इस आखरी पड़ाव में।
मैं सिकंदर की तरह सब जीतकर
ख़ाली हाथ नहीं जाऊंगी
व्यर्थ का सब कुछ हार कर
फिर जीत कर जाऊंगी
जीवन के इस आखरी पड़ाव में।
मैं जुड़ने लगी हूं अपने आप से
मेरे भीतर में जो है चैतन्य
थामने लगी हूं उसका हाथ
जो रहेगा मेरे बाद भी मेरे साथ
जीवन के इस आखरी पड़ाव में...



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A story depicting the relationship between mother and daughter, the poem expresses the feelings of the last stages of age at the last stage


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लॉकडाउन में वीडियो कॉल बना कामकाजी महिलाओं की जरूरत, इन 4 उपायों को अपनाकर दूर करें अपनी झिझक

इस समय घर से ही दफ्तर के काम, मीटिंग्स और क्लास करना मजबूरी है, फिर भी कुछ कामकाजी महिलाएं वीडियो कॉल को लेकर हिचकिचाती हैं। इस हिचकिचाहट को आत्मविश्वास में कैसे बदल सकते हैं, चलिए जानते हैं।

1. पसंद से आत्मविश्वास जगाएं
जब भी वीडियो कॉल हो, ऐसे परिधान पहनें, बालों का स्टाइल या मेकअप करें जिससे आपको अच्छा महसूस हो, जो आप में आत्मविश्वास जगाए।
कुछ लोग काले रंग के कपड़ों में अच्छा महसूस करते हैं, तो कुछ महिलाएं काजल में। इसी तरह आपको भी रंग, परिधान या मेकअप अपनाना है।

2. ख़ुद को पहले ही देख लें
कई बार हिचकिचाहट ये सोचकर भी होती है कि हम कॉल पर मौजूद लोगों के सामने कैसे दिख रहे हैं। अगर वीडियो कॉल का दिन और समय पहले से तय है, तो ऑनलाइन होने से पहले एक फोन से दूसरे फोन पर वीडियो कॉल करके ख़ुद जांच लें कि आप कैसी लग रही हैं। कुछ कमी लगे तो उसे सही कर लें।

3. ख़ुद से नज़रें मिलाएं
अगर मीटिंग में लोगों से नज़रें मिलाकर कहने में दिक़्क़त हो रही है, तो ख़ुद पर ध्यान केंद्रित करें। वीडियो कॉल के समय मीटिंग में मौजूद कई लोगों के साथ आपके चेहरे की विंडो भी होती है।

ऐसे में अपनी विंडो मैक्सीमाइज़ करके अपनी बात कर सकती हैं। चाहें तो अपने चेहरे वाली छोटी विंडो की तरफ़ देखकर भी बात कहें।

4. तैयारी के साथ बैठें
आपका काम, सवाल या जो समझाना है, उसे कागज़ पर लिख लें। मीटिंग के दौरान अपनी बात देखकर पूरी करें। अगर हो सके तो कॉल से पहले वीडियो रिकॉर्ड करके अभ्यास भी करें। इससे कमियां पहले ही जान सकेंगी।



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Need of working women to make video call in lockdown, remove these hesitation by adopting these 4 measures


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अमेरिका की सबसे सराही गई महिला मिशेल ओबामा ने डिप्रेशन में होने की बात कहीं है, ग्रैमी विजेता हैं ये, अब पॉडकास्ट शो कर रहींं

मिशेल ओबामा बचपन में ‘द मैरी टाइलर मोर’ शो बहुत देखती थीं। वह बताती हैं कि मैरी टाइलर एक स्वतंत्र और खुशमिजाज महिला थी। मैरी के शो में बातचीत का विषय बच्चों और घर के अलावा भी होता था। मैरी की खोज सिर्फ पति तक सीमित नहीं थी, उसका अच्छा खासा वार्डरोब था।
मैरी उन दिनों सिंगल वर्किंग वुमन की भी पहचान थी। मिशेल कहती हैं कि उस समय कोई महिला अगर पत्नी के अलावा भी अपनी पहचान बनाना चाहती थी, तो मैरी उसके लिए भगवान थीं। मिशेल ओबामा, अमेरिकी अभिनेत्री मैरी टाइलर से बहुत प्रेरित हैं। वह कहती हैं कि एक महिला को अपनी पहचान पर भी काम करना चाहिए।
जनवरी 2009 से लेकर आठ साल व्हाइट हाउस में बतौर फर्स्ट लेडी (राष्ट्रपति की पत्नी) मिशेल ने अपनी अलग पहचान कायम रखी। ‘टीच हायर’ और ‘लेट गर्ल्स लर्न’ नाम से शिक्षा के अभियान चलाए। लोगों को खाने-पीने की अच्छी आदतें अपनाने के लिए जागरूकता फैलाई।
इन दिनों वह म्यूज़िक स्ट्रीमिंग एप ‘स्पॉटिफाई’ पर सक्रिय हैं। 28 जुलाई से शुरू हुए ‘द मिशेल ओबामा पॉडकास्ट’ में वह रिश्ते-नातों पर अपनी सलाह और विचार साझा कर रही हैं। रिलेशनशिप के उतार-चढ़ावों को अपनी निजी अनुभवों के उदाहरण देते हुए लोगों के सामने रख रही हैं।
हालांकि मिशेल खुद इन दिनों लो ग्रेड डिप्रेशन से गुजर रही हैं। उन्होंने बताया कि डिप्रेशन का कारण क्वारेंटाइन नहीं, बल्कि नस्लीय भेदभाव-हिंसा और अमेरिका में फैली अराजकता है। दिसंबर 2018 में मिशेल, गैलप के एक सर्वे में अमेरिका की सर्वाधिक सराही गई महिला चुनी गईं थीं। इससे पहले 17 साल तक हिलेरी क्लिंटन को यह सम्मान हासिल था। 2019 में दोबारा मिशेल सर्वे में टॉप पर रहीं। आइए मिशेल ओबामा से जुड़ी ये खास बातें जानें :
1. बीमार पिता चाहते थे बच्चे पढ़ें
मिशेल के पूर्वजों ने गुलामी भरी ज़िंदगी बिताई। उनके पिता स्थानीय वॉटर प्लांट पर काम करते थे, मां गृहिणी थीं। इलेनॉय में एक कमरे में मिशेल का बचपन बीता। पिता की मल्टीपल स्क्लेरोसिस बीमारी से मौत हो गई थी। मिशेल ने एक कार्यक्रम में बताया था कि कैसे दर्द से कराहते पिता को देखकर वह दुखी होती थीं।

लेकिन पिता चाहते थे कि वह उनके दर्द से ध्यान हटाकर सिर्फ पढ़ाई करें। वह कहते थे कि दर्द की दवा सिर्फ जीवन में आगे बढ़ना है। मिशेल का सपना प्रिंसटन में पढ़ना था, लेकिन हाईस्कूल के टीचर उन्हें हतोत्साहित करते थे। मिशेल के बड़े भाई क्रेग ने भी प्रिंसटन से ही डिग्री हासिल की है।

2. लॉ फर्म से कॅरिअर शुरू किया, ग्रैमी जीता

1988 में पढ़ाई पूरी करने के बाद मिशेल ने शिकागो में सिडली एंड ऑस्टिन लॉ फर्म में तीन साल काम किया। वहां मार्केटिंग और बौद्धिक संपदा अधिकार कानून पर विशेषज्ञता हासिल की। यहीं उनकी मुलाकात बराक से हुई। इसके बाद वह शिकागो के मेयर की सहायक रहीं, फिर प्लानिंग और डेवलपमेंट कमिश्नर रहीं।

मिशेल अपनी आत्मकथा ‘बिकमिंग’ के लिए 2019 में बेस्ट स्पोकन वर्ड एल्बम में ग्रैमी अवॉर्ड जीत चुकी हैं। इसी किताब पर नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री बना चुका है। फिलहाल वह ‘हायर ग्राउंड’ नाम की प्रोडक्शन कंपनी चला रही हैं।

3, उतार-चढ़ाव भरा रहा बराक से रिश्ता

मिशेल की 1991 में बराक ओबामा से शादी हुई। बराक भी शिकागो की उसी लॉ फर्म में काम करते थे, जहां से मिशेल ने अपना कॅरिअर शुरू किया। मिशेल कहती हैं कि उनके और बराक के रिश्ते हमेशा अच्छे रहे हैं, लेकिन एक वक्त था, जब दोनों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था।

यहां तक कि उन्हें रिलेशनशिप काउंसलर की भी मदद लेनी पड़ी थी। वह कहती हैं कि रिलेशनशिप में गर्माहट बनी रहे, इसके लिए उस पर काम करना पड़ता है। वह कहती हैं कि जब जरूरत पड़े तो विशेषज्ञ काउंसलर की मदद लेने से हिचकिचाना नहीं चाहिए।



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America's Most Admired Woman Michelle Obama Is In Depression, Grammy Winner Is Here, Now Doing Podcast Show


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वर्कआउट से पहले न पिएं पानी वरना सेहत को होगा नुकसान, इसे करने के आधे घंटे बाद खाएं खाना ताकि बॉडी को मिले पूरा फायदा

एक्सरसाइज के दौरान कुछ नियमों का पालन करना ज़रूरी है। ये नियम एक्सरसाइज के नियमों के बराबर ही महत्वपूर्ण हैं। इनमें चूक जहां वर्जिश के फ़ायदों से दूर कर सकती है, वहीं रोगी भी बना सकती है।

शरीर को स्वस्थ और दुरुस्त रखने के लिए हम एक्सरसाइज तो करते हैं, लेकिन इससे जुड़े कुछ नियमों पर ग़ौर नहीं करते। एक्सरसाइज करने के तुरंत बाद कब बैठना है या कब खाना है जैसी तमाम अहम बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है, क्योंकि इनकी अनदेखी से बीमारी के साथ-साथ सेहत संबंधी कई दिक़्क़तें आ सकती हैं। कुछ ऐसी ही ज़रूरी जानकारियां आपके साथ साझा कर रहे हैं।

एक्सरसाइज से पहले पानी पीने का समय

कुछ लोग एक्सरसाइज शुरू करने से तुरंत पहले पानी पीते हैं ताकि एक्सरसाइज के दौरान पानी की ज़रूरत न महसूस हो। एक्सरसाइज के लिए शरीर का हाइड्रेटेड रहना बेशक ज़रूरी है लेकिन ध्यान रहे कि एक्सरसाइज से तुरंत पहले पानी पीने से स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।

सही मायनों में पानी का सेवन एक्सरसाइज से आधा घंटा पहले करना चाहिए। एक साथ अधिक पानी न पिएं क्योंकि इसके कारण एक्सरसाइज करने में परेशानी आ सकती है। केवल गला तर करने लायक़ ही पानी लें।

एक्सरसाइज के बाद पानी पीने का समय

एक्सरसाइज से पसीना बहता है और सांस फूलती है, जिसके कारण गला भी सूखता है। एक्सरसाइज के कारण शरीर गर्म हो जाता है। ऐसे में उसके तुरंत बाद पानी पीने से मांसपेशियों को झटका लग सकता है जिससे सीने में दर्द, पेट दर्द, उल्टी आदि सेहत संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए एक्सरसाइज के 20-25 मिनट बाद ही पानी पिएं। तब तक शरीर का तापमान सामान्य हो चुका होता है।

व्यायाम के दौरान पानी पीने का समय

यदि आप एक्सरसाइज़ (घर या जिम कहीं भी) कर रहे हैं तो उस दौरान शरीर से पसीना बहुत ज़्यादा निकलेगा, जिसके कारण शरीर में डिहाइड्रेशन होने का डर रहता है। पसीना निकलने के कारण शरीर पानी की मांग करता है और गला सूखने लगता है।

ऐसे में कुछ-कुछ देर में केवल 2-3 चम्मच के बराबर पानी पिएं जिससे गले का सूखापन, चक्कर और डिहाइड्रेशन की समस्या न हो। बस इस बात का ध्यान रखें कि एक्सरसाइज करते-करते पानी बिल्कुल नहीं पीना है। इससे तबियत बिगड़ सकती है और उल्टी हो सकती है। इसलिए पहले आराम से बैठ जाएं, लंबी सांसें भरें, फिर पानी पिएं और 2-3 मिनट रुककर ही एक्सरसाइजफिर से शुरू करें।

वहीं यदि आप योग करते हैं या दौड़ते-टहलते हैं तो इस दौरान पानी बिल्कुल नहीं पिएं। यदि एक्सरसाइज से आधा घंटा पहले पानी पिया है तो हल्की एक्सरसाइज या योग में पानी पीने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वहीं यदि दौड़ने या टहलने के दौरान पानी पीते हैं तो पेट दर्द, जी मिचलाना और उल्टी की समस्या हो सकती है। इसके अलावा पानी पीकर ज़्यादा देर दौड़ और चल नहीं पाएंगे क्योंकि पेट भरा होने के कारण थकान जल्दी महसूस होती है।

वर्कआउट से पहले खाना है या नहीं

वर्कआउट के दौरान शरीर की मुद्रा बार-बार बदलती है जिससे शरीर के पुर्ज़े पूरी तरह से हिल जाते हैं। यदि कुछ खाकर तुरंत एक्सरसाइज करते हैं, तो इससे पेट दर्द, उबकाई, आलस और आंतों की अकड़न की शिक़ायत हो सकती है। यहां तक कि उल्टी भी हो सकती है। खाना खाने के 3-4 घंटे बाद ही वर्कआउट करना चाहिए। हालांकि वर्कआउट सुबह के समय ख़ाली पेट ही करें, वही उत्तम है।

वर्कआउट के बाद कब खाएं

एक्सरसाइज के आधे घंटे बाद जूस या नारियल पानी पी सकते हैं। इसके आधा घंटा बाद ही कुछ खाएं। व्यायाम के तुरंत बाद कुछ खाने से पेट में गैस और एसीडिटी की समस्या हो सकती है।

वर्कआउट के बाद स्नान कब करना है

वर्कआउट के बाद शरीर गर्म हो जाता है। इसके तुरंत बाद नहाने से बुख़ार, ज़ुकाम, सिर दर्द, कमज़ोरी आदि होने का ख़तरा रहता है। इसलिए वर्कआउट के बाद 15-20 स्ट्रेचिंग करें और फिर आराम करें ताकि शरीर का तापमान और ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाए।



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Do not drink water before the workout or it will harm your health, eat it after half an hour of doing it so that the body gets full benefit


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यंग इंटप्रेन्योर ही नहीं बल्कि फैशनिस्टा भी हैं मिहिका बजाज, उनके रॉयल लुक को बयां करती ये फोटोज

इस साल की मोस्ट अवेटेड शादियों में साउथ इंडियन स्टार राणा दुग्गुबत्ती और मिहिका बजाज की शादी भी शामिल है। आज ये दोनों परिणय सूत्र में बंधे हैं। राणा की खूबसूरत दुल्हनिया मिहिका की चर्चा चारों ओर है। एक सफल बिजनेस वुमन होने के साथ ही फैशन की दुनिया में छाए रहने वाली मिहिका ने अपनी सगाई और प्री वेडिंग सेलिब्रेशन के जरिये अपने यूनिक ड्रेसिंग सेंस को बयां किया है।

महिका ने चेल्सी यूनिवर्सिटी से इंटीरियर डिजाइन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। राणा डग्गुबाती की मंगेतर मिहिका बजाज एक बिजनेसवुमन हैं। वह हैदराबाद में जन्मी और पली-बढ़ी हैं। मिहिका डेव ड्रॉप डिज़ाइन स्टूडियो के नाम से इंटीरियर डिजाइन डेकोरेशन और ईवेंट बिजनेस चलाती है।

इन तस्वीरों में देखिए फैशन और स्टाइल के मामले मे किसी बॉलीवुड स्टार से कम है मिहिका। वे चाहे वेस्टर्न ड्रेसस पहनें या एथनिक, उनके हर लुक की चर्चा जोरों पर रहती है। देश के टॉप डिजाइनर्स द्वारा डिजाइन किए गए आउटफिट्स उनकी खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करते हैं।

मिहिका की मां बंटी बजाज, कर्सला ज्वेलरी ब्रांड की डायरेक्टर और क्रिएटिव हेड हैं। इस फोटो में मां और बेटी का क्रिएटिव लुक देखते ही बनता है।


मिहिका की सिम्पलिसिटी और उनकी खूबसूरती चर्चा का विषय बनी हुई है। अपनी सगाई के मौके पर मिहिका ने जयंती रेड्डी की डिज़ाइन की हुई फ्लेमिंगो एंड फ्रेंच कलर की जरी एम्ब्रॉयडरी वाली दुपट्टा कांजीवरम साड़ी को चुना। इस साड़ी के सॉफ्ट टेक्सचर, ब्राइट और वाइब्रेंट कलर्स ने उनकी ब्यूटी को बढ़ाया। इस पर बने ट्रेडिशनल मोटिफ्स और जड़ाऊ गहने उन पर सूट हो रहे हैं।

मिहिका की हल्दी सेरेमनी का ये फोटो सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। पीले रंग के लहंगे में मिहिका काफी खूबसूरत लग रही हैं। इसके साथ उन्होंने सीपियों वाली ज्वेलरी पहनी है। ज्वेलरी डिजाइनर ये उम्मीद कर रहे हैं कि मिहिका की वजह से एक बार फिर सीपी वाली ज्वेलरी का ट्रेंड बढ़ेगा।

मिहिका ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस खूबसूरत लहंगे की फोटो शेयर की थीं। यह लहंगा जयंती रेड्डी ने डिजाइन किया है। मिंट ग्रीन कशीदाकारी हैंडवर्क एम्ब्रॉडयरी वाले लहंगे के साथ मिहिका ने कर्सला की डिज़ाइन की हुई 18 कैरेट की गोल्ड ज्वेलरी पहनी हुई है, जिसमें एक जड़ाऊ माला के साथ पोर्किस, माणिक और गुलाबी टूमलाइन हार भी है।

मिहिका की खूबसूती जयंती रेड्‌डी द्वारा डिजाइन किए इस लहंगे में भी देखते ही बनती है। बनारसी लहंगे के साथ एकदम कंट्रास्ट चोली उनके लुक को बढ़ा रही है। इस तरह की ड्रेस ब्राइडल वियर के अलावा शादी के बाद होने वाले फंक्शंस के लिए भी उपयुक्त है।



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Mihika Bajaj is not only a young entrepreneur but also a fashionista, these 10 photos describe her royal look


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लॉकडाउन के दौरान चेन्नई के यूथ विंग्स ने अस्पताल में भर्ती उन शिशुओं तक ब्रेस्ट मिल्क पहुंचाया जिन्हें मां का दूध नहीं मिल पाता

चेन्नई के यंग वालंटियर्स लॉकडाउन में बिना थके सैकड़ों न्यूबोर्न बेबीज को ब्रेस्ट मिल्क उपलब्ध करा रहे हैं। ये वालंटियर चेन्नई के गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने पिछले चार महीने के दौरान लगभग 100 लीटर ब्रेस्ट मिल्क इस अस्पताल में भर्ती शिशुओं तक पहुंचाया है।

थंगादिवरन एक ब्रेस्टमिल्क डोनेशन ग्रुप है। इसके लिए तीन लेक्टिंग मदर्स काम करती हैं। इनके नाम बेबी श्री करण, कौशल्या जगदीश और राम्या संकर नारायणन हैं। इनके जरिये अस्पताल तक मां का दूध पहुंचाया जाता है। इस ब्रेस्ट मिल्क बैंक का उद्घाटन तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने किया था।

लॉकडाउन के दौरान जब लोगों के आने-जाने पर प्रतिबंध था और ट्रासंपोर्ट के साधन मिलना भी मुश्किल था। ऐसे में भी इस अस्पताल के ब्रेस्ट मिल्क बैंक में दूध की कमी नहीं हुई। इस काम के लिए अस्पताल का स्टाफ इन यूथ विंग्स की तारीफ करते नहीं थकता।

इन वालंटियर्स ने लोगों को हर तरह से मदद की। इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के नियोनेटोलॉजी डिपोर्टमेंट की नर्सिंग को ऑर्डिनेटर डी. अकीला देवी के अनुसार इन वालंटियर्स की वजह से अस्पताल के बच्चों को समय पर मां का दूध मिल सका।

अकीला के अनुसार इस हॉस्पिटल की नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में लगभग 52-60 बच्चे रहते हैं। इन बच्चों की मां दूसरे अस्पताल में भर्ती या डिलिवरी के बाद घर में हैं।

इनके लिए लॉकडाउन के दौरान अपने बच्चे के लिए मां के दूध का इंतजाम करना भी मुश्किल है। लगभग 10 बच्चे ऐसे हैं जिनके लिए मां का दूध उपलब्ध नहीं है। इन बच्चों को दिन में कम से कम 10 या 12 बार इस दूध की जरूरत होती है। एक बच्चे को दिन भर में 10 मिली दूध पिलाया जाता है।

यूथ वालंटियर्स लेक्टिंग मदर के घर से ब्रेस्ट मिल्क लाकर इन शिशुओं तक पहुंचाते हैं। श्री करन के अनुसार मेरी टीम के सदस्यों ने लॉकडाउन के दौरान 98 लीटर ब्रेस्ट मिल्क का प्रबंध किया है। इनमें से कई शिशु ऐसे भी हैं जिनकी मां ज्यादा बीमार है।

वे नहीं चाहती कि अपने नौनिहाल के पास आएं क्योंकि उन्हें ये डर है कि कहीं उनका इंफेक्शन बच्चे को न हो जाए। ऐसे समय मासूम बच्चों के लिए ये वालंटियर्स किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। वे चाहते हैं कि इस बारे में लोग जागरूक हों और मदद के लिए आगे आएं।

एक वालंटियर अशोक कुमार के अनुसार ''लॉकडाउन में चेन्नई की सड़कों पर जगह-जगह बैरिकेड्स लगे थे। ऐसे में ब्रेस्ट मिल्क लेकर अस्पताल तक पहुंचना बहुत मुश्किल था। हम लंबे रास्ते से होते हुए अस्पताल पहुंचते थे। ऐसे समय जगह-जगह तैनात पुलिस पूछताछ करती। तब मैंने हॉस्पिटल से परमिशन लेटर लेकर अपना काम जारी रखा''।

एक वालंटियर के अरुण राज कहते हैं ''मैं जब भी दूध देने अस्पताल तक जाता तो मैं हमेशा मेरी से झूठ बोलता कि मैं कहीं ओर जा रहा हूं। अगर मां को यह पता चलता कि मैं अस्पताल से आ रहा हूं तो वह मुझे इंफेक्शन के डर से घर में नहीं घुसने देती। उन्हें अभी भी ये नहीं पता है कि मैं रोज अस्पताल जाता हूं। उन्हें इस बार का डर लगता है कि कहीं अस्पताल जाते हुए मुझे इस महामारी का असर न हो जाए''।

एक अन्य वालंटियर आदियन गणेशन के अनुसार ''मेरी मां भी इस बात को लेकर चिंतित रहती है कि रोज अस्पताल जाने से मुझे इंफेक्शन न घेर ले। लेकिन मैं मां को समझाता हूं कि अगर सभी ऐसा सोचने लगेंगे तो मासूम बच्चों को मिलने वाला दूध उन तक कैसे पहुंच पाएगा''।

हाल ही में संपन्न वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक के दौरान इन वालंटियर्स को अस्पताल के स्टाफ ने अवार्ड देकर सम्मानित किया है।



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During the lockdown, Youth Wings of Chennai brought breast milk to infants hospitalized who could not get breast milk.


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NSE sets aside over Rs 4,000 cr of revenues from its co-location operations

Sebi had directed exchange to transfer this income to a bank account pending probe

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लोगों के बीच ट्रेंडिंग हुआ कोरोना वायरस टैटू, महामारी से बचाव का लोग मान रहे इसे कारगर तरीका

कोरोना काल में इस महामारी से बचने के लिए लोगों ने क्या नहीं किया। किसी ने घर में मंदिर बनाकर कोरोना देवी की पूजा की तो किसी ने कोरोना बाबा को मनाने का हर प्रयास कर डाला।

फिलहाल कोरोना से बचाव का जो ट्रेंड चल रहा है उसमें अंतर्गत लोग कोरोना से जुड़े तरह-तरह के टैटू अपने शरीर पर बनवा रहे हैं। उनका मानना है कि ये टैटू कोविड -19 से बचाने में उनकी मदद करेंगे।

फाेटो : साभार - metro.co.uk

स्पेन के एंड्रेस वेगा पिछले 21 सालों से अपने कस्टमर के लिए टैटू बना रहे हैं। वे कहते हैं इन दिनों उनके पास ऐसे कई कस्टरमर आ रहे हैं जो कोविड - 19 के दौरान संघर्ष कर रहे प्रोफेशनल्स के टैटू बनावाना पसंद कर रहे हैं।

एंड्रे ने अपने एक टैटू में मास्क पहने फीमेल नर्स का फेस बनाया। उन्होंने इस मास्क को बहुत खूबसूरती के साथ अपने कस्टमर के बाजू पर बनाया। नर्स के फोटो के नीचे की ओर सुंदर फूलों से बनी डिजाइन भी देखी जा सकती है।

32 वर्षीय सिडनी निवासी टैटू आर्टिस्ट लांस ओरियन विल्ब्रो ने हाल ही में अपने क्लाइंट के लिए लॉकडाउन के दौरान घर में रहकर लोगों द्वारा किए गए संघर्ष को बताने के लिए एक परमानेंट टैटू बनाया।

टैटू बनवाने वाले लोगों के बीच मुश्किल हालातों में खुश रहने का यह जरिया कारगर साबित हो रहा है। कोई अपने हाथ में हैंड वॉश का मैसेज देता टैटू बनवा रहा है तो किसी को कोरोना वायरस बैक्टीरिया अपनी बॉडी पर अच्छा लग रहा है।

हालांकि कुछ लोग इन टैटूज का मजाक उड़ा रहे हैं। लेकिन जेन का मानना है कि ये टैटूज कोरोना काल के दौरान लोगों पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं।

कुछ लोग इसे लॉकडाउन को याद रखने का जरिया मान रहे हैं। इसलिए टैटू बनवाने का यह अवसर वे किसी हाल में खोना नहीं चाहते। एक व्यक्ति ने ग्रीन माइक्रोस्कोपिक वायरस टैटू बनवाया। उसका मानना है कि इस तरह की टैटू डिजाइन उसे वायरस से बचाने में मदद करेगी।

अपने शौक के लिए बनवाए जाने वाले ये टैटू आपको फैशनेबल तो दिखा सकते हैं लेकिन अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जिससे ये समझ में आए कि ये टैटूज कोरोना से बचाव भी करते हैं।

27 साल क टेलर डुविन कनाडा में रहती हैं। उन्होंने कोरोना वायरस टैटू की डिजाइन वाली एक फ्लैश शीट बनाई है। वे कहती हैं मेरे पास इस तरह के टैटूज बनाने की कई रिक्वेस्ट आ रही हैं।

उन्होंने ये शीट लॉकडाउन के दौरान उस वक्त बनाईं जब उनके पास करने के लिए कोई और काम नहीं था। अपनी बोरियत को दूर करने के इस तरीके से आज वे मुंहमांगी रकम पा रही हैं।



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Corona virus tattoos trending among people, believe it is an effective way to protect against epidemic


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Friday, 7 August 2020

Gold price today at Rs 56,050 per 10 g; silver at record Rs 76,510 a kg

In New Delhi, the price of 22-carat gold rose to Rs 54,750 per 10 gram, and in Chennai to Rs 54,200

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दो साल में पेट बढ़कर 19 किलो का हुआ, न नींद आ रही है और न चल फिर पा रही हैं; डॉक्टर्स भी हैरान

चीनी महिला हुआंग गुओशियान पेट की अजीबोगरीब बीमारी से जूझ रही हैं। पिछले दो साल में पेट इतना बढ़ गया है कि इसका (पेट) वजन 19 किलो हो गया है। हुआंग का कहना है कि पेट इतना ज्यादा भारी महसूस होता है कि सोना और चलना-फिरना मुश्किल हो गया है। बच्चों की देखभाल भी नहीं कर पा रही हूं। पेट का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है।

दवाओं से पेट दर्द रुका पेट का बढ़ना नहीं
हुआंग दो बच्चों की मां हैं, उनका कहना है कि मेरा वजन 54 किलो है, इसमें पेट का 19 किलो वजन शामिल है। यह मेरे शरीर का 36 फीसदी है। मैं ऐसा पिछले दो साल से झेल रही हूं। दो साल पहले पेट दर्द की शिकायत होने पर डॉक्टरी सलाह ली थी। दवाओं से पेट का दर्द तो कम हुआ लेकिन इसका बढ़ना खत्म नहीं हुआ।

सवा तीन लाख रुपए सोशल मीडिया से जुटाए
आर्थिक तंगी से जूझ रहीं हुआंग कई बार डॉक्टर्स से इलाज करा चुकी हैं लेकिन अब तक कोई फायदा नहीं हुआ। अब वह देश के बड़े डॉक्टर्स से इलाज कराना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट डाली। पोस्ट के कारण मदद के लिए हाथ बढ़े और करीब सवा तीन लाख रुपए जुटाए। हुआंग को उम्मीद है कि इतने रुपयों से उसका इलाज संभव हो पाएगा।

कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ चुकी हैं
हुआंग इससे पहले लिवर सिरोसिस, ओवेरियन कैंसर, बिनाइन ट्यूमर से भी जूझ चुकी हैं। उनके सीने और पेट में पानी जमा होने की बात भी सामने आ चुकी है, लेकिन पेट का आकार इस तरह बढ़ने की वजह नहीं पता चल पा रही है।

लोग प्रेग्नेंट महिला समझते हैं
हुआंग कहती हैं जब वह बाहर निकलती हैं तो लोग उन्हें गर्भवती महिला समझते हैं। लगातार शारीरिक और मानसिक तनाव के कारण बात-बात पर गुस्सा आता है। नींद पूरी न होने पर स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। घर में कामों में दादा-दादी हाथ बंटाते हैं। उम्मीद है, मैं जल्द पहले की तरह स्वस्थ हो जाउंगी।



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China Woman Big Stomach; Know The Health Concerns Of Huang Guoxian


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CG Power approves securities subscription agreement with Tube Invt; stk up

Tube Investments of India was trading nearly 5.5 per cent higher at Rs 537.20.

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28 कैंसर पेशेंट बच्चों का सहारा बनीं गीता श्रीधर, दिन-रात इनकी सेवा में समर्पित होकर कहलाईं ''गीतू मां''

चेन्नई की रहने वाली गीता श्रीधर शादी के बाद मुंबई शिफ्ट हो गईं। मुंबई में उन्होंने एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। इसी दौरान उनका काफी समय अपने बीमार पिता की देखभाल में बीता।

लंबी बीमारी के बाद जब गीता के पिता इस दुनिया में नहीं रहे तो उन्होंने लोगों की मदद करने का फैसला किया। वे जरूरतमंदों की मदद के लिए हर हाल में आगे रहती हैं।

अपने काम की शुरुआत के दिनों में वह एक डॉक्टर से मिलीं जो उन्हें पुणे के एक अनाथ आश्रम में ले गए। इस आश्रम के अधिकांश बच्चों की उम्र 2 से 5 साल थी जो कैंसर से जूझ रहे थे।

इन बच्चों को अच्छे इलाज के साथ ही पूरी देखभाल की भी जरूरत थी। गीता को लगा कि इन बच्चों की आर्थिक मदद से ज्यादा जरूरी इनके साथ रहना भी है ताकि इनकी सही देखभाल की जा सके।

गीता इस आश्रम के 28 कैंसर पेशेंट को अपने साथ मुंबई ले गईं। गीता के पास मुंबई में अपने घर के अलावा भी एक फ्लैट था। इसी फ्लैट में उन्होंने बच्चों को रखा। इन बच्चों की कीमो थैरेपी चल रही थी और दवाओं का हेवी डोज दिया जा रहा था।

इन बच्चों की देखभाल में गीता ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। गीता के पति हर हाल में उनके साथ रहे। अपनी जमा राशि को गीता ने इन मासूमों की देखभाल में खर्च किया। ऐसे समय गीता के कुछ दोस्तों ने उनकी मदद की।

गीता कहती हैं मैंने इन बच्चों की 24 घंटे देखभाल का पूरा इंतजाम किया। मैं खुद रोज इनसे मिलने जाती और इनके साथ कई एक्टिविटीज का हिस्सा भी बनती।

यहां इनके लिए गेम सेशंस, आर्ट एंड क्राफ्ट क्लासेस, डांस और म्युजिक थैरेपी का इंतजाम किया गया। धीरे-धीरे वे सभी बच्चे मेरे दोस्त बन गए और मुझे प्यार से ''गीतू मां'' कहने लगे।

गीता को इन बच्चों की खुशी देखकर जो सुख मिलता है, उसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। पिछले 12 सालों से वे इन बच्चों की सेवा में लगी हुई हैं।

इसके साथ ही गीता ने अन्य कई सोशल वर्क भी किए। उन्होंने टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के कैंसर पेशेंट्स के लिए खाने का प्रबंध किया। गीता के अनुसार कई फैमिली फ्रेंड्स यह जानते थे कि वे एक अच्छी कुक भी हैं।

अपने दोस्तों और फैमिली मेंबर्स की सलाह पर वे 2014 में मास्टर शेफ इंडिया का हिस्सा भी बनीं। उसके बाद अपनी दो बेटियों की बात मानकर उन्होंने फूड ब्लॉग लिखना शुरू किया। हाल ही में उन्होंने मिनीएचर कुकिंग की शुरुआत भी की है।


गीता कहती हैं ''एक महिला के लिए इतनी सारी जिम्मेदारियां निभाना आसान नहीं है। फिर भी परिवार के सपोर्ट से उन्होंने वे सभी काम किए जो चाहती थीं''।

यहां तक कि लॉकडाउन भी उनके जज्बे को रोक नहीं पाया। इस दौरान उन्होंने कई सोशल वर्क किए जिसमें पुलिस ने भी उनकी मदद की।

पिछले कुछ सालों से गीता ने अपने कुछ वॉलंटियर्स की मदद से फूड बैंक की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत वे हर संडे को गरीबों की खाना खिलाती हैं।

वे मानती हैं कि ईश्वर ने इंसान को एक दूसरे की मदद के लिए भेजा है। वे अपने काम से कभी नहीं थकती बल्कि ये कोशिश करती हैं कि जहां भी लोगों को उनकी जरूरत है, वे वहां पहुंचकर उनके लिए सहारा बनें।



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Geeta Sridhar became the support of 28 cancer patients, dedicated to her day and night and said "Geetu Maa"


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Franklin Templeton MF's shut schemes receive Rs 4,280-cr since closure

Franklin Templeton shut six debt mutual fund schemes on April 23, citing redemption pressure and lack of liquidity in the bond market

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Reliance Broadcast defaults to debt schemes of Franklin Templeton MF

In a note to investors, FT MF said that it was in the process of initiating appropriate enforcement action to recover dues from the issuer and other connected parties

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Pidilite Industries jumps 4% on better-than-expected June quarter results

It's EBITDA stood at Rs 66.37 crore in Q1FY21, down 85.04 per cent YoY from Rs 443.73 crore posted in Q1FY20

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Mahindra & Mahindra's consolidated profit drops 97% YoY to Rs 68 cr in Q1

In Q1FY21, M&M sold 27,565 vehicles, a 78 per cent YoY drop from 1.23 lakh sold in Q1FY20

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Gold ETFs clock 8th consecutive month of positive flows, says WGC

Gold ETFs and similar products recorded their eighth consecutive month of positive flows, adding 166 tonnes in July -- equivalent to $9.7 bn or 4% of AUMs, the World Gold Council said

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Thursday, 6 August 2020

Delta Corp surges 17% as BSE revises circuit limit from 5% to 20%

A combined 11.77 million shares had changed hands on the NSE and BSE till the time of writing of this report

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Torrent Power surges 9%, hits 52-week high after June quarter result

Revenue from operations, however, stood at Rs 3,007.05 crore, down 19.5 per cent against Rs 3,736.13 crore in the June 2019 quarter.

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HPCL advances 4% as Q1 pre-tax profit leaps 140% YoY to Rs 3,120 crore

The combined gross refining margin (GRM) during the April-June period saw a negative of $0.04 a barrel, compared to $0.75 a barrel in the corresponding period of last year

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Mindspace Business Parks REIT lists at 11% premium over issue price

The IPO of Mindspace Business Parks REIT was subscribed 13 times during July 27-29

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Lupin plunges 6% as June quarter profit tanks 60% YoY to Rs 107 crore

EBITDA tood at Rs 531.4 cror for the quarter under review, down 34.7 per cent, from Rs 813.4 crore of Q1FY20, and by 27.6 per from Rs 733.9 crore logged in Q4FY20

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Vodafone Idea slips 7% as June quarter losses widen to Rs 25,460 crore

ARPU, at Rs 114, increased on a YoY basis, but declined sequentially despite the tariff hike in December

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Bayer CropScience hits all-time high as Q1 net jumps 86% YoY to Rs 252 cr

Profit before exceptional items and tax came in at Rs 313.8 crore, up 54 per cent YoY.

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Eveready Ind., Delta Corp: BSE revises circuit limit for over 6oo stocks

Nelco Ltd, Indian Terrain Fashions, Indian Toners & Developers, and Aditya Birla Money are some of the counters where limit has been revised

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Stocks to watch: HPCL, Voda Idea, Mindspace REIT, Lupin, M&M, Cipla, Abbott

Here's a list of stocks that may trade acively in today's trading session.

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Here's a Bull Spread strategy for NMDC by Nandish Shah of HDFC Securities

The short term trend turned positive for NMDC as it has closed above its 5 and 20-day SMA

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Trading strategies for Aluminium and Natural Gas by Tradebulls Securities

Natural Gas has breached its previous resistance of 163

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Nifty view and stock calls by Anand Rathi: Buy Glenmark Pharma, MPhasis

Glenmark Pharma's stock is taking the support of a rising trend line

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Market Ahead, Aug 7: Top factors that could guide markets today

Mindspace Business Parks REIT is all set to debut on the bourses today. The final issue price has been fixed at Rs 275 per share, the upper end of price band of Rs 274-275

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MARKET LIVE: SGX Nifty suggests a flat start; Mindspace REIT to list today

Catch all the live market updates here

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Gold price jumps to Rs 55,350 per 10 gram, silver at Rs 73,500 a kg

In New Delhi, the price of 22-carat gold rose to Rs 54,150 per 10 gram, and in Chennai to Rs 53,510

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कुपवाड़ा की 23 साल की नादिया बेग की सक्सेस स्टोरी, अपने गांव से सबसे बड़ी एग्जाम क्लियर करने वाली पहली कश्मीरी लड़की

श्रीनगर से हीरा अजमत की रिपोर्ट. ईद का जश्न अभी खत्म ही नहीं हुआ था कि कश्मीर की 23 साल की नादिया बेग ने घाटी और परिवार को एक और जश्न मनाने लायक मुकाम हासिल किया है।

4 अगस्त को जारी यूपीएससी एग्जाम के रिजल्ट में नादिया ने 350 वी रैंक हासिल की है। नादिया अपने इलाके की पहली ऐसी लड़की हैं जिसने यूपीएससी में सफलता हासिल की है।

अपनी दूसरी कोशिश में सफल रहीं नादिया मानती है कि, अगर सही वक्त पर सही दिशा में कदम बढ़ाएं जाए तो इंसान की कोशिशें जरूर रंग लाती है। गौर करने वाली बात यह है कि इन कोशिशों में सिर्फ टैलेंट ही जीतता है, बाकी सारे फर्क अपनेआप खत्म हो जाते हैं।

अपनी मां (पीले सूट में) और परिवार की बाकी महिलाओं के साथ नोटों का हार पहने नादिया।

जानते हैं नादिया की कहानी उन्हीं की जुबानी

मैं नार्थ कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के पुंजवा गांव से हूं। इल्म की बातें और तालीम की कद्र हमारे परिवार में शुरू से है। मेरे पिता टीचर हैं और दो बहनें श्रीनगर मेडिकल कॉलेज की स्टूडेंट हैं।

मैंने अपनी प्राइमरी एजुकेशन विलगाम के पब्लिक स्कूल और सेकंडरी एजुकेशन सरकारी स्कूल से पूरी की। मुझे और बहनों को घर में इस बात की पूरी आजादी है कि हम जो चाहें वो करें। मेरे पैरेंट्स ने हमेशा कॅरिअर को संवारने में हम बहनों की मदद की है।

इसके बाद दिल्ली आकर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया।पढ़ाई के दौरान मुझे ये लगने लगा कि मेरी रुचि पॉलिसी मेकिंग और एडमिनिस्ट्रेशन में है। मेरे सपनों को जामिया मिलिया में उड़ान मिली। यहां पढ़ाई करते हुए मेरी सोच भी बदली। मैं यहां पूरी दुनिया के लोगों से मिली जिन्होंने मुझे आगे बढ़ने में मदद की।

जब UPSC की तैयारी का मन बनाया तभी से यह सोच लिया था कि परीक्षा में सफल होने के लिए रोज खूब पढ़ना जरूरी है। 2017 के बाद से अब तक मेरा हर एक दिन पढ़ाई करते हुए बीता है मैंने रोज 12 घंटे पढ़ाई की। जब मुझे इस बात का यकीन नहीं हो गया कि अब तो मैं कामयाब हो जाऊंगी, तब तक मैंने पढ़ाई के अलावा कुछ नहीं किया।

जब लोग पूछते हैं कि क्या मुझे यकीन था कि मैं परीक्षा में सफल हो जाऊंगी तो मैं यही कहती हूं कि, यही बात तो यूपीएससी की खासियत है। जिस भी स्टूडेंट को नंबर वन रैंकिंग मिली है, उसे भी यह नहीं मालूम होगा कि वह इस मुकाम को हासिल कर पाएगा। मैं अपने पहले प्रयास में पहला राउंड में ही बाहर हो गई थी, लेकिन फिर मेहनत की और अब सफल होकर दिखा दिया

मेरी जी-जान से की गई मेहनत का असर नतीजों के रूप में निकल कर आया और मैं मानती हूं कि हर एक स्टूडेंट के साथ ऐसा हो सकता है। आज के दौर में टेक्नोलॉजी की नई चीजें हमारे लिए खासतौर पर मददगार हैं और इससे निश्चित रूप से आने वाले दिनों में अच्छी सफलता हासिल की जा सकती है।

जाहिर तौर पर घाटी का माहौल पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने वाला नहीं है। अगर मैं उसी माहौल में रहती तो मेरे लिए आगे बढ़ पाना मुश्किल होता। इसलिए अच्छी तैयारी के लिए मैंने जामिया मिलिया अकेडमी की रेसीडेंशियल कोचिंग जॉइन की। मेरी सक्सेस का क्रेडिट उन्हें भी जाता है।

मैं अगले साल फिर इस एक बार इस परीक्षा में बैठूंगी और अपनी रैंकिंग इम्प्रूव करूंगी। इस एग्जाम की तैयारी करने वाले सभी साथियों को मेरी सलाह है कि आपके अंदर लगन, यकीन और जज्बा जरूरी है। इन तीनों चीजों को अपनी ताकत बना लिया तो आप यकीनन कामयाबी पा सकते हैं''।

अपनी बहन, अब्बू और अम्मी के साथ नादिया बेग।

आखिर में, नादिया के पैरेंट्स के दिल की बात
नादिया के पैरेंट्स के लिए अपनी बेटी की ये उपलब्धि नई बुलंदियों की तरह है। नादिया के पिता कहते हैं ''मेरा यकीन है कि बच्चों के फैसलों को कभी गलत नहीं मानना चाहिए। हर पढ़ने-लिखने वाला स्टूडेंट अपने आने वाले कल का सही फैसला लेने में सक्षम है। बस, पैरेंट्स को उनका साथ देकर हौसला अफजाई करनी चाहिए''।



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Success story of 23-year-old Nadia Baig of Kupwara, the first Kashmiri girl to clear the biggest exam from her village


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Goldprice dips Rs 10 to Rs 62,720, silver falls Rs 100 to Rs 74,900

The price of 22-carat gold also fell Rs 10 with the yellow metal selling at Rs 57,490 from Markets https://ift.tt/rpZGNwM