It simply sucks. I don't personally read blog posts word by word, so how can I except you to read them too? I known ther are people who are kind enough to read a 10,000 word long blog article from start to finish, but I think that's a minority.why waste your time ? Let me..
किचन के कामों को आसान बनाने के लिए कुछ तरीके अपनाना जरूरी हैं। इस तरह आपका समय भी बचेगा और सारे काम जल्दी पूरे हो जाएंगे। कुछ कारगर जुगाड़ हम आपको बता रहे हैं, जो आपके कामों को फटाफट पूरा करने में मदद करेंगे।
पत्तेदार सब्जि़यां
आजकल सब्ज़ियां अधिकतर पतली नेट में आती हैं। इसका कारण रहता है कि उन्हें हवा लगती रहे। आपके पास भी यदि इस तरह की नेट है तो फेंकने के बजाय इसमें हरा धनिया, पत्ता गोभी, पालक, मेथी आदि डालकर धो सकते हैं। इससे उनकी गंदगी भी दूर हो जाएगी और धोने पर सिंक में जाने से भी बच जाएंगी।
सील करें
घर का राशन सभी इकट्ठा लाते हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि डिब्बा भर जाने पर दाल, चावल आदि को पैकेट में ही रखना पड़ता है। इस कारण उनमें सीलन आने और कीड़े पड़ने की आशंका रहती है। उन्हें सील करने के लिए जिस हिस्से को बंद करना है उसे सिल्वर फॉइल के बीच में रखें। फिर फॉइल के ऊपर से गर्म प्रेस फेर दें। इससे पॉलीथिन पिघलने का डर भी नहीं रहेगा और सामान अच्छी तरह से सील भी हो जाएगा।
अधिक रस निकालें
नींबू का रस निकालने के लिए उसे 15-20 सेकंड के लिए माइक्रोवेव में रखें और फिर निचोड़ें। इससे रस सामान्य से अधिक निकलेगा। आज़माकर देखें।
गीलापन हटाएं
चावल पकने के बाद उसमें गीलापन लग रहा हो तो उसके ऊपर किचन टॉवल या साफ़ कपड़ा रखकर बर्तन को ढंक दें। 10 मिनट बाद कपड़ा हटाकर देखें। आप पाएंगे कि चावल से अतिरिक्त गीलापन दूर हो गया है और चावल खिले-खिले हो गए हैं।
ताज़गी रहेगी बरक़रार
धनिया, पुदीना या भाजी को अधिक समय तक ताज़ा रखना चाहती हैं तो उन्हें बर्तन में पानी भरकर उनके जड़ वाला सिरा डुबोकर रखें और ऊपर वाले सिरे को पॉलीथिन से ढंक दें। इससे वे सामान्य से अधिक दिनों तक ताज़ा रहेंगी। उन्हें इसी तरह बर्तन समेत फ्रिज में भी रख सकती हैं।
पानी के दाग़ हटाएं
नल और उसके आसपास के हिस्से में पानी के दाग़ पड़ जाते हैं और ये पानी जम जाता है। उन्हें हटाने के लिए नींबू को उन दाग़ों पर रगड़ें। हफ्ते में 2-3 बार ऐसा करें। दाग़ कुछ ही दिनों में चले जाएंगे।
बटर निकालें
ब्रेड पर बटर लगाने के लिए फ्रिज से निकालने पर तत्काल उसे काटना मुश्किल होता है। इसलिए पिलर की मदद से बटर को निकालें। इससे ये पतले स्लाइस में कटेगा और निकालने में मुश्किल भी नहीं होगी।
प्याज़ काटें आसानी से
प्याज़ काटने में आंसू आते हैं, तो प्याज़ को छीलकर बीच से काटें और पानी से धो लें। इससे ये आसानी से कट जाएगा और आंसू भी नहीं आएंगे।
अखरोट खाने से दिमाग़ तेज़ होता है, ये तो हम सभी ने सुना है। पर इसका सेवन करने के और भी कई फ़ायदे हैं, जिन्हें हम कम ही जानते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि अखरोट वज़न घटाने और दिल की बीमारियों से लड़ने में भी मददगार है। आइए जानें इसके अन्य फ़ायदों के बारे में। एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर
अखरोट किसी भी अन्य सूखे फल की तुलना में एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर है। यह शरीर को ऑक्सिडेटिव की कमी से निबटने में सहायता करता है और कोलेस्ट्रॉल की वजह से होने वाले हृदय रोगों से लड़ने में भी मददगार साबित होता है।
ओमेगा 3 का स्रोत
अखरोट ओमेगा 3 का अच्छा स्रोत है और यह दिल की बीमारियों और टाइप 2 शुगर को कम करने में मदद करता है। इसका रोज़ सेवन उन पुरुषों और महिलाओं के लिए फ़ायदेमंद है जो नियमित रूप से शारीरिक और मानसिक कार्य करते हैं और बढ़ती उम्र में हैं।
वज़न कम करे
अखरोट कैलोरी से भरपूर होते हैं। एक मोटापा ग्रस्त व्यक्ति जो पांच दिनों या उससे अधिक समय के लिए अच्छी मात्रा में अखरोट खाता है उसकी भूख समय के साथ सीमित हो जाती है, और स्वास्थ्य भी सुधरता है।
कैंसर का ख़तरा घटाता है
अखरोट में पॉलीफेनोल्स नामक तत्व मौजूद होता है। स्तन कैंसर, प्रोस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव करता है।
मस्तिष्क की गतिविधि बढ़ाए
अखरोट का सेवन करने का एक और लाभ यह है कि यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को बेहतर बनाने में मदद करता है, जो दिमाग़ को तेज़ी से कार्य करने में मदद करती हैं। यह याद्दाश्त बढ़ाने में भी मददगार होता है।
कैसे करें सेवन
भिगोकर खाएं
अखरोट को रातभर पानी में भिगो दें। सुबह उठकर इसका सेवन करें। रोज़ाना भीगे हुए अखरोट खाने से शुगर और वज़न कम करने में भी मदद मिलती है।
चटनी बनाएंं
अखरोट की चटनी बना सकते हैं। भुने हुए अखरोट, अदरक, लहसुन, नींबू का रस, तेल, नमक काली मिर्च डालकर चटनी बनाएं। इसे पराठे या रोटी के साथ भी खा सकते हैं।
सलाद
हम सभी जानते हैं कि सलाद हरी सब्जि़यों और कुछ नट्स से भरा होता है। अखरोट का सलाद बनाने के लिए इसके साथ सेब, किशमिश, ककड़ी, शहद की जरूरत होती है। इन सामग्रियों को अच्छे से मिलाएं और इस सलाद को दोपहर के भोजन या रात के खाने में खाएं।
उन दिनों मैं चंडीगढ़ में कार्यरत था। रिहाइशी सेक्टर 42 में लगे अर्जुन, बेल और जामुन जैसे अनेक स्वास्थ्यवर्धक वृक्षों ने पर्यावरण बहुत समृद्ध किया हुआ है। सुबह-शाम सैर करने के लिए सड़क के उस तरफ़ आम के पेड़ों से भरा पार्क तो फ़्लैट के पीछे खुला मैदान। दोनों जगह काफ़ी लोग सैर किया करते।
हम पति-पत्नी सुबह आम के वृक्षों की सोहबत में सैर करते थे, जहां कितनी ही बार मोर मिल जाते थे। पत्नी मोर परिवार के साथ फोटो खिंचवाती थी। कई बार तो पांच मोर-मोरनियां दिख जाते थे और मोर का नृत्य भी। कभी-कभार बारिश हो जाती तो मौसम थोड़ी ठंडक के साथ ख़ुशगवार हो जाया करता।
एक शनिवार रात की बात है, हमारे घर कुछ मेहमान आए हुए थे। खाना खाते और गप्पें लड़ाते हुए देर से सोना हुआ। सुबह अलार्म बजा तो उठने का मन न होते हुए भी उठ गया। देखा पत्नी अभी उठी नहीं है, जगाने की कोशिश की तो बोली, ‘आज बहुत थकी हुई हूं, आप घूम आएं।’ कुर्सी पर बैठे बाहर मैदान की ओर देखते हुए जूते पहनने लगा तो लगा कुछ देर में बारिश हो सकती है।
सीढ़ियों से उतरकर दो फ्लोर नीचे पहुंचा तो बारिश शुरू हो चुकी थी और ठंडी हवा भी चल रही थी। दोनों सूरतों ने मुझे अपने फ़्लैट की तरफ़ वापस भेज दिया। कुर्सी पर बैठकर बाहर देखने लगा, बारिश तेज़ हो गई थी। एकबारगी दिल किया कि थोड़ी देर और सो लूं, रविवार है। चाय पीने का मन किया तो रसोई में गया और चाय बनाकर पत्नी को भी दी।
उसने पूछा, ‘आप भी नहीं गए आज’, तो बताया बारिश हो रही है। चाय पीते-पीते, बारिश कम हो गई थी। बाहर देखा मैदान के किनारे एक प्रौढ़ महिला छतरी लेकर टहल रही हैं। सोचा कहीं जा रही होंगी, लेकिन नहीं, उन्होंने मैदान का पूरा चक्कर लगाया और सैर करती रहीं।
बारिश रुकी नहीं थी और वह निरंतर सैर कर रही थीं। उन्होंने धीरे-धीरे चलकर पूरे तीन चक्कर लगाए। मुझे अपने आप पर शर्म महसूस हो रही थी कि ज़रा-सी बारिश के कारण मैंने सैर पर जाना टाल दिया। जब मुझसे उम्र में काफ़ी बड़ी महिला बारिश में सैर कर सकती हैं तो मैं क्यों नहीं कर सकता, जबकि डॉक्टर के परामर्श के अनुसार मुझे रोज़ सैर करनी ही थी।
जल्दी से जूते के तस्मे बांधते हुए पत्नी से कहा कि जा रहा हूं। उस दिन छतरी लेकर सैर करने का मज़ा आ गया। वापस आया तो पत्नी बोली, ‘अरे वाह, आज तो जनाब बारिश में ही सैर करने चले गए थे।’ मैंने हंसते हुए बिल्कुल ताज़ा मिली प्रेरणा बारे उन्हें बताया। उस अनाम, अनजान प्रेरणा ने चंद मिनट में ही मेरी ज़िंदगी की किताब में बेहद सकारात्मक पाठ जोड़ दिया था, जिसे मैंने बार-बार पढ़ा और दूसरों को भी प्रेरित किया।
सैर की नियमितता बरक़रार रखना स्वास्थ्य के लिए कितना ज़रूरी है, यह समझना सचमुच महत्वपूर्ण रहा। आज भी सैर के लिए निकलते समय यदि सामान्य बारिश हो तो मैं जाता ज़रूर हूं। छतरी हाथ में उठाए अनाम प्रेरणा को याद अवश्य करता हूं।
लघुकथा : मेहंदी की ख़ुशबू
लेखिका : स्वाति
मां जी मैं ज़रा बाज़ार से होकर आती हूं। दीदी को मेहंदी, चूड़ियां और सुहाग की चीज़ें भेजनी होंगी न। सावन के तो कुछ दिन भी निकल गए। दीदी इंतज़ार कर रही होंगी। वंदना ने अपनी सास से कहा।
‘ठीक है बहू। लेकिन जल्दी आ जाना। लग रहा है कि बारिश होने वाली है।’ वंदना की सास ने प्यार से देखते हुए कहा। वंदना मुस्कराते हुए बाहर निकल गई।
एक घंटे में जब वह वापस आई तो अपने कमरे में सुहाग के सामान और चटख लाल रंग की साड़ी देख हैरान रह गई।
‘ये सब किसका सामान है मां जी?’ वंदना ने पूछा।
‘तुम्हारा है बहू! तुम्हारी मां नहीं हैं तो क्या मैं तुम्हारे लिए सावन में ये सब नहीं ला सकती? मैं भले भूल जाऊं मगर तुम मेरी बेटियों को तीज-त्योहारों पर परम्परा की चीज़ें भेजना नहीं भूलती। तो मैं ये कैसे भूल जाती कि अब तुम्हारी मां नहीं रही तो तुम्हारे लिए इन परम्पराओं को कौन निभाएगा!’ सास ने लाड़ भरे स्वर में कहा।
वंदना कुछ भी बोल नहीं पाई। सास के गले लगते ऐसा लगा मानो अपनी मां के ही गले लगी हो। बाहर सावन बरस रहा था और आंखों से ख़ुशी के आंसू!
मखाने का सेवन आपको स्वस्थ और सेहतमंद बनाता है। ये खाने में हल्के ज़रूर होते हैं, लेकिन पेट भरा रखने के लिए बेहतर विकल्प के तौर पर इनकी सिफ़ारिश की जाती है। इसके साथ ही ये कई रोगों से दूर रखने में मददगार भी हैं।
मखाने बहुत फ़ायदेमंद होते हैं। ये उन लोगों के लिए बढ़िया नाश्ता है जो अपना वज़न घटाना चाहते हैं। इतना ही नहीं, ये डायबिटीज़ व उच्च रक्तचाप के मरीज़ों के लिए भी लाभदायक माने जाते हैं। इनका कई व्यंजनों में उपयोग किया जाता है, ख़ासतौर पर मीठे व्यंजनों में।
कैल्शियम की अधिक मात्रा
मखाने हड्डियों के लिए बहुत अच्छे होते हैं। गठिया या हड्डियों की किसी भी प्रकार की समस्या से पीड़ित रोगियों को मखाने अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
मखाने त्वचा को जवां बनाते हैं। नियमित रूप से इनका सेवन किया जाए तो चेहरे पर चमक बढ़ती है। मखाने में एंटी एजिंग गुण होते हैं। हालांकि इनका बहुत अधिक मात्रा में सेवन नहीं किया जाना चाहिए। एक दिन में मुट्ठीभर मखाने पर्याप्त हैं।
दिल के लिए फायदेमंद
इनमें सोडियम कम और हृदय के लिए गुणकारी पोटैशियम व मैग्नीशियम अधिक होते हैं। उच्च रक्तचाप या निम्न रक्तचाप से पीड़ित लोगों को भी मखाने अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
प्रोटीन का अच्छा स्रोत
मखानों में काफ़ी प्रोटीन पाया जाता है इसीलिए इन्हें उपवास के समय खाया जाता है। मुट्ठी भर मखाने आपको पूरे दिन ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं। एक कटोरी मखाने अधिक समय तक पेट भरा रखते हैं और कैलोरीज़ को भी नियंत्रण में रखते हैं।
गेहूं से एलर्जी हो तो इन्हें लें...
कुछ लोगों को गेहूं (ग्लूटेन) से एलर्जी होती है। ऐसे लोग मखाने को आसानी से खा सकते हैं, क्योंकि ये ग्लूटेन-फ्री होते हैं। इनमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है।
उच्च फ़ाइबर का भंडार
मखानों में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है। ये पाचन के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं। ये अधिक समय तक भूख नियंत्रित रखते हैं। हल्के होने के बाद भी इनके सेवन के बाद पेट भरा-भरा लगता है। इसलिए वज़न कम करने के लिए इन्हें बेहतर माना जाता है।
गगनचुंबी 20-25 मंजिला इमारतों की खिड़कियां चमकाना अधिकतर पुरुषों का काम होता है। लेकिन इजराइल की 22 वर्षीय युवती नोआ टोलेडो ने अपनी डेयरिंग से उन सभी की बोलती बंद कर दी है जो कहते हैं कि यह काम महिलाओं का नहीं है।
वह रस्सी के झूले के सहारे हवा में लटककर ऊंची-ऊंची इमारतों की खिड़कियों के शीशे साफ करती हैं। इस दौरान उसके एक हाथ में स्मार्टफोन होता है जिससे वह वीडियो बनाती हैं तो दूसरे हाथ में कांच साफ करने वाला टूल। इस युवती की डेयरिंग देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वे कहती हैं ''महिलाएं वो हर काम कर सकती हैं, जिन्हें सिर्फ पुरुषों तक सीमित रखा जाता है''।
टिकटॉपर उसके 60 हजार तो इंस्टाग्राम पर 3 हजार फॉलोअर्स हैं। नोआ इजराइल सोशल मीडिया पर मशहूर हस्ती बन चुकी हैं। वो कहती हैं ''मैं नहीं जानती कि कितनी महिलाएं ये काम करती हैं लेकिन मुझे देख वे समझ जाती होंगी कि महिलाएं हर काम कर सकती हैं''।
नोआ एक खिलाड़ी भी रही हैं। उनके अनुसार ''जब लोग मुझे ऊंचे बिल्डिंग की खिड़की के कांच साफ करते हुए देखते हैं तो उन्हें आश्चर्य होता है कि एक महिला इस काम को कैसे कर सकती है''।
जब रिवाइटल फ्राइडमैन ने अपने अपार्टमेंट के ब्लॉक में नोआ को हेलमेट लगाकर खिड़की साफ करते हुए देखा तो वे हैरान रह गए। वे कहती हैं ''मैं अपने काम को पूरा करने के बाद जब लोगों के चेहरे पर खुशी देखती हूं तो मुझे लगता है कि मैंने इस काम को सही तरीके से पूरा किया''।
महामारी के इस काल में जब लोग इस जानलेवा बीमारी और आर्थिक तंगी से परेशान है, ऐसे में यह बात भी असंभव लगती है कि कोई अपने पार्टनर को धोखा दे सकता है। लेकिन एक सर्वे का दावा है कि कोरोना भी रिश्तों को सहेजने में सफल नहीं हो सका।
अमेरिका में डेटिंग डॉट कॉम ने 2,000 महिलाओं पर सर्वे किया। इससे ये बात सामने आई कि मार्च में जब कोरोना लॉकडाउन घोषित हुआ था, उस दौरान ही 55% महिलाओं ने अपने पार्टनर से मिली बेवफाई की बात की थी।
लगभग एक तिहाई महिलाएं यह मानती हैं कि महामारी के दौरान उनका अपने एक्स बॉयफ्रेंड से एक बार फिर अफेयर हुआ। वहीं 20% महिलाओं का कहना है कि इसी काल में अपने पार्टनर के साथ ब्रेकअप के बाद वे एक बार फिर रिलेशनशिप में हैं।
लॉकडाउन ने घर में रहने वाले कई कपल के बीच तनाव पैदा किया। डेटिंग डॉट कॉम की वाइस प्रेसिडेंट मारिया सुलिवान के अनुसार, रोजमर्रा की जिंदगी में कई कपल्स के लिए एक दूसरे के साथ निभाना मुश्किल रहा। वे एक दूसरे के साथ फिर से तालमेल बैठाने में भी असफल रहे।
यह सर्वे डेटिंग डॉट कॉम के यूजर के लिए था। इसमें उन लोगों को शामिल नहीं किया जो लंबे समय से खुशहाल भरी शादीशुदा जिंदगी बिता रहे थे। इस सर्वे के डाटा ने ये भी साबित किया कि महामारी के दौरान लोगों का झुकाव वर्चुअल अफेयर की ओर बढ़ा है।
इस तरह का आकर्षण रिलेशनशिप के लिए घातक हो सकता है। साथ ही यही वह दौर रहा जब अपने रिश्तों के बनते-बिगड़ते समीकरण के अलावा लोगों की क्रिएटिविटी भी बढ़ी। लोगों ने नए कामों को सीखने में गहरी रुचि दिखाई।
यूनिवर्सिटी ऑफ टेनेसे नॉक्सविले की साइकोलॉजिस्ट ने अपने आर्टिकल में लिखा कि ''महामारी संबंधी तनाव रिश्तों में दरार डालने की वजह बन रहा है। इसीलिए लोग डेटिंग एप्स पर अफेयर में रूचि दिखा रहे हैं''।
मानव स्वभाव से जुड़े मुद्दों पर बात करने वाली एजेंसी ने अपना पहला वेंचर 'मिक्स' के नाम से लॉन्च किया है। ये वेंचर महिला असमानता को समर्पित है।
इनके फैशन प्रोडक्ट में सिर्फ व्हाइट टी शर्ट शामिल हैं जिस पर लिखा हुआ है 'बॉयज इक्वल गर्ल्स'। सोशल मीडिया पर उनके इस वेंचर की खूब सराहना हो रही है।
रुचिका परब, जेनिना फ्राहम और श्रुति सिंघी नाम की ये तीन लड़कियां इस प्रोजेक्ट को लीड कर रही हैं। वे इस वेंचर के माध्यम से लिंग भेद की वजह से होने वाले भेदभाव को खत्म करना चाहती हैं। ये तीनों मिलकर लड़कियों की ऐसी कहानियां लोगों के सामने लाना चाहती हैं जिसमें उन्हें पुरुषों से कम आंका जाता है।
परब कहती हैं - ''ऐसे कई लोग हैं जो महिलाओं के साथ होने वाली असमानता को खत्म करने की दिशा में काम कर रहे हैं। वे लोगों को जागरूक करने के साथ ही उन्हें शिक्षित भी कर रहे हैं। लेकिन हम इस काम को उन एनजीओ के सदस्यों की तरह नहीं कर सकते जे इसे परंपरागत तौर पर करते आए हैं। मिक्स के माध्यम से हम चाहते हैं कि जेंडर इक्विलिटी का संदेश लोगों की लाइफ स्टाइल का हिस्सा बने''।
टी शर्ट पर स्लोगन लिखकर लोगों को संदेश देने का तरीका परब को पसंद आया। फिलहाल इन तीनों लड़कियों ने मिलकर सिर्फ टी शर्ट डिजाइन किए हैं। लेकिन जल्दी ही वे इस टी शर्ट के साथ पहने जाने वाली पैंट के माध्यम से भी अपनी बात आम लोगों तक पहुंचाना चाहती हैं।
परब के अनुसार, लैंगिक भेदभाव पर बात करना समय की मांग है। लेकिन इस काम को भी पूरी सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। आए दिन हम अपने आसपास हिंसा और महिलाओं के साथ असमानता के बारे में सुनते हैं। इस मुद्दे को उठाने के लिए हमने ''मिक्स'' की शुरुआत की।
भविष्य में वे इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से जेंडर इक्विलिटी से जुड़ी अलग-अलग इवेंट्स की शुरुआत करना चाहती हैं। वे फोटोग्राफी और लेखन जैसी एक्टविटीज से महिला समानता को आम लोगों तक पहुंचाने की ख्वाहिश रखती हैं।
Prime Minister Narendra Modi's government is keen to go ahead with the initial public offering -- potentially India's biggest -- to help plug a widening budget gap.
गणपति जी के लिए प्रसाद तैयार करने के बारे में सोच रहे हैं, तो हम आपके लिए लड्डू की कुछ ख़ास विधियां लेकर आए हैं। ये बनाने में बेहद आसान और स्वादिष्ट भी हैं।
गजानन खाने के शौक़ीन हैं और उन्हें मीठा बहुत पसंद है। इसलिए मोदक, बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, गुड़ और नारियल से बनी वस्तुएं उन्हें भोग लगाई जाती हैं। तो आइए आज आप भी प्रसाद के लिए कुछ इस तरह से लड्डू तैयार कर लीजिए।
अलबेले लड्डू
विधि :
- भारी तले की कड़ाही में दूध उबलने के लिए रखें। इसे मध्यम आंच पर हिलाते हुए पकाएं। जब दूध उबलकर एक-तिहाई हो जाए तब इसमें बूंद-बूंद करके नींबू का रस मिलाएं ताकि दूध पूरी तरह फटे नहीं बल्कि उसमें दाने पड़ जाएं।
- दाने पड़ने पर नींबू का रस डालना बंद कर दें। अब दूध को लगातार चलाते हुए गाढ़ा होने तक पकाएं। फिर शक्कर, केसर व इलायची मिलाकर मिश्रण कड़ाही छोड़ने तक पकाएं।
- घी मिलाकर 2-3 मिनट भूनें। अब पूरी तरह ठंडा होने पर मनचाहे साइज़ के लड्डू बनाएं। बादाम कतरन में रोल करके कुछ देर फ्रिज में सेट होने के लिए रखें। तैयार लड्डू का गणेश जी को भोग लगाएं।
स्टीम्ड रोज़ लड्डू
विधि :
- भुनी सूजी में खोया मिलाकर डिब्बे में रखें। कुकर में थोड़ा-सा पानी डालकर इसमें डिब्बे को रखकर 5-7 मिनट के लिए स्टीम होने दें।
- अब डिब्बे को निकालकर मिश्रण ठंडा होने पर बची सभी सामग्री इसमें मिलाकर लड्डू बना लें।
मखाना लड्डू
विधि :
- बादाम को सूखा पीसकर पाउडर बना लें। एक कड़ाही में घी गर्म करें। इसमें मखाने डालकर करारे होने तक फ्राई करें। फिर घी से निकालकर ठंडा होने पर महीन पीस लें।
- बचे घी में आटा डालकर मंद आंच पर हिलाते हुए ख़ुशबू आने तक सेंक लें। बादाम पाउडर मिलाकर 2 मिनट सेंक लें। मखाने मिक्स करके आंच बंद करें।
- थोड़ा ठंडा होने पर इसमें बची सामग्री डालकर अच्छी तरह से मिलाने के बाद लड्डू बनाएं। स्वादिष्ट मखाना लड्डू तैयार हैं।
नटी डेट लड्डू
विधि :
- नॉनस्टिक पैन में खजूर व मलाई मिलाकर हिलाते हुए नर्म होने तक पकाएं। अब इसमें कटे मेवे व इलायची मिलाकर अच्छी तरह से मैश करें।
- थोड़ा ठंडा होने पर मिश्रण के लड्डू बना लें। इन्हें आधा घंटा फ्रिज में रखें। हेल्दी व टेस्टी नटी डेट लड्डुओं का गणपति जी को भोग लगाएं।
For the quarter ended March 2020, net profit of the company came in at Rs 30.47 crore, down 25.2 per cent against Rs 40.77 crore in the year-ago period.
Early this week, the comany's parent firm Sanofi said it will acquire all of the outstanding shares of US-based Principia Biopharma Inc. for a total approximate aggregate equity value of $3.68 billion
In a report dated August 20, CLSA upped the target price on the stock to Rs 310, translating into 59.2 per cent upside from Thursday's closing price on the BSE
गणेश चतुर्थी पर ईको फ्रेंडली मूर्तियां बनाने वाले लोगों की तादाद हर साल बढ़ती जा रही है। इस काम में महिलाएं भी काफी आगे हैं।
इंदौर की एक महिला ने इको फ्रेंडली गणेश की मूर्तियां बनाने के लिए चॉकलेट का इस्तेमाल किया है। उन्होंने अपनी थीम कोरोना वॉरियर्स रखी है। चॉकलेट के बाद अब वे दूध से गणेश भगवान की मूर्तियां बना रही हैं।
निधि अपनी मूर्तियों से कोरोना काल में लोगों की मदद कर रहे डॉक्टर्स और पुलिस को सम्मान देना चाहती हैं। निधि मानती हैं कि श्री गणेश के आशीर्वाद से ही कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म होगा।
उन्होंने कोरोना वायरल को दर्शाने के लिए चॉकलेट से बनी बॉल भी बनाई है। उन्होंने अपनी मूर्ति के माध्यम से बताया है कि किस तरह श्री गणेश इस बॉल को अपने पैर से कुचल कर मार रहे हैं।
निधि ने अपने मॉडल में चॉकलेट का इस्तेमाल कर 'कोरोना गो' भी लिखा है। वे कहती हैं मैं इस तरह के मूर्तियां अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए बनाती हूं।
ये काम मैंने पिछले साल से ही शुरू किया है। इस साल मैंने दूध में चॉकलेट मिलाकर गणपति जी मूर्तियां बनाई हैं। इन मूर्तियों को मैं जरूरतमंदों में बांटूंगी। निधि इन मूर्तियों के माध्यम से कोरोना वायरस के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहती हैं।
Spot gold was up 0.3% at $1,947.83 per ounce by 0503 GMT. Gold is up 0.2% so far this week, having shed 4.5% in the week to Aug. 14, its worst in five months
In June, Max India said that the NCLT had approved the composite scheme of merger and demerger which involved a merger of the healthcare assets of Max India into Max Healthcare
Once the merger is complete, Reliance Industries will be investing Rs 8,500 crore in the merged entity, resulting in the Mukesh Ambani-led conglomerate owning close to 50 per cent in it
In New Delhi, prices of 22-carat gold plunged sharply to Rs 51,200 from Rs 51,850 per 10 gram in the previous trade while price of 24-carat was at Rs 55,850, down by over Rs 700
लॉकडाउन का एक बड़ा असर दुनियाभर की महिलाओं पर भी पड़ा है। महामारी के दौरान 19 लाख महिलाओं को गर्भनिरोधक दवाएं नहीं मिलीं। ऐसी महिलाओं की तादाद भी अधिक रही जिनके लिए सुरक्षित अबॉर्शन कराना भी मुश्किल रहा।
दुनियाभर को अबॉर्शन और काॅन्ट्रासेप्टिव सर्विस उपलब्ध कराने वाली मैरी स्टॉप्स इंटरनेशनल की 114 देशों में हुई रिसर्च कहती है, इस साल के शुरुआती कुछ महीनों में अनवांटेड प्रेग्नेंसी के 9 लाख मामले सामने आए। इनमें से 15 लाख मामले असुरक्षित गर्भपात के थे। वहीं, 3,100 मामले प्रेग्नेंसी से जुड़ी मौत के थे।
महामारी का महिलाओं की प्रेग्नेंसी पर कितना असर पड़ा, 5 बड़ी बातों से समझें
#1) 13 लाख महिलाएं अनचाही प्रेग्नेंसी से जूझीं
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 5 से 12 % महिलाएं असुरक्षित गर्भपात की वजह से अपनी जान गवां देती हैं। मैरी स्टॉप्स इंटरनेशनल ने अपनी रिसर्च में बताया कि भारत में लॉकडाउन के दौरान 13 लाख महिलाएं न चाहते हुए भी मां बनने को मजबूर हुईं। इनमें से 9 लाख 20 हजार महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात की सुविधा मिली।
#2) महज 37 देशों में ही सुरक्षित अबॉर्शन की सुविधा
कोरोनाकाल में महिलाओं को गर्भनिरोधक दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल न करने की चेतावनी दी। वहीं, अबॉर्शन को महिलाओं की सेहत के लिए नुकसानदायक बताया। इस एनजीओ के अनुसार, स्वास्थ्यकर्मियों ने लॉकडाउन के दौरान महिलाओं तक गर्भनिरोधक दवाएं पहुंचाई गईं। महज 37 देशों में ही महिलाओं को सुरक्षित तरीके से अबॉर्शन की सुविधा मिली।
#3) महामारी से पहले 81% महिलाओं को अबॉर्शन की सुविधा, अब आंकड़ा घटकर 21 % हुआ
मैरी स्टॉप्स ने ब्रिटेन, साउथ अफ्रीका और भारत सहित हर देश में रहने वाली 16 से 50 साल की 1000 महिलाओं पर सर्वे किया। ब्रिटेन की महिलाओं के अनुसार, कोरोनाकाल से पहले जिन महिलाओं को 81% अबॉर्शन की सुविधा मिलती थी, वहीं, इस महामारी में 21% ही मिली। मैरी स्टॉप्स इंटरनेशनल के मुताबिक, ''महामारी के दौरान भी यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अबॉर्शन और कंट्रासेप्शन जैसी जरूरी सुविधा हर हाल में महिलाओं को मिले''।
भारत में रहने वाली वे महिलाएं जिन्हें अबॉर्शन की जरूरत थी, उनका कहना है महामारी के दौरान हमारे क्षेत्र में यह सुविधा बंद थी। इन 10 में से एक महिला के अनुसार उन्हें अबॉर्शन कराने के लिए पांच हफ्ते तक इंतजार करना पड़ा।
#4) इस साल सबसे ज्यादा बच्चे भारत में पैदा होंगे
यूनिसेफ का कहना है कि इस साल 11 मार्च से 16 दिसम्बर के बीच दुनियाभर में 11 करोड़ 60 लाख बच्चे पैदा होंगे। दूसरे देशों के मुकाबले इस साल सबसे ज्यादा 2.1 करोड़ बच्चे भारत में पैदा होंगे। चीन दूसरे पायदान पर होगा। यूनिसेफ ने कहा कि कोरोना संक्रमण की वजह से मां और बच्चे को जिंदगी की कठोर सच्चाई का सामना करना पड़ सकता है।
यूनीसेफ के मुताबिक, नाइजीरिया में 60.4 लाख, पाकिस्तान में 50 लाख और इंडोनेशिया में 40 लाख बच्चे पैदा होंगे। अमेरिका बच्चों के जन्म की अनुमानित संख्या के मामले में छठे स्थान पर हो सकता है। यहां इस दौरान 30 लाख से ज्यादा बच्चों के पैदा होने का अनुमान है।
#5) दुनियाभर में 4.7 करोड़ से ज्यादा अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी
कोरोनावायरस और लॉकडाउन के चलते कई महिलाएं अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी की शिकार हो गईं। यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 4.7 करोड़ से अधिक महिलाएं लॉकडाउन के कारण अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी की शिकार हुई हैं।
फाउंडेशन ऑफ रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज (एफआरएचएस) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 23 लाख महिलाओं को अनचाहा गर्भधारण करना पड़ा है। इसके पीछे मुख्य वजह लॉकडाउन के दौरान महिलाओं को बर्थ कंट्रोल और कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स की दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक, करीब 2 करोड़ कपल को इन मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
कोरोनाकाल में मां और नवजात के लिए 4 चुनौती
मां के लिए : दवा, उपकरण और हेल्थ वर्करों की कमी से जूझना होगा
यूनिसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनरिटा फोर ने कहा कि नई मांओं और नवजातों को जिंदगी की कठोर सच्चाई का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि, कोविड-19 की रोकथाम के लिए दुनियाभर में कर्फ्यू और लॉकडाउन जैसे हालात हैं। ऐसे में जरूरी दवाओं और उपकरणों का अभाव, एएनएम और हेल्थ वर्कर्स की कमी से गर्भवती महिलाओं को जूझना पड़ेगा। संक्रमण के डर की वजह से गर्भवती महिलाएं खुद भी हेल्थ सेंटर्स पर जाने से कतराएं
नवजात के लिए : शिशु मृत्यु दर में इजाफ हो सकता है
यूनिसेफ की ग्लोबल रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन जैसे उपायों की वजह से जीवनरक्षक स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ सकता है। इससे नवजात और मां दोनों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। विकासशील देशों में यह खतरा ज्यादा है क्योंकि, इन देशों में कोरोना महामारी आने से पहले ही शिशु मृत्यु दर ज्यादा है। ऐसे में कोविड-19 की वजह से इसमें इजाफा हो सकता है।
औसत गर्भावस्था की अवधि के आधार पर आकलन
यूनिसेफ की समीक्षा का आधार संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड पॉपुलेशन डिवीजन 2019 की रिपोर्ट है। एक औसत गर्भावस्था आमतौर पर पूरे 9 महीने या 40 सप्ताह तक रहती है। ऐसे में बच्चों के पैदा होने का आकलन करने के लिए संस्था ने इसे ही पैमाना बनाया।
हर साल 28 लाख गर्भवती महिलाओं और नवजातों की मौत होती है
यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कोविड-19 महामारी से पहले भी हर साल दुनियाभर में करीब 28 लाख गर्भवती महिलाओं और नवजातों की मौत होती आई है। हर सेकंड 11 मौतें। ऐसे में संस्था ने हेल्थ वर्कर्स की ट्रेनिंग और दवाइयों के उचित इंतजाम पर जोर देने के लिए कहा है ताकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं और उसके बाद नवजातों की जान बचाई जा सके।
August has had four new funds with about 10 days to go. The three-month moving average would drop to 5.33 funds, the lowest in 58 months, if no new ones are granted registration
IRB InvIT Fund on Thursday reported a 44.14 per cent decline in its net profit to Rs 23.91 crore for the quarter ended June on the back of lower toll collections due to coronavirus-induced lockdown.
हाल ही महिलाओं पर हुई रिसर्च के अनुसार कोरोना वायरस के दौरान हुए लॉकडाउन में लाखों महिलाओं और लड़कियों को गर्भनिरोधक दवाएं नहीं मिल पाईं। वहीं ऐसी महिलाओं की तादाद भी अधिक रहीं जिन्हें अबॉर्शन की सुविधा नहीं मिली।
मेरी स्टॉप्स इंटरनेशनल सारी दुनिया में अबॉर्शन और कंट्रासेप्टिव सर्विस उपलब्ध कराती है। उनका कहना है कि 19 लाख लड़कियों को इस महामारी के चलते गर्भनिरोधक दवाएं नहीं मिलीं। वहीं सुरक्षित तरीके से अबॉर्शन भी इनके लिए मुश्किल रहा।
अबॉर्शन प्रोवाइडर इस संस्था के अनुसार इस साल के शुरुआती कुछ महीनों में अवांछित प्रेग्नेंसी के लगभग 900,000 मामले सामने आए। इनमें से 15 लाख मामले असुरक्षित गर्भपात के थे, वहीं 3,100 प्रेग्नेंसी से संबंधित डेथ केस रहे।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार हर साल 5 से 12 % महिलाएं असुरक्षित गर्भपात की वजह से अपनी जान गवां देती हैं। मेरी स्टॉप्स इंटरनेशनल की नई रिसर्च के अनुसार भारत में लॉकडाउन के दौरान 13 लाख महिलाएं न चाहते हुए भी मां बनने को मजबूर हुईं। इनमें से 920,000 महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात की सुविधा मिली। साथ ही अबॉर्शन के बाद उनकी सही देखभाल भी की गई।
मेरी स्टॉप्स इंटरनेशनल ये कोरोना वायरस के संकट में महिलाओं और लड़कियों को गर्भनिरोधक दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल न करने के लिए कहा। वहीं अबॉर्शन को महिलाओं की सेहत के लिए नुकसानदायक बताया।
इस एनजीओ के अनुसार स्वास्थ्यकर्मियों ने लॉकडाउन के दौरान महिलाओं तक गर्भनिरोधक दवाएं पहुंचाने का काम बखूबी किया है। ऐसे लगभग 37 देश हैं जहां महिलाओं को सुरक्षित तरीके से अबॉर्शन की सुविधा भी दी गई है।
मेरी स्टॉप्स ने ब्रिटेन, साउथ अफ्रिका और भारत सहित हर देश में रहनी वाली 16 से 50 साल की 1000 महिलाओं पर सर्वे किया। ब्रिटेन की महिलाओं के अनुसार कोरोना काल से पहले जिन महिलाओं को 81% अबॉर्शन की सुविधा मिलती थी, वहीं इस महामारी में 21% ही मिली।
भारत में रहने वाली वे महिलाएं जिन्हें अबॉर्शन की जरूरत थी, उनका कहना है महामारी के दौरान हमारे क्षेत्र में यह सुविधा बंद थी। इन 10 में से एक महिला के अनुसार उन्हें अबॉर्शन कराने के लिए पांच हफ्ते तक इंतजार करना पड़ा।
मेरी स्टॉप्स इंटरनेशनल कहती हैं महामारी के दौरान भी यह सुनश्चित करने की जरूरत है कि अबॉर्शन और कंट्रासेप्शन जैसी जरूरी सुविधा हर हाल में महिलाओं को मिले।
According to reports, the Delhi Disaster Management Authority on Wednesday approved re-opening of all hotels in the capital besides allowing weekly markets on a trial basis
मां बनने के बाद एक महिला की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है। वह अपने बेबी की देखभाल में अधिकांश समय बिताने लगती हैं जिसके चलते उन्हें खुद की देखभाल के लिए काफी कम वक्त मिल पाता है।
लेकिन इंडियन क्रिकेटर हार्दिक पंड्या की पत्नी नतासा स्टानकोविक ने मां बनने के बाद खुद की देखभाल को भी पूरा समय दिया। बिग बॉस कंटेस्टेंट और एक्ट्रेस नतासा ये बात बहुत अच्छी तरह जानती हैं कि इस वक्त बेटे की केयर के साथ ही उन्हें भी वजन कम करने की जरूरत है।
नतासा स्टानकोविक मां बनने के बाद अपने न्यूबोर्न बेबी अगस्तस्य के साथ जिंदगी के हर पल को एंजॉय कर रही हैं। डिलिवरी के मात्र 18 दिन में ही उन्होंने अपना वजन कम कर लिया। इंस्टाग्राम पर उनके एक से बढ़कर एक फोटो देखते ही बनते हैं।
हार्दिक और नतासा की जिंदगी में ये साल खुशियां लेकर आया है। 1 अगस्त काे हार्दिक ने नतासा को बेबी बॉय होने की खुशखबरी सोशल मीडिया के जरिये अपने फैंस को दी थी। उन्होंने अपने बेटे के साथ एक फोटो पोस्ट करते हुए लिखा था- ''ईश्वर का आशीर्वाद हमारे साथ है''।
18 अगस्त को नतासा ने इंस्टाग्राम पर अपने फोटो शेयर करते हुए डिलिवरी के बाद वजन कम करने की जर्नी को बताया था। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर डिलिवरी के बाद जो फोटो पोस्ट किए, उसमें वे काफी खूबसूरत लग रही हैं। नतासा ने खुद को आईने में देखते हुए भी एक फोटो पोस्ट किया।
नतासा उन खूबसूरत सेलेब्स में से एक हैं जो क्रॉप टॉप जैसे वेस्टर्न वियर के साथ ही एथनिक वियर में भी उतनी ही अच्छी लगती हैं। आमतौर पर यह दीवा मिनिमल मेकअप में नजर आती है। वहीं वह खुले बाल रखना पसंद करती हैं।
नतासा अपने बेटे की देखभाल में व्यस्त होते हुए भी हार्दिक का ख्याल रखना नहीं भूलतीं। इस फोटो में हार्दिक नतासा को प्यार करते हुए नजर आ रहे हैं। नो मेकअप लुक में भी नतासा की सुंदरता देखने के लायक है।