38 वर्षीय नुसरत जहां आरा कश्मीर के पुलवामा क्षेत्र में रहती हैं। 2010 में नुसरत ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी। कंप्यूटर ग्रेजुएट नुसरत जॉब करने के बजाय अपना बिजनेस शुरू करना चाहतीं थीं।
इसकी शुरुआत उन्होंने अपने घर के पीछे बने बगीचे में फूलों की खेती से की। वे इन फूलों को उगाकर बेचने लगीं। आज वे अपने क्षेत्र में न सिर्फ फ्लॉवर सेलिंग कंपनी की ओनर हैं, बल्कि घाटी में फ्लोरीकल्चर सेक्टर को बढ़ावा दे रही हैं।
हालांकि इस काम की शुरुआत नुसरत के लिए मुश्किल भरी रही। उनके पास कोई सपोर्टर या इनवेस्टर नहीं था। उन्होंने अपनी जमा पूंजी इस बिजनेस की शुरुआत में ही लगा दी थी।
वे कहती हैं कश्मीर जैसी जगह पर लोग बुटिक या ब्यूटी पार्लर खोलने के लिए तो इनवेस्ट करते हैं लेकिन फ्लोरीकल्चर में पैसा लगाना उन्हें घाटे का सौदा नजर आता है। जब मैं अपने काम के बारे में लोगों को बताकर उनसे आर्थिक मदद मांगती तो कोई मेरी मदद करने को तैयार नहीं होता था। यहां तक कि प्रशासन की ओर से भी मुझे सपोर्ट नहीं मिला।
लेकिन नुसरत ने जब इन फूलों की डिमांड को बढ़ते देखा तो यह तय कर लिया कि अपने काम को हर हाल में आगे बढ़ाना है। नुसरत ने बैंक से लोन लिया। आज उनके तीन फ्लॉवर फॉर्म्स और रिटेल आउटलेट हैं। उनकी कंपनी ''पेटल्स एंड फर्नस'' से कई लोगों को रोजगार मिल रहा है। उनका सलाना टर्नओवर 2 करोड़ है।
नुसरत कश्मीर एस्सेन्स भी चलाती हैं जो हिमालयन एग्रो फार्म नामक कंपनी के तहत पर्सनल केयर और होम केयर प्रोडक्ट्स का एक ब्रांड है।
यह ब्रांड केसर, बादाम, चेरी, अखरोट, सेब, जैतून, खुबानी, आदि जैसी पारंपरिक कश्मीरी चीजों से प्रोडक्ट तैयार कर वहां की स्थानीय महिलाओं को रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है।
नूसरत के अनुसार इस तरह तैयार सभी प्रोडक्ट्स आसपास के क्षेत्रों में उगाई जाने वाली प्राकृतिक चीजों से बने हैं। इन्हें बनाने में आयुर्वेदिक पद्धति का उपयोग किया जाता है।
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