लाइफस्टाइल डेस्क. अपने कैंसर पीड़ित दोस्त और उसके जैसे अन्य रोगियों की मदद के लिए इंग्लैंड के निक बटर ने असंभव को संभव करने की ठानी। दो साल पहले वे मैराथन के जरिए दुनिया का चक्कर लगाने निकले पड़े। दो दिन पहले उनका यह जुनून पूरा हो गया। वे दुनिया के पहले ऐसे शख्स बन गए हैं, जिन्होंने भारत सहित 196 देशों की मैराथन में महज 96 हफ्तों में हिस्सा लिया हो।
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बात 2016 की है। मोरक्को में प्रोस्टेट कैंसर का फंड जुटाने के लिए एक मैराथन रखी गई थी। वहीं 30 वर्षीय निक की मुलाकात केविन वेबर से हुई थी। केविन ने बताया था कि उन्हें अंतिम स्टेज का कैंसर है। केविन ने निक से कहा, ‘कैंसर होने का इंतजार मत करो।’ केविन के इन्हीं शब्दों ने निक को भीतर तक झकझोर दिया। केविन की बातों से निक प्रेरित हुए, बैंक की नौकरी और सूट-बूट छोड़कर ट्रैक सूट पहनकर ऐसे पीड़ितों के लिए राशि जुटाने निकल पड़े। निक ने अभियान की शुरुआत जनवरी 2018 में कनाडा से की। वे सहारा रेगिस्तान और अंटार्कटिका समेत सात महाद्वीपों की मैराथन में 5130 मील दौड़े। यानी पिछले 96 हफ्तों के दौरान औसतन हर हफ्ते तीन नए देशों में तीन मैराथन दौड़े। इन 675 दिनों में 51 लाख कदम दौड़कर उन्होंने 15 लाख कैलोरी जलाई।
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यही नहीं, इस दौरान उन्हें 10 पासपोर्ट और 120 वीसा लेने पड़े। उन्होंने 196 देशों की यात्रा के दौरान 201 फ्लाइट ली, 45 ट्रेन यात्राएं कीं, 15 बस और 280 टैक्सी यात्राएं कीं। इस बीच वे कार से दुर्घटनाग्रस्त हुए, कुत्तों ने काटा, कोहनी तुड़वा बैठे, लेकिन हारे नहीं। कुल 22 महीने बाद अंतिम मैराथन वे रविवार को एथेंस में दौड़े। इस दौरान उन्होंने 2.30 करोड़ रुपए से अधिक रुपए जुटा लिए हैं। यह राशि वे कैंसर पीड़ितों को दान करेंगे। उन्होंने बताया कि मैराथन के दौरान उन्होंने दुनियाभर के 2,000 लोगों के फोन नंबर लिए हैं। वे दो किताबें लिखने की योजना बना रहे हैं, जो वर्ष 2020 और 2021 में आएंगी। निक 16 से 18 जुलाई 2019 के बीच भारत में थे।
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निक वेबर कहते हैं, ‘आपको कभी पता नहीं चलेगा कि आपका समय कब खत्म हो रहा है। इसलिए आज ही उठो और अपने सपनों का पीछा करना शुरू कर दो।’ निक अपने सफर को अविस्मरणीय अनुभव करार देते हैं। उन्हें इस सबकी याेजना बनाने में दो साल लगे। शुरुआत में यह चुनौतीपूर्ण लगी, पर वे हिम्मत नहीं हारे।
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