Wednesday, 13 November 2019

बच्चों ने खेल, संगीत, तकनीक और व्यापार में बनाई पहचान, मुल्क की बेहतरी के लिए भी काम

आज बाल दिवस पर उन बच्चों की कहानियां पढ़िए, जो देश बना रहे हैं। इन बच्चों ने खेल, संगीत, तकनीक और व्यापार में तो अपनी पहचान बनाई ही है, आगे बढ़कर समाज की बेहतरी के लिए भी काम कर रहे हैं।

  1. चेन्नई (शिवानी चतुर्वेदी).14 साल के लेंडन नादस्वरम् को संगीत की दुनिया में लिटिल सेंसेशन माना जाता है। इसी साल आंखों पर पट्टी बांधकर पियानो बजाने का हुनर उसे 1 मिलियन डॉलर (करीब 70 लाख रुपए) वाला अमेरिकी रियलिटी शो ‘वर्ल्ड बेस्ट ग्लोबल टैलेंट कॉन्टेस्ट’ का विजेता बना चुका है। चेन्नई में रहने वाले लेंडन के पिता वर्षन सतीश तमिल फिल्मों के म्यूजिक डायरेक्टर हैं।

    सतीश बताते हैं, लेंडन जब 18 महीने का था, तब उसने जाइलोफोन की छड़ी से फर्श बजाया था। मैंने उसे एक छोटा ड्रम सेट ला दिया। दो साल का होते-होते लेंडन स्टैंडर्ड साइज का ड्रम बजाने लगा था। 9 की उम्र में उसने एआर रहमान के केएम म्यूजिक कंजरवेटरी में तबला, पियानो सीखा। 2013 में पहली बार ऑस्ट्रेलिया में दर्शकों के सामने सीधी प्रस्तुति दी। लेंडन रोज औसतन 6 घंटे रियाज करतेहैं। साथ ही मां झांसी की देखरेख में पढ़ाई भी चल रही है। भास्कर को लेंडन ने बताया कि वह हॉलीवुड फिल्मों में संगीत देना चाहता है। उसकी सबसे बड़ी ख्वााहिश चांद पर पियानो बजाने की है।

  2. मुंबई (विनोद यादव).मुंबई का वीर अग्रवाल सिर्फ 15 साल का है। अमेरिकन स्कूल ऑफ बॉम्बे में 10वीं क्लास में पढ़तेहैं। खास बात यह है कि वह ऑनलाइन क्राउड फंडिंग के जरिये 14 लाख रुपए जुटाकर 400 गरीब विकलांगाें के लिए जयपुर फुट का इंतजाम कर चुकेहैं। एक जयपुर फुट की कीमत करीब पांच हजार रुपए होती है। वीर ने एक दर्जन से ज्यादा व्हीलचेयर भी बांटी हैं। दिव्यांंगों की मदद का जज्बा कहां से आया?

    पूछने पर वह कहतेहैं- ‘जब मैं 5 साल का था, एक गंभीर कार दुर्घटना का शिकार हुआ था। करीब 3 महीने तक बिस्तर पर रहा। उन दिनों मैंने जो दर्द सहा, उसे कभी भूल नहीं सका। जब थोड़ा बड़ा हुआ तो मुझे लगा कि जिन बच्चों और लाेगों के पास संसाधन-सुविधाएं बिल्कुल नहीं हैं, उन्हें कितनी तकलीफ होती होगी। मैं उनके लिए कुछ करना चाहता था। फंड जुटाने के लिए मैं वेबसाइट बनाने के बारे में सोचने लगा। एक दोस्त की मदद से यह काम हो गया।’ सेठ भगवानदास चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिये वे जयपुर फुट कैंप पहुंचे और इस तरह उन्हें लोगों की मदद का मकसद मिल गया।

  3. कोलकाता (सुवाशीष मैत्रा).जशिका खान उर्फ लवली (12 साल) और मोहम्मद अजजुद्दीन उर्फ अली (11 साल) बीते अगस्त में सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे। स्कूली बस्ते टांगे सड़क पर करतब करते हुए इनका वीडियाे पांच बार ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीत चुकी अमेरिकन जिम्नास्ट नाडिया कोमानेची ने ट्वीट करते हुए लिखा था- ‘यह बेहतरीन है।’ फिर केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे री-ट्वीट किया और इनके बारे में जानना चाहा। इस पर अली और लवली प.बंगाल के उप खेलमंत्री लक्ष्मीरतन शुक्ला से मिले।

    वीडियो का किस्सा दिलचस्प है। जिस पोर्ट इलाके में दोनों रहते थे, वहीं शेखर राव डांस और जिम्नास्टिक का फ्री ट्रेनिंग स्कूल चलाते हैं। यहां सीखने वाले 179 स्टूडेंट्स में लवली और अली भी थे। राव ने कह रखा था कि कोई भी करतब बाहर नहीं दिखाएगा। लेकिन शिकायत मिली कि अली और लवली खुलेआम करतब करते हैं। उन्होंने दोनों से कहा-मेरे सामने सड़क पर करतब करो, अगर अच्छा हुआ तो इनाम मिलेगा वरना सजा। वहीं उन्होंने वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया।

  4. अलवर (गोपेश शर्मा).राजस्थान के अलवर जिले की थानागाजी तहसील के हिंसला गांव की 11 साल की पायल एक दिन स्कूल से लौटी तो पता चला कि उसकी शादी होने वाली है। लेकिन उसे तो स्कूल में बताया गया था कि किसी बच्चे का विवाह नहीं किया जा सकता। अगले दिन स्कूल में उसने यही सवाल टीचर्स और बाल आश्रम संस्था के लोगों से पूछा। जवाब मिला- कोई उसका विवाह नहीं करा सकता, उसे विरोध करना चाहिए। घर पहुंचते ही पायल ने शादी न करने की जिद पकड़ ली। घर वालों से कह दिया कि जबरन शादी की, तो घर छोड़ दूंगी। मजबूरन शादी रोक दी गई।

    पायल अब 17 साल की हैं और जानकी देवी कॉलेज से बीए कर रही है। बिल गेट्स फाउंडेशन ने पायल को ग्लोबल चेंजमेकर माना है। पायल का संघर्ष सबसे पहले टीवी शो सावधान इंडिया से सामने आया। इसके बाद अलग-अलग मंचों पर पायल का सम्मान हुआ। पायल अब तक करीब एक दर्जन बाल विवाह रुकवा चुकी है। पायल फिलहाल कैलाश सत्यार्थी के बचपन बचाओ बाल आश्रम से जुड़ी है।

  5. मुंबई (कुमुद दास).13 साल के तिलक ने 2018 में मुंबई में ‘पेपर्स एंड पार्सल’ की शुरुआत की थी। उसका स्टार्टअप शहर में छोटे पैकेट, पार्सल की उसी दिन डिलीवरी करता है, जिसके लिए उसने 300 डिब्बावालों को जोड़ा है। नौवीं में पढ़ने वाले तिलक को फोर्ब्स ने सबसे युवा आंत्रप्रैन्योर भी चुना है। भास्कर से बात करते हुए तिलक बताते हैं, ‘2017 में मैं बोरीवली में अपने अंकल के घर कुछ किताबें भूल गया था।

    मुझे वो तुरंत चाहिए थी। मैंने कूरियर सर्विस से बात की, तो उन्होंने 250 रुपए मांगे। तभी डिलीवरी सर्विस शुरू करने का आइडिया आया।’ नई कंपनी खोलने में पिता विशाल ने मदद की। शुरुआती पूंजी भी दी। मां पढ़ाई, खेल और जरूरी टाइम मैनेजमेंट संभालती हैं। तिलक दोपहर 3.30 बजे स्कूल से लौटने के बाद कोचिंग और इसके बाद अपनी कंपनी के सीईओ घनश्याम पारेख के साथ जॉगिंग करता है। वीकेंड पर ऑफिस जाता है। बाकी दिनों में कॉन्फ्रेंस कॉल से 200 कर्मचारियों का ऑफिस संभालता है। तिलक ने शॉपर्स स्टॉप जैसी कंपनी से टाईअप्स किए हैं।

  6. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती देश बाल दिवस के रूप में मनाता है। नेहरूजी में बाल सुलभ चंचलता भी थी। यह चित्र उसी की बानगी है। 3 नवंबर 1958 को नेहरू ने इंदौर श्रमिक कार्यकर्ता प्रशिक्षणालय का उद् घाटन किया था। कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारीलाल नंदा, पूर्व सांसद रामसिंह भाई वर्मा सहित कई बड़े नेता मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान नेताओं को जब थोड़ी नींद सताने लगी तो नेहरू उठे और जिस लोड (रुई का तकिया) का सहारा लेकर बैठे थे, उसे उछालकर दूसरे नेताओं की तरफ इस तरह फेंका।



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      Special story on Children's Day: Stories of children making country


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