
ओडिशा के भुवनेश्वर में 40 आदिवासी बच्चों को शिक्षित करने का काम मानशी सथपति बखूबी कर रही हैं। वे भुवनेश्वर के पास बसे गांव रसूलगढ़ के नाला बस्ती क्षेत्र में पेड़ की छांव के नीचे ही इन बच्चों को पढ़ाती हैं। मानशी का कहना है कि इन बच्चों के माता-पिता दिहाड़ी करने वाले मजदूर हैं। हालांकि सरकार इनके लिए कई तरह की योजनाएं चला रही हैं। लेकिन वे इस जगह को छोड़ना नहीं चाहते। मुझे लगा कि अगर मैं इन बच्चों को पढ़ाने लग जाऊं तो संभव है कि उनकी रूचि पढ़ाई में पैदा हो जाए।
मानशी इन बच्चों को इंग्लिश, उड़िया, सामान्य ज्ञान और गणित पढ़ाती हैं। मानशी की रूचि सिंगिंग, डांसिंग और ड्रॉइंग में भी है। वे हफ्ते में एक-दो बार इन बच्चों को डांस भी सीखाती हैं। मानशी के ये स्टूडेंट भी आम बच्चों की तरह बड़े होकर मॉडल या डॉक्टर बनना चाहते हैं। लेकिन मानशी मानती हैं कि अच्छे भविष्य के सारे सपने बिना पढ़ाई के पूरे नहीं हो सकते। इसके लिए जरूरी है कि इन बच्चों को रोज पढ़ाया जाए। वे इन बच्चों को पढ़ाने के अलावा उनके बीच बिस्किट और चॉकलेट भी बांटती हैं।
महामारी के बीच भी मानशी का जोश कम नहीं हुआ। लेकिन बच्चों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए कोरोना काल के दौरान उन्होंने इन बच्चों की क्लास हफ्ते में एक बार ही ली। ये बच्चे क्लास अटैंड करने से पहले मास्क पहनते हैं और क्लास में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करते हैं।
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