
अमृतसर के पांच दोस्त जब किसान विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बने तो उनके पास दाल-चपाती का लंगर लगाने के लिए ज्यादा समय नहीं था। इसलिए उन्होंने हरियाणा के एक मॉल से पिज्जा लिए और सिंधु बॉर्डर पर स्टॉल लगा लिया। वहां इन दोस्तों ने लगभग 400 पिज्जा बांटे। पिज्जा देखकर भारी भीड़ इकट्ठी हुई और कुछ ही समय में सारे पिज्जा खत्म हो गए।

इस लंगर की जहां कुछ लोग तारीफ कर रहे हैं, वहीं इसकी आलोचना भी हो रही है। इस लंगर के आयोजक शानबीर सिंह सिंधु हैं जिन्होंने अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर लंगर का आयोजन किया। संधु के अनुसार, ''यहां आने के बाद मुझे इतना समय नहीं मिला कि मैं दाल- चपाती लंगर लगा सकता। इसलिए मेरे दिमाग में पिज्जा लंगर का विचार आया। फिर जो किसान पिज्जा के लिए आटा मुहैया कराते हैं, उन्हें भी पिज्जा मिलना चाहिए। संधु खुद एक किसान हैं। वे अमृतसर की गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स के स्टूडेंट हैं''।

संधु की फ्रेंड शहनाज गिल ने बताया ''हम ये समझते हैं कि यहां रोज लोग एक जैसा खाना खाकर बोर हो गए हैं। इसलिए हमने सोचा कि हम उन्हें कुछ अच्छा खिलाएं ताकि उनका उत्साह बना रहे''। संधु के अनुसार, ''मुझे ये देखकर बुरा लगा कि कुछ लोग मेरे पिज्जा लंगर की आलोचना कर रहे हैं। इन लोगों को यह देखकर अच्छा नहीं लगता कि किसान कार में घूमें, अच्छे कपड़े पहनें या पिज्जा खाएं। जबकि मैं इन लोगों को ये बताना चाहता हूं कि अब किसान बदल गए हैं। वे धोती-कुर्ता ही नहीं बल्कि जींस, टी शर्ट भी पहन रहे हैं। मेरे पिज्जा लंगर का एक मकसद यह भी है कि लोग किसानों के बारे में अपनी राय बदलें। ये किसी को हक नहीं कि वे किसानों के पहनने या खाने-पीने पर कमेंट करें''।
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