डॉ. कृति भारती और उनके एनजीओ सारथी ट्रस्ट के लिए ये क्रिसमस बहुत खास था। जोधपुर में कृति ने एक बालिका वधु के लिए गिफ्ट की व्यवस्था की। इसका नाम नींबू था। नींबू का 18 साल पहले उस वक्त बाल विवाह हुआ था जब वो महज दो साल की थी। नींबू जोधपुर के बाप तहसील में रहती हैं। उसका विवाह बिकानेर में हुआ था। उम्र बढ़ने के साथ वह विवाह के बंधन से मुक्त होना चाहती थी। तब उसने कृति की मदद ली और जोधपुर के फैमिली कोर्ट में केस फाइल किया और वो ये केस जीत गई।
नींबू ने बताया - ''बाल विवाह ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया था। लेकिन कृति दीदी की मदद से मुझे नई जिंदगी मिली। अब मैं पढ़-लिखकर पुलिस ऑफिसर बनना चाहती हूं''। सिर्फ नींबू ही नहीं बल्कि ऐसी कई बाल वधु आज भी राजस्थान जैसे इलाकों में जिंदगी भर परेशान रहते हुए अपना जीवन गुजार देती हैं। ऐसी ही लड़कियों का बचपन बचाने का प्रयास कृति भारती कर रही हैं।
कृति ने 2012 में देश का पहला बाल विवाह निरस्त करवाया था। वे अब तक कानूनन 40 जोड़ों के बाल विवाह निरस्त करवा चुकी हैं। उन्होंने 1400 से अधिक बाल विवाह रूकवाए हैं। उनके इस प्रयास के लिए कृति का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया सहित कई रिकार्ड्स में शामिल किया गया।
कृति के बचपन की बात की जाए तो उनके पिता ने कृति के जन्म के पहले ही उसकी मां का साथ छोड़ दिया था। जब कृति दस साल की थी, जब उनके एक रिश्तेदार ने उन्हें जहर देकर मारने का प्रयास किया। वे बच तो गई लेकिन वे बिस्तर पर आ गई। उनकी हालत इतनी खराब थी कि वे हिल भी नहीं सकती थीं। उन्हीं दिनों कृति भीलवाड़ा के एक गुरु के संपर्क में आई। उन्हें गुरु द्वारा सिखाई गई रैकी थैरेपी से बहुत राहत मिली। कृति को पूरी तरह ठीक होने में लगभग दो साल का समय लगा। ठीक होने के बाद कृति ने अपनी पढ़ाई पूरी की।
कृति का मानना है कि बालिकाओं के साथ होने वाले शोषण का अंत करके हम सबको एक सशक्त भारत का निर्माण करना होगा। बालिकाओं का सिर्फ पूजन करने का दिखावा करने की संस्कृति से बाहर निकल कर बालिकाओं को सही मायने में सशक्त बनाना चाहिए। जिससे वो खुद बाल विवाह, घरेलू हिंसा, लैंगिक शोषण व छेड़छाड़ के खिलाफ आवाज बुलंद करने में सक्षम हो पाएं।
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