मेल डोमिनेटेड कहे जाने वाले हर क्षेत्र में महिलाएं अपने कदम बढ़ा रही हैं। वे अपने रास्ते की तमाम रूकावटों को तोड़कर सामने आ रही हैं। ऐसा ही एक उदाहरण तमिलनाडु में एक महिला की एंबुलेंस चालक के रूप में नियुक्ति के रूप में देखा जा रहा है।
यहां एम वीरलक्ष्मी नाम की एक महिला देश में पहली एंबुलेंस ड्राइवर बनी है। मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने राज्य में आपात सेवा मजबूत करने के लिए 118 एंबुलेंसों को हरी झंडी दिखाई। इन्हीं में से एक 108 एंबुलेंस में ड्राइवर के तौर पर एम वीरलक्ष्मी की नियुक्ति हुई है।
वीरलक्ष्मी की उम्र 30 साल है। वे दो बच्चों की मां हैं। इससे पहले वे कैब ड्राइवर थीं। वीरलक्ष्मी कहती है ''जब मुझे इस नौकरी के बारे में पता चला तो मैंने आवेदन दिया। मुझे उम्मीद थी कि मेरा चयन हो जाएगा। ऐसा ही हुआ भी। मुझे बाद में पता चला कि मैं देश की पहली महिला एंबुलेंस ड्राइवर हूं''।
एक ड्राइवर होने के नाते वीरलक्ष्मी को सड़क से कभी डर नहीं लगता। वे कहती हैं - पैसे कमाने के लिए तो दूसरे काम भी किए जा सकते हैं। लेकिन मैंने ये काम दूसरों की सेवा करने के लिए चुना है। मैं इस काम के जरिये लोगों की मदद करना चाहती हूं।
वीरलक्ष्मी को टैक्सी ड्राइविंग का तीन साल का अनुभव है। कोरोना की शुरुआत से पहले तक उनके पति हमेशा उनका साथ देते थे। उन्हें वीरलक्ष्मी के इस काम से कभी एतराज नहीं हुआ। लेकिन कोरोना इंफेक्शन के डर से अब उन्हें वीरलक्ष्मी की चिंता लगी रहती है।
वीरलक्ष्मी कोरोना इंफेक्शन से नहीं डरतीं। वे कहती हैं ''मेरे साथ सेफ्टी गियर रहता है। इसलिए इस बात की फिक्र नहीं रहती कि मुझे भी ये इंफेक्शन हो सकता है। मैं इस क्षेत्र में काम करके खुश हूं। मुझे इस बात की खुशी है कि इस काम के लिए मुझे चुना गया''।
वीरलक्ष्मी बताती हैं - ''मेरी मां मुझसे कहती थी, जो भी काम करो, वो पूरी लगन के साथ करो। अगर काम करने की लगन हो तो कोई भी काम करना असंभव नहीं है''। वीरलक्ष्मी ने ऑटोमोबाइल टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा किया है।
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