सुबह-सुबह चाय के प्याले से ही हम भारतीयों को ताज़गी मिलती है। यही चाय अगर तन-मन में स्फूर्ति लाने के साथ-साथ सेहत के लिए फ़ायदेमंद औषधीय गुणों से भरपूर भी हो, तो सोने पर सुहागा ही कहा जाएगा।
चाय हमारे दैनिक जीवन का अहम हिस्सा है, इसलिए इसे स्वास्थ्यवर्धक बनाना ज़रूरी है। इसके लिए रोज़ाना की चाय में साधारण चाय पत्तियों की जगह या उनके साथ कई औषधियों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ऐसी चाय का हर दिन संतुलित मात्रा में सेवन किया जाए, तो वह रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और रोगों से बचाती है। औषधीय गुणों से भरपूर कुछ ऐसी ही स्वाद और सेहत वाली चाय के बारे में बता रहे हैं। इन औषधीय तत्वों को अपने बाग़ीचे में भी लगा सकते हैं।
लेमन चाय
यह चाय नींबू के अलावा लेमन ग्रास की पत्तियों से भी बना सकते हैं। लेमन ग्रास को बीजों या तना कटिंग के माध्यम से लगा सकते हैं। सामान्य चाय बनाते वक़्त इसकी पत्तियां डाली जा सकती हैं या फिर सिर्फ़ इसकी पत्तियों को पानी में उबालकर भी पी सकते हैं।
इसकी चाय सर्दी, खांसी, सिरदर्द और गले की खराश में बहुत फ़ायदेमंद है। इसी तरह लेमन बेसिल यानी नींबू तुलसी की पत्तियों से भी लेमन चाय बना सकते हैं।
अश्वगंधा चाय
अश्वगंधा की जड़ों में एंटीऑक्सीडेंट, सूजनरोधी, जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं। इससे चाय बनाने के लिए एक गिलास पानी में एक इंच लंबी अश्वगंधा की जड़ डालकर उबालें।
जब पानी उबल जाए, तो उसे कप में छानें। फिर उसमें एक छोटा चम्मच शहद और स्वादानुसार नींबू का रस मिलाएं। अश्वगंधा चाय बच्चों, बुज़ुर्गों और महिलाओं, सभी के लिए फ़ायदेमंद है।
सनाय चाय
सनाय बहुवर्षीय झाड़ीनुमा औषधीय पौधा है जिसकी पत्तियों और फलियों में कई ख़ास गुण होते हैं। इसकी चाय बनाने के लिए एक गिलास पानी हल्का गर्म करें और उसमें सनाय की 4-5 पत्तियां डालकर उबालें।
फिर उसमें आधा छोटा चम्मच शहद डालकर मिलाएं। इस चाय के सेवन से क़ब्ज़ में लाभ मिलता है। बवासीर के मरीज़ों के लिए भी हितकारी है।
अनंतमूल चाय
अनंतमूल बहुवर्षीय लता है। इसकी जड़ की चाय शीतलता प्रदान करती है और यकृत रोग, पेचिश, शरीर की जलन, अस्थमा में बहुत उपयोगी तथा रक्त शोधक है। इसकी जड़ों में एंटीऑक्सीडेंट, मधुमेहरोधी, एंटीलेप्रोटिक, एंटी थ्रोम्बोटिक और एंटी एंजियोजेनिक गुण पाए जाते हैं।
अनंतमूल की चाय बनाने के लिए एक कप पानी में एक जड़ का टुकड़ा या 1 ग्राम पाउडर उबालें। इसे उबालते वक़्त थोड़ी-सी चाय की पत्ती भी डाल सकते हैं। शरीर की जलन और अस्थमा में इसकी चाय बहुत फ़ायदेमंद है।
मसाला चाय
चाय पत्ती और दूध वाली चाय बनाते वक़्त अक्सर लोग पानी में काली मिर्च, सौंठ, तुलसी, दालचीनी, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, लौंग, पीपरामूल, जायफल व लौंग का मसाला डालते हैं।
अगर इन सबकी जगह तुलसी की प्रजाति में रामतुलसी या अरण्यतुलसी डाली जाए, तो ग़ज़ब का स्वाद आएगा। इनकी पत्तियों में रोगाणुरोधी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीफंगल और ज्वररोधी गुण पाए जाते हैं।
मुलेठी चाय
मुलेठी की जड़ों में कैल्शियम, प्रोटीन, वसा और ग्लिसराइजिक एसिड, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक मौजूद होते हैं। साधारण चाय तैयार करते वक़्त मुलेठी की जड़ का एक छोटा टुकड़ा या चुटकी भर मुलेठी पाउडर डाल सकते हैं। इस चाय का सेवन रोज़ाना दो से तीन बार करें।
इसके सेवन से वात, कफ, पित्त दोष शांत होते हैं। ये कई रोगों में रामबाण का काम करती है। मुलेठी सूक्ष्म जीवाणुओं से लड़ने में मददगार होती है। इससे श्वास रोग दूर रहते हैं। मुलेठी सूखी जड़ और पाउडर के रूप में आसानी से मिल जाती है।
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