जब तक हम नहीं चाहेंगे, ख़ुद में कमियां निकालने का सिलसिला यूं ही बरक़रार रहेगा। और ये कमियां दूसरों से तुलना करने पर ही निकलती हैं। मुकाबला करना है, तो ख़ुद से कीजिए।
जो चाहती हैं वही करें
किसी के जीवन, शोहरत, कौशल आदि से ख़ुद की तुलना करने के बजाय ख़ुद से ख़ुद की तुलना कीजिए और देखिए कि आप स्वयं को किस मुकाम पर चाहती हैं। जब हम दूसरों से अपनी तुलना करते हैं, तो अंतत: अपने अंदर सारी नकारात्मक ऊर्जा और भावनाएं भर लेते हैं, जिनका असर ज़िंदगी पर पड़ने लगता है। ऐसे में पहले ये जानें कि आप जीवन में कैसा बनना चाहती हैं। फिर ख़ुद को वैसा ही तराशने की कोशिश करें।
बेहतरी का पैमाना स्वयं तय करें
गृहिणी कई काम एक साथ कर सकती है, घर और वित्त प्रबंधन में अच्छी होती है, ये योग्यता किसी कामकाजी महिला में हो, ऐसा ज़रूरी नहीं। आप कितनी क़ाबिल हैं इसका पैमाना आपको ही तय करना है। इसके लिए किसी से तुलना करने की जरूरत नहीं है।
प्रेरणा लेकर खुद को बेहतर बनाएं
ख़ुद को लगातार बेहतर बनाते जाने की कोशिश हममें आत्मविश्वास तो लाती ही है, हमें दूसरों की होड़ से भी दूर करती है। कोई बहुत अच्छा काम कर रहा है, या किसी ने कोई ज़बर्दस्त कामयाबी हासिल की है, तो उसे देखकर प्रेरित होना ज़रूरी है, लेकिन उसकी तरह बनने की कोशिश का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि किन्हीं दो लोगों की ज़िंदगी एक जैसी नहीं हो सकती। प्रेरणा लेकर अपने मुताबिक़ बेहतरी लाएं।
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