परसामलिक क्षेत्र के खैरहवा दूबे गांव की गरिमा सिंह की एक दिसंबर को राणा प्रताप सिंह के साथ शादी हुई। इस दौरान शिक्षक भर्ती की चयन सूची में इनका नाम भी आ गया। वे शादी के अगले दिन दो दिसंबर को पति के साथ शादी के जोड़े में ही शिक्षक भर्ती की काउंसिलिंग में शामिल होने के लिए बस्ती पहुंची।
उसके बाद शिक्षक पद के लिए उनका चयन हुआ और वे नौकरी की खुशी के साथ ससुराल पहुंचीं। इस जोड़े को शादी और नौकरी की खुशी एक साथ मिली। गरिमा की नौकरी से उनके ससुराल में सभी बहुत खुश हैं। गरिमा बचपन से पढ़ाई में आगे रही हैं। उनके दादा उदयराज सिंह, पापा चंद्रशेखर सिंह और चाचा राज कुमार सिंह ने उन्हें पढ़ाई में हमेशा सपोर्ट किया। उन्होंने एम ए, बी एड व कम्प्यूटर शिक्षा की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन में पास की। उन्होंने एक साल ठूठीबारी क्षेत्र के डिग्री कॉलेज में बीटीसी स्टूडेंट को इंग्लिश और कम्प्यूटर की शिक्षा दी।
उसके बाद वे कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय कैम्पियरगंज में इंग्लिश की फुल टाइम टीचर के पद पर रही। गरिमा कहती हैं - ''लड़कियों के लिए कॅरिअर आज के समय की जरूरत है। अगर परिवार में पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं तो बेहतर तरीके से घर की जिम्मेदारी निभा सकते हैं। इसलिए हर लड़की को अपनी पढ़ाई और कॅरिअर पर ध्यान देना चाहिए ताकि वह आत्मनिर्भर बन सके''।
प्रज्ञा के पति ने किया मंडप में बैठकर इंतजार
उत्तर प्रदेश के गोंडा की रहने वाली प्रज्ञा की शादी वाले दिन ही बीएसए ऑफिस में शिक्षक पद के लिए काउंसिलिंग थी। ऐसे में प्रज्ञा पहले बीएसए ऑफिस पहुंचीं। इस दौरान उनके पति ने मंडप में बैठकर प्रज्ञा का इंतजार किया। नौकरी मिलने की खुशी के साथ प्रज्ञा वापिस लौटी और शादी की रस्में पूरी की। प्रज्ञा गोंडा में शिक्षक पद पर नियुक्त हुई हैं। वे इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2VNZGrs
No comments:
Post a Comment