Wednesday, 30 December 2020

पाकिस्तान में वकील बनी निशा राव तो कर्नाटक की त्रिनेत्रा ने डॉक्टर बनकर कमाया नाम, बिओंसे, उरूज और धनंजय ने बनाई अपनी खास पहचान

हम चाहे देश में हुए विकास की कितनी ही बातें करें लेकिन अभी भी ट्रांसजेंडर्स को समाज में बराबरी का हक नहीं मिला है। वे अपने अथक प्रयास के बाद भी लोगों के बीच सम्मान पाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। इस साल पांच ऐसी ट्रांसवुमन चर्चा में रहीं जिन्होंने अपने काम और मेहनत के बल पर न सिर्फ आम लोगों के लिए बल्कि अपने समुदाय के बीच भी मिसाल कायम की है।

बेओंसी लेश्राम
27 साल की बेओंसी इंफाल के एक प्राइवेट अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर हैं। वह सिर्फ मणिपुर ही नहीं बल्कि पूर्वोत्तर की पहली ट्रांसजेंडर डॉक्टर हैं। फिलहाल वे इंफाल के शिजा हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में कार्यरत हैं। उन्हें इस अस्पताल में पीपीई किट पहने कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज करते देखा जा सकता है। महामारी के बीच मरीजों की सेवा कर वे कोरोना वॉरियर के तौर पर तारीफ पा रही हैं। बेओंसी रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की स्टूडेंट रही हैं। आजकल वे पोस्ट ग्रेजुएट इंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रही हैं।

त्रिनेत्रा हल्दर गम्माराजू
वे कर्नाटक की पहली ट्रांसवुमन डॉक्टर के रूप में अपनी खास पहचान रखती हैं। बेंगलुरु में त्रिनेत्रा कभी अंगद गम्माराजू के नाम से जानी जातीं थीं। फिलहाल वे कस्तूरबा मेडिकल हॉस्पिटल, मणिपाल में अपनी सेवाएं दे रही हैं। कई बार त्रिनेत्रा का सोशल मीडिया पर लेस्बियन कम्युनिटी को सपोर्ट करने की वजह से भी विरोध हुआ है। वे ऐसे सभी लोगों की सोच लेस्बियंस के प्रति बदलना चाहती हैं जो उनके खिलाफ हैं।

निशा राव
लाहौर की रहने वाली निशा राव पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर वकील हैं। निशा ने अपनी जिंदगी में वो दिन भी गुजारे जब सड़कों पर भीख मांगकर पढ़ाई की। उन्हें आज इस बात की खुशी है कि उनकी मेहनत रंग लाई। 28 साल की निशा का संबंध एक मध्यमवर्गीय परिवार से है। 18 साल की उम्र में निशा दो अन्य ट्रांसजेंडर के साथ मिलकर घर छोड़कर चली गई थीं। कराची में आने के बाद निशा ने अपनी आजीविका के लिए ट्रैफिक लाइट पर भीख मांगना शुरू किया। लेकिन ये काम भी उसे अच्छा नहीं लगा। तब उसने पढ़ाई शुरू की और वकील बनी। वे दिन में भीख मांगती और रात को पढ़ाई करती थीं।

धनजंय चौहान
चंडीगढ़ में 49 साल की धनजंय चौहान अपने समुदाय को अधिकार दिलाने के लिए सालों से संघर्ष कर रही हैं। उनके प्रयास से शिक्षण संस्थानों में दाखिले में रिजर्वेशन, फीस माफी सहित कई नियमों को लागू करवाने में अहम भूमिका निभाई। चंडीगढ़ ही नहीं, आज दुनियाभर के कई देशों में धनंजय को ट्रांसजेंडर्स के लिए किए गए प्रयासों की वजह से सम्मानित किया जा चुका है। धनंजय ने सबसे पहले 2016 में खुद ट्रांसजेंडर कैटेगरी के तहत पंजाब यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। उसके बाद अपने कॉलेज कैंपस में ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग टॉयलेट, फीस माफी करवाने जैसे काम करवाए और चंडीगढ़ में पहला ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड बनवाया।

उरूज हुसैन

ट्रांसजेंडर महिला उरूज हुसैन ने नोएडा के सेक्टर 119 में अपने कैफे की शुरुआत की। उन्हें उम्मीद है कि उनके इस कैफे से ट्रांसजेंडर समुदाय के अन्य लोगों भी अपना बिजनेस स्थापित करने के लिए प्रेरित होंगे। उरूज ने अपने कैफे का नाम 'स्ट्रीट टेंपटेशंस' रखा है। उरूज को वर्कप्लेस पर कई बार लोगों के बुरे व्यवहार का सामना करना पड़ा। इस उत्पीड़न से तंग आकर उरूज ने अपना कैफे खोला। वे कहती हैं यह कैफे सभी के साथ समान व्यवहार करने के लिए जाना जाएगा।



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Nisha Rao became a lawyer in Pakistan and Trinetra of Karnataka earned a name by becoming a doctor, Bionse, Uruj and Dhananjay also made special recognition.


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