हर त्योहार और उत्सव से बच्चों को जोड़ना बहुत ज़रूरी है। इससे उन्हें दूर नहीं रखें क्योंकि यही वह समय होता है जब वे बहुत कुछ सीख सकते हैं।
ये समय संभलकर तैयारियां करने का है। घर की जमावट, सजावट, ख़रीदारी आदि की योजनाएं बनानी हैं और बहुत ध्यान भी रखना है। वहीं बच्चे घर में ही स्कूल अटेंड कर रहे हैं। सो, इस साल उन्हें न सिर्फ महामारी जैसे ख़तरों का सामना करते हुए रहने बल्कि इसी दौरान उत्सव की तैयारी करना भी सिखाया जा सकता है। हर साल वे स्कूल जाने के कारण घर की सफ़ाई आदि में हाथ नहीं बंटा पाते थे, इस बार पर्व के आधार से लेकर पूरे विस्तार में वे शामिल हो सकते हैं। त्योहार की तैयारियों के साथ-साथ वे इनके मायने और कौशल सीख सकते हैं।
ख़रीदारी में मदद लें
कोविड के समय बच्चों को घर के बाहर ले जाना सुरक्षित नहीं है। ऐसे में सामान की सूची तैयार करते वक़्त उन्हें साथ रखें। ऑनलाइन ख़रीदारी कर रहे हैं, तो उन्हें सामान दिखाएं। कपड़े, कोई मशीन या अन्य ज़रूरी सामान ख़रीदते वक़्त किन बातों का ख़्याल रखना है और कैसे सही सामान चुनना है, इसकी जानकारी दे सकते हैं। ज़रूरत के सामान में क्या ज़रूरी है और क्यों कुछ ग़ैरज़रूरी है, इसकी समझ भी उन्हें अभी दी जा सकती है।
घर की सफ़ाई
घर की साफ़-सफ़ाई सबसे मेहनत का काम है। कुछ छोटे-छोटे काम बच्चों से भी करा सकते हैं। उन्हें किताबें, सजावट का सामान या छोटे-छोटे सामान साफ़ करने के लिए दे सकते हैं। अगर वे झाड़ू या पोंछा करने में मदद करना चाहते हैं, तो उन्हें छोटी जगहों को साफ़ करने दें। इससे उन्हें आपकी मेहनत का अंदाज़ा होगा। उन्हें उनका सामान साफ़ और व्यवस्थित करने के लिए भी कह सकते हैं। साथ ही उनके कपड़े तह करने के लिए भी कह सकते हैं। इससे वे अपनी ज़िम्मेदारी समझेंगे और घर साफ़ रखने की सोच भी अपना सकेंगे।
नाश्ते की तैयारी
मठरी, गुझिया आदि बनाते वक़्त उन्हे साथ रखें। जब इनका आटा गूंधें, तो उन्हें दादी-नानी के घर के किस्से सुनाते चलें। इसे कैसे बनाते हैं ये भी बता सकते हैं। पहले के समय में और आज के समय में क्या बदला है बच्चों को बातों-बातों में बताते चलें। लड़का हो या लड़की, खाना बनाना और त्योहार के ख़ास नाश्ते की जानकारी दोनों को होना चाहिए। अगर बच्चे इन्हें ख़ुद बनाएंगे, तो बेहतर तरीक़े से जुड़ पाएंगे। इसलिए एक चकला-बेलन उन्हें भी थमा सकते हैं।
इतिहास बताते चलें
बहुत कम बच्चे हैं जो त्योहार बनाने के पीछे मौजूद इतिहास और कहानियों की जानकारी रखते हैं। पूजा का सामान लगाते वक़्त या घर व्यवस्थित करते वक़्त बच्चे को साथ बैठाएं और कहानियां सुनाएं। उन्हें किस्से सुनाएं और उनसे मिलने वाली सीख भी बताएं। इससे बच्चे त्योहारों का महत्व समझेंगे और संस्कृति से जुड़ सकेंगें।
सजावट से रचनात्मक बनेंगे
सजावट और क्राफ्ट बच्चों को बहुत पसंद होते हैं। अगर वो इसमें शामिल होना चाहते हैं, तो इससे उनकी रचनात्मकता बढ़ेगी। उन्हें उनकी रचना दिखाने के लिए आज़ाद रखें और जो उन्होंने बनाया है उसे भी सजाएं। क्राफ्ट रचनात्मक बनाता है और मस्तिष्क के लिए व्यायाम का काम भी करता है।
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