दिल्ली विकास प्राधिकरण ने यमुना खादर इलाके में जर्जर प्राथमिक स्कूल ढहा दिया था। इस स्कूल के बच्चे कई सालों तक पेड़ के नीचे पढ़ते रहे। दिल्ली में रहने वाली आर्किटेक्ट स्वाति जानू को जब इस बारे में पता चला तो सबसे पहले उन्होंने इस स्कूल का निरीक्षण किया।
स्वाति ने इस स्कूल को बनाने के बारे में अपनी सहेली निधि सुहानी से बात की। निधि भी एक कम्युनिटी आर्किटेक्ट हैं। स्वाति ने दिल्ली के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर में ग्रेजुएट किया है। उसके बाद वे अर्बन डेवलपमेंट में एमएससी करने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गईं थीं। वे एक एनजीओ एमएचएस सिटी लैब के लिए भी काम करती हैं।
निधि ने भी दिल्ली के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर में ग्रेजुएट किया है। वे एमएचएस सिटी लैब में प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर हैं। वे भी स्वाति के साथ इस स्कूल को फिर से नया रूप देने के लिए तैयार हो गईं।
इन दोनों लड़कियों ने फंड जुटाने की काफी कोशिश की लेकिन जब कोई मदद के लिए आगे नहीं आया तो इन्होंने सोशल मीडिया के जरिये ढाई लाख रुपए जमा किए। इन दोनों ने मिलकर तीन हफ्तों में यह स्कूल खड़ा कर दिया। इसे बांस, तिरपाल, टिन और घास से बनाया गया है। इसमें कई कमरे हैं जहां 250 बच्चे पढ़ सकते हैं। उन्होंने इसे मॉडस्कूल नाम दिया।
उनके इस काम को पूरा करने में इंजीनियर विनोद जैन ने उनकी मदद की। उन्होंने सुझाव दिया कि इस स्कूल को लोहे के फ्रेम पर खड़ा किया जाना चाहिए। उन्होंने इसे बनाने का खर्च भी खुद ही उठाया। इसके अलावा कुछ वालंटियर्स, स्टूडेंट और डिजाइनर की मदद से तीन हफ्ते के अंदर स्कूल खड़ा हो गया।
स्कूल के लिए बांस को काटने और चटाई बुनने का काम स्कूल के बच्चों और वालंटियर की मदद से किया गया। स्वाति और निधि को इस बात की खुशी है कि पहले जहां सिर्फ तीन लोगों के साथ मिलकर उन्होंने इस स्कूल को बनाने की शुरुआत की थीं, वहीं आज इससे तकरीबन 50 वालंटियर्स जुड़े हैं।
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