अमेरिका में कैलिफोर्निया कोऑपरेटिव ओशनिक फिशरीज इंवेस्टिगेशन पिछले 71 सालों से समुद्र और यहां पाई जाने वाली मछलियों पर रिसर्च करता आ रहा है। 1949 में शरू किया गया यह प्रोग्राम अमेरिका के समुद्र विज्ञान में सबसे पुराना और सबसे बड़ा माना जाता है।
इसके लिए बनाई गई रिसर्च टीम तीन महीने तक जहाज में रहकर समुद्र की गहराइयों तक जाकर कई जरूरी चीजों का पता लगाती है। जुलाई में रवाना हुई टीम जब 14 सितंबर को वापस लौटी तो उसने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। दरअसल यह अमेरिका के समुद्री अनुसंधान के इतिहास में पहली टीम थी, जिसकी सभी सदस्य महिलाएं थीं।
फोटो साभार : लॉस एंजिल्स टाइम्स
महिला वैज्ञानिकों की टीम ने प्रशांत महासागर में कई तरह के समुद्री शैवाल का पता लगाया। ये समुद्र में तेजी से बढ़ते हैं। ये शैवाल सूरज की रोशनी से ऊर्जा और समुद्री पानी से पौष्टिक तत्व व कार्बन डाईऑक्साइड लेते हैं। टीम की सदस्य लिली का कहना है कि समुद्री शैवाल जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मददगार साबित हो सकते हैं।
यह कार्बन उत्सर्जन की भरपाई भी कर सकते हैं। वैज्ञानिकों के दल की प्रमुख 29 साल की एंजिला क्लेम्डसन ने इस जहाज का नाम अमेरिका की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री 'सैली राइड' के नाम पर रखा ताकि वे महिलाओं की ताकत को साबित कर सकें।
वैज्ञानिकों के टीम की सदस्य लिली ने कहा कि ''2014 में भी कैलकोफी की टीम को प्रशांत महासागर के गर्म और ठहरे पानी में इसी तरह के पाइरोजोम्स दिखाई दिए थे। अब हम इस बात का पता लगाएंगे कि महासागर का हरा पानी और पाइरोजोम्स की इतनी बड़ी संख्या में मौजूदगी का आपस में क्या नाता है और समुद्र पर इसका क्या प्रभाव होता है''।
महिला वैज्ञानिकों की टीम ने इन तीन महीनों में कई खास खोज की और कई नमूने व डाटा एकत्रित किए। वैज्ञानिक विश्वेषण के बाद इसके नतीजे जारी किए जाएंगे। एंजिला क्लेम्डसन ने कहा ''मैं अभियान की सफलता से इसलिए खुश हूं क्योंकि हमने कई विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी''।
कोरोना महामारी काल के दौरान यह इस टीम की पहली यात्रा थी। टीम में सभी ने सख्त प्रोटोकॉल का पालन किया और कोई भी सदस्य बीमार नहीं हुआ। उन्होंने 12-12 घंटे का समय बांटकर काम किया। मास्क पहना, शारीरिक दूरी बनाए रखी और लैब में भी अलग-अलग समय पर काम किया। उनकी टीम को चैनल आइसलैंड के पास व्हेल और डॉलफिन भी देखने को मिली। पहले यहां शार्क की बहुतायत थी। पानी के लिए नमूनों में हमने पाया कि इसका रंग हरा है जो फाइटाेप्लैंकटन (पौधे जैसा सूक्ष्म जीव) की मौजूदगी के कारण होता है।
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