अरुणाचल प्रदेश के एक छोटे से कस्बे की मीना गुरुंग ने रीडर्स के लिए 'स्ट्रीट लायब्रेरी' की शुरुआत की है। उन्होंने यहां रीडर्स के बैठकर पढ़ने का इंतजाम भी किया।
मीना गुरुंग एक सरकारी स्कूल में टीचर हैं। वे कहती हैं - ''इस स्ट्रीट लाइब्रेरी को शुरू हुए सिर्फ 10 दिन हुए हैं और पाठकों की सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है''। मीना ने इस लायब्रेरी की शुरुआत अरुणाचल प्रदेश के पापम पारे राज्य के निर्जुली कस्बे में की है।
मीना को इस बात की खुशी है कि यहां दस दिन से बिना किसी ताले के बावजूद किताबें चोरी नहीं हुई हैं। उन्हें इस बात की भी कभी फिक्र नहीं होती है कि इस लायब्रेरी से किताबें चोरी हो भी सकती हैं। मीना कहती हैं ''अगर कभी ये किताबें चोरी हो भी जाएं तो मुझे खुशी होगी क्योंकि जो भी इसे चुराकर ले जाएगा, वो इसका इस्तेमाल पढ़ने के लिए ही करेगा''।
मीना को मिजोरम की 'मिनी वे साइड लायब्रेरी' से अपनी स्ट्रीट लायब्रेरी की प्रेरणा मिली। मीना के एक दोस्त दीवांग होसाई ने इंग्लिश ऑनर्स से ग्रेजुएशन किया है। मीना ने अपने इसी दोस्त के साथ मिलकर इस लायब्रेरी को शुरू किया है।
गुरुंग मीना ने बेंगलुरु से इकॉनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है। वे महिलाओं और विधवाओं की भलाई के लिए काम करना चाहती हैं। मीना बुजुर्गों की शिक्षा को बढ़ावा देती हैं। वे बाल विवाह के खिलाफ भी अपनी आवाज उठाना चाहती हैं।
मीना की इस लायब्रेरी से किताबें पढ़ने वाले लोगों में सबसे अधिक महिलाएं और टीनएजर्स होते हैं। गुरुंग ने ये महसूस किया है कि स्ट्रीट लायब्रेरी के तहत खुले स्थान में बैठकर किताबें पढ़ना टीनएजर्स को अच्छा नहीं लगता इसलिए वे अब इन किताबों को उन्हें घर ले जाने के लिए उधार भी देंगी। वे अपने प्रयासों से टीनएजर्स में पढ़ाई का शौक पैदा करना चाहती हैं।
मीना इसी तरह की लायब्रेरी अरूणाचल प्रदेश के हर छोटे और बड़े शहर में खोलना चाहती हैं। उनके इस प्रयास को देखते हुए कई वालंटियर्स ने अपने घर में रखी किताबें यहां रखने के लिए दी हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे पढ़ सकें।
कुछ लोगों ने आर्थिक रूप से भी मीना की मदद की ताकि वे इस लायब्रेरी में रखने के लिए अच्छी किताबें खरीदें। मीना कहती हैं ''मुझे उम्मीद है कि मेरे प्रयासों को देखते हुए दूसरे राज्यों के लोग भी इसी तरह की स्ट्रीट लायब्रेरी की शुरुआत करेंगे''।
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