लाइफस्टाइल डे्सक. एचईवी मरीजों के लिए दुनिया का पहला स्पर्म बैंक न्यूजीलैंड में शुरू किया जा चुका हैं। ये पहल एचआईवी जैसी बीमारी को अगली जेनरेशन तक पहुंचने से रोकने के लिए की गई है। स्पर्म को बैंक में रखने की शुरूआत 3 मेल डोनर्स के जरिए की गई। ये तीनों ही एचआईवी पॉजीटिव हैं और इस बीमारा को अपने बच्चों को नहीं देना चाहते हैं।स्पर्म बैंक फर्टीलिटी क्लिनिक की तरह काम नहीं करेगा। लेकिन ये अन्य फर्टीलिटी क्लिनिक के संपर्क में बना हुआ ताकि जरूरत पड़ने पर डोनर्स की मदद करे सकें।
ये सभी डोनर्सइस बीमारी से जुड़ी दवाइयां ले रहे हैं। मेडीकेशन के जरिए ये सुनिश्चित किया गया है कि अब इनके खून में HIV वायरस की मात्रा काफी कम हो गई है। हलांकि बीमारी जड़ से खत्म नहीं हुई है। लेकिन दवाइयों की वजह से ये जरूर तय है कि यौन संबंध के जरिए मरीज के शरीर में मौजूद वायरस पार्टनर या उनके बच्चे के अंदर नहीं जाएगा।
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