लाइफस्टाइल डेस्क. फिलीफिन्स की राजधानी मनीला से 17 किलो मीडर दूर सिटियो परिहाना नाम एक गांव हैं, ये गांव समुद्र किनारे बसा हुआ है। लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते समुद्र जल स्तर बढ़ रहा है और धीरे-धीरे ये गांव सिमटता जा रहा है। जल स्तर बढ़ने की वजह से गांव हर साल 4 सेंटीमीटर घटता जा रहा है। यहां हालात ऐसे हैं कि चलने के लिए जमीन बामुश्किल नसीब होती है। बच्चे नाव के जरिए स्कूल जाते हैं। ये समस्या एशिया के कई देशों में देखी जा रही है। इसका असर सबसे ज्यादा गरीब समुदायों में देखने को मिल रहा है।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन 2-13 दिसंबर से मैड्रिड में आयोजित किया जाएगा। समिट में संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग और यूरोप में आई बाढ़ को शामिल किया जाएगा। ऐसे में फिलीफीन्स की जनता सरकार पर दबाव बना रही है कि सिटियो परिहाना जैसे मुद्दे को भी समित में उठाया जाए।
नहीं बचा पीने लायक पानी
- सिटियो परिहाना गांव में भू-जल भी नहीं बचा है और अब पीने के लिए पूरा गांव एक कुएं पर निर्भर है। ज्यादातर घर पानी में डूबे हुए हैं इस वजह से यहां बिजली के खंबे नहीं लगाए गए हैं। लोगों ने छतों पर सोलार पैनल लगा रखे हैं। यहां के लोग अपने घरों से तभी निकलते हैं जब कोई काम हो। बाकी समय घर पर बिताना इनकी मजबूरी हो जाती है।
- पानी भर जाने की वजह से महीनों से यहां के चर्च में प्रर्थना सभा का आयोजन नहीं किया गया है। इस गांव के हालात 2011 में आए टायफून नेसात तूफान के बाद से ज्यादा खराब होने लगे हैं।इस तूफान में उठी समुद्री लहरें काफी ऊंची थीं, जिस वजह से घर, स्कूल और कई सरकारी इमारते तबाह हो गई। इस तूफान के बाद 50 अधिक परिवारों ने गांव छोड़ दिया।
- यहां रहने वालों को जिंदगी गुजर करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। समुद्री जीव यहां का मुख्य भोजन है। जो लोग यहां बच गए वो इसलिए लिए ये जगह नहीं छोड़कर जाना चाहते क्योंकि उन्होंने यहां जीना सीख लिया है और अगर वो शहर की तरफ गए तो उन्हें डर है कि उन्हें भिखारी की जिंगदी जीनी पड़ सकती है।
नाव के बिना जिंदगी की कल्पना नहीं करते रहवासी
- यहां रहने वाली 16 साल की डेनिका मार्टीनेज बताती हैं, मैं रोज सुबह अपने भाई-बहनों के साथ नाव से स्कूल जात हूं। स्कूल पहुंचने में मुझे 30 मिनट का समय लगता है। समुद्र में उठती तेज लहरों की वजह से कभी-कभी मैं पूरी तरह से भीग जाती हूं। यहां रहना बेहद मुश्किल हैं लेकिन हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है। यहां रहना खतरे से भरा है लेकिन अब हमें आदत हो गई है। बिना नाव के यहां रहने की कल्पना नहीं की जा सकती है।
- डेनिका की मां मेरी जेन मार्टीनेज केकड़े बेचना का काम करती हैं, जिन्हें उनके पति पकड़ते हैं। मेरी के मुताबिक यहां रहना दिन-ब-दिन तकलीफ देह होता जा रहा है। लेकिन शहर जा बसना और नए सिरे जिंदगी शुरू करना उनके लिए संभव नहीं है। इसलिए वो ये गांव नहीं छोड़ रहे हैं।
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