लाइफस्टाइल डेस्क. अहं-भरा अधिकार, हर वस्तु, हर रिश्ते पर मेरा हक वाली भावना को दूर रखने के लिए विनम्रता मददगार होती है। हम हवा, पानी, धरती, आसमान सबके लिए प्रकृति का आभार मानते हैं, वैसे ही हमें मिली हर सुविधा के लिए माता-पिता के आभारी होते हैं। इस भाव को बच्चों में विकसित और पोषित करें। बच्चों में कुछ आदतें छुटपन से ही डालना जरूरी हैं। बच्चों में धैर्य और संतुष्टि की भावना लाने के लिए कुछ बातें हैं, जो बच्चों को सिखाना जरूरी है। इसमें प्रधानता आपके व्यवहार की ही है। इसलिए इन बातों पर
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बच्चे यदि किसी तरह का अप्रिय व्यवहार करें तो उन्हें उसी वक्त रोकना जरूरी है। पर एक बात का ख्यालरखें कि यहां बच्चे को रोकने से मतलब उसका अपमान करना नहीं है, बल्कि समझाना है। यदि बच्चा ये कहता है कि आपने उसके लिए उसका पसंदीदा खिलौना नहीं लिया या उसे जो खाना था वो नहीं दिलाया तो ऐसे में खिसियाने के बजाय उसे समझाएं कि आपने उसके लिए और भी खिलौने तो लिए हैं या आप हमेशा तो उसे पसंद की चीजें खिलाते ही हैं। ऐसे में एक बार उसकी मर्जीका न करने पर इस तरह का व्यवहार करना गलत है।
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बच्चों को ये जानना भी जरूरी है कि उनके द्वारा किए गए व्यवहार का असर अन्य लोगों पर होता है। इसके लिए उनसे बात करें और बताएं कि उनके द्वारा कहे गए शब्द सामने वाले व्यक्ति को दुख दे सकते हैं। बच्चों को समझाने के लिए उन्हें उनकी तरह के उदाहरण दे सकते हैं, जैसे वे फलां बच्चे को खेलने नहीं ले जाएंगे, तो उसे बुरा लगेगा या अगर कोई खेल कोई बच्चा ढंग से नहीं खेलता, तो उसे छोड़ देना बच्चे का दिल दुखा सकता है, इस तरह के उदाहरण बच्चों को दूसरों के प्रति ठीक तरह से व्यवहार करने व सहानुभूति का पाठ भी पढ़ाते हैं।
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बच्चों को कभी इस बात का अहसास नहीं होता कि उनके पास क्या कुछ है। वे हमेशा इस बात से दुखी रहते हैं कि उनके दोस्त के पास उनसे ज्यादाखिलौने हैं या उसने नई साइकिल ली है। यदि बच्चा आपसे महंगे खिलौने या किसी अन्य चीज के लिए जिद करता है तो उसे साफ शब्दों में न कहने की आदत डालें न कि बहाने बनाएं कि उसे जन्मदिन पर उसकी पसंदीदा चीज लाकर देंगे। इसके अलावा आप उसे कुछ नया खरीदने के लिए उसकी पॉकेट मनी से पैसे बचाने की सलाह भी दे सकते हैं।
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माता-पिता बच्चे के लिए प्रेरणास्रोत बनकर इन बातों को सिखा सकते हैं। जैसे उनके पास जो भी है चाहे भोजन हो या सुकून भरा जीवन इसे लेकर वे एक-दूसरे से बात करें। इसके अलावा जो चीजें सामान्य लगती हैं पर बेहद जरूरी हैं जैसे एक-दूसरे को समय देना, साथ घूमने जाना या साथ मिलकर भोजन करने जैसी चीजों को लेकर जब आप कृतज्ञ होंगे तो बच्चा भी ये सब चीजें समझेगा व सीखेगा।
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बच्चे को किसी पालतू का ध्यान रखने की ज़िम्मेदारी दें। साथ ही हर बच्चे को प्रकृति का आभार व्यक्त करना सिखाना ही चाहिए। उसे पौधों में पानी देने, उसके आसपास से सूखे पत्ते हटाने और पौधे को स्वस्थ रखने की ज़िम्मेदारी दें। उसे समझाएं कि पालना-पोसना आसान काम नहीं होता, साथ ही कुदरत हमें क्या कुछ नेमतें देती है, इसकी भी समय-समय पर जानकारी देते रहें।
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