लाइफस्टाइल डेस्क. वैज्ञानिकों ने खिड़कियों के जरिए सोलर एनर्जी उत्पन्न कर घर को गर्म रखने की तकनीक विकसित की है। इससे ठंडे देशों में रहने वाले लोग अपने घर की काफी बिजली बचा सकेंगे।वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तकनीक के बाद महंगे इलेक्ट्रिक हीटर्स की जरूरत नहीं पड़ेगी। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस गर्मी को दो दशक तक स्टोर कर के भी रखा जा सकेगा। इसे स्वीडन की कालमर्स यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने बनाया है।
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वैज्ञानिकों ने बताया कि सोलर एनर्जी की मदद से गर्मी पैदा करने के लिए एक खास तरह का घर की खिड़कियों पर अलग तरह से लैमिनेशन किया जाएगा। इस लैमिनेशन को कार्बन, नाइट्रोजन और हाइड्रोजन से मिलाकर बनाया जाएगा। इसके बाद जैसे ही इस लैमिनेशन पर सूरज की किरणें पड़ेंगी, वैसे ही एक नया केमिकल बनना शुरू होगा जिससे सोलर पावर पैदा होगी और ये घर को गर्म रखने में मदद करेगा। इसका इस्तेमाल कार की खिड़कियों और कपड़ों पर भी किया जा सकेगा, ताकि ठंड से बचा सके। वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। उनका कहना है कि एक बार एनर्जी इस लैमिनेशन के संपर्क में आई तो ये हीट (गर्मी) के रूप में बाहर निकलती रहेगी।
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- इस तकनीक के जरिए गर्मी को स्टोरेज करने के लिए वैज्ञानिकों ने लिथियम आयन बैटरी की जगहएक अलग डिवाइस का इस्तेमाल किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि लिथियम आयन बैटरी 5 से 10 साल तक ही काम कर पाती है, लेकिन उसकी तुलना में नया डिवाइस 18 सालों तक काम करने में सक्षम है। ये डिवाइस लिथियम आयन बैटरी की तुलना में कम फुटप्रिंट छोड़ती है जिससे पर्यावरण को ज्यादा नुकसान नहीं होता।
- इस तकनीक में सिलीकॉन जैसे महंगे मटेरियल का इस्तेमाल नहीं किया गया है। आम सोलर पैनल में जिन चीजों की जरूरत होती है केवल उन्हीं का इस्तेमाल किया जाएगा। इस गर्मी को उत्पन्न करने के लिए किसी भी तरह की बिजली की जरूरत नहीं होती है।
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- फिलहाल ये तकनीक सिर्फ गर्मी पैदा करने में मदद करेगी। वैज्ञानिक जल्द ही इसके जरिए बिजली भी उत्पन्न करने के प्रयासों में जुटे हुए हैं। इस तकनीक को विकसित करने में कई साल लगे हैं साथ ही इसमें 17.65 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। फिलहाल इसे कुछ ही लोग अफोर्ड कर सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि थोड़े वक्त बाद ये आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी।
- ग्राहकों तक इस तकनीक को पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों को और अधिक फंड की आवश्यकता है। उनका दावा है कि फंड मिलने के बाद वो इसे कमर्शियल प्रोडक्ट में तब्दील कर देंगे और महज 6 सालों में ग्राहकों तक पहंचा देंगे।
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सूरज की किरणों से बिजली पैदा करने के लिए सोलर पावर सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। इसके दो तरीके होते हैं। पहले तरीके में कैलकुलेटर की तरह दिखाई देने वाला सोलर पैनल होता है, जो सीधे सूरज की रोशनी से बिजली पैदा करता है। दूसरे तरीके में आइने या लैंस का उपयोग किया जाता है, जो सूरज की किरणों को पकड़ने में मदद आता है। इसका इस्तेमाल टरबाइन चलाने या इलेक्ट्रिसिटी प्लांट में बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में सोलर एनर्जी से दुनिया की 1.7% बिजली पैदा की गई थी। अब ये उत्पादन हर साल 35% की दर से बढ़ रहा है।
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