लाइफस्टाइल डेस्क. भावना अभी 39 वर्ष की ही थी कि उसके पति का हार्ट अटैक से निधन हो गया। अब उसके ऊपर दो बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी थी। जल्द ही उसे अहसास हो गया कि शादी के 12 साल बाद भी उसे परिवार के फायनेंस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। परिवार के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए पति ने कैसी फायनेंशियल प्लानिंग की थी, इसके बारे में कभी नहीं बताया था। इससे परिवार उसी स्थिति में फंस गया, जिससे बचने के लिए प्लानिंग की गई थी। यह इकलौता मामला नहीं है। आज देश में इंश्योरेंस का करीब 7000 करोड़ रुपए ऐसा पैसा है, जिसपर किसी ने दावा नहीं किया। इसका सबसे प्रमुख कारण यह था कि परिवारों को इन बीमा पॉलिसी के बारे में जानकारी ही नहीं थी। पति की फाइनेंशियल प्लानिंग के बारे में पत्नियों को जानकारी न होना चिंताजनक है। अजय केडिया, एमडी, केडिया एडवाइजरी, मुंबई से जानिए पति की फाइनेंशियल प्लानिंग जानना क्यों जरूरी है
महिलाओं में कितनी जागरूकता?
महिलाओं में कितनी वित्तीय जागरूकता, यह जानने के लिए एक सर्वे किया गया, जिसमें 25 से 60 साल की शादीशुदा शहरी महिलाएं शामिल थीं। इसमें कामकाजी महिलाएं और गृहणियां थीं। नतीजे चौंकाने वाले थे।
- 56.5% महिलाओं को उनके पति के निवेशों की कम या बिल्कुल जानकारी नहीं थी।
- 54.50% महिलाओं को पति द्वारा ली गई इंश्योरेंस पॉलिसी के डिटेल्स नहीं पता थे। 7 फीसदी तो यह भी नहीं जानती थीं कि उनके पति ने कोई पॉलिसी ली है या नहीं। 45% को परिवार के हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में नहीं पता था।
- 41.2% ने माना कि अगर पति न हों तो वे पॉलिसी या निवेश के बारे में पता भी नहीं कर पाएंगी।
जागरूकता की यह कमी इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि विज्ञान कहता है कि महिलाओं पुरुषों से ज्यादा जीती हैं। इसलिए आशंका है कि पत्नी को जीवन का कुछ हिस्सा बिना पति के साथ के गुजारना पड़ सकता है।
जागरूकता की कमी क्यों है?
सर्वे ने बताया कि वित्तीय रूप से कम जागरूक 33% महिलाओं को लगता है कि उनते पति या तो आलसी हैं या उनके पास वित्तीय जानकारियां साझा करने का वक्त नहीं है। इस विषय को 'कम जरूरी' मानकर टाल दिया जाता है। सर्वे में 35% महिलाओं ने माना कि पति से ऐसे विषयों पर बात करने में या वे सहज नहीं हैं या वे ये बातें समझ नहीं पाएंगी। 15% को ये बातें जरूरी नहीं लगतीं। हालांकि 95% महिलाओं को लगता है कि वे इंश्योरेंस रिन्यूवल, क्लेम आदि संभाल सकती हैं।
वसीयत करना क्यों जरूरी?
भावना जैसी स्थिति में कोई न फंसे इसके लिए पति और पत्नी को मिलकर सही साधनों का इस्तेमाल करना होगा। सबसे जरूरी तो यही है कि पति, पत्नी से फाइनेंशियल प्लानिंग साझा करे और पत्नी भी इसमें रुचि ले। इसके अलावा वसीयत बनाना भी एक तरीका है। वसीयत कानूनी घोषणापत्र जैसी है जो वसीयतकर्ता को यह अधिकार देती है कि वह ऐसे व्यक्ति का नाम दे सके जो उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का अधिकारी बनेगा। वसीयत में अपनी मृत्यु के बाद प्रॉपर्टी के बंटवारे को लेकर सभी स्थितियां स्पष्ट की जा सकती हैं। वसीयतकर्ता इसमें बदलाव भी कर सकता है, लेकिन मृत्यु के बाद इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता। हमारे देश में अभी भी 'वसीयत योजना' को वित्तीय प्रबंधन का हिस्सा नहीं माना जाता। लेकिन महिलाओं के लिए यह बहुत जरूरी है। इससे वे भविष्य किसी भ्रम या धोखाधड़ी का शिकार होने से बचती हैं।
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