इसी महीने अपने जीवन के 79 साल पूरा कर 80वें साल में कदम रख चुकी माया शर्मा के लिए इस उम्र में भी कोई काम असंभव नहीं है। राजस्थान की जयपुर की रहने वाली यह महिला रोजाना घंटों सिलाई मशीन पर काम करती रहतीं हैं। वह अब तक 700 से 800 मास्क तैयार कर चुकी हैं। घर पर तैयार किए यह मास्क उनके बेटे मनीष सोरल अस्पतालों, सब्जीवालों, पुलिसकर्मियों और जरूरतमंदों को मुफ्त में बांट रहे हैं।
अखबार की एक खबर से मिली प्रेरणा
मनीष बताते हैं कि उन्होंने हमेशा से ही मां को दूसरों की मदद करते देखा है। माया के पति बल्लभ शर्मा रेलवे में गार्ड थे, ऐसे में आमदनी कम थी, पर जितनी थी उसी में माया संतुष्ट थीं। वह सर्दियों में अकेले ही 15- 20 स्वेटर बना लेती थी। यहां तक कि चारों बच्चों के लिए कपड़े भी खुद ही सिलाई मशीन से तैयार करती थी। आज उनकी मशीन खुद 60 साल की हो गई है। हाल ही में कोरोना के बढ़ते कहर को देखकर उन्होंने कुछ करने की ठानी। ऐसे में मास्क की बढ़ती मांग को देखकर मास्क करने का फैसला किया। इस काम में प्रेरणा का स्त्रोत बनी अखबार की एक खबर, जहां उन्होंने पढ़ा किए डॉक्टर दिनभर ड्यूटी करने के बाद घर जाकर गरीबों के लिए मास्क मिलते हैं। इस खबर से प्रभावित हुई माया ने सोचा कि यदि दिन भर काम करने के बाद डॉक्टर ऐसा कर सकते हैं, तो वह घर पर बैठे लोगों की मदद से यह काम क्यों नहीं कर सकतीं?
लॉकडाउन शुरू होने से पहले से सिल रहीं मास्क
लॉकडाउन शुरू होने से पहले ही उन्होंने मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया था। शुरू में 5 मीटर कपड़े से जितने भी मास्क बने वह बेटे के हाथों बांटने के लिए भेज दिए। लेकिन बाद में पता चला कि ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें की काफी जरूरत है। मनीष बताते हैं कि शुरुआत में लगभग 100 मास्क बने और फिर कपड़ा खत्म हो गया। मार्केट बंद था, ऐसे में पड़ोसियों ने मदद की और जितना हो सके उतना कपड़ा दिया।
वह रोज सुबह 5 बजे उठकर नहाने के बाद अखबार पढ़ने बैठ जाती हैं। इसके बाद नाश्ता करने के बाद सिलाई के काम में लग जाती हैं और तब तक नहीं रुकती जब तक कपड़ा खत्म नहीं होता। जब कपड़ा नहीं होता, तब वह आराम कर लेती है। पर रोज कोई ना कोई कपड़ा दे देता है, जिन्हें बाद में अच्छी तरह धोकर, सुखाकर फिर मास्क सिलने का काम शुरू हो जाता है।
सुई में धागा डालने में मदद करती 8 साल की पोती
पड़ोसी ही नहीं बल्कि घर का हर सदस्य इस काम में योगदान दे रहा है। उम्र की वजह से वह सुई में धागा नहीं डाल पाती। ऐसे में उनकी 8 साल की पोती काव्या बड़े शौक से उनके लिए यह काम करती हैं। माया कहती हैं कि बात अपनी सुरक्षा की नहीं, पूरे देश की है। हमें तसल्ली है कि हमने सब को सुरक्षित रखने में योगदान दिया। समाज के लिए जितना हो सके उतना करें, इससे बहुत संतुष्टि मिलती है। बीते 4 अप्रैल को अपना 79 वां जन्मदिन मनाने वाली माया शर्मा कि यही अपील है कि सब घर पर ही रहे और इस महामारी से लड़ने में देश का साथ दें।
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