Saturday 11 July 2020

अरुणा और प्रशांत लिंघम की कहानी जिन्होंने 60 लाख उधार लेकर शुरू किया बैम्बू हाउस, आज कराेड़ों का है इनका टर्नओवर

मुश्किल हालातों से निकलकर जिंदगी में किस तरह कामयाबी हासिल की जा सकती है, ये अगर आपको जानना हो तो हैदराबाद के इस कपल की सफलता से प्रेरणा ली जा सकती है। इन्होंने बांस से बने काम को बढ़ावा देने में खुद तो कड़ी मेहनत की ही, साथ ही आंध्र प्रदेश के उन आदिवासी और ग्रामीणों को रोजगार के अवसर भी दिए जिन्हें दो वक्त का खाना भी मुश्किल से मिलता था।

31 साल की अरुणा कप्पागंटुला और 33 वर्षीय प्रशांत लिंघम की शादी 2006 में हुई। वे चाहते थे कि शादी के बाद अपने घर को पूरी तरह से नया सेट करें। शादी के बाद घर के लिए फर्नीचर का सामान लेने वेमार्केट गए। अरुणा अपने घर के लिए बांस का फर्नीचर चाहतीं थी। वैसे भी बांस से बनीचीजें उन्हें हमेशा अपनी ओर आकर्षित करती थीं।

मार्केट में फर्नीचर खरीदते समय उन्हें ये ख्याल आया कि इसी क्षेत्र में वे भी प्रशांत के साथ मिलकर बिजनेस शुरू कर सकती हैं। उनके इस सपने को साकार करने में प्रशांत ने किस तरह मदद की और कैसे वे बांस से घर बनाने में कामयाब रहे, जानिए खुद उन्हीं की जुबानी।

अरुणा अपने पति प्रशांत लिंघम के साथ।

मेरी शादी को तब कुछ ही दिन हुए थे। फर्नीचर लेने के बाद जब हम घर आए और सास-ससुर को बताया तो वे बहुत नाराज हुए। उन्हें इस बिजनेस का आइडिया बिल्कुल पसंद नहीं आया। मेरे मम्मी-पापा को भी यह आइडिया अच्छा नहीं लगा।लेकिन मैंने और प्रशांत नेबैंबू बिजनेस में अपना कॅरिअर बनाने काफैसला कर लिया थाजो अटल रहा।

अरुणा और प्रशांत द्वारा डिजाइन किया गया बैम्बू हाउस।

उन्हीं दिनों मैं प्रशांत के साथ बैंबू को लेकर नौ महीने के फॉरेस्ट स्टडी टूर पर देश के अलग-अलग हिस्सों में गई। इस टूर के माध्यम से हमने ये जाना कि भारत में बांस से बने प्रोडक्ट का मार्केट लगभग 26,000 करोड़ है। अगर इस काम की शुरुआत की जाए तो आंध्रप्रदेश के तकरीबन 50 लाखलोगों को रोजगार मिल सकता है।

बांस से फ्लोर और कपड़े बनाने का सपना देखता है ये कपल।

मैंने देखा कि अगर आप बांस के प्रोडक्ट को अपना बिजनेस बनाना चाहते हैं तो प्रशासन की नीतियां भी काफी सपोर्ट करती हैं। उन्हीं दिनों पता चला कि आईआईटी दिल्ली बांस पर आधारित हाउसिंग टेक्नोलॉजी पर काम कर रहीहै। यहीं से प्रेरणा लेकर मैंने 2008 में प्रशांत के साथ बैम्बू हाउस की शुरुआत की।

आईआईटी दिल्ली केहाउसिंग टेक्नोलॉजी से मिली बैम्बू हाउस की प्रेरणा।

बांस से बनी चीजों कीमार्केटिंगकरना और लोगों को इससे बने प्रोडक्ट की खासियत समझाना भी चुनौतीपूर्ण था। हमने आंध्रप्रदेश के ग्रामीणों और आदिवासी समुदाय को बांस से चीजें तैयार करने की ट्रेनिंग दी। इस तरह हमने हैदराबाद में ''ग्रीन लाइफ'' की शुरुआत की। इस सफर की सबसे बड़ी मुश्किल बांस के बारे में जानकारी हासिल करना रहा।

इस कपल ने हैदराबाद में ग्रीन लाइफ की शुरुआत की।

बांस और इसके गुणों को लेकर हम दोनों ने दिन-रात स्टडी की। हालांकि इस बारे में किताबों या नेट पर इतनी जानकारी उपलब्ध नहीं है जिसे जानकर बिजनेस किया जा सके। फिर हमनें बांस पर अलग-अलग प्रयोग करके अपना डाटा बैंक बनाया। नार्थ इस्ट के शिल्पकारों से हमें बांस के बारे में वो सारी बातें पता चलीं जिसकी उस वक्त हमें सबसे ज्यादा जरूरत थी।

60 लाख का कर्ज लेकर की बैम्बू हाउस की स्थापना।

अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए हम दोनों ने 60 लाख का कर्ज लिया। इस बीच फॉरेस्ट एक्ट से लड़कर आगे बढ़ना भी चुनौतीपूर्ण था। फिर बांस लेने के लिए जहां जाते थे वहां के लोकल लोगों को इस बात की दिक्कत होने लगी कि ये लोग बार-बार यहां क्यों आते हैं। छोटी जगह पर लोगों को अपने बिजनेस के बारे में समझानाभी आसान नहीं था।

टायर और प्लास्टिक की बोटल्स से तैयार किए इको फ्रेंडली प्रोडक्ट्स।

कई परेशानियों के बावजूद हमने ये ठान लिया था कि इस प्रोजेक्ट को पूरा करना है। उन्हीं दिनो हमने बांस के अलावा अन्य चीजों जैसे दूध की थैली, टायर और प्लास्टिक की बोटल्स से इको फ्रेंडली प्रोडक्ट बनाना शुरू किया। हमारे इस काम कोकाफी पसंद किया गया। बैंबू हाउस को कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज का सहयोग मिला और इस तरह हमने अपने प्रोजेक्ट की स्थापना की।

इस कपल ने प्लास्टिक के वेस्ट मटेरियल से बनाया घर।

हमने गुगल कंपनी के लिए एक बैंबू हट बनाई जिसे काफी पसंद किया गया। बैम्बू हाउस की सफलता को देखते हुए मैं और प्रशांत आने वाले सालों में बांस से फ्लोर और कपड़े बनाने का सपना देखते हैं। मैं चाहती हूं कि पर्यावरण को बचाने के लिए लोग बांस के महत्व को समझें और इससे बने प्रोडक्ट्स को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

बांस के बारे में पूरी जानकारी हासिल करके इस बिजनेस की शुरुआत की जा सकती है।

जो लोग बैंबू प्रोजेक्ट में अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं कि उनके लिए सबसे पहले इसके डोमेन को जानना जरूरी है। बांस से घर बनाने के लिए इसकी कौन की क्वालिटी अच्छी है और किस क्वालिटी के बांस का प्रयोग नहीं करना चाहिए, इस बारे में पर्याप्त जानकारी होना जरूरी है।बांस से संबंधित हर राज्य में अलग-अलग नियम हैं, आप पहले इन नियमों कीपूरी जानकारी लें और फिर इस दिशा में आगे बढ़ें।



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The story of Aruna and Prashant Lingham, who started Bamboo House by borrowing 60 lakhs, today they are earning in crores


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तस्वीरों में मलाला यूसुफजई की जर्नी : मौत से जंग जीतने और सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता बनने तक का सफर

मलालायूसुफजई कापरंपरागत लिबास और सिर पर दुपट्टा देखकर वह किसी भी आम लड़की की तरह प्रतीत होती हैं।लेकिन कुछ कर दिखाने के हौसले से भरपूर उनकी आंखें और भरपूर जोशउन्हेंखास बनाता है।सबसे कम उम्र में नोबल पुरस्कार हासिल करने वाली मलाला शिक्षा के हक के लिए लड़ रही हैं।

मलाला का जन्म 1997 में पाकिस्तान के खैबर पख्‍तूनख्‍वा प्रांत की स्वात घाटी में हुआ।मलाला के पिता का नाम जियाउद्दीन यूसुफजई है।साल 2007 से मई 2009 तक स्वात घाटी पर तालिबानियों ने खूब आतंक मचा रखा था। इसी आतंक का शिकार मलाला भी हुई। आठवीं कक्षा की मलाला कैसे बनी नोबेल प्राइज वीनर, तस्वीरों में जानिए उनका अब तक का सफर।

तालिबान आतंकियों के डर से लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था।मलाला तब आठवीं कक्षा में पढ़तीथीं।मलाला की एक टीचर बताती हैं किजब वह ढाई साल की थी तबसे अपने पिता के स्कूल में खुदसे 10 साल बड़े बच्चों के साथ बैठकर पढ़ाईकरती थीं। वे पढ़ने में बचपन से बहुत होशियारथीं।

साल 2009 में मलाला नेअपने असली नाम को छिपाकर'गुल मकई' के नामसे बीबीसी के लिए एक डायरी लिखना शुरू किया।इसमें उन्होंने स्वात में तालिबान के बुरे कामों का उल्लेखकिया।बीबीसी के लिए डायरी लिखते हुए मलाला पहली बार दुनिया की नजर में तब आईं, जब दिसंबर 2009 में मलाला के पिता जियाउद्दीन ने अपनी बेटी की पहचान सार्वजनिक की। जनवरी 2020 मेंगुल मकई के नाम से मलाला पर आधारित फिल्म भी रिलीज हुई।

2012 मेंतालिबानी आतंकी उस बस पर सवार हो गए, जिसमें मलाला अपने साथियों के साथ स्कूल जा रहीं थीं।आतंकियों ने मलाला पर एक गोली चलाई जो उसके सिर में जा लगी। मलाला के ठीक होने की दुआ सारी दुनिया में हुई। जल्दी ही वे स्वस्थ्य हो गईं।मलाला ने अपने साथ हुई इस घटना के बाद एक मीडिया संस्था के लिए ब्लॉग लिखना शुरू किया। इसकेबाद वो लोगों की नजर में आ गईं।

जब वह स्वस्थ हुईं तो अंतर्राष्ट्रीयबाल शांति पुरस्कार, पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार (2011) के अलावा कई बड़े सम्मान मलाला के नाम दर्ज होने लगे। 2012 में सबसे अधिक प्रचलित शख्सियतों में पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई कानाम शामिल हुआ। उनकीबहादुरी के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा मलाला के 16 वें जन्मदिन पर 12 जुलाई को मलाला दिवस घोषित किया गया।

मलाला को साल 2013 मेंनोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। इसी साल उन्हेंयूरोपिय यूनियन का प्रतिष्ठित शैखरोव मानवाधिकार पुरस्कार भी मिला। उन्हें 2014 में भारत के बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से नोबल पुरस्कार दिया गया।

बर्मिंघमकी लायब्रेरी में एक मीडिया कांफ्रेंस के बाद कैमरे के सामने पोज देता हुआ मलाला का परिवार। इस फोटो में मलाला के साथ उसके दोनों भाई, पिता जियाउद्दीन और मां तोर पकेई भी हैं। मलाला के पिता ने हर हाल में उनका साथ दिया और उन्हें आगे बढ़ने के अवसर प्रदान किए।

मलाला की लिखी किताबपुस्तक 'वी आर डिसप्लेस्ड : माई जर्नी एंड स्टोरीज फ्रॉम रिफ्यूजी गर्ल्स अराउन्ड द वर्ल्ड' में मलाला ने घर के लिए तरसने के दौरान न सिर्फ नये जीवन के साथ तालमेल बैठानेकी अपनी कहानी को बयां किया है,बल्कि वह कुछ लड़कियों की निजी कहानियों को भी साझा करती हैं जिनसे वह विभिन्न सफर के दौरान मिलीं और जिन्होंने अपने समुदाय, रिश्तेदारों आदि को खो दिया।

बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक्टिविस्ट मलाला को स्वीडिश की रानी सिल्विया ने स्वीडन के ग्रिप्शोल केसल में वर्ल्डस चिल्ड्रंस प्राइज से सम्मानित किया। पॉप स्टार मेडोना ने अपना गाना ह्युमन नेचर मलाला को समर्पित किया है।

जोश से भरपूर मलालाके इसपोर्टेट को जोनाथन यियोन से बनाया है। इसे नेशनल पोर्टेट गैलेरी, लंदन में स्थान प्राप्त है।जोनाथन एक ब्रिटिश आर्टिस्ट हैं। उन्हें डेनिस हॉपर, डेमिन हर्स्ट, टोनी ब्लेयर और डेविड केमेरून के पोर्टेट बनाने के लिए जाना जाता है।

इसी साल जून में मलाला ने ऑक्सफोर्ड में अपनी फिलॉसफी, पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स की डिग्री पूरी की है। उन्होंने पढ़ाई पूरी करने की अपनी खुशी जाहिर करते हुए ट्विटर अकाउंट पर दोफोटो शेयर किए हैं। एक फोटो में वे केक काटती हुई नजर आ रही हैं, वहीं दूसरी फोटो में वे केक से लथपथ दिख रही हैं।



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Malala's Journey in Pictures: Journey to become the youngest Nobel Prize winner after winning the battle to the death


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छोटी-छोटी बातें बड़ी होकर पैदा करती हैं रिश्ते में दरार, इन 4 बातों काे अपनाकर कायम रखें प्यार

रिश्ता कोई भी हो, उसमें मज़बूती का बीज समय के साथ ही पड़ता है और रिश्ता मज़बूत बना रहे इसके लिए चंद बातों का ध्यान रखा जाना जरूरीहै। जब दो लोग एक रिश्ते में होते हैं तो न सिर्फ़ वे अपना समय, बल्कि अपना मन, अच्छाइयां, बुराइयां सब एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं।

वे न सिर्फ़ अपना अतीत सामने रखते हैं बल्कि भविष्य की योजनाएं भी एक-दूसरे के साथ मिलकर तैयार करते हैं। रिश्तों में छोटी-मोटी तकरारें भी चलती रहती हैं, लेकिन ये छोटी-छोटी बातें बड़ी होकर रिश्ते में दरार पैदा न करें, उसके लिए इन चीज़ों को जीवन में शामिल कर सकते हैं।

1. बातचीत बनाए रखें
किसी भी मज़बूत रिश्ते की रीढ़ की हड्डी होती है बातचीत। इसे सुधारने का सबसे अच्छा तरीक़ा होता है कि अपने साथी की बात बिना किसी पूर्व धारणा के सुनें। आपसी बातचीत में कभी भी जीत-हार का कोई स्थान नहीं होता है, बल्कि अपने साथी की बात को इस तरह सुनें-समझें कि आप उन्हें और बेहतर तरीक़े से जानना चाहते हैं।

2. फ़ैसला न लें
यदि आपका साथी आपके साथ कोई बात साझा कर रहा है तो उसे इत्मीनान से सुनें। अक्सर होता है कि कोई स्वयं द्वारा की गई भूल, ग़लतियोंके बारे में बात करता है तो हम सही-ग़लत का फ़ैसला करने लग जाते हैं या जाने-अनजाने अपने साथी को ही इसके लिए दोषी ठहरा देते हैं। फ़ैसला लेने के बजाय ऐसी बातें कहें जो उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएं और उनके मन का बोझ हल्का करें।

3. ख़ुद को समय देने से न डरें
विवाह सूत्र में बंधने या किसी के साथ रिश्ते में होने का अर्थ यह नहीं है कि आपके पास अब स्वयं के लिए समय नहीं होगा। एक स्वस्थ रिश्ते के लिए यह आवश्यक है कि दोनों कुछ समय सिर्फ़ ख़ुद के साथ बिताएं जिसमें वे अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं या जो उन्हें पसंद हो वह उस समय में किया जा सकता है।

4. एक नियम हो
नाना-नानी का एक तय नियम था। दोनों का दिन कैसा भी गुज़रे, उनमें कितनी तकरारें हो जाएं, वे रात का खाना साथ बैठकर खाते थे। साथ भोजन करते वक़्त एक-दूसरे की फ़िक्र में सारे गिले-शिक़वे धुल जाया करते थे। यदि आप दोनों के लिए सम्भव ऐसा ही कोई नियम हो तो उसे अपने जीवन में शामिल किया जा सकता है।



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Small things grow bigger and create a rift in the relationship, maintain love by adopting these 4 things


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Friday 10 July 2020

मदुरैई के एक रेस्टोरेंट में मास्क वाले परांठे बने लोगों की पसंद, मास्क के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए बनाया जा रहा है इसे

कोरोना काल में मास्क का महत्व तो हम सभी जानते हैं। लेकिन अभी भी ऐसे कई लोग हैं जो मास्क नहीं पहन रहे हैं। मास्क पहनने के लिए कई संगठन भी इस समय जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

फैशन डिजाइनरसे लेकर आम लोग मास्क को तरह-तरह की डिजाइन में तैयार कर रहे हैं ताकि लोग इसे पहनने के प्रति जागरूक हों सकें।

हाल ही में तमिलनाडु के मदुरैई में एक रेस्टोरेंट मेंमास्क के आकार का परांठा बनाया है। यह लोगों को खूब पसंद आ रहा है। इसका नाम मास्क परांठा रखा गया है। इस परांठे को एल कुमार नामक शख्स ने बनाया है।

वे कहते हैं कि मेरे दिमाग में यह ख्याल जैसे ही आया तभी मैंने इसे अपने रेस्टोरेंट में बनाना शुरू कर दिया। इसमें किसी तरह की अतिरिक्त मेहनत की जरूरत नहीं है।

कुमार ने बताया कि ‘मास्क परांठा’ को हमने अपने रेस्टोरेंट की सभी चेन में बनाना शुरू कर दिया है।इसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं। कुमार के अनुसारलोगों को मास्क पहनने के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इस परांठे को बनाया गया है ताकि इस महामारी को फैलने से रोका जा सके।

एक तरफ जिले में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं दूसरी तरफ ज्यादातर लोगों को बिना मास्क लगाए ही शहर में घूमते हुए देखा जा सकता है। इसलिए कुमार नेअपने रेस्टोरेंट के माध्यम से मास्क पहनने के महत्व को समझाने का यह तरीका ढूंढ निकाला।

कुमार कहते हैंकई लोग बिना मास्क के ही रेस्टोरेंट आ जाते हैं, उन्हें मास्क पहनने के लिए कहने पर कभी-कभी बहस भी करनी पड़ती है। जिनके पास मास्क नहीं होता, उन्हें हम फ्री मेंमास्क भीदेते हैं। मास्क वाले परांठे बच्चों को भी पसंद आ रहे हैं।



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The choice of people with mask parathas in a restaurant in Madurai is being made to spread awareness about the mask.


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Gold prices slump to Rs 48,900 per 10 gm, Silver rallying at Rs 51,950 a kg

In New Delhi, the price of 22-carat gold rose to Rs 47,700 per 10 gram, and in Chennai to Rs 46,920

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This pharma stock zooms over 100% in 18 trading days

The stock hit a new high of Rs 723 during the day, up 16 per cent.

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Gold futures rise on firm spot demand, global cues to RS 48,925 per 10 gram

Gold prices on Friday rose by Rs 47 to Rs 48,925 per 10 gram in futures trade as speculators created fresh positions on firm spot demand

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जापान के डिजाइनर हारुकी नाकामुरा 17 वीं शताब्दी के आर्ट वर्क काराकुरी से जरिये बनाते हैं पेपर के खिलौने, ओरिगेमी तकनीक से बयां करते हैं अपनी क्रिएटिविटी

जापानीडिजाइनर हारुकी नाकामुरा ने अपने आर्टवर्क के जरिये पेपर क्राफ्ट को जिंदा रखने की कोशिश की है। अपने पेपर क्राफ्ट के शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने पेपर इंजीनियरिंग की डिग्री ली। उन्होंने पेपर के माध्यम से हिलने-डुलने वाले क्रिएचर्स और डॉल्स बनाकर बच्चों को एक बार फिर पेपरक्राफ्ट की ओर आकर्षित किया है।

रंग-बिरंगे पेपर को ग्लू से चिपकाकर और अपनी क्रिएटिविटी का इस्तेमाल कर वे कभी कार्टून तो कभी कठपुतली बनाकर बच्चों को गुदगुदाते हैं। हारुकी कहते हैं जब तक आप खुद इन क्रिएशन के साथ टाइम नहीं बिताएंगे तब तक इस आर्ट को पूरी तरह समझ पाना आपके लिए मुश्किल होगा। उनका ये फन गेम बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी आकर्षित करता है।

समझ के जरिये खास बनाया

नाकामुरा ने तरह-तरह के पेपर क्राफ्ट को अपनी क्रिएटिविटी और समझ के जरिये खास बनाने का प्रयास किया है। वे इस आर्ट को लोगों के सामने लाने में 2000 से उस वक्त जुड़े जब उन्होंने ''पेपर क्राफ्ट टेकनिक्स इनसाइक्लोपिडिया'' पढ़ी। पेपर क्राफ्ट में उनकी योग्यता को बढ़ाने में इस किताब ने खास योगदान दिया।

काराकुरी को बनाया माध्यम
हारुकी मेकेनिकल पेपर काराकुरी पर क्राफ्टिंग करना पसंद करते हैं। काराकुरी का इतिहास 17 वींशताब्दी से जुड़ा हुआ है। 17 से लेकर 19 वीं शताब्दी तक इस कला का इस्तेमाल लोगों का मनोरंजन करने के लिए किया जाता था।

काराकुरी का अर्थ होता है मेकेनिज्म या ट्रिक। काराकुरी जापानी शब्द कुराकुरु से लिया गया है। इसका मतलब होता है धागे से खींचना। हारुकी ने अपने टेक्निक में काराकुरी के साथ ओरिगेमी या पेपर फोल्डिंग तकनीक का इस्तेमाल किया।

लोगों कीइस कला के प्रति रुचि को देखकरनाकामुरा को पेपर क्राफ्ट के लिए प्रोत्साहन मिलता है।वे तरह-तरह के मजेदार किरदारों को अपनी कला के जरिये पेश करने में माहिर हैं।उनकी इस कला से लोगों को खुश होते हुए देखकर नाकामुरा को बहुत खुशी मिलती है।



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Japan's designer Haruki Nakamura makes paper toys through the 17th century art work Karakuri, telling his creativity with paper folding technique


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YES Bank slips 9% after fixing FPO floor price at Rs 12 per share

YES Bank is planning to raise Rs 15,000-crore through the FPO

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NSE to accept gold bars produced by Indian refiners for settlement

Leading stock exchange NSE on Friday said it willaccept gold bars produced by the domestic refiners for settlement of the gold futures contracts traded on its platform.

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PI Industries hits record high on successful QIP issue; surges 8% in 2 days

Mutual Funds increased stake by more than four percentage points to 21.19 per cent in PI Industries, while FPIs hiked their holdings by nearly two percentage points to 13.82 per cent in June quarter

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Dollar peg is critical to Hong Kong amid threats from US, China worries

The HKD is pegged in a narrow range of 7.75-7.85 to the US dollar. The Hong Kong Monetary Authority (HKMA) buys and sells the currency at either limit to maintain the range

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Thursday 9 July 2020

Voda Idea dips 3% on report of default on payments to telecom tower cos

Vodafone Idea has been facing a financial crunch since the Supreme Court ordered it to pay Rs 54,000 crore as AGR to the government

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Firstsource Solutions up 10% as Rakesh Jhunjhunwala increases stake in Q1

After reducing stake in the previous three consecutive quarters, Rakesh Jhunjhunwala increased his stake in the company to nearly 3 percentage points.

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स्ट्रीट फूड लवर्स के लिए गुजरात में बनी पानी पूरी वाली एटीएम मशीन, हाइजीन पसंद करने वालों को रास आया ये अंदाज

पानी पूरी, पान बताशे और पुचका जैसे नामों से मशहूर ये स्ट्रीट फूड हर उम्र के लोगों की खास पसंद है। कोरोना महामारी से पहले गली, मोहल्ले में पानीपूरीखाने के शौकीन लोग अब इंफेक्शन के डर से इसे खाने से परहेज करने लगे हैं।
पानी पूरी शौकीन लोगों के लिए गुजरात के बनासकांठा में एक खास तरह की एटीएम मशीन तैयार की गई है। यह बिल्कुल बैकिंग के लिए इस्तेमाल होनेवालीएटीएम मशीन की तरह हीदिखती है।

इस मशीन की जानकारी असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेश हार्दी सिंह ने एक वीडियो के माध्यम से अपने फेसबुक पर दी है। इस मशीन से पानी पूरी लेने के लिए सबसे पहले भाषा का चयन करना होता है। इसके बाद पानी पूरी का चयन किया जाता है।

एक बार ये प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद 20 रुपए जमा करना पड़ते हैं। फिर नगद निकासी बॉक्स से तैयार पानी पूरी निकलती है। इस मशीन को बनाने में 180 दिन लगे।

ठेलों पर मिलने वाली पानीपूरी से एटीएम की पानीपूरी को ज्यादा हाइजिनिक माना जा रहा है।

इस तरह तैयार पानीपूरी को गलियों में मिलने वाली पानीपूरीसे ज्यादा हाइजीनिक माना जा रहा है। सोशल मीडया पर इस मशीन की खूब तारीफ हो रही है। एक ट्विटर यूजर ने इसकी तारीफ करते हुए कहा एक फूड लविंग इंडियन ही इसे बनाने के बारे में सोच सकता है। इस तरह की शानदार मशीन बनाने के लिए उस व्यक्ति को बधाई।



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Water-filled ATM machine made in Gujarat for street food lovers, those who like hygiene liked this style


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आंध्र प्रदेश की महिला ने अपने दामाद के लिए बनाईं 67 डिशेज, ट्विटर पर पोस्ट करते ही मिले कई मजेदार कमेंट्स

आंध्र प्रदेश में जमाई षष्ठी नाम की एक परंपरा होती है। इसमें सास अपने दामाद के घर आने की खुशी में तरह-तरह के पकवान बनाकर उसका स्वागत करती है। इसके लिए 67 तरह के व्यंजन बनाने की परंपरा है। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक महिला का वीडियो वायरल हो रहा है। उसने अपने दामाद के लिए 67 व्यंजनों को केले के पत्ते पर परोसा है।
67 प्रकार के व्यंजन वाली इस थाली में 5 कैटैगरी के आंध्रप्रदेश के पकवान हैं। इनमें ड्रिंक्स, स्टार्टर्स, चाट, मेन कोर्स और मिठाई होती हैं।इन 5 कैटेगरी में ही ये 67 प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं।

आंध्र प्रदेश की इस महिला ने भी ये थाली बनाई। उसने अपने वीडियो के आखिर में बताया कि ये थाली उनके रेस्टोरेंट में उपलब्ध है। इसलिए जिसे भी अपने दामाद के लिए ये स्पेशल थाली बनवानी है, वो उनके रेस्टोरेंट से ऑर्डर कर सकता है।

ट्विटर पर इस खबर को लेकर कई मजेदार कमेंट्स देखे जा सकते हैं। कोई कह रहा है कि इसे खाकर दामाद का पेट खराब हो जाएगा तो किसी ने कहा कि ऐसी सास सबको मिले। लोगों ने यह भी कहा कि जिस तरह सास अपने दामाद के लिए टेस्टी डिश बनाती है, उसी तरह अपनी बहू के लिए भी खाना बनाने की परंपरा होना चाहिए।



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Andhra Pradesh woman makes 67 dishes for her son-in-law, many funny comments found on posting on Twitter


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Pharma shares gain; Biocon, Granules hit record highs, Sun Pharma up 3%

At 10:27 am, Nifty Pharma index was up 1.5 per cent, as compared to 0.22 per cent decline in the benchmark Nifty50 index

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PNB reports fraud of Rs 3,688.58 cr in DHFL account; stock slumps 7%

Shares of DHFL, meanwhile, tanked 4.8 per cent in the intra-day trade to hit a day's low of Rs 14.9 apiece on the BSE

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TCS slips 1% post disappointing Q1FY21 results; here's what brokerages say

For the quarter under review, TCS reported a profit before tax (PBT) of Rs 9,504 crore, which was 9.6 per cent lower than in the previous quarter

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Insurance stocks in focus; SBI Life, HDFC Life up 4%; ICICI Pru slips 3%

The NBP of life insurance companies contracted 10.46 per cent YoY in June as compared to decline 32.6 per cent and 25.4 per cent in April and May, respectively

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India fuel demand extends recovery from 13-yr low as economic opens up

On a year-on-year basis, demand for diesel registered its fourth straight decline in June at 15.4%

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Stocks to watch: TCS, Tata Power, Adani Power, Tata Motors, PNB, Voda Idea

Here's a look at the top stocks that may remain in focus today

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Gold in overbought zone, wait for correction before buying: Bhavik Patel

Renewed cases of Covid-19 is keeping bulls in the hunt. Above $1820, we can see prices till $1850-$1870 in a short period

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Derivatives strategy for State Bank of India by HDFC Securities

The stock price is also placed above all important moving average parameters

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Overall fall in volatility giving comfort to the bulls: Nilesh Jain

The volatility index, IndiaVIX, fell by 5 per cent and ended at a 4-month low of 24.75 levels on Thursday

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Market Ahead, July 10: All you need to know before the opening bell

The June quarter results of TCS will be a major focus for the Indian markets today which is also likely to decide how the rest of the IT space trades throughout the session

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MARKET LIVE: Weak start on the cards; watch out for TCS, Coal India today

Catch all the live market updates here

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Gold price at Rs 49,100 per 10 gm, silver continues rally at Rs 51,900 a kg

In New Delhi, the price of 22-carat gold rises to Rs 47,900 per 10 gram, and in Chennai to Rs 47,180

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MF industry witnesses steep cuts in fresh allocations to equity schemes

Equity schemes mobilised Rs 13,520 crore in June, 28% below 12-month average

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Covid-19 impact: TCS Q1 net profit slips 13.8% YoY to Rs 7,008 crore

The company also announced an interim dividend of Rs 5 per equity share.

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Market Wrap, July 9: Here's all that happened in the markets today

BSE Sensex today gained 409 points or over 1 per cent to settle at 36,738 with SBI (up 4 per cent) being the top gainer and ONGC (down over 1 per cent) the biggest loser

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Sebi plans to hire agency to revamp IT infra network, communication systems

Spelling out the eligibility criteria, Sebi said the bidder should be a registered entity,in operation for at least three years and should have successfully implemented similar projects

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Granules India surges 7%, hits record high on heavy volumes

The trading volumes on the counter more-than-doubled with a combined 6.6 million shares changing hands on the NSE and BSE till 02:43 pm

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शिकागो की मॉडल के पैरों की लंबाई कमर से एड़ी तक 52.8 इंच है, लंबे पैरों की वजह से कई बार मजाक बना पर खुद पर गर्व है इसे

शिकागो (अमेरिका) की रहने वाली रेन्सेखहॉरलू बड के पैरों की लंबाई कमर से एड़ी तक 52.8 इंच है। खास बात यह है कि 29 वर्षीय इस युवती के परिवार के सभी लोगों की लंबाई सामान्य से ज्यादा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, यह दुनिया की दूसरी महिला है जिनके पैर सबसे लंबे हैं। इसकी वजह से इन्हें कपड़े और जूते खरीदने में काफी दिक्कत होती है।

मूल रूप से मंगोलिया से ताल्लुक रखने वाली इस युवती के पिता की हाइट 6 फीट 10 इंच है, तो मां की हाइट 6 फीट 1 इंच। हालांकि, इतनी हाइट के चलते उनका कई बार मजाक भी बना।

रेन्सेखहॉरलू ने कहा कि बचपन में वे कई बार असहज महसूस करती थीं, लेकिन अब इस मॉडल को अपनी हाइट पर गर्व है। वे अपने लंबे पैरों के साथ खुश हैं। ये एक ब्रांड के लिए मॉडलिंग करती हैं, जो लंबी लड़कियों के लिए लेगिंग्स बनाता है।

वे कहती हैं मुझेलंबी हाइट के चलते कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जैसे- अपनी साइज के कपड़े खरीदने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। बहुत से घर इतने छोटे होते हैं कि उनमें दाखिल होने के लिए झुकना पड़ता है। कई बार सिर दरवाजे या छत से टकरा जाता है।

इन्हें जूते के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है, क्योंकि उनके जूते का साइज यूएस-13 है। पूरे एशिया और यहां तक कि मंगोलिया और कोरिया में भी इस साइज के जूते खोजने पर भी नहीं मिलते।

ये है लंबे पैर वाली पहली महिला
दुनिया में सबसे लंबे पैर मैसी कुरन हैं। ये टैक्सास प्रांत के ऑस्टिन में रहती हैं। उनके पैरों की लंबाई 53 इंच है। हालांकि, रेन्सेखहॉरलू कहती हैं कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल होने की उनकी कोई चाहत नहीं है। वे इंस्टाग्राम पर एक्टिव रहती हैं।



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The Chicago model's legs are 52.8 inches in length from waist to heel, making her proud at times because of her long legs.


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CBDT, SEBI to exchange data, call their agreement 'beginning of a new era'

'Any information' available in the databases of the two organisations can be shared on request for access.

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HDFC AMC, Nippon Life AMC decline as equity fund inflows tumble in June

Nippon Life Asset Management slipped 4 per cent to Rs 291, while HDFC AMC dropped 3 per cent to Rs 2,490 in the intra-day trade on the BSE.

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वेस्ट मटेरियल से कपल ने बनाया अपने सपनों का घर, टायर, ड्रिंक्स केन और बॉटल्स से इसे बनाने में लगे सात साल

अक्सरहम वेस्ट मटेरियल फेंक देते हैं या जल्द से जल्द उससे छुटकारा पा लेते हैं। लेकिनस्पेन के एक कपल लॉरा डेविस और डेव बुनान ने वेस्ट मटेरियल से खुद के सपनों का सुंदर घर बनाया है। इसका नाम रखा है अर्थशिप। अपना 58वां जन्मदिन डेव ने इसी घर में मनाया।

इसे बनाने में उन्होंने पुराने टायर, ड्रिंक्स की खाली केन्स और बॉटल्स का इस्तेमाल किया है। इस खूबसूरत घर को देखकर हर किसी के मन में यहां रहने की इच्छा जाग्रत हो जाएगी। यह प्रकृति के और पास होने का एहसास दिलाता है।

ब्रिटेन से स्पेन चले गए
यह प्यारा ब्रिटिश कपल 2002 में स्पेन चला गया था। वहां अलमेरिया प्रांत के छोटे से शहर एनदालुसिया में एक पुराना घर खरीदा। फिर इसी घर को नए सिरे से बनाने का विचार उनके मन में आया। वेस्ट से सस्ती प्रॉपर्टी बनाने का आइडिया इन्हें इंटनेट पर मिला।

घर बनाने के पहले दोनों ने अर्थशिप की बुक्स का पूरा सेट खरीदा और पढ़ने के बाद तय किया कि यह कुछ ऐसा है जो सबसे अलग है।

फिर तय किया कि दोनों मिलकर घर बनाएंगे और इसे बनाने मेंकिसी की मदद नहीं लेंगे। स्थानीय प्लानर से बात की, सरकार से इजाजत ली, इनसब कामोंमें एक वर्ष बीत गया। तबदोनों ने स्थानीय लोगों की मदद से पुराने टायर, ड्रिंक्स केन और बॉटल्स जमा किए। यह सब करने में दो वर्ष लगे।

इसलिए है बहुत प्यारा
इसे बनाने में सात वर्ष लगे।लॉरा कहती हैं उन्हें यहघर देखकर आश्चर्य होता है कि इस घर कोउन्होंने बनाया है? जब तापमान 16 डिग्री तक गिर जाता है, तब भी किसी हीटिंग डिवाइस की जरूरत नहीं पड़ती।

अधिक तापमान गिरने पर लॉरा केक बेक करने लगती हैं, ऐसा करने से ओवन की गर्मी से रूम गर्म हो जाता है।

ऐसे किया निर्माण
इस घर की दीवारें पूरी तरह कार टायर से बनी हैं। टायर टेम्प्रेचर मेंटेन करने में सक्षम होते हैं। ये 16 डिग्री तक का तापमान मेंटेन करते हैं और घर ठंडा होने नहीं देते। दीवार का अंदरूनी हिस्सा ड्रिंक केन व बॉटल से बना है।

इसे बनाने में सीमेंट के स्थान पर मिट्‌टी और पेपर की लुगदी लगाई गई है। छत पर बारिश का पानी जमा किया जाता है, जिसका उपयोग टॉयलेट, बागवानी और घर के अन्य काम के लिए होता है। गरम पानी और बिजली के लिए सोलर पेनल की व्यवस्था की गई है।



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Couple built his dream home from West Material, took seven years to build it with tires, drinks, cans and bottles


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Irdai sets up panel to study feasibility of forming a 'pandemic risk pool'

The group has to submit its report on the subject in the next eight weeks

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एम्मा ने अपनी विकलांग बेटी के लिए बनाया स्पोर्ट्स क्लब, इसके जरिये 10,000 अपंग बच्चों को बांट रहीं खुशियां

एम्मा एक विकलांग बेटी ग्रेस की मां हैं। एम्मा को ग्रेस के बास्केटबाल शौक का पता तब चला जब ग्रेसने न्यूयॉर्क में विकलांग लोगों के लिए आयोजित होने वाले बास्केटबाल प्रोग्राम में हिस्सा लिया। एम्मा जब अपनी बेटी के साथ लंदन लौटी तो उन्होंने देखा कि ग्रेस यहां भी बास्केटबाल खेलती थी।

तब एम्मा ने ग्रेस और उसी जैसे अन्य बच्चों के लिए एक स्पोर्ट्स क्लब बनानेका फैसला किया। इस क्लब का नाम ''दसेफ हेवन बास्केटबाल क्लब'' रखा गया।

काम करने कीइच्छाशक्ति बढ़ी

एम्मा कहती हैं फिटनेस मेरे जीवन का खास हिस्सा है। एम्मा के तीन बच्चे हैं। अपने दूसरे बच्चे को जन्म देने के बाद वे एक जिम में इंस्ट्रक्टर का काम करने लगीं। वे कहती हैं यहां काम करने के दौरानमैं ऐसे कई लोगों से मिली जिन्होंने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

मैंने जिम में योगा, पिलाटेऔर अन्य एक्सरसाइज सिखाने में अपना काफी वक्त बिताया। इससे काम करने की मेरी इच्छाशक्ति बढ़ी।

अपनी बेटी ग्रेस के साथ एम्मा

स्पोर्ट्स खास हिस्सा बने

एम्मा को अपने तीनोंबच्चों और पति के साथ टेनिस खेलने का शौक है। उनके तीनों बच्चे स्पोर्ट्स में एक्टिव हैं। एम्मा चाहती थीं कि उनके दो बच्चों के अलावा तीसरी बेटी यानी ग्रेस के जीवन में भी स्पोर्ट्स खास हिस्सा बने।

एम्मा कहती हैंऐसे बहुत कम विकलांग बच्चे होते हैं जिन्हें स्कूल या अपने दोस्तों के साथ स्पोर्ट्स में आगे बढ़ने का मौका मिलता है।

एम्मा चाहती थीं कि ये मौका ग्रेस को मिले और वो बास्केटबाल खेलने के अपने शौक को कायम रख सकें। एम्मा कहती हैं शारीरिक विकलांग बच्चों को स्पोर्ट्स जैसी एक्टिविटी से दूर रखा जाता है।

एम्मा के स्पोर्ट्स क्लब में अपनी खुशी का इजहार करते विकलांग बच्चे

ज्यादा मेहनत करना पड़ती है

एम्मा ने अपने क्लब सेफ हेवन बास्केटबाल के जरिये इन बच्चों को खेल-कूद में आगे आने का अवसर दिया है। हालांकि बास्केटबाल खेलना ग्रेस जैसे बच्चों के लिए आसान नहीं होता। इनबच्चों के पेरेंट्सको भी अच्छी परवरिश के लिएज्यादा मेहनत करना पड़ती है।

एम्मा अपनी बेटी को परिवार के लिए किसी वरदान से कम नहीं मानती हैं। ग्रेस ने अपने परिवार को वो सारी खुशी दी जो एक होनहार बच्चा देता है।

एम्मा कहती हैं मैं अपनी बेटी को हर तरह से आगे बढ़ते हुए देखना चाहती हूं। मुझे ग्रेस पर गर्व है। एम्मा के स्पोर्ट्स क्लब से 10,000 विकलांग लोग जुड़े हुए हैं। उनके क्लब की तीन ब्रांचेस अलग-अलग स्थानोंमें डिसएबल बच्चों को आगे बढ़नेका मौका दे रही हैं।



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Emma created a sports club for her disabled daughter, spreading happiness through this to 10,000 handicapped children


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Wednesday 8 July 2020

Can Fin Homes shares gain 4% as Company to consider fundraising on July 17

For the quarter ended March 2020, Can Fin Homes had reported a 37.5 per cent jump in net profit at Rs 90.91 crore

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Oil steady as coronavirus lockdown fears offset gasoline recovery signs

Brent crude futures edged up 2 cents, or 0.05%, to $43.31, after gaining 0.5% on Wednesday

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YES Bank shares jump 5% as Rs 15,000 crore FPO to open on July 15

Moreover, SBI's board has given approval for a maximum investment of up to Rs 1,760 crore in YES Bank's FPO

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Alkyl Amines, Dixon, Escorts, L&T Infotech, Tata Consumer hit record highs

Escorts and Alkyl Amines Chemicals gained 3% today, surging over 60% in the past three months on the BSE.

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Metal stocks rally: SAIL jumps 6%; Tata Steel, Hindalco, JSPL gain up to 4%

Tata Steel, Vedanta, JSW Steel, and Nalco were up in the range of 2.7 - 3.2 per cent.

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IRB Infra Developers hits 52-week high; stock zooms 84% in one month

The company said it is well poised and geared up to win a large number of BOT projects in the upcoming bids, which will ensure a steady growth in execution as well as Toll revenues in the long term

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Stocks to watch: TCS, ICICI Bank, SBI, Can Fin Homes, South Indian Bank

Here's a list of stocks that may trade actively in today's trading session

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Market Ahead, July 9: Top factors that could guide markets today

A major focus today will be on TCS which is scheduled to kick-off the April-June 2020 earnings season for IT companies today

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MARKET LIVE: Indices set for positive start; TCS Q1 results key event today

Catch all the live market updates here

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Gold price today at Rs 48,700 per 10 gm, silver climbs to Rs 50,000 a kg

In New Delhi, the price of 22-carat gold rises to Rs 47,500 per 10 gram, and in Chennai to Rs 46,780

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PMS schemes gain in June; 70% beat Nifty over one year, shows data

For the quarter, about a third of the schemes managed to beat the benchmark index

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भारत की पहली व्हीलचेयर आश्रित प्रतिष्ठा का हुआ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के लिए चयन, वे कहती हैं विकलांगता कभी कामयाबी में रूकावट नहीं बन सकती

दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज की होनहार स्टूडेंट प्रतिष्ठा देवेश्वर का चयन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स डिग्री के लिए हुआ है। वे भारत की पहली व्हीलचेयर पर आश्रित लड़की हैं जिन्हें दुनिया की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में जाकर पढ़ने का अवसर मिला है।

हालांकि शारीरिक विकलांग होने की वजह से प्रतिष्ठा का होशियारपुर से लेकर दिल्ली का सफर बिल्कुल आसान नहीं था। जीवन से जुड़े संघर्ष को प्रतिष्ठा खुद अपने शब्दों में कुछ इस तरह बयां करती हैं।

मुझे पैरालिसिस हो गया

जब मैं 13 साल की थी तो होशियारपुर से चंडीगढ़ जाते समय रास्ते में हमारी कार का एक्सीडेंट हो गया। एक्सीडेंट के बाद जब मुझे होश आया तो मैं हॉस्पिटल में थी। मेरी हालत इतनी खराब थी कि डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि ऑपरेशन करने से शरीर में खून कीइतनी कमी हो सकती है जिससे जान काे खतरा है।

लेकिन ऑपरेशन के अलावा मेरी जान बचाने का कोई उपाय नहीं था। इस ऑपरेशन से मेरी जान तो बच गई लेकिन स्पाइनल कार्ड में चोट आने की वजह से मुझे पैरालिसिस हो गया।

जिंदगी को कामयाब बना सकती हूं

उसके बाद लगभग चार महीने तक मैं आईसीयू में रही औरतीन साल तक मुझे पूरी तरह बिस्तर पर रखा गया। बेड पर रहते हुए तीन साल तक मैंने होम स्कूलिंग से अपनी पढ़ाई जारी रखी। 10 वी कक्षामें मुझे 90% अंक मिले। वहीं 12 कक्षा मेंमैंने 90% अंक प्राप्त किए।

मैंने अपनी शारीरिक विषमताओं का असर कभी पढ़ाई पर नहीं होने दिया क्योंकि मैं जानती थी कि सिर्फ पढ़ाई करके ही मैं अपनी जिंदगी को कामयाब बना सकती हूं।

अपने पापा के साथ प्रतिष्ठा

मेरी जिंदगी को नई दिशा मिली
12 कक्षा में अच्छे अंक लाने के बाद मैंने घर के लोगों से मुझे दिल्ली यूनिवर्सिटी भेजने की बात की क्योंकि मैं घर की चार दीवारी में इस तरह नहीं जीना चाहती थी। तभी मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में लेडी श्रीराम कॉलेज के लिए अप्लाय किया और मेरा एडमिशन इस कॉलेज में हो गया।

इस कॉलेज ने मुझे इतना साहस दिया कि मैंने नसिर्फ अपने लिए बल्कि मेरे जैसी अन्य लड़कियों के लिए भीआवाज उठाना सीखा। यहां आकर मेरी जिंदगी को नई दिशा मिली। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना मैंने इसी कॉलेज में आकर सीखा।

प्रतिष्ठा अपने भाई के साथ।

अपनी बात कहने का अवसर मिला

मैंने न सिर्फ इस कॉलेज में बल्कि कॉलेज के बाहर होने वाले इवेंट्स में भी मेरी तरहके अन्य विकलांग बच्चों के लिए आवाज उठाने की शुरुआत की। मेरी आवाज देश-विदेश कीजानी-मानी कंपनीज और ऑर्गेनाइजेशन तक पहुंची। मुझे ब्रिटिश हाई कमीशन, हिंदुस्तान यूनिलीवर, यूनाइटेड नेशंस में वैश्विक स्तर पर अपनी बात कहने का अवसर मिला।

पढ़ाई करने के लिए जब मेरे दिल्ली में रहने की बात हुई तो परिवार के लोगों को सभी ने यही सलाह दी कि मैं पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हूं। ऐसी हालत में मुझे घर से दूर बिल्कुल नहीं भेजना चाहिए। अकेले रहना मेरे लिए संभव नहीं था। लेकिन असंभव शब्द कभी मेरी जिंदगी का हिस्सा नहीं रहा।

ऐसी कोई जगह मुझे नहीं मिली

दिल्ली में आकर मैंने ऐसी कई जगह ढूंढी जहां व्हील चेयर पर रहते हुए मुझे तमाम सुविधाएं मिल जाएं। लेकिन ऐसी कोई जगह मुझे नहीं मिली। उन्हीं दिनों मैंने बिना किसी की मदद के खुद शॉपिंग करने, बिल चुकाने और अकेले सफर करने की आदत डाली ताकि मैं अपने दम परदिल्ली में रह सकूं। हालंकि ये सारे काम मेरे लिए बहुत मुश्किलथे।

मेरे लिए मिनी बस या कैब का सफर भी आसान नहीं था। ऐसे में मैंने कई किलोमीटर का सफर व्हील चेयर से करना शुरू किया। व्हील चेयर से ही मैं दिल्ली के टूरिस्ट प्लेस को देखने भी जाती हूं। यहां तक कि कोरोना काल में भी व्हील चेयर के माध्यम से मैंने दिल्ली में अपना संघर्ष जारी रखा।

आत्मविश्वास से भरपूर प्रतिष्ठा

कोर्स का दुनिया में कोई जवाब नहीं है

मेरा मानना है कि भारत में जो पॉलिसी हैं, उनमें विकलांग लोगों के अनुसार अभी कई सुधार करने की जरूरत है। हमारे समाज को सुधारने के लिए भी कईप्रयास किए जाने चाहिए। मैंने ऑक्सफोर्ड जाने का फैसला भी इसीलिए किया क्योंकि पब्लिक पॉलिसी पर आधारित इस यूनिवर्सिटी के कोर्स का दुनिया में कोई जवाब नहीं है।

मैं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स डिग्री लेना चाहती हूं। पढ़ाई करके भारत में रहने वाले उन 2 करोड़ 68 लाख विकलांग लोगों के लिए काम करना चाहती हूं जिन्हें हर हाल में सशक्त होने की जरूरत है। मैं ये साबित करना चाहती हूं कि मेरा एक एक्सीडेंट मुझे आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता औरमेरी व्हीलचेयर मुझे जिंदगी में कामयाब होने से नहीं रोक सकती।

सपने पूरे करने का हौसला रखती हैं
मैं दुनिया को ये दिखानाचाहती हूं कि एक लड़की व्हील चेयर पर होने के बावजूद अपने सारे सपने पूरे करने का हौसला रखती है। दुनिया की कोई कमी उसे आगे बढ़ने सेनहीं रोक सकती। मेरी कामयाबी में सबसे बड़ी मेहनत मेरे परिवार के लोगों ने की।

मेरे मम्मी-पापा और भाई ने कभी मुझे अपनी शारीरिक कमी की वजह से जिंदगी में रूकने के लिए नहीं कहा। उन्होंने हमेशा मुझे आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया। मेरी सफलता का श्रेय मेरे परिवार को जाता है।

प्रतिष्ठा अपनी मां, पापा और भाई के साथ

सपने देखना मत छोड़ो

मैं शारीरिक रूप से विकलांग लड़कियों से कहना चाहती हूं कि आपके साथ हालात चाहे जो भी हों लेकिन सपने देखना मत छोड़ो। सपने देखो और उन सपनों को पूरा करने के लिए खूब मेहनत करो। देखना एक दिन आपके वो सारे सपने पूरे होंगे। मेरा विश्वास है कि जो हम सोच सकते हैं वो यकीनन हम कर भी सकते हैं।



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India's first wheelchair dependent reputation selected for Oxford University, she says disability can never be a breakthrough


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Goldprice dips Rs 10 to Rs 62,720, silver falls Rs 100 to Rs 74,900

The price of 22-carat gold also fell Rs 10 with the yellow metal selling at Rs 57,490 from Markets https://ift.tt/rpZGNwM