चॉकलेट औरखुशी बहुत गहराई से जुड़ेंहैं। वैज्ञानिक भी कहते हैं कि चॉकलेटखाने से शरीरमें एंडोर्फिन हार्मोन का लेवल बढ़ता है। इसलिए इसे मूड बूस्टर कहा जाता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि टी-टेस्टर की तरह हीचॉकलेट टेस्टर भी एक अच्छा प्रोफेशन है। बातभारत की करें तोयह काम अभी शुरुआती दौर में है। इसे आगे बढ़ाने में चेन्नई कीपूनम चोरडिया और उनके पति नितिन का खास योगदान है।
पूनम चोरडिया को भारत में पहली महिला चॉकलेट टेस्टर का सम्मान प्राप्त है। उनके पति नितिन भी चॉकलेट टेस्टर हैं। इन दोनों ने मिलकर पिछले साल भारत की पहली जीरो फर्स्ट वेस्ट चॉकलेट कोकोआ ट्रैट की शुरुआत की थी।
पति केचॉकलेटशौक ने प्रेरणा दी
पूनम नेइस काम की शुरुआत नितिन का चॉकलेटशौक देखकर हीकी थी। वे कहती हैं नितिन पहले रिटेल कंसल्टेंट का काम करते थे।उनके काम का अधिकांश हिस्सा चॉकलेट को टेस्ट करने और इसकी क्वालिटीजाननेमें जाता था।
चॉकलेट बार की टेस्टिंग करते थे
इस कपल का चॉकलेट को लेकर टेस्ट उस वक्त डेवलप हुआ जब 2007 में वे एक इटेलियन चॉकलेट मेन्यूफेक्चरिंग कंपनी एमेडेई में चॉकलेट बार की टेस्टिंग का काम करते थे।उन दिनोंवे घर आकर पूनम को तरह-तरह की चॉकलेट के बारे में बताते थे।
सामग्री का पता नहीं चलता था
किसी चॉकलेट का फ्लेवर फलों की तरह होता था तो कोई डिफरेंट टेस्ट की थी। कई बार चॉकलेट के कवर को देखकर इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री का पता नहीं चलता था।इसलिए इसे प्लेन चॉकलेट कहा जाता था। उन्हीं दिनों चॉकलेट के टेस्ट को लेकर उनकी रुचि बढ़ी।
बच्चों की परवरिश में व्यस्त हो गईं
कुछ ही समय बाद नितिन अपनी नौकरी के सिलसिले में विदेश चले गए और पूनम चेन्नई में सास-ससुर के पास रहकर बच्चों की परवरिश में व्यस्त हो गईं।पूनम ने बच्चोंके जन्म से पहले कुछ सालों तक डब्ल्यूपीपी के साथ मीडिया बायर के तौर पर काम किया था।वह मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट भी थीं। लेकिन, दो बच्चों की मां बनने के बाद वे अपने इस काम से दूर हो चुकी थीं।
चॉकलेटियर से मिले और उनके बारे में जाना
नितिन विदेश में रहते हुए कई चॉकलेटियर यानी चॉकलेट बनाने वालोंसे मिले और उनके बारे में जाना। 2014 में वे भारत आ गए और यही अपने काम की शुरुआत करने का फैसला किया।पूनम को भी नए अवसर की तलाश थी। इसलिए उसे अपने कॅरिअर को संवारने का यही सही अवसर लगा।
चोकोशाला में चॉकलेट बनाना सिखाती हैं
2015 में इस कपल ने चॉकलेट इंडस्ट्री में कदम रखा। पूनम कहती हैं हमने खुद चॉकलेट खरीदना और एफएसएसएआई से लाइसेंस मिलने के बार इसे बनाने की शुरुआत की।चेन्नई में पूनम अपने पति नितिन के साथ मिलकर चोकोशाला का आयोजन भी करती हैं।इसमें लोगों को चॉकलेट बनाने के तरीके, डार्क चॉकलेट्स, बोनबोंस, ट्रफल्स और इनके फायदे के बारे में बताती हैं।
चॉकलेट टेस्टिंग केशॉर्ट कोर्सेज किए
चॉकलेट मेकिंग की प्रोसेस को समझते हुए पूनम ने 2018 में इंटरनेशल इंस्टीट्यूट ऑफ चॉकलेट एंड कोकोआ टेस्टिंग, यूके से चॉकलेट टेस्टिंग के पहले और दूसरे लेवल को पूरा कर लिया था। इससे पहले नितिन ने यह लेवल 2016 में कंप्लीट किया था।
पूनम के अनुसारये चॉकलेट टेस्टिंग के शॉर्ट कोर्सेस होते हैं। इन्हें क्वालियफाई करने के लिए आपको अधिक समय देने की जरूरत नहीं पड़ती है। चॉकलेट टेस्टर बनना पूनम काड्रीम जॉब था जिसे उन्होंने पा लिया।
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