मलालायूसुफजई कापरंपरागत लिबास और सिर पर दुपट्टा देखकर वह किसी भी आम लड़की की तरह प्रतीत होती हैं।लेकिन कुछ कर दिखाने के हौसले से भरपूर उनकी आंखें और भरपूर जोशउन्हेंखास बनाता है।सबसे कम उम्र में नोबल पुरस्कार हासिल करने वाली मलाला शिक्षा के हक के लिए लड़ रही हैं।
मलाला का जन्म 1997 में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की स्वात घाटी में हुआ।मलाला के पिता का नाम जियाउद्दीन यूसुफजई है।साल 2007 से मई 2009 तक स्वात घाटी पर तालिबानियों ने खूब आतंक मचा रखा था। इसी आतंक का शिकार मलाला भी हुई। आठवीं कक्षा की मलाला कैसे बनी नोबेल प्राइज वीनर, तस्वीरों में जानिए उनका अब तक का सफर।
तालिबान आतंकियों के डर से लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था।मलाला तब आठवीं कक्षा में पढ़तीथीं।मलाला की एक टीचर बताती हैं किजब वह ढाई साल की थी तबसे अपने पिता के स्कूल में खुदसे 10 साल बड़े बच्चों के साथ बैठकर पढ़ाईकरती थीं। वे पढ़ने में बचपन से बहुत होशियारथीं।
साल 2009 में मलाला नेअपने असली नाम को छिपाकर'गुल मकई' के नामसे बीबीसी के लिए एक डायरी लिखना शुरू किया।इसमें उन्होंने स्वात में तालिबान के बुरे कामों का उल्लेखकिया।बीबीसी के लिए डायरी लिखते हुए मलाला पहली बार दुनिया की नजर में तब आईं, जब दिसंबर 2009 में मलाला के पिता जियाउद्दीन ने अपनी बेटी की पहचान सार्वजनिक की। जनवरी 2020 मेंगुल मकई के नाम से मलाला पर आधारित फिल्म भी रिलीज हुई।
2012 मेंतालिबानी आतंकी उस बस पर सवार हो गए, जिसमें मलाला अपने साथियों के साथ स्कूल जा रहीं थीं।आतंकियों ने मलाला पर एक गोली चलाई जो उसके सिर में जा लगी। मलाला के ठीक होने की दुआ सारी दुनिया में हुई। जल्दी ही वे स्वस्थ्य हो गईं।मलाला ने अपने साथ हुई इस घटना के बाद एक मीडिया संस्था के लिए ब्लॉग लिखना शुरू किया। इसकेबाद वो लोगों की नजर में आ गईं।
जब वह स्वस्थ हुईं तो अंतर्राष्ट्रीयबाल शांति पुरस्कार, पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार (2011) के अलावा कई बड़े सम्मान मलाला के नाम दर्ज होने लगे। 2012 में सबसे अधिक प्रचलित शख्सियतों में पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई कानाम शामिल हुआ। उनकीबहादुरी के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा मलाला के 16 वें जन्मदिन पर 12 जुलाई को मलाला दिवस घोषित किया गया।
मलाला को साल 2013 मेंनोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। इसी साल उन्हेंयूरोपिय यूनियन का प्रतिष्ठित शैखरोव मानवाधिकार पुरस्कार भी मिला। उन्हें 2014 में भारत के बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी के साथ संयुक्त रूप से नोबल पुरस्कार दिया गया।
बर्मिंघमकी लायब्रेरी में एक मीडिया कांफ्रेंस के बाद कैमरे के सामने पोज देता हुआ मलाला का परिवार। इस फोटो में मलाला के साथ उसके दोनों भाई, पिता जियाउद्दीन और मां तोर पकेई भी हैं। मलाला के पिता ने हर हाल में उनका साथ दिया और उन्हें आगे बढ़ने के अवसर प्रदान किए।
मलाला की लिखी किताबपुस्तक 'वी आर डिसप्लेस्ड : माई जर्नी एंड स्टोरीज फ्रॉम रिफ्यूजी गर्ल्स अराउन्ड द वर्ल्ड' में मलाला ने घर के लिए तरसने के दौरान न सिर्फ नये जीवन के साथ तालमेल बैठानेकी अपनी कहानी को बयां किया है,बल्कि वह कुछ लड़कियों की निजी कहानियों को भी साझा करती हैं जिनसे वह विभिन्न सफर के दौरान मिलीं और जिन्होंने अपने समुदाय, रिश्तेदारों आदि को खो दिया।
बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक्टिविस्ट मलाला को स्वीडिश की रानी सिल्विया ने स्वीडन के ग्रिप्शोल केसल में वर्ल्डस चिल्ड्रंस प्राइज से सम्मानित किया। पॉप स्टार मेडोना ने अपना गाना ह्युमन नेचर मलाला को समर्पित किया है।
जोश से भरपूर मलालाके इसपोर्टेट को जोनाथन यियोन से बनाया है। इसे नेशनल पोर्टेट गैलेरी, लंदन में स्थान प्राप्त है।जोनाथन एक ब्रिटिश आर्टिस्ट हैं। उन्हें डेनिस हॉपर, डेमिन हर्स्ट, टोनी ब्लेयर और डेविड केमेरून के पोर्टेट बनाने के लिए जाना जाता है।
इसी साल जून में मलाला ने ऑक्सफोर्ड में अपनी फिलॉसफी, पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स की डिग्री पूरी की है। उन्होंने पढ़ाई पूरी करने की अपनी खुशी जाहिर करते हुए ट्विटर अकाउंट पर दोफोटो शेयर किए हैं। एक फोटो में वे केक काटती हुई नजर आ रही हैं, वहीं दूसरी फोटो में वे केक से लथपथ दिख रही हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3iWulNu
No comments:
Post a Comment