Saturday 20 June 2020

एक ही परिवार की पांच बहनों ने सीएसएस एग्जाम पास कर रचा इतिहास, अपने पापा को मानती हैं रोल मॉडल

पाकिस्तान के रावलपिंडी निवासी मलिक रफिक अवान की पांचों बेटियां आज शेर सिस्टर्स के रूप में सारी दुनिया में जानी जाती हैं। इन पांचों बहनों ने सीएसएस एग्जाम पास एक बार लड़कियों के लिए आदर्श स्थापित किया है। ये पांचों बहनेंकामयाबी का क्रेडिट अपने पापा को देती हैं।

जोहा मलिक के पिता मलिक रफिक अवान वाटर एंड पॉवर डेवलपमेंट अथॉरिटी के रिटायर्ड ऑफिसर हैं। उनकी सबसे बड़ी बेटी लैला मलिक शेर ने 2008 में सीएसएस परीक्षा पास की। लैला फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू कराची में डेप्यूटी कमिश्नर हैं। उन्होंने अपनी बहनों ने सामने कामयाब होने का आदर्श स्थापित किया।

लैला की छोटी बहन शीरीन मलिक शेर ने 2010 में सीएसएस एग्जाम पास की। वे नेशनल हाईवे अथॉरिटी की डायरेक्टर हैं। उनसे छोटी बहन सासी मलिक शेर अंडर ट्रेनिंग लाहौर कंटनमेंट में सीईओ हैं। मार्वी मलिक शेर ने 2017 में सीएसएस एग्जाम पास कर परिवार का नाम रोशन किया। वे एब्टाबाद में असिस्टेंट कमिश्नर हैं।

पिछले साल सबसे छोटी बहन जोहा मलिक शेर ने सीएसएस एग्जाम पास कर एक ही परिवार में पांच बहनों द्वारा सीएसएस एग्जाम पास करने का इतिहास रचा है। जोहा कहती हैं मेरे पापा ने हम सब बहनों को पढ़ने के लिए वो सारी सुविधाएं दी जो घरों में आमतौर पर लड़कों को दी जाती हैं। वे कहते हैं जिंदगी में कभी भी लड़की होने की वजह से खुद को कमजोर महसूस मत करना।
जोहा ने इस्लामाबाद की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशनशिप में मास्टर्स डिग्री हासिल की। उन्हें पेट्स पालने का बहुत शौक है। वक्त मिलने पर वे अपनी फेवरेट पेट फिमेल जर्मन शेफर्ड के साथ वक्त बिताना पसंद करती हैं।

शेर सिस्टर्स ने अपने पिता को हमेशा महिलाओं को सम्मान देते हुए देखा है। खासतौर से वर्किंग वुमन की वे हमेशा तारीफ करते हैं। उनका मानना है कि हर क्षेत्र में वुमन वर्कर्स काम के मामले में पुरुष सहकर्मियों से आगे रहती हैं। सिर्फ बाहर के काम ही नहीं बल्कि घर में बच्चों की देखभाल करनेमें भी वे सबसे आगे हैं।

जोहा कहती है पाकिस्तान की महिलाएं भी अन्य महिलाओं की तरह हर क्षेत्र में आगे हैं। लेकिन जरूरत उनकी योग्यता को पहचानने की है। जोहा की बहनों के दोस्तों और ह्रयुमन राइट्स एंड माइनोरिटी एक्टिविस्ट कपिल देव ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेर बहनों की तारीफ कर उन्हें सारी दुनिया में मशहूर कर दिया।



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Five sisters of the same family in Pakistan passed the CSS exam and created history, believing their father as a role model


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पिता को समर्पित दो लघुकथा और एक कविता जो एक बार फिर आपको पापा के करीब ले जाएंगी

लघुकथा :पापा ने बनायासकारात्मक

लेखक : माणिक राजेंद्र देव

पापा से बात करने के बाद यूं तो हर तरह का तनाव और चिंता नौ दो ग्यारह हो जाती है, परंतु कोरोना काल में इस बात का गहराई से अहसास हुआ। बच्चों के बाहर रहने और पति के बैंक में कार्यरत होने की वजह से पूरे लॉकडाउन में मुझे दिनभर घर में अकेले ही रहना पड़ा। छोटे शहर में एसबीआई की एक ही शाखा होने के चलते कुछ दिन काम बंद रखे जाने का विकल्प नहीं था।

टीवी पर कोरोना के मरीज़ों की बढ़ती संख्या देखकर मैं चिंताग्रस्त हो जाती। अकेले में चिंताएं बेलगाम होकर अधिक परेशान करती हैं। उस पर एक मां को तो जैसे ईश्वर ने ही चिंता करने का नैसर्गिक गुण प्रदान किया है। शाम को जब दिन भर मास्क की वजह से पति का सूजा चेहरा देखकर और सैनेटाइज़र की तेज़ गंध से परेशान हो जाती तो अनायास ही मन उन डॉक्टरों और नर्सों के प्रति श्रद्धानत हो जाता जो रात-दिन कोरोना मरीज़ों की जान बचाने में लगे हुए हैं। बैंक के बाहर तेज़ धूप में सरकार द्वारा भेजे रुपयों के लिए लगी मज़दूरों की लंबी लाइनें देखकर तो दिल कांप जाता।

पापा से बात करना मेरी दिनचर्या में शामिल है। मैंने अपनी मनःस्थिति कभी शेयर नहीं की, फिर भी पापा की बातें मेरी सोच को पूर्णतया बदलकर सकारात्मक कर देतीं। जैसे, सरकार ने कोरोना से निबटने के लिए अच्छी तैयारी की है या सरकार किसी को भूख से नहीं मरने देगी, कई समाजसेवी संस्थाएं भी इस कार्य में लगी हुई हैं। रोज़ स्वस्थ होकर घर लौटने वाले मरीज़ों की संख्या भी वे अवश्य बताते। कभी बच्चों से बात कर मुझे बताते कि वे सावधानीपूर्वक वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं और सुरक्षित हैं। न जाने क्यूं मैंं कभी इन सकारात्मक बातों पर ग़ौर ही नहीं कर पाई।

फिर एक दिन उनकी कॉलोनी में एक सज्जन कोरोना पॉज़िटिव निकले। हम सभी घबराने लगे परंतु पापा तब भी सकारात्मक ही सोचते रहे। सभी को समझाते कि वे तो अपनी मां को हॉस्पिटल ले गए थे, वहीं से उन्हें कोरोना हो गया। लक्षण दिखते ही स्वयं हॉस्पिटल चले गए और जल्द ही स्वस्थ होकर लौट आएंगे। उनकी बात सच साबित हुई। सच मंे ही कुछ ही दिनों में वे परिचित घर आ गए।

पापा सदैव समझाते कि हमारा आधा तनाव तो व्यवस्थित दिनचर्या का पालन करने और अपने काम समय पर करने से ही दूर हो जाता है। तनावरहित रहने से रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ती है जो वर्तमान समय की महती आवश्यकता है। अपने शौक़ को ज़िंदा रखना भी हमें मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है। इसीलिए आज भी टीवी, अख़बार के अलावा किताबें पढ़ना, लिखना, संगीत सुनना उनकी दिनचर्या के अंग हैं। इस प्रकार वे स्वयं की मिसाल से सभी को ‘स्वस्थ रहो, व्यस्त रहो, मस्त रहो’ की प्रेरणा देते हैं। फादर्स डे के अवसर पर पापा को प्रणाम।

लघुकथा...जन्म

लेखिका :माण्डवी बर्वे

एक तूफ़ान-सा उठ रहा था जज़्बात का। वो जब थमा, तो झड़ी लग गई।

घोड़े की गति-सी भागती धड़कनें, तेज़ सांसें। कभी वो चहलक़दमी करने लगता, तो कभी बेंच पर बैठकर पैर हिलाने लगता, कभी भरी ठंड में भी माथे पर उभरे पसीने पर रुमाल फेरता। ऐसी बेचैनी, इतनी घबराहट कभी-भी महसूस नहीं की थी। बार-बार ऐसा लगता कि मानो आंखों से खारा पानी फूट पड़ेगा। हाथ प्रार्थना में जुड़ जाते। फिर कभी आंखें मूंद के ख़ुद को शांत करने की कोशिश करता।

तभी दरवाज़े की आवाज़ से वो झट उठ खड़ा हुआ। नर्स बाहर आई। उसने एक मुस्कान के साथ नरम रुई-सी नन्ही-सी जान को उसके हाथों में थमाते हुए कुछ कहा। उसकी नज़रें उस कोमल चेहरे पर टिककर रह गईं। नर्स के शब्द शायद सुनाई ही नहीं पड़े। अचानक धड़कनें, सांसें सब क़ाबू में आने लगीं। बेचैनी, घबराहट सब आंखों से फूटकर सुकून की धारा बन गईं। आज आंखों का ये खारा पानी मीठा-सा लग रहा था। आज एक और पिता का जन्म हुआ था।

कविता... पिता

लेखक :सन्नी डांगी चौधरी

लहर उठी विश्वास की

पिता खड़े जिस ओर,

लम्बी काली रात की

सदा रहे तुम भोर,

ऊपर से है सख़्त दिखे

मोम सा हृदय होय,

हर दुःख हंसकर सहे

भीतर-भीतर रोय।

लगन, मेहनत और परिश्रम

देते सदा सिखाय,

लगे सदा कड़वी सी बातें पर

जो माने सुख पाय।

अनबोला अनकहा है रिश्ता

तात तुम्हारे साथ,

तुम दे दो आशीष

जहां ख़ुशी हमारे हाथ।

आस तुम्हीं विश्वास तुम्हीं

तुम हो ईश्वर समान,

मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर में

भटक रहा इंसान।

जहां भर की दौलत से जो

न ख़रीदा जाय,

मात पिता का प्यार तो

बिना मोल मिल जाय,

जितनी जल्दी जाग सके

उतनी जल्दी जाग,

दोनों हाथ में समेट ले

यह मीठा अनुराग।



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Two short stories and a poem dedicated to father that will once again take you closer to Papa


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फैशन की दुनिया को छोड़ योग गुरु बनीं मालिनी रमानी, लोगों को योग की शिक्षा देकर बिताना चाहती हैं अपना जीवन

फैशन इंडस्ट्री में लगभग दो दशक बीता चुकी मालिनी रमानी ने पिछले दिनों फैशन की दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके दिल्ली और गोवा स्थित फैशन हाउस बंद हो चुकेहैं। बुटिक, टेलर्स, स्टिचिंग औार डिजाइनिंग से दूर अब वे अपना जीवन योग गुरू के तौर पर कुछ नया करके बिताना चाहती हैं। मालिनी के अनुसारकोरोना काल में अभी जिस तरह की स्थिति है, उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि हम सभी पर खतरों के काले बादल मंडरा रहे हैं। यह वक्तकिसी पार्टी के लिए चमकीले, स्टाइलिश परिधानों को डिजाइन का करने का नहीं है।

लगभग बीस साल पहले 2000 में रमानी ने इंडियन प्रिंसेस कलेक्शन के साथ अपने कॅरिअर कीशानदार शुरुआत की थी। पिछले बीस सालों के दौरानउनके फैशन हाउस में विदेशी सेलेब्स की भीड़ देखती ही बनती थी। इस फेमस डिजाइनर के सेलिब्रिटी क्लाइंट्स में सारा जेन दियाज, तमन्ना भाटिया, शिल्पा शेट्‌टी, तापसी पन्नू, ईशा गुप्ता, नरगिस फाखरी आदि नाम शामिल हैं। इंटरनेशनल स्टाइल आइकॉन पेरिस हिल्टन ने इनके द्वारा डिजाइन साड़ी पहनी थी।

छह साल की उम्र से कीसीखने की शुरुआत

मालिनी ने योग सीखने की शुरुआत छह साल की उम्र में उस वक्त ही जब उनकी मां ने उन्हें एक योग बुक गिफ्ट की। इस किताब में बताए गए योगासन को उन्होंने फन पोज के साथ करना शुरू किया। वे कहती है एक लर्नर से लेकर योगा टीचर बनने तक के सफर ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है।

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योग जीवन को नई ऊंचाई मिली

2006 में वे योग गुरु के तौर पर अपनी पहचान बना चुकी थीं। यही से उनके योग जीवन को नई ऊंचाई मिली। उन्होंने गुरुमुख खालसा से योग प्रशिक्षण लिया। उनसे योग सीखने का अनुभव वे शानदार मानती हैं। खुद मालिनी के शब्दों मेंयोग से मैंने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करना सीखा। मेडिटेशन में बताए जाने वाले मंत्र और क्रिया मेरे मन को सूकुन देते हैं।

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हमेशा सीखने की इच्छा रखता हो

वे मानती हैं कि मेडिटेशन को योग में सबसे ऊंचा दर्जा हासिल है। मेरे जीवन में संतुलन को बनाए रखने में योग ने मुख्य भूमिका अदा की है। मुझे अब यह महसूस होता है कि योग की शक्ति ही मुझे हर काम को सही तरीके से करने की ताकत देती है। मालिनी मानती है एक अच्छा योग गुरु वही है जो हमेशा सीखने की इच्छा रखता हो, और दूसरों की बात ध्यान से सुनें।



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Malini Ramani became yoga guru, leaving fashion world, wants to spend her life by teaching yoga to people


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इस योग दिवस वॉलनट्स के क्रंच के साथ अपनी हेल्थ को बेहतर बनाने के तरीके बता रही हैं न्यूट्रीशनिस्ट एवं फाउंडर नमामी अग्रवाल

योग भारत की एक प्राचीन सांस्कृतिक विरासत है। लेकिन आज यह वैश्विक तौर पर महत्वपूर्ण हो गया है। यहबेहतर स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में मदद करता है। योग के कई फायदों का जश्‍न हर साल 21 जून को मनाया जाता है।इस बार भी दुनिया अपने परिवारों के साथ घर पर इस खास दिन का छठा संस्करण मनाने के लिए तैयार है।

संक्रमण के खतरे से घबराए हुए लोगों और इससे उपजी अनिश्चितताओं के बीच योग सदियों पुराने व्यायाम सेफायदापहुंचा सकता है। इनका असर दूरगामी होता है। हालांकि, योग या किसी भी अन्य फिटनेस योजना को जरूरी पोषक तत्वों वाली भरपूर खुराक का साथ मिलना अत्यंत जरूरी है। कई स्टडीज से ये पता चला हैकि अखरोट (वॉलनट्स) जैसे पूरक आहारों की मानसिक स्वास्थ्य में सुधार और संपूर्ण सेहत में फायदेमंद भूमिका हो सकती है।

अखरोट आवश्यक पोषण और संतुष्टि दोनों प्रदान करते हैं। इन्हें कई तरह से भोजन में आसानी से शामिल किया जा सकता है। अपने आहार में अखरोट को शामिल करने के कुछ फायदे इस प्रकार हैं :

1. हार्ट को रखता है हेल्दी

हेल्दी डाइट के हिस्से के रूप में अखरोट का सेवन आपके लिए दिल की बीमारी और स्ट्रोक का जोखिम कम कर सकता है। अखरोट कोलेस्ट्रोल के स्तर को स्वस्थ्य बनाए रखने और रक्तचाप को कम करने में मदद करता है।

2. मानसिक स्वास्थ्य में सुधार

मानसिक स्वास्थ्य और संपूर्ण सेहत के लिए खुद अपनी देखभाल करना पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सेल्फ-केयर के लिए कई उपाय सुझाए हैं। इनमें स्वस्थ और संतुलित भोजन करना भीशामिल है। अखरोट, डिप्रेशन, मेमोरी एवं मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। इतना ही नहीं, यह फोकस्ड, ऊर्जावान और सकारात्मक बने रहने में भी सहायकहै।

3. इम्युनिटी को मजबूत करता है

अपने इम्युनिटी सिस्‍टम और संपूर्ण सेहत के लिएपोषक तत्वों से भरपूर अखरोट खाना फायदेमंद हो सकता है। यहविटामिन बी 6 (0.2मिग्रा / 28ग्रा) ,कॉपर (0.45मिग्रा / 28ग्रा) और मैंगनीज (0.1मिग्रा / 28ग्रा) का भी एकअच्छा सोर्स है। ये सभी पोषक तत्व इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं।

4. आंतों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा

अगर आपकी आंतें स्वस्थ हैं, तोपाचन, मेटाबोलिज्म और इम्युनिटी सिस्टम भी हेल्दी रहता है।शोध से पता चलता है कि अखरोट अपने प्रीबायोटिक गुणों के कारण इसका एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यह आंतों के

5. सूजन को कम करता है

सूजन कई वजहों से हो सकती है जैसे ज्यादाकसरत के बाद मांसपेशियों में दर्द के रूप में या कोई पुरानी बीमारी की वजह से। लेकिन आप जो खाते हैं वह इसके असर को कम करने में मदद कर सकता है। एक प्रकार की अच्छी वसा ओमेगा -3 एएलए की एक महत्वपूर्ण मात्रा वाला एकमात्र अखरोट ही है, जो सूजन को कम कर सकता है।

6. डायबिटीज के खतरे को कम करता है

अखरोट के नियमित सेवन से मेटाबोलिकसिंड्रोम काजोखिम कम होता है। इससे डायबिटीज का खतरा कम करने में मदद मिलती है।इसके अलावा, जो लोग अखरोट का सेवन करते हैं, उनमें अखरोट का सेवन नहीं करने वाले वयस्कों की तुलना मेंटाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का खतरालगभग आधा होता है ।



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Nutritionist and Founder Namami Agarwal is showing ways to improve her health with the crunch of Walnuts this Yoga Day


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Friday 19 June 2020

10 मीटर एयर राइफल की वर्ल्ड चैंपियन शूटर अपूर्वी चंदेला मन को शांत रखने के लिए जरूरी मानती हैं योग और मेडिटेशन

10 मीटर एयर राइफल की वर्ल्ड चैंपियन शूटर अपूर्वी चंदेला मन को शांत रखने के लिए मेंटल ट्रेनिंग, योग और मेडिटेशन को जरूरी मानती हैं। वे कहती हैं जिस तरह रोज पूजा-पाठ करते हैं, उसी तरह से ये हेल्दी हैबिट्सजीवन का हिस्सा होनी चाहिए। अपूर्वी का मानना है कि टूर्नामेंट होना बहुत-बहुत जरूरी है। इससे खिलाड़ियों का मोटिवेशन बढ़ता है। दुनिया की नंबर-1 राइफल शूटर रह चुकी अपूर्वी टोक्यो ओलिंपिक के लिए कोटा दिला चुकी हैं। कोविड-19, लॉकडाउन और टोक्यो ओलिंपिक को लेकर उनसे बातचीत के अंश...


1. लॉकडाउन के दौरान आपने घर में ही प्रैक्टिस की। मैच प्रैक्टिस नहीं होने से कितना फर्क पड़ता है?
काफी शूटर अपने शहर की शूटिंग रेंज में प्रैक्टिस के लिए जाने लगे हैं। यह अच्छी बात है। जहां तक प्रैक्टिस न कर पाने की बात है तो मैच, टूर्नामेंट, कॉम्पिटीशन बहुत-बहुत जरूरी है। यहां तक कि फ्रेंडली मैच भी काफी महत्वपूर्ण होते हैं। खिलाड़ी उन्हीं के अनुसार तैयारी करते हैं। इससे उनका मोटिवेशन भी बढ़ता है।

2. ओलिंपिक के आयोजन पर संशय की स्थिति है। कितना मुश्किल समय है?
यह समय खिलाड़ियोंके लिए कठिन है। ऐसे में सकारात्मक रहना बहुत जरूरी है। हमें परिस्थितियां सामान्य होने तक इंतजार करना होगा। हालांकि, यह भी जरूरी है कि खिलाड़ी प्रैक्टिस जारी रखें और फिटनेस पर ध्यान दें।

3. स्टेडियम खुल चुके हैं। लेकिन खिलाड़ी नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसा क्यों?
खिलाड़ी स्टेडियम इसलिए नहीं पहुंच पा रहे हैं क्योंकि ज्यादातर अपने-अपने घर चले गए हैं। कई राज्य और जिले रेड जोन में हैं। अभी आने-जाने की सुविधाएं भी ज्यादा नहीं हैं। उम्मीद है कि जल्द ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा।

4.कोविड-19 के समय मेंटल और फिजिकल ट्रेनर की कितनी जरूरत होती है?
मेंटल और फिजिकल ट्रेनिंग तो खिलाड़ियों के लिए बहुत अहम है। इससे पॉजिटिव फ्रेम ऑफ माइंड में रहते हैं। वर्कआउट के साथ-साथ मन को शांत रखने के लिए मेंटल ट्रेनिंग, योग और मेडिटेशन बहुत ही जरूरी है। जिस तरह रोज पूजा-पाठ करते हैं, उसी तरह से ये चीजें जीवन का हिस्सा होनाचाहिए।

5. लॉकडाउन में आपने क्या किया?
परिवार और पेट्स के साथ समय बिताया। मेरा दिन सुबह 5.30 बजे से शुरू होता था। घर की साफ-सफाई करती। एक तरह से ये भी मेरी एक्ससाइज का हिस्सा बन गई थी। मैंने फोटोग्राफी सीखना भी शुरू किया। इसमें गगन भैया (गगन नारंग) और अंकल ने मदद की। मुझे नेचर और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी पसंद है। मैंने रोजाना शूटिंग प्रैक्टिस भी जारी रखी।



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10-meter air rifle world champion shooter Apurvi Chandela considers yoga and meditation necessary to keep her mind calm


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फंकी कलर्स और हेयर स्टाइलिंग के साथ एक्स्पेरिमेंट कर मोनोटोनी को ब्रेक कर रहे गर्ल्स और बॉयज

फ्री-बर्ड की तरह जिंदगी जीने वाले लोगों के लिए अचानक घरों में लॉक हो जाना किसी एग्जाम से कम नहीं था। ऐसे में कई लोगों को सैडनेस, मूड स्विंग्स, लो-मूड और थिक-हेडेड जैसी फीलिंग आने लगी थी। इन सबसे बाहर निकल खुद को एनर्जेटिक रखने के लिए अब शहर के लोग अपने लुक्स में चेंज करवा रहे हैं। इसके लिए कुछ जहां बालों पर तरह-तरह के हेयर कलर्स ट्राय और कट्स ट्राय किएतो कुछ ने बालों के टेक्सचर को बदल दिया। मूड को पैम्पर करने के यह तरीके कितने कारगर हुए, जानने की कोशिश की शहर के यंगस्टर्स से।

रिस्ट्रिक्टेड फीलिंग को कहा नो
साइकोलॉजी की स्टूडेंट श्रेया नामदेव ने अभी कुछ दिनों पहले बालों में पर्पल और ब्लू कलर करावाया। श्रेया कहती हैं कि लॉकडाउन में रिस्ट्रिक्टेड टाइप की फीलिंग आ रही थी। लेकिन अब हेयर कलर में कुछ नया ट्राय करने से एक मोनोटोनी तोड़ने की खुशी मिली। महसूस हुआ किअब धीरे-धीरे सब पहले की तरह नाॅर्मल हो जाएगा।

फीलगुड के लिए लुक चेंज
स्टोरी टेलर भास्कर इंद्रकांति ने भी अपने लुक को बदला। इंद्रकांति कहते हैंलाॅकडाउन के दो महीनों में बोर और इनएक्टिव टाइप की फीलिंग आने लगी थी। इसको कंट्रोल करने के लिए उन्होंने बालों को शॉर्ट किया औरबियर्ड हटाकर पहली बार मुस्टैचेस को ग्रूम किया। बाजीराव जैसी मुस्टैचेस पहली बार ट्राय की और इस चेंज से लाइफ में एक्साइटमेंट बढ़ गई।

कॉन्फिडेंट नजर आती हूं अब
सॉफ्टवेयर डेवलपर मनोरमा शर्मा कहती हैं, लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम लगातार चल रहा था, लेकिन घर से बाहर ना जाने की वजह से सेल्फ केयर नहीं मिल पा रही थी। बोरडम महसूस करने लगी थी। यह फीलिंग और ना बढ़े, इसलिए हेयर कलर चेंज करवाया, ताकि खुद को देखकर भी अच्छा महसूस कर सकूं। ऑफिस मीट में ही सही, लेकिन कॉन्फिडेंट नजर आती हूं।

हेयर स्टाइलिंग पर फोकस
ब्यूटी एक्सपर्ट स्वाति खिलरानी बताती हैं किहेयर कलर्स में स्टूडेंट्स ब्राइट और फंकी कलर्स ट्राय कर रहे हैं, वहीं वर्किंग प्रोफेशनल्स लाइट कलर्स की हाईलाइट्स से लुक चेंज करवा रहे हैं। ब्यूटी एक्सपर्ट निकी बावा के मुताबिक, पिछले 15 दिनों में करीब 90 लोग न्यू लुक की डिमांड लेकर आए। न्यू लुक के लिए लोगों को हेयर कलर के अलावा कैरेटिन ट्रीटमेंट, हेयर कट और रीबॉन्डिंग करवा रहे हैं।

नीरसता घर कर गई है
डॉ. विनय मिश्रा, साइकोलॉजिस्ट के अनुसार घर में लाॅक होने और चाहकर भी बाहर ना जा पाने से लोगों के भीतर नीरसता घर कर गई है। इससे लड़ने के लिए जरूरी है कि हम खुद को अच्छा महसूस कराएं। यंगस्टर्स की लुक बदलने की कोशिश असल में खुद के भीतर पॉजिटिविटी तलाशने का ही प्रयास है, जिसे सराहा जाना चाहिए।



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Youth breaking monotony by experimenting with funky colors and hair styling


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Gold prices today at Rs 47,450 per 10 gram, silver at Rs 48,050 per kg

In New Delhi, the price of 22-carat gold is holding steady at Rs 46,250 per 10 gram, while in Chennai it is Rs 45,570

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Running on 'hopium': Explaining the market rally in Wall Street's terms

'Every time the stock market starts to sell off, the Federal Reserve responds with some accommodative policy,' said Mike O'Rourke, chief market strategist at JonesTrading

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Sebi eases compliance norms for brokers; extends deadline for filing report

The decision comes after receiving a representation from stock exchanges, the Securities and Exchange Board of India (Sebi) said in a circular

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Oil prices reach $42/barrel as OPEC+ laggards pledge better compliance

A premium for oil for immediate delivery usually indicates tightening supply and encourages storage to be drawn down

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Market Wrap, June 19: Here's all that happened in the markets today

On a weekly basis, Sensex gained nearly 3 per cent while Nifty added 2.7 per cent

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BSE to introduce LES in gold mini, silver kilo from July 6 to boost trade

Under the LES, brokers and other market intermediaries are given incentives for a specified period of time to bring in and generate investor interest in securities that have limited trading activity

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SC orders hearing of FT MF cases in Karnataka HC, e-voting stay remains

Fund house had appealed to apex court to hear plea to vacate stay on wind-up voting

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इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट : कोरोना काल में 5.5 करोड़ घरेलू कामगारों की जिंदगी मुश्किल में, इनमें से अधिकांश महिलाएं

आमतौर पर घर में काम करने वाले वर्कर्स माइग्रेंट होते हैं जो अपनी आजीविका चलाने के लिए परिवार के साथ या अकेले ही दूसरे शहरों में जाकर घरेलू कामकाम करते हैं। इन दिनाेंऐसे कई घरेलू कामगार हैं जो 8-10 घंटे काम करने के बाद भी आर्थिक तंगी से जूझे रहे हैं। हमारे देश में इनकी संख्या लगभग 5.5 करोड़ है।इनमें सबसे अधिक महिलाएंहैं। इनकी हालत कोरोना कालमें इतनी बदतर है जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

अपना कामकाज खो चुके हैं

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की स्टडी के अनुसार सारी दुनिया के लगभग तीन चौथाई घरेलू कामगार कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन में अपना कामकाज खो चुके हैं। लॉकडाउन खुलने के बाद भी कई घर ऐसे हैं जो कोरोनाफैलने के डर से घरेलू कामों के लिए इन्हेंबुलाना नहीं चाहते। इससे कामगारों की इनकम का एकमात्र साधन भी बंद हो गया है।

मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं

एक अनुमान के आधार पर इस महीने के अंततक घर में काम करने वाली बेरोजगारमहिलाओंकी संख्या बढ़कर 3 करोड़ 70 लाखहो जाएगी। इस महामारी के प्रकोप से बचने के लिए घरेलू कामगारों के लिए सारी दुनिया में मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस समय अमेरिका में 74%, अफ्रीका में 72% यूरोप में 45% घरेलू काम करने वाले लोग बेरोजगार हैं। उनके सामने दो वक्त का खाना जुटाना भी चुनौती पूर्ण हैं।

किसी तरहकी अन्य सुविधाएं नहीं मिलती

एक अनुमान के आधार पर बिना किसी दस्तावेजके काम करने वाले लोगों में बेरोजगारी की संख्या 76% है। वे ऐसी किसी योजनाके तहत भी काम नहीं करते जहां उन्हें सामाजिक सुरक्षा की वारंटी मिलतीहो। इस रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि सिर्फ 10 % घरेलू कामगारों को बीमारी की हालत में पूरा पैसा मिलता है। हालांकि इन्हें भी काम करते हुए बीमार हो जाने पर किसी तरहकी अन्य सुविधाएं नहीं मिलती।

अन्य शहरों में जाकर काम कर रही हैं

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार कई घरेलू कामगार अपने काम के हिसाब से सिर्फ 25% सैलेरी पाते हैं। जिसकी चलते बचत कर पानाभी मुश्किल होता है। घरेलू काम करने वाली महिलाओं में बडी संख्या उन काम वाली बाईयों की है जो अपने परिवार का पेट भरने के लिए अन्य शहरों में जाकर काम कर रही हैं।

कामगारों को बुलाना नहीं चाहते

दिन में 9-10 घंटे काम करने के बाद भी इन्हें अपनी मेहनत के हिसाब से या तो पैसा कम मिलता है या कई बार एक या दो दिन न आने पर काट लिया जाता है। हालांकि कुछ घर ऐसे भी हैं जहां लोग खुद आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। इसलिए चाहते हुए भी घरेलू कामगारों को वापिस बुलाना नहीं चाहते।



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International Labor Organization report: 5.5 crore domestic workers in Corona era feel trouble, most of them women


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Finance Ministry invites bids from transaction advisors for LIC IPO

The advisors can submit their bids beginning Friday, till July 13, 2020. The bids would be opened by DIPAM on July 14

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RIL partly-paid shares frozen at 10% upper circuit, surge 16% in 2 days

RIL fully-paid shares hit a lifetime high of Rs 1,738.95, up 5 per cent, in the intra-day trade today.

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जानलेवा बीमारी से जीतकर लौटी 16 साल की बेटी का संघर्ष, 10 माह में 3 सर्जरी फिर भी मुस्कुराती है सुचिता

सिकल सेल डिसीज यह नाम सुनने में जितना अजीब लगता है, यह बीमारी भी उससे कम घातक नहीं है। हजारों में से किसी एक को यह बीमारी होती है। खून में पल रहा यह मर्ज मरीज की जान भी ले सकता है। हालांकि, जागरूक मरीज उपचार के जरिए सामान्य जीवन जी सकता है। इस रोग और इसके उपचार से लोगों को जागरूक कराने हर साल 19 जून को ‘विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस’ मनाया जाता है। आज हम आपको रूबरू करा रहे हैं सुचिता पाटिल से। जिसने अपनी जीवटता से इस जानलेवा बीमारी को परास्त किया है।

बचपन से ही कमजोर थी
ये दास्तां है भोपाल केबरखेड़ा निवासी बीएचईएल में एजीएम आरबी पाटिल की 16 साल की बेटी सुचिता की। पाटिल कहते हैं कि सुचिता बचपन से ही कमजोर थी। मौसम में जरा सा बदलाव होने पर उसे सर्दी-खांसी, बुखार हो जाता था। हम इसे साधारण समझकर डॉक्टर से इलाज कराते रहे। फिर भीपांच वर्ष की होने तकवह हमेशा बीमार ही रही।

ब्लड टेस्ट कराया

तब मेरे डॉक्टर भाई ने सुचिता का ब्लड टेस्ट कराया। रिपोर्ट में पता चला कि सुचिता सिकल सेल से पीड़ित है। यह जानते ही पूरा परिवार तनाव में आगया। हालांकि हम इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानते नहीं थे, लेकिन इतना पता था कि इसका इलाज बड़ा मुश्किल है।

बेटी को लेकर उनके पास पहुंचे

समय बीतता गया। फिर हमें पता चला कि दिल्ली के एक अस्पताल में चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर गौरव खारया हैं। वे भोपाल के दो अस्पतालों में मरीज देखने आते हैं। हम बेटी को लेकर उनके पास पहुंचे। उन्हाेंने पूरी जांच रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि इसका इलाज सिर्फ बोनमैरो ट्रांसप्लांट है, जिस पर लगभग 15 से 35 लाख रुपए तक का खर्च आएगा।

डॉक्टर बनना चाहती है मेरी बेटी सुचिता
डोनर के लिए बेटे सौरभ (26) की जांच की गई, लेकिन उसका बोनमैरो सुचिता से मैच नहीं हुआ। इस बात ने हम बहुतनिराश हुए। इसी बीच चेन्नई की एक संस्था की मदद से हमें डोनर मिल गया औरजनवरी 2020 में डॉ. गौरव ने सुचिता का बोनमैरो ट्रांसप्लांट किया। करीब आठ माह दिल्ली में चले इलाज के बाद 31 मई को हम सुचिता के साथ भोपाल लौटे हैं। अब वह ठीक है।

मेरी बेटी हमेशा मुस्कुराती है

विक्रम हायर सेकंडरी स्कूल में 10वीं की छात्रा सुचिता का अप्रैल-19 में पथरी के कारण गाॅल ब्लैडर निकालना पड़ा था। इससे हम उबर नहीं पाए थे कि पता चला कि उसकास्पलीन यानी तिल्लीसामान्य से काफी बढ़ी है। पिछले सालउसका भी ऑपरेशन हुआ। इतनी परेशानियों के बाद भी मेरी बेटी हमेशा मुस्कुराती है। वह चाहती है कि डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करे।

ट्रांसप्लांट के छह माह बाद बच्ची अब ठीक है
डॉ. गौरव खारया के अनुसार सिकल सेल डिसीज वंशानुगत ब्लड डिसऑर्डर के कारण बच्चों में होती है। इसे डिफेक्टिव हीमोग्लोबिन से पहचाना जाता है। यह बीमारी शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है। सुचिता का केस एडवांस स्टेज का था, इसलिए हमने उन्हें बोनमैरो ट्रांसप्लांट की सलाह दी। ट्रांसप्लांट के छह माह बाद बच्ची ठीक है। अब वह दर्दरहित और सामान्य जीवन जी रही है।

बीमारी से डरें नहीं, डटे रहें
सुचिता के पिताआरबी पाटिल कहते हैं बेटी के इलाज के दौरान कई परेशानियां आईं, लेकिन पॉजिटिव एटीट्यूड से हर मुश्किल पर विजय हासिल कर ली। सिकल सेल से जूझ रहे सभी लोगों को मेरा यही कहना है कि बीमारी से डरे नहीं डटे रहें। सही इलाज के जरिए हम उसे हरा सकते हैं।



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16-year-old daughter struggles to win over fatal illness, 3 surgeries in 10 months still smiles Suchita


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Kaya, Alok Textiles, Birla Tyres and 35 others rally over 100% in 1 month

Borosil Renewables, Hathway Bhawani Cabletel, Dalmia Bharat Sugar, Nectar Lifesciences, Bilcare and Satin Creditcare Network have rallied over 100% in the past one month

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Thursday 18 June 2020

Sugar stocks in focus; EID Parry hits 52-wk high, Balrampur, Triveni up 5%

EID Parry's stock has zoomed 63 per cent in the past month

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मानसून में मौजूदा एसेसरीज से खुद को रखें अपडेट, आपके काम आएंगे ये ऑप्शंस

हम सभी का पसंदीदा मौसम मानसून आते ही फैशन तेजी से बदलता है। रेनबो कलर्स खूब पसंद किए जाते हैं। अभी मार्केट भले ही पूरी तरह से ना खुले हों, लेकिन आप घर में मौजूद ऐसेसरीज और कपड़ों से ही अपने आप को बहुत कुछ अपडेट कर सकती हैं।

बॉयज के लिए

टी शर्ट :

रफ एंड टफ लुक के लिए इस तरह के टी शर्ट कैपरी या जींस के साथ अच्छे लगते हैं। इसके साथ ब्लू या ऑरेंज सनग्लास आपको फंकी लुक देगा। साथ में मल्टी कलर वॉच भी स्टाइलिश लगती है।


ब्रेसलेट :

रेनबो ब्रेसलेट का फैशन बॉयज के बीच हमेशा बना रहता है। प्लेन से लेकर प्रिंटेड कपड़ों के साथ इस तरह के ब्रेसलेट अच्छे लगते हैं। इसे आप ट्रेडिशनल से लेकर वेस्टर्न हर लुक के साथ पेयर कर सकते हैं।

गर्ल्स के लिए

टॉप :

रिमझिम मौसम में रेनबो से इंस्पायर्ड होकर आप कलरफुल लेगिंग्स या टॉप ट्राय कर सकती हैं। अगर आप रेनबो कलर का टॉप पहन रही हैं, तो उसके साथ ब्लैक कलर की जींस पहनें। रेनबो लेगिंग्स के साथ प्लेन टॉप भी अच्छे लगते हैं। अपनी प्लेन ड्रेस के साथ रेनबो कलर का मफलर या दुपट्टा ओढ़ें।


हुप ईयररिंग्स :

कलरफुल मल्टी लेयर्ड हुप ईयरिंग्स बॉलीवुड दीवा से लेकर टीवी एक्ट्रेस के बीच ट्रेंडिंग हैं। आप इन्हें एथनिक वियर के अलावा जींस-टॉप के साथ कैरी कर सकती हैं। इससे आपको ग्लैमरस लुक मिलेगा।

बच्चों के लिए

बाल गाउन ड्रेस :

बारिश में बच्चों का कलरफुल लुक बाल गाउन ड्रेस में और निखरता है। इसके साथ फ्लोरल हेयर बैंड और रंग-बिरंगे फुटवियर्स पहनें। फ्रॉक से लेकर गाउन के साथ ब्राइट कलर एसेसरीज भी अच्छी लगती है।


हेयर बोज : हेयर क्लिप का बोज स्टाइल आपको पार्टीज में डिफरेंट लुक देगा। साटन से बने कलरफुल क्लिप्स प्रिंटेड पैटर्न में भी अच्छे लगते हैं। अपनी पसंद के अनुसार इसी कलर का फ्लोरल टियारा भी आपकी खूबसूरती बढ़ाने में मदद करेगा।




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Keep yourself updated with the current accessories during monsoon, these options will work for you


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DCB Bank extends rally, surges 20% in two days on heavy volumes

The bank has said the moratorium has been reduced from Rs 1,908.1 crore as on March 31, 2020, to Rs 710 crore on May 31, 2020.

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DIC India zooms 16% on receiving first tranche of payment for land sale

Shares of Godrej Properties also rose as much as 3.32 per cent on the BSE

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Bajaj Consumer Care slips 8% as net profit for March quarter falls 61% YoY

The stock had hit a 52-week high of Rs 345 on June 26, 2019, and its 52-week low stands at Rs 117.50, touched on March 25, 2020.

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Reliance Industries hits new high; market-cap crosses Rs 10.5-trillion

RIL raised over Rs 168,818 crore in just 58 days become net debt-free company. Mukesh Ambani now plans to list the telecom and retail businesses in the next five years

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Stocks to watch: RIL, PNB, Tata Motors, Thermax, Bajaj Consumer, Whirlpool

Here's a list of stocks that may trade actively in today's session

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Here's a Bull Spread strategy for L&T Finance Holdings by HDFC Securities

The short term trend of the stock is positive where it is trading above its 5 and 20-day SMA.

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Pullback on the higher side likely if Nifty holds 10k: Nilesh Jain

The momentum oscillator MACD has provided buy crossover on the Nifty's hourly chart

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Gold price today: Rs 47,496 per 10 gram, silver at Rs 48,360 per kg

In New Delhi, gold price today of 24-carat gold is Rs 47,450 per 10 grams, while 22-carat is retailing at Rs 46,250, up Rs 50 from the previous day

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MARKET LIVE: SGX Nifty indicates flat start; watch out for RIL, Tata Motors

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Market Ahead, June 19: Top factors that could guide markets today

The SGX Nifty is indicating an open at around 10,030 levels for the Nifty amid mixed global cues

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India Inc's Q4 net profit takes a 22% hit due to Covid-19, says ICRA

While margins contracted by 30 basis points on y-o-y basis, they fell a sharper 120 basis points on a sequential basis to 16.8 per cent

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Spike in volatility in 2020 could spur significant changes in MF stocks

An analysis done by Edelweiss says the mid-cap universe-companies that rank 101 and 250 in terms of mcap- could see as many as 17 new stocks

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कोविड से जुड़ी रिसर्च के बारे में लिखने में भी पुरुष आगे, सिर्फ 34% महिलाओं को मिला मौका

कोरोना वायरस के असर से बीते कुछ महीनों के दौरान रिसर्च पेपर लिखने वाली महिलाओं की संख्या में भारी कमी आई है। एक स्टडी के मुताबिक सिर्फ एक तिहाई महिलाओं ने रिसर्च पेपर लिखे। यहां तक कि सीनियर मानीजाने वाली वुमनऑथरभी इस काम से दूर रहीं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं द्वारा रिसर्च पेपर लिखने की कम दर यह सवाल पैदा करती है कि कोराेना वायरस के प्रति उनकी गंभीरता कहीं कम तो नहीं है? क्या इसका प्रभाव महिला और पुरुष दोनों पर अलग-अलग हुआ है?

कमी मानते हैं
रिसर्च पेपर के मुख्य लेखक अना केटेरिना पीहो गोम्स कहते हैंये चिंता की विषय है कि इस महामारी के बीच महिलाओं के रिसर्च पेपर की संख्या काफी कम है। रिसर्च प्रोफेशनल न्यूज में यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के रिसर्चर महिलाओं की मौजूदगी के बिना रिसर्च पेपर लिखे जाने में निश्चित तौर से कमी मानते हैं।

पुरुषों का अध्ययन अधिक
बीएमजे ग्लोबल हेल्थ की रिसर्चर स्टडी के अनुसार इस साल जनवरी से अब तक कोविड-19 पर 1,445 पेपर्स पर रिसर्चर्स की स्टडी हुई। इनमें से सिर्फ 34% महिलाओं ने रिसर्च पेपर लिखे। इसकी वजह जानने के लिए पिन्हो गोम्स और उनकी टीम ने कुछ फैक्टर्स रखें। वे कहते हैं कोविड-19 एक ऐसा विषयहै जिसके बारेमें महिलाओं के मुकाबले पुरुषों का अध्ययन अधिक है।

परिवार का बोझ बढ़ा है

इसके अलावा लॉकडाउन के दौरान महिलाओं पर बच्चों, परिवार और घर का बोझ हर हाल में बढ़ा है। घर की तमाम जिम्मेदारी निभाते हुएमहिलाओं को रिसर्च पेपर लिखने का समय कममिला। रिसर्च की ये राय है कि इनकारणों ने महिलाओं की कार्यक्षमता को पूरी तरह प्रभावित किया है।

डाटा बेस हाई रहता है
साइंटिफिक कंवर्सेशन और रिसर्च के नजरिये से देखें तो महिलाओं के लिखे रिसर्च पेपर को यूनिक मानकर खास महत्व दिया जाता है। महिलाओं की उपस्थिति की वजह से रिसर्च का डाटा बेस हाई रहता है।कोविड-19 के संदर्भ में बात की जाए तो इसकी वजह से हुए सामाजिक और आर्थिक बदलावाें को जानने के लिए रिसर्च पेपर में महिलाओं की भारीदारी भी पुरुषों की तरह ही जरूरी है।

समाज को फायदा होगा

वैसे भी रिसर्च पेपर लिखने के लिए महिला रिसर्चर्स को अधिक प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। ये बात महामारी के दौरान जितनी जल्दी महिलाएं समझ लें, उतना अच्छा है। उनके योगदान का फायदा सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि पूरे समाज को हाेगा।



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Men lead in writing about research related to corona virus, only 34% women get chance


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HDFC AMC OFS retail portion subscribed 82%, shares up marginally at close

Retail investors bid for 987,191 shares as against 1.2 million on offer; share sale has sailed through as institutional investor portion was oversubscribed

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Market Wrap, June 18: Here's all that happened in the markets today

BSE Sensex jumped 700 points or over 2 per cent to settle at 34,208.05 levels

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Measures to contain swings in stock prices to continue till Jul 30: Sebi

On March 20, the markets regulator had imposed one-month restrictions on short-selling, increased margin requirements, and hiked penalties on violators

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मॉडल हलीमा ने डिजाइन किए हिजाब के साथ पहनने वाले मास्क, मुस्लिम महिलाओं के लिए मानती हैं बेस्ट

सारी दुनिया के अस्पतालों में कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जा रहे हैं। इस महामारी से बचने के लिए मास्क लगाने पर भी जोर दिया जा रहा है। लेकिन स्टैंडर्ड माने जाने वाले फेस मास्क भी उन मुस्लिम महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं है जो हिजाब पहनती हैं।इन्हीं महिलाओं को ध्यान में रखते हुए अमेरिकन सोमाली मॉडल हलीमा एडेन ने ऐसे फेस मास्क डिजाइन किए हैं जिन्हें हिजाब के साथ आसानी से पहना जा सकता है।

कलर कॉम्बिनेशन परध्यान दिया
22 साल की इस मॉडल ने एक फैशन स्टार्ट अप के साथ मिलकर एन 95 मास्क डिजाइन किया। इसे हिजाब के साथ पहनना भी आसान है। हलीमा कहती हैं इसे डिजाइन करने से पहले मैंने मास्क के कलर कॉम्बिनेशन पर भी ध्यान दिया। मैं व्हाइट के बजाय ऐसा कलर चाहती थी जो सूदिंग भी हों। ऐसे कलर जिन्हें देखकर हम अच्छा महसूस कर सकें।इसलिए मैंने पेस्टल कलर्स को चुना।

हेल्थ केयर सेक्टर में काम करती हैं
इस मास्क के साथ वे हिजाब में भी कंफर्टेबल फील करेंगी। हलीमा के अनुसार ऐसी कई मुस्लिम महिलाएं हैं जो हिजाब पहनकर हेल्थ केयर सेक्टर में काम करती हैं। उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है जितना अन्य लोगों का। इस लिहाज से भी ये मास्क बेहतर हैं।

बार-बार पिन अप करना मुश्किल

हलीमा कहती हैं हिजाब के साथ मास्क को बार-बार पिन अप करना मुश्किल है। इसलिए उन्होंने अपने मास्क में बटन लगाए ताकि उसे पहनना और उतारना आसान हो। साथ ही फैब्रिक का चयन भी सावधानी के साथ किया ताकि हिजाब के साथ मास्क पहनने पर गर्मी न लगे।

नकाब और मास्क सुरक्षा के लिहाज से अच्छे
मास्क और नकाब दोनों को सुरक्षा के लिहाज से अच्छे हैं।फ्रांस सहित ऐसे कई देश हैं जहां महिलाओं के नकाब यानी बुरका पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इन देशों में बुरका पहनने को महिलाओं की आजादी छिनने का प्रतीक माना जा रहा है। हालांकि कुछ महिलाएं इसे पुरुषों से बचने और गंदगी से दूर रहने के लिए अपनी जरूरत के रूप में भी देखती हैं। आप चाहें मास्क पहनेंया नकाब महामारी के इस दौर में जिस तरह से भी बचा जा सके, वो तरीका बेस्ट है।



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Model Halima designed masks with hijab, made with buttons and made them the most special


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SC to hear Franklin Templeton MF's plea on e-voting process on Friday

Gujarat HC to hear Sebi's appeal on stay order same day

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5G rollout, bad optics: SC order on AGR dues to have a far reaching impact

Vodafone Idea (VIL) would be the worst-affected if the AGR outstanding cannot be staggered or waived, but Bharti Airtel would also be under pressure

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Domestic sales of steel pick up; rural markets lead recovery in Unlock 1.0

Products sold in rural markets like tractors and motorcycles and roofing sheets were leading the recovery, says T V Narendran

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PSU stocks in focus; ITI surges 20%, BHEL gains 15%, Coal India up 8%

MSTC, MMTC, Hindustan Copper, Bharat Electronics, Ircon International, NLC India, Engineers India, BEML, STC India, NBCC, Mishra Dhatu Nigam and Container Corporation were up 4% to 8% on the BSE

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Participatory note investment rises to over Rs 60,000 cr till May-end

P-notes are issued by registered foreign portfolio investors (FPIs) to overseas investors who wish to be part of the Indian stock market without registering themselves directly

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Voda Idea, Airtel recover from day's low as SC defers AGR hearing to July

The Supreme Court has given the Department of Telecommunication (DoT) time until July third week to consider the proposals by telecom companies.

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Wednesday 17 June 2020

ये 4 एक्सरसाइज कम करेंगी आपकी टमी, बनी रहेगी परिवार में फिटनेस

अच्छी पर्सनालिटी के लिए आपका पेट अंदर होना चाहिए। यदि आप भी आईटीबीपी के अभियान से प्रेरणा लेकर अपनी टमी कम करना चाहतीहैं तो कुछ ऐसी एक्सरसाइज हैं, जिन्हें बिना जिम जाए आसानी से घर पर ही किया जा सकता है।

1. टीजर
जमीन पर पीठ के बल लेटें और दोनों हाथों को कान की सीध में ऊपर उठाएं। सांस अंदर औरबाहर छोड़ते हुए दोनों पैरों को जमीन से उठाएं। ऐसा करने पर आपके शरीर की पोजिशन अंग्रेजी के V जैसी बन जाएगी। फिर धीरे से सांस लें और अपनी सामान्य पोजीशन में आ जाएं। अपने अंगूठों तथा अंदर की जांघों को कसकर जकड़े रहें, जिससे पैर टोन बनें। ऐसा 10 बार करें।

2. एब्डॉमिनल क्रंचेस
पीठ के बल लेटकर एक पैर को 90 डिग्री पर उठाते हुए दोनों हाथों से पैर के टखने को पकड़ें। उसके बाद उस पैर को नीचे रखें।दूसरे पैर को उठाकर पकड़ें और फिर छोड़ें। ऐसा 10 बार करें। शुरुआत में यह बहुत कठिन लगेगा, लेकिन धीरे-धीरे इसकी प्रैक्टिस बढ़ाकर आप अपनी टमी को कम करने में सफलता पा सकतीहैं।

3. साइड प्लैंक
यह एक्सरसाइज प्लैंक कीतरह होती है, लेकिन इसमें शरीर को एक करवट पर रखकर एक हाथ के सहारे शरीर को खड़ा करना पड़ता है। इसे करने के लिएशरीर को एक हाथ और दोनों पैरों के सहारे टिका कर 30 सेकंड तक रखें। अपने पेट और जांघों को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करें। इसे दस बार करें। इससे फैट बर्न होता है और अलग-अलग अंगों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

4. क्रंच
जिस तरहपुश अप्स कई विधियों से होता है,ठीक उसी तरह क्रंच भी कई विधियों से किया जा सकता है। इसे करने के लिए लोअरएब्स और साइड फ्लैब करते हुएविभिन्न वेरिएशन का इस्तेमाल किया जा सकता है।आयरन मैन एक पॉपुलर व्यायाम है। आप आयरन मैन पोजिशन में देर तक रहें।इससे कुछ ही दिनों में टमी कम हो जाएगी।



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These 4 exercises will reduce your tummy, will remain fitness in the family


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Pidilite Industries falls 3% on disappointing Q4 results

Net sales declined 6% YoY to Rs 1,535 crore, largely impacted by lockdown and disruption in the supply chain.

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ITI hits 52-wk high as govt bars BSNL, MTNL from using Chinese 4G equipment

Besides the state-owned telcos, government may ask private players to stay away from such Chinese firms.

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किचन गार्डन को बढ़ावा देने के लिए नंजामल मुक्त दे रहीं पौधे, लोग कहने लगे "सुपर दादी'

विभिन्न प्रकार की सब्जियों के पौधे मुफ्त में बांटकर तमिलनाडु की 84 वर्षीय नंजामल भी इंटरनेट पर सुर्खियां बटोर रही हैं। कोयंबटूर के थोप्पम्पत्ति गांव में वे किचन गार्डन कल्चर को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीणों में बहुत लोकप्रिय हो रही हैं। एक न्यूज एजेंसी ने अम्मा की खबर व फोटो ट्विटर पर पोस्ट कर दी। उसके बाद अम्मा के समर्थन में रीट्वीट की बाढ़ आ गई। कई लोगों ने कमेंट्स में उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए ‘सुपर दादी’ नाम से संबोधित किया है। ज्यादातर लोगों के कमेंट हैं कि यह एक शानदार प्रयास है, यदि आपके घर में जगह है तो किचन गार्डन का यह कल्चर फॉलो करना चाहिए। यह सही प्रयोग होगा।

नंजामल उर्फ सुपर दादी का विचार सब्जियों के पौधे अपने पूरे राज्यभर में वितरित करने का है। सबसे खास बात यह है कि इस कठिन काम में उनकी उम्र भी कोई बाधा नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं चाहती हूं कि ग्रामीणों के पास खुद के रसोई घर हों और वे अपने दम पर जैविक सब्जियां उगाएं।’ अम्मा की मेहनत रंग ला रही है और अब उनका पूरा गांव अपने घरों में सब्जियों का बगीचा बनाने में जुटा हुआ है।



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Plants are giving free nunjamal to promote kitchen garden, people started saying "super grandma"


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Muthoot Finance surges 9%, hits new high on robust March quarter results

The company's consolidated loan AUM grew 22 YoY at Rs 46,871 crore

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Here's a list of stocks that may remain in focus today

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Nifty outlook and stock recommendations by CapitalVia Global Research

Nifty likely to face stiff resistance at 10,000 as maximum call OI is placed here. We might witness strength only if Nifty breaks level of 10,000.

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MARKET LIVE: SGX Nifty trends suggest a negative start for Indian indices

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Market Ahead, June 18: All you need to know before the opening bell

A total of 57 companies, including Bajaj Consumer Care, Whirlpool, and Care Ratings are scheduled to announce their results today

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Gold price today: Rs 47,410 per 10 gram; silver at Rs 47,600 per kg

In New Delhi, the gold price today of 22-carat gold is holding steady at Rs 46,200 per 10 gram, while in Chennai it is Rs 45,470

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Liquidity cover for NBFCs not much affected in April and May: Report

In a stress case, where collections are nil and there is no moratorium on liabilities, the proportion of companies with low liquidity could go up to 25%

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Sugar consumption gets to pre-Covid level as hotels and restaurants open up

Demand has emerged from cold drink and ice creams makers that seek to fill pipeline inventory which got diminished during the lockdown due to factory closure and freight disruptions

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महिला ने साड़ी में फ्लिप फ्लॉप करके किया कमाल, हर्ष गोयनका ने की इनकी तारीफ

महिलाएं भी पुरुषों से कम नहीं हैं, वे भी फिल्मी हीरों की तरहपीछे की तरफ डाई मार सकती हैं। एक महिला का ऐसा ही वीडियो इन दिनों जबर्दस्त सुर्खियों में है। हरे-भरे रास्ते पर महिला फ्लिप फ्लॉप कर रही है, वह भी पूरे परफेक्शन के साथ। बैकग्राउंड में आमिर खान की फिल्म दिल का गीत बज रहा है। खास बात ये है कि इसएक्शन सीन कोकरते समय महिला ने जिम सूट, जीन्स या पैंट नहीं, बल्कि साड़ी पहनीहै।

संगीथा वॉरियर ने शेयर किया

इस वीडियो को ट्विटर यूजर संगीथा वॉरियर ने शेयर किया है। इसे शेयर करते हुए वे लिखते हैं क्या टैलेंट है। ना जूते, ना बढ़िया फ्लोर और साड़ी में। देखिए कितनी खूबसूरती से वह हाथों पर लैंड हुईं। इस पर कमेंट करते हुए किसी ने कहा भारतीय नारी सब पर भारी तो कोई कहरहा है साड़ी पहनकर महिला ने क्या कमाल कर दिखाया।

हर्ष गोयनका ने की तारीफ

इस वीडियो को प्रसिद्ध व्यवसायी हर्ष गोयनका ने ट्विटर पर शेयर करते हुए कमेंट लिखा है किसब कुछ आपके मूवमेंट और टाइमिंग पर निर्भर करता है। इसके लिए जिम के या ब्रांडेड कपड़े पहनना जरूरी नहीं। इस वीडियो को 4 लाख से ज्यादा व्यूज और कई मजेदार कमेंट्स मिल चुके हैं।



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Harsh Goenka praised women for doing flip flops in saree


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Covid-19 impact: Sebi relaxes capital raising norms for listed companies

Sebi has also relaxed the norms for qualified institutional placements (QIP), a popular route to raise fresh capital from institutional investors.

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डिप्रेशन से बचने के लिए ओल्ड एज होम की महिलाओं ने खोजे तरीके, रोज कर रहीं कुकिंग, एक्सरसाइज में भी आगे

कोरोना काल में कुकिंग, एक्सरसाइज, बेकिंग और गार्डनिंग करके किस तरह नकारात्मक विचारों से बचा जा सकता है, ये कोई वृद्धाश्रम में रहने वाली इन महिलाओं को देखकर सीख सकता है। वो भी तब जब इनमें से कई महिलाएं अपने ही घर में होने वाले बुरे बर्ताव से हर वक्त तनाव में रहती हैं। इन महिलाओं का मानना है कि कोविड-19 इनके जीवन में फिर एक बार टर्निंग पॉइंट साबित हो रहा है।

नकारात्मक विचारनहीं आते हैं
एक ओल्ड एज होम में रहने वाली 65 वर्षीय निर्मला कहती हैं मुझे कुकिंग करना बहुत अच्छा लगता है। जब ज्यादा गर्मी नहीं होती तो मैं अपने गार्डन में बैठकर सब्जियां काटती हूं। इस तरह व्यस्त रहने से मेरे दिमाग में नकारात्मक विचार भी नहीं आते हैं। इसी तरह 75 साल की एक अन्य महिला का कहना है कि वे रोज एक्सरसाइज करती हैं। वर्कआउट, मेडिटेशन और योगासन करने से डिप्रेशन जैसी भावनाओं से बच सकतेहैं।

किचन गार्डन मेंसमय बिताती हैं

67 वर्षीय गायत्री कहती हैं कि वे भजन सुनकर तनाव मुक्त रहती हैं। इससे मन शांत रहता है। वे किचन गार्डन में भी अपना समय बिताती हैं। गायत्री के अनुसार अपने हाथ से उगाई गई सब्जियों से खाना बनाना मुझे एनर्जी देता है। इससे बहुत खुशी मिलती है।

बेकिंग का बचपन से शाैक
अलीगढ़ के वृद्धाश्रम में रहने वाली शबनम कहती हैं मैं रोज बेकिंग करती हूं। अपने इस काम में दिनभर बिजी रहती हूं। मेरा यह तरीका डिप्रेशन जैसे विचारों को दूर रखने में भी मदद करता है। दरअसल मुझे बेकिंग का बचपन से शौक है। मैं जब छोटी थी तो अपने घर की बेकरी में मां के साथ मिलकर बेकिंग किया करती थी। लेकिन शादी के बाद मेरा ये शौक छूट गया।

जरा भी परवाह नहीं है

अब मैं फिर से इस काम में अपना समय बिता रही हूं। 72 साल की शबनम को इस बात का दुख है कि लॉकडाउन के इतने दिन बीत जाने के बाद भी अब तक एक बार भी उनके बच्चों ने फोन नहीं किया। बच्चों को उनकी जरा भी परवाह नहीं है। वे अपने बेकिंग के शौक को आगे बढ़ाते हुए अब बर्थडे केक का ऑर्डर लेना चाहती हैं।

इम्युनिटी बढ़ाने में व्यस्त
इसी ओल्ड एज होम में रहने वाली फरजाना अपनी इम्युनिटी बढ़ानेे में व्यस्त हैं। वे रोज ब्रिस्क वॉकिंग करती हैं। उनका कहना है कि सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली खाने से भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।



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Women of old age home find ways to avoid depression, cooking daily, exercise also ahead


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Market Wrap, June 17: Here's all that happened in the markets today

BSE Sensex slipped 97 points or 0.29 per cent to settle at 33,508 points

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For the first time ever, tea prices surge by 40-60% due to severe scarcity

Strong demand from buyers especially for quality teas supports uptick

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India Cements stock up by more than 6% on Damani takeover buzz

Damani, the owner of Avenue Supermarts Ltd., has informally reached out to the cement manufacturer's controlling shareholder, N. Srinivasan, to explore a takeover, the report said

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HDFC AMC falls 5% as Standard Life's OFS begins

Standard Life Investments, one of the promoters in HDFC AMC, is looking to offload up to 2.82 per cent stake in the company through OFS, which opened today and will close Thursday.

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Coromandel Int'l surges 6%, hits record high; EID Parry nears 52-week high

Cholamandalam Investment and Cholamandalam Financial Holdings were also up between 5 per cent and 9 per cent on the BSE.

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Maruti Suzuki India rises over 5%, records sharpest gain in 5 weeks

With today's gain, the stock has outperformed the market by gaining 14 per cent, as compared to a 9 per cent rise in the S&P BSE Sensex.

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महामारी के दौरान जिंदगी की असलियत को बयां करने के लिए महिला ने किया ब्यूटीफुल क्रिएशन, सब कर रहे तारीफ

लंबे समय से बार्बी डॉल सौंदर्य के नए कीर्तिमान स्थापित करते देखी जा रही हैं। बार्बी का हर रूप बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी प्रभावित करता है। पिछले कुछ सालों के दौरान मार्केट में बार्बी के जो नए कलेक्शन आ रहे हैं उनमें बिना बालों वाली डॉल, सांवले रंग की और आर्टिफिशियल पैरों वाली बार्बी लॉन्च की गई है।
गुड मॉर्निंग अमेरिका की रिपोर्ट के अनुसार कैलिफोर्निया में रहने वाली 56 साल की महिला ने बार्बी का नया कलेक्शन लॉन्च किया है। इस महिला ने अपन क्रिएशन के जरिये पिछले कुछ महीनों से सारी दुनिया में फैली महामारी की वजह से जो लोग क्वारेंटाइन में हैं, उनके हाल को बयां िकया है। इसे "क्वारेंटाइन बार्बी' का नाम दिया गया है।

बार्बी डॉल के सेट में उन्होंने सेनिटेशन वर्कर, मेडिसिन, ग्रॉसरी शॉप ओनर्स को भी जगह दी है। इन सेट में बार्बी घर में एंजॉय करते हुए, मूवी देखते हुए, कुकिंग करते हुए भी दिख रही है। किसी सेट में वह जूम कॉल अटैंड कर रही है ते कहीं गार्डनिंग या स्ट्रेची पैंट पहने हुए भी देखी जा सकती है। इस तरह वे सभी काम जो क्वारेंटाइन में रहते हुए किए जा रहे हैं, उन्हें बार्बी के रूप में दिखाने का प्रयास सराहनीय है।

1.इस सेट में बार्बी ग्रॉसरी शॉप वर्कर के रूप में दिखाई दे रही है। कुछ स्नैक्स और ड्रिंक्स के साथ उसने हाथ में गलव्स और चेहरे पर मास्क पहना है।

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2.हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स के सम्मान में इस बार्बी को क्रिएट किया गया है। वे प्रोफेशनल्स जो दिन-रात लोगों की सेवा में लगे हुए हैं।

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3. सेनिटेशन वर्कर को महामारी के बीच सफाई का ध्यान रखने वाले हीरो के तौर पर देखा जा रहा है। वे अपनी जान जोखिम में डालकर सड़कों से लेकर अस्पताल की सफाई कर रहे हैं।

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4. घर में रहते हुए स्ट्रेची पैंट में चिल करते हुए बार्बी डॉल बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है। इस तरह की पैंट घर में हर वक्त काफी कंफर्टेबल होती हैं। फिर चाहे आप यूनो या सूडोकू खेलें या नाश्ता करें।



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RIL-owned firms rally; TV18 Broadcast, Network18 soar over 60% in a month

Hathway Bhawani Cabletel & Datacom were locked in upper circuit for the 40th straight trading day

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Tuesday 16 June 2020

सेल्फ ऑनलाइन मेजरमेंट से तैयार हो रहे कस्टम स्टिच्ड सूट, कुर्ते, शेरवानी

कोरोना के कारण मैरिज फंक्शंस में शिरकत करने वालों की संख्या जरूर कम हुई है, मगर कस्टमाइज्ड सूट पहनने का अपना अलग ही क्रेज है। एक मास्टर जब आपको हू-ब-हू वह लुक देने की कोशिश करता है, जिसको आपने इमेजिन किया था, तो उस परफेक्शन का मुकाबला कोई रेडिमेट नहीं कर पाता। सूट हो, कुर्ता-पायजामा या शेरवानी... जितनी कल्चरल और च्वाइस की डायवर्सिटी शहर में नजर आती है, उतना ही वैरिएशन शहर केे सेलिब्रेशंस में नजर आता है। हमने जाना कि, ड्रेसअप होने के शौकीन शहर के लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग के समय में कपड़ों की स्टिचिंग और फिटिंग के लिए क्या-कुछ हल ढूंढ़ निकाले हैं।

वीडियो कॉल पर मास्टर्स करते हैं गाइड
सूट एक्सपर्ट प्रदीप सेवानी बताते हैं, सूट कस्टमर कराने किसी को दुकान तक आना ही ना पड़े, इसके लिए फेब्रिक चार्ट बनाया है। कलर स्कीम, शेड और वैरायटी इसमें होती है, ताकि लोग घर पर ही फेब्रिक सिलेक्ट कर सकें। मास्टर्स लोगों को वीडियो कॉल पर गाइड करते हैं कि मेजरमेंट किस तरह से लेने हैं। डिलीवरी के पहले सूट ड्रायक्लीन किया जाता है।
पिक्टोरियल फॉर्मेट किया गयातैयार
मंत्री और सांसदों के कुर्ते डिजाइन करने वाले बीडी साहू बताते हैं, वे 1997 से आज तक आए हर कस्टमर का डेटा मेंटेन करते हैं। सिटी सेलेब्रिटीज समेत 2 हजार कस्टमर्स का डेटा इनके पास है। अब सिर्फ वो मेजरमेंट नए लिए जाते हैं, जिनका साइज अब बदल गया है। करीब 90 प्रतिशत मामलों में केवल कमर और पेट का मेजरमेंट लेना पड़ता है।

फैब्रिक क्वारेंटाइन रहता है
सूट स्पेशलिस्ट अजय सिंह वर्मा(शानू) बताते हैं कि, कस्टमर्स हमें घर से ही अपना मेजरमेंट भेज सकें, इसके लिए मेजरमेंट लेने का पिक्टोरियल फॉर्मेट तैयार किया है, जिसमें कस्टमर्स के फैमिली मेम्बर्स ग्राफिक देखकर मेजमेंट कर सकें। जो कस्टमर्स वॉक-इन करते हैं, उनके टच के बाद फेब्रिक 1 दिन के लिए क्वारेंटाइन रहता है।



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Custom stitched suits, kurtas, sherwani getting ready from self online measurement during lockdown


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Goldprice dips Rs 10 to Rs 62,720, silver falls Rs 100 to Rs 74,900

The price of 22-carat gold also fell Rs 10 with the yellow metal selling at Rs 57,490 from Markets https://ift.tt/rpZGNwM