Tuesday, 16 June 2020

लड़कों के क्षेत्र में भी आसमां छू सकती हैं लड़कियां, ये साबित कर दिखाया साक्षी मिश्रा ने

नेशनल रिन्यूएबल एनर्जी लेबोरेटरी की रिसर्चर और अप्लाइड रिसर्च साइंटिस्ट साक्षी मिश्रा का बचपन ऐसे माहौल में बिता जहां पढ़ाई के लिए उन्हे पेरेंट्स का सपोर्ट मिला। इस माहौल से आर्टिफिशियल इंटलिजेंसी तक का सफर साक्षी के लिए अासान नहीं था। साक्षी ने किस तरह उस क्षेत्र में अपनी जीत हासल की जहां ये माना जाता है कि लड़कियां इस काम को नहीं कर सकतीं। कॅरिअर की दिशा में वे महिलाओं से क्या कहना चाहती हैं, जानिए यहां ।


साक्षी की मां इंग्लिश लिटरेचर पर काम करती हैं और पिता स्टेट गर्वनमेंट में कार्यरत हैं जिनकी वजह से साक्षी की रूचि गणित और फिजिक्स जैसे विषयों में रही। क्लीन एनर्जी के बारे में जानने की ललक बचपन से थी। साक्षी को आज भी वह प्रोजेक्ट याद है जिसमें विंड टर्बाइन मॉडल के जरिये उन्हें बिल्डिंग बनाना थी। पांचवी कक्षा में मिले इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए उन्हें थर्माकोल की शीट पर काम करना था। उन्होंने इस प्रोजेक्ट को बखूबी पूरा किया। इसी तरह साक्षी के बचपन के दिनों में जब बिजली कटौती होती तो उससे जुड़ी कई बातें वे माता-पिता से पूछती रहतीं थीं। उन दिनों उनके घर में इंवर्टर और चार्जिंग सिस्टम था। इसके अलावा एक पुरानी फियेट कार थी जिसकी बैटरी को काम करने के लिए मेन्युअल रिचार्ज करने की जरूरत होती थी। वे अक्सर अपने पैरेंट्स से इन चीजों के संबंध में सवाल पूछती रहती थीं।
इन चीजों को लेकर साक्षी की रूचि बड़े होने पर भी बनी रही। अपनी रूचि के अनुसार उन्होंने इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में अंडर ग्रेजुएट डिग्री ली। वे कहती हैं दक्षिण भारत की वीआईटी यूनिवर्सिटी से अंडरग्रेजुएट डिग्री लेना उनके लिए आसान नहीं था। वहां लोगों की सोच इसी बात तक सीमित थी कि इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग लड़कियों के लिए नहीं है। ये काम मशीनों का है जिसे लड़कियां नहीं कर सकती हैं।
इस मुश्किल वक्त में पेरेंट्स ने साक्षी का पूरा सपोर्ट किया। इसी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उन्होंने देखा कि किस तरह दूसरे स्टूडेंट कॅरिअर के अच्छे विकल्प की तलाश में यहां से विदेश चले जाते हैं। तभी उनकी रूचि भी विदेश में पढ़ाई करने में जागी। उन्हें अंडरग्रेजुएट थिसिस के लिए ऑस्ट्रेलिया के डेकिन यूनिवर्सिटी जाने का मौका मिला।
उसके बाद वे एनर्जी साइंस टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी में मास्टर्स डिग्री के लिए यूएस की कॉनेर्ज मेलन यूनिवर्सिटी गईं। साक्षी कहती हैं मैं अपना समय और एनर्जी ऐसे काम में लगाना चाहती थीं जिससे पूरी दुनिया को फायदा मिल सके। इस लिहाज से एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी) के लिए अप्लाय किया। उनका मानना है कि क्लीन एंड सस्टेनेबल एनर्जी डेवलपमेंट एक गंभीर मुद्दा है जो दुनिया के हर हिस्से को प्रभावित करता है।
उसके बाद साक्षी को नेशनल रिन्यूएबल एनर्जी लेबोरेटरी में काम करने का मौका मिला। साक्षी कहती है यहां काम करना मेरे लिए यादगार रहा। यहां आकर मुझे ऐसे रिसर्चर से मिलने का मौका मिला जो दुनिया की सबसे जटिल समस्याओं को सुलझाने में लगे हैं। यहां मुझे हर दिन कुछ नया सीखने को मिला।
साक्षी चाहती हैं कि लड़कियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी में अपना कॅरियर बनाएं। वे अपने काम से इस क्षेत्र में रोल मॉडल स्थापित कर सकती हैं। उनके अनुसार हर काम की शुरूआत कुछ जानने की ललक के साथ होती है। अगर आपमें वो ललक है तो आप यकीनन अपने कॅरियर में नई ऊंचाइयां हासिल कर सकती हैं।
अगर लड़कियां इस क्षेत्र में अपना कॅरिअर हासिल करना चाहती हैं तो उन्हें अंडर ग्रेजुएट और ग्रेजुएट लेवल पर मशीन लर्निंग, पायथॉन प्रोग्रामिंग की जानकारी लेकर आगे बढ़ना चाहिए।



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Girls can touch sky in boys' career field, Sakshi Mishra proved it by hard work


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