Friday, 19 June 2020

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट : कोरोना काल में 5.5 करोड़ घरेलू कामगारों की जिंदगी मुश्किल में, इनमें से अधिकांश महिलाएं

आमतौर पर घर में काम करने वाले वर्कर्स माइग्रेंट होते हैं जो अपनी आजीविका चलाने के लिए परिवार के साथ या अकेले ही दूसरे शहरों में जाकर घरेलू कामकाम करते हैं। इन दिनाेंऐसे कई घरेलू कामगार हैं जो 8-10 घंटे काम करने के बाद भी आर्थिक तंगी से जूझे रहे हैं। हमारे देश में इनकी संख्या लगभग 5.5 करोड़ है।इनमें सबसे अधिक महिलाएंहैं। इनकी हालत कोरोना कालमें इतनी बदतर है जिसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

अपना कामकाज खो चुके हैं

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की स्टडी के अनुसार सारी दुनिया के लगभग तीन चौथाई घरेलू कामगार कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन में अपना कामकाज खो चुके हैं। लॉकडाउन खुलने के बाद भी कई घर ऐसे हैं जो कोरोनाफैलने के डर से घरेलू कामों के लिए इन्हेंबुलाना नहीं चाहते। इससे कामगारों की इनकम का एकमात्र साधन भी बंद हो गया है।

मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं

एक अनुमान के आधार पर इस महीने के अंततक घर में काम करने वाली बेरोजगारमहिलाओंकी संख्या बढ़कर 3 करोड़ 70 लाखहो जाएगी। इस महामारी के प्रकोप से बचने के लिए घरेलू कामगारों के लिए सारी दुनिया में मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस समय अमेरिका में 74%, अफ्रीका में 72% यूरोप में 45% घरेलू काम करने वाले लोग बेरोजगार हैं। उनके सामने दो वक्त का खाना जुटाना भी चुनौती पूर्ण हैं।

किसी तरहकी अन्य सुविधाएं नहीं मिलती

एक अनुमान के आधार पर बिना किसी दस्तावेजके काम करने वाले लोगों में बेरोजगारी की संख्या 76% है। वे ऐसी किसी योजनाके तहत भी काम नहीं करते जहां उन्हें सामाजिक सुरक्षा की वारंटी मिलतीहो। इस रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि सिर्फ 10 % घरेलू कामगारों को बीमारी की हालत में पूरा पैसा मिलता है। हालांकि इन्हें भी काम करते हुए बीमार हो जाने पर किसी तरहकी अन्य सुविधाएं नहीं मिलती।

अन्य शहरों में जाकर काम कर रही हैं

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार कई घरेलू कामगार अपने काम के हिसाब से सिर्फ 25% सैलेरी पाते हैं। जिसकी चलते बचत कर पानाभी मुश्किल होता है। घरेलू काम करने वाली महिलाओं में बडी संख्या उन काम वाली बाईयों की है जो अपने परिवार का पेट भरने के लिए अन्य शहरों में जाकर काम कर रही हैं।

कामगारों को बुलाना नहीं चाहते

दिन में 9-10 घंटे काम करने के बाद भी इन्हें अपनी मेहनत के हिसाब से या तो पैसा कम मिलता है या कई बार एक या दो दिन न आने पर काट लिया जाता है। हालांकि कुछ घर ऐसे भी हैं जहां लोग खुद आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। इसलिए चाहते हुए भी घरेलू कामगारों को वापिस बुलाना नहीं चाहते।



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International Labor Organization report: 5.5 crore domestic workers in Corona era feel trouble, most of them women


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