Saturday, 20 June 2020

पिता को समर्पित दो लघुकथा और एक कविता जो एक बार फिर आपको पापा के करीब ले जाएंगी

लघुकथा :पापा ने बनायासकारात्मक

लेखक : माणिक राजेंद्र देव

पापा से बात करने के बाद यूं तो हर तरह का तनाव और चिंता नौ दो ग्यारह हो जाती है, परंतु कोरोना काल में इस बात का गहराई से अहसास हुआ। बच्चों के बाहर रहने और पति के बैंक में कार्यरत होने की वजह से पूरे लॉकडाउन में मुझे दिनभर घर में अकेले ही रहना पड़ा। छोटे शहर में एसबीआई की एक ही शाखा होने के चलते कुछ दिन काम बंद रखे जाने का विकल्प नहीं था।

टीवी पर कोरोना के मरीज़ों की बढ़ती संख्या देखकर मैं चिंताग्रस्त हो जाती। अकेले में चिंताएं बेलगाम होकर अधिक परेशान करती हैं। उस पर एक मां को तो जैसे ईश्वर ने ही चिंता करने का नैसर्गिक गुण प्रदान किया है। शाम को जब दिन भर मास्क की वजह से पति का सूजा चेहरा देखकर और सैनेटाइज़र की तेज़ गंध से परेशान हो जाती तो अनायास ही मन उन डॉक्टरों और नर्सों के प्रति श्रद्धानत हो जाता जो रात-दिन कोरोना मरीज़ों की जान बचाने में लगे हुए हैं। बैंक के बाहर तेज़ धूप में सरकार द्वारा भेजे रुपयों के लिए लगी मज़दूरों की लंबी लाइनें देखकर तो दिल कांप जाता।

पापा से बात करना मेरी दिनचर्या में शामिल है। मैंने अपनी मनःस्थिति कभी शेयर नहीं की, फिर भी पापा की बातें मेरी सोच को पूर्णतया बदलकर सकारात्मक कर देतीं। जैसे, सरकार ने कोरोना से निबटने के लिए अच्छी तैयारी की है या सरकार किसी को भूख से नहीं मरने देगी, कई समाजसेवी संस्थाएं भी इस कार्य में लगी हुई हैं। रोज़ स्वस्थ होकर घर लौटने वाले मरीज़ों की संख्या भी वे अवश्य बताते। कभी बच्चों से बात कर मुझे बताते कि वे सावधानीपूर्वक वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं और सुरक्षित हैं। न जाने क्यूं मैंं कभी इन सकारात्मक बातों पर ग़ौर ही नहीं कर पाई।

फिर एक दिन उनकी कॉलोनी में एक सज्जन कोरोना पॉज़िटिव निकले। हम सभी घबराने लगे परंतु पापा तब भी सकारात्मक ही सोचते रहे। सभी को समझाते कि वे तो अपनी मां को हॉस्पिटल ले गए थे, वहीं से उन्हें कोरोना हो गया। लक्षण दिखते ही स्वयं हॉस्पिटल चले गए और जल्द ही स्वस्थ होकर लौट आएंगे। उनकी बात सच साबित हुई। सच मंे ही कुछ ही दिनों में वे परिचित घर आ गए।

पापा सदैव समझाते कि हमारा आधा तनाव तो व्यवस्थित दिनचर्या का पालन करने और अपने काम समय पर करने से ही दूर हो जाता है। तनावरहित रहने से रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ती है जो वर्तमान समय की महती आवश्यकता है। अपने शौक़ को ज़िंदा रखना भी हमें मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है। इसीलिए आज भी टीवी, अख़बार के अलावा किताबें पढ़ना, लिखना, संगीत सुनना उनकी दिनचर्या के अंग हैं। इस प्रकार वे स्वयं की मिसाल से सभी को ‘स्वस्थ रहो, व्यस्त रहो, मस्त रहो’ की प्रेरणा देते हैं। फादर्स डे के अवसर पर पापा को प्रणाम।

लघुकथा...जन्म

लेखिका :माण्डवी बर्वे

एक तूफ़ान-सा उठ रहा था जज़्बात का। वो जब थमा, तो झड़ी लग गई।

घोड़े की गति-सी भागती धड़कनें, तेज़ सांसें। कभी वो चहलक़दमी करने लगता, तो कभी बेंच पर बैठकर पैर हिलाने लगता, कभी भरी ठंड में भी माथे पर उभरे पसीने पर रुमाल फेरता। ऐसी बेचैनी, इतनी घबराहट कभी-भी महसूस नहीं की थी। बार-बार ऐसा लगता कि मानो आंखों से खारा पानी फूट पड़ेगा। हाथ प्रार्थना में जुड़ जाते। फिर कभी आंखें मूंद के ख़ुद को शांत करने की कोशिश करता।

तभी दरवाज़े की आवाज़ से वो झट उठ खड़ा हुआ। नर्स बाहर आई। उसने एक मुस्कान के साथ नरम रुई-सी नन्ही-सी जान को उसके हाथों में थमाते हुए कुछ कहा। उसकी नज़रें उस कोमल चेहरे पर टिककर रह गईं। नर्स के शब्द शायद सुनाई ही नहीं पड़े। अचानक धड़कनें, सांसें सब क़ाबू में आने लगीं। बेचैनी, घबराहट सब आंखों से फूटकर सुकून की धारा बन गईं। आज आंखों का ये खारा पानी मीठा-सा लग रहा था। आज एक और पिता का जन्म हुआ था।

कविता... पिता

लेखक :सन्नी डांगी चौधरी

लहर उठी विश्वास की

पिता खड़े जिस ओर,

लम्बी काली रात की

सदा रहे तुम भोर,

ऊपर से है सख़्त दिखे

मोम सा हृदय होय,

हर दुःख हंसकर सहे

भीतर-भीतर रोय।

लगन, मेहनत और परिश्रम

देते सदा सिखाय,

लगे सदा कड़वी सी बातें पर

जो माने सुख पाय।

अनबोला अनकहा है रिश्ता

तात तुम्हारे साथ,

तुम दे दो आशीष

जहां ख़ुशी हमारे हाथ।

आस तुम्हीं विश्वास तुम्हीं

तुम हो ईश्वर समान,

मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर में

भटक रहा इंसान।

जहां भर की दौलत से जो

न ख़रीदा जाय,

मात पिता का प्यार तो

बिना मोल मिल जाय,

जितनी जल्दी जाग सके

उतनी जल्दी जाग,

दोनों हाथ में समेट ले

यह मीठा अनुराग।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Two short stories and a poem dedicated to father that will once again take you closer to Papa


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2YhGww4

No comments:

Post a Comment

Goldprice dips Rs 10 to Rs 62,720, silver falls Rs 100 to Rs 74,900

The price of 22-carat gold also fell Rs 10 with the yellow metal selling at Rs 57,490 from Markets https://ift.tt/rpZGNwM