रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को खत्म करने के लिए सारी दुनिया के लोग #ब्लैक लाइव मैटर मूवमेंट को सपोर्ट कर रहे हैं। यहां तक कि बॉलीवुड सेलेब्रिटीज जैसे प्रियंका चोपड़ा, करीना कपूर और दिशा पटानी भी सोशल मीडिया के माध्यम से इस मूवमेंट काे सपोर्ट कर रही हैं।
खरीदना बंद कर चुके होते
पिछले दिनों अभय देओल#ब्लैक लाइव मैटर मूवमेंटका हिस्सा बने और उन्होंनेबॉलीवुड सितारों से फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन बंद करने का आग्रह किया। कई लोग अभय की बात का समर्थन कर रहे हैं तो कई ऐसे भी हैं जो इसके विरोध में कह रहे हैं कि अगर लोग इस तरह के प्रोडक्ट पसंद नहीं करते तो इसे खरीदना बंद कर चुके होते। सिर्फ फेयरनेस प्रोडक्ट ही नहीं बल्कि कई मैग्जींस औरविज्ञापन भी ब्यूटी के इस पैमाने को बढ़ावा देते हैं जो पूरी तरह अनहेल्दी है।
इन कंपनीज पर बैन लगना चाहिए
कॉम्प्लेक्शन के आधार होने वाले भेदभाव को बढ़ावा देने वाले इन प्रोडक्ट पर प्रतिबंध लगाने के मामले में पद्मा लक्ष्मी ने सोशल मीडिया पर लिखा है फेयर एंड लवली जैसी कंपनीज पर बैन लगना चाहिए। वे कहती हैं मैं बचपन से उन गोरी लड़कियों के लिए ये सुनकर थक चुकी हूं जिन्हें देखते ही कहा जाता है देखो कितनी "फेयर' एंड "लवली' है।
फातिमा भूट्टो ने किया समर्थन
पिछले दिनों फातिमा भुट्टो ने अपनी ट्विटर अकाउंट के माध्यम से फेयर एंड लवली पर प्रतिबंध लगने की बात का समर्थन किया है। वे यूनिलीवर से इस क्रीम को बनाने और बेचने की भी विनती कर रही हैं।
वायरल हुई आयुष की पोस्ट
दिल्ली के 21 वर्षीय आयुष कालरा ने इंस्टाग्राम पर एक इलेस्ट्रेशन के माध्यम से फेयरनेस प्रोडक्ट के बारे में जो लिखा, वोइन दिनों वायरल है। इसमें एक सांवली महिला ने अपने हाथ में फेयरनेस क्रीम ले रखी है। इस इलेस्ट्रेशन पर लिखा है "फेयर? मेरी जूती'
विज्ञापन करने से इंकार कर चुके हैं
फेयरनेस क्रीम पर बैन लगाने काे लेकर अपनी सहमति दर्ज कराने वाले कई बॉलीवुड सितारे फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन करने से इंकार कर चुके हैं। इनमें कंगना रनौत सहित रणबीर कपूर, स्वरा भास्कर, रणदीप हुड्डा और तापसी पन्नू का नाम शामिल है।स्वरा भास्करका मानना है कि क्रीम के जरियेफेयरनेस लाने वाली बातें हमारे दिमाग मेंनकारात्मकता लाती है। इसलिए वे ऐसे ऐड नहीं करेंगी।
अपराध घोषित कियाहै
फेयरेनेस क्रीम को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन करने को ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) (संशोधन) विधेयक, 2020 के नए मसौदे के तहत अपराध घोषित किया गया है। इस तरह के मामलों में 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और दो साल तक की जेल की सजा का प्रस्ताव भी है।
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