कोविड के इस माहौल में जहां अच्छी इम्यूनिटी की जरूरत है, वहीं मौजूदा बीमारियों पर भी रोक बहुत जरूरी है। आज योग दिवस पर सेलिब्रिटी योग ट्रेनर से जानिए 4 मुख्य बीमारियों पर रोकथाम के आसन। ये वे योग गुरु हैं, जोे मेट्रोज में कई फिल्मी, राजनीतिक हस्तियों और बिजनेस टाइकून को योग सिखा रहे हैं।
1. डायबिटीज के लिए धनुरासन
कैसे करें: कम्बल पर पेट के बल उल्टे लेट जाएं। दोनों पैर मिल हों और उन्हें घुटनों से मोड़ें। हाथों को पीछे ले जाकर पैरों को टखनों से पकड़ें। श्वास भरते हुए छाती को जमीन से उपर उठाएं और पैरों को कमर की ओर खींचें। जितना हो सके उतना सिर को पीछे लाएं। दृष्टि भी ऊपर एवं पीछे की ओर रहना चाहिए। समग्र शरीर का बोझ केवल नाभिप्रदेश के ऊपर ही रहेगा। इस आसन में शरीर की आकृति खींचे हुए धनुष जैसी बनती है। लंबी गहरी श्वास लेते हुए आसन में विश्राम करें।
इसके लाभ : धनुरासन पैंक्रियाज को एक्टिव रखने का काम करता है, जो कि मधुमेह के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह मानसिक तनाव से भी मुक्त करता है।
रखें ध्यान : अगर कमर में दर्द है, तो इस आसन में ज्यादा जोर न लगाएं। पेट में अल्सर, हार्निया, सिरदर्द, माइग्रेन, गर्दन पर चोट और हाई ब्लडप्रेशर है तो डॉक्टरी सलाह पर करें।
यहां भी कारगर: पाचन तंत्र बेहतर भूख संतुलित,वजन व फैट घटाना, रीढ़ की हड्डी मजबूत, थाइरॉयड में फायदा
2.हृदय रोग के लिए अनुलोम-विलोम
कैसे करें: पद्मासन में बैठ जाएं। कमर-गर्दन सीधी रखें। दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा में हों। अंगूठा और तर्जनी मिले हुए हों। बाकी सारी अंगुलियां खुली और सीधी रखें। आंखें बंद करके दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बायीं नासिका से सांस अंदर लें। फिर अब अनामिका अंगुली से बायीं नासिका को बंद कर दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें। अब दाहिनी नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बायीं नासिका से सांस बाहर छोड़ दें। यह एक चक्र होता है।
इसके लाभ : फेफड़े मजबूत होते हैं और बदलते मौसम में शरीर जल्दी बीमार नहीं होता। मस्तिष्क की 72 हजार नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है।
रखें ध्यान : हृदय रोगियों को अनुलोम विलोम करने के दौरान कम से कम 15 से 20 चक्रों का अभ्यास करना चाहिए। इससे अधिक नहीं करना चाहिए और तेजी के साथ करने से बचें।
यहां भी कारगर:
- वात,पित्त और कफ दोषों का संतुलन
- लेफ्ट और राइट ब्रेन का तालमेल
- तनाव से मुक्ति
3. डिप्रेशन में करें सूर्य नमस्कार
कैसे करें: सूर्य नमस्कार एक प्रकार की शारीरिक क्रिया होती है, जो सूर्योदय के समय की जाती है। इस व्यायाम के दौरान सूर्य भगवान की पूजा की जाती है और इसे 12 चरणों में किया जाता है। इन चरणों के विभिन्न नाम होते हैं और इन्हें अलग-अलग तरह से किया जाता है। इस आसन के लिए आप सीधे खड़े हो जाएं और अपने हाथ जोड़ लें। फिर गहरी सांस लें और कंधों को ढीला रखें। अब सांस अंदर लेते हुए अपने हाथ ऊपर करें और सांस छोड़ते हुए प्रणाम मुद्रा ले लें।
इसके लाभ : डिप्रेशन दूर करने तथा इसके कुप्रभाव से शरीर को बचाने के लिए सूर्य नमस्कार का अभ्यास प्रभावी होता है। ये आसन ग्रंथियों को सक्रिय तथा संतुलित बनाते हैं।
रखें ध्यान : उच्च रक्तचाप, हृदय रोग से पीड़ित लोग इसका अभ्यास योग्य मार्गदर्शन में करें। सूर्य नमस्कार के बाद 10-20 मिनट तक का समय शांत होने के लिए लेना चाहिए। बुखार या जोड़ों में दर्द हो तो इसे न करें।
यहां भी कारगर
- नकारात्मक विचार नहीं आते
- सुंदर बाल और त्वचा मुलायम
- ऊर्जा और जागरूकता
- हडि्डयों में लाभदायक है
- अनिद्रा से बचाव करता है
4.अस्थमा रोग में लाभप्रद भस्त्रिका
कैसे करें: भस्त्रिका भस्त्र शब्द से निकला है, जिसका अर्थ होता है ‘धौंकनी’। इसमें हम आवाज के साथ लंबी और गहरी सांस लेते हैं और छोड़ते हैं। इसके लिए सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएं। शरीर, गर्दन और सिर सीधा हो। शुरू में धीरे-धीरे सांस लें और इस सांस को बलपूर्वक छोड़ें। फिर बलपूर्वक सांस लें और बलपूर्वक ही छोड़ें। इस गहरी श्वास को छोड़ने के बाद भस्त्रिका प्राणायाम का एक चक्र पूरा होता है।
इसके लाभ: अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में नहीं, छोड़ने में दिक्कत होती है। भस्त्रिका से ऑक्सीजन ज्यादा मात्रा में जाएगी और कार्बनडाई ऑक्साइड ज्यादा मात्रा में निकलेगी।
रखें ध्यान: हृदय रोगी, ब्लडप्रेशर, अल्सर, हॉनिया के मरीज हैं या प्रेग्नेंट वुमन, वे इसे न करें। बाकी साधक इसे सामान्यत: रोज 10 से 15 मिनट तक करें।
यहां भी कारगर
- फेफड़ों का कफ पिघलना शुरू होता है
- गले की सूजन से राहत
- पेट की चर्बी कम करने में प्रभावी है आसन
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