हाल ही में हुए सर्वेके अनुसार गर्भवती महिलाओं और नई मांओं मेंचिंता व डिप्रेशन की दर कोरोना काल में बढ़ी है। इस अध्ययन के अनुसार रिसर्चर्स ने 900 महिलाओं से बात की। इनमें से 520 महिलाएं गर्भवती थीं और 380 महिलाओं ने कुछ समय पहले ही बच्चे को जन्म दिया था।
उन्होंने पाया कि महामारी के दौरानगर्भवती महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण 15% से बढ़कर 41% हो गए। वहीं एंग्जाइटी की दर 29 % से बढ़कर 72% हो गई है।
आंकड़े देखकर चिंतित हूं
इस रिसर्च के सह लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ एलबर्टा, कनाडा में प्रेग्नेंसी एंडपोस्टपार्टम के एसोसिएट प्रोफेसर मार्गी डेवेनपोर्ट के अनुसार जिस तरह से गर्भवती महिलाओं में चिंता और डिप्रेशन की दर बढ़ी है, उसे देखकर मैं काफी चिंतित हूं।
डिसऑर्डरके मामले बढ़ने की भी यही वजह है
महामारी के दौरान इस दर के बढ़ने की वजह फिजिकल आइसोलेशन, घर के काम बढ़ना और बच्चों की देखभाल में दिन-रात लगे रहना है। इन सब कारणों से गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के दिमाग पर निगेटव इफेक्ट हुआ है। प्री नेटल और पोस्टपार्टम डिप्रेशन डिसऑर्डरके मामले बढ़ने की भी यही वजह है।
सिक्योरिटी न होने से बढ़ीचिंता
डेवनपोर्ट कहते हैं जो महिलाएं कोरोना काम केपहले से ही बीमारथीं, उनमें यह दर स्वस्थ्य महिलाओं की तुलना में अधिक हुई है। डेवनपोर्ट को चिंता है कि गर्भवती महिलाओं में जॉब खोने के डर से या घर में अच्छा माहौल न मिलने की वजह से डिप्रेशन बढ़ा है। इन महिलाओं में अच्छे स्वास्थ्यकी सिक्योरिटी न होना भी चिंता बढ़ने की वजह है।
महामारी से पहले मानसिक स्थिति बेहतर
इस अध्ययन का हिस्सा बनने वाली अधिकांश महिलाएं वर्किंग वुमन और न्युक्लियर फैमिली में रहने वाली हैं। हालंकि महामारी से पहले इनकी मानसिक स्थिति बेहतर थी। लेकिन कोरोना काल ने इनकी मेंटल हेल्थको बुरी तरह से प्रभावित किया है।
डिप्रेशन से निजात पा सकती हैं
एक्सपर्ट के अनुसार गर्भावस्था के दौरान और नई मांओं को इस मानसिक स्थिति से बाहर लाने में परिवार के लोगों द्वारा उनकी फीलिंग को समझना महत्वपूर्णहो सकता है। फॉर्मल और इनफॉर्मल सपोर्ट के साथ वे डिप्रेशन से निजात पा सकती हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/37RlWpA
No comments:
Post a Comment