प्रिया और राहुल ने घर वालों की मर्जी के खिलाफ लव मैरिज की। सांवले रंग की वजह से जो अपमान प्रिया ने सहा वो उसे अपने शब्दों में बताते हुए कहती है कि मेरी सास ने मुझे कभी पसंद नहीं किया। उनका कहना है कि मेरे गोरे बेटे के लिए सांवली प्रिया बिल्कुल उपयुक्त नहीं है। इतना ही नहीं जब कभी मैं राहुल के साथ किसी फंक्शन या पार्टी में जाती हूं तो मुझे अपने सांवलेपन को लेकर ताने सुनने को मिल ही जाते हैं।
भारत में एक सोच जो सदियों से चली आ रही है, वह यह है कि लड़का चाहे गोरा हो या काला लेकिन जब उसकी शादी के लिए लड़की की तलाश की जाती है तो हमेशा गोरी ही लड़की हर लड़के और उसके घर वालों की पहली पसंद होती है। आए दिन आने वाले विवाह विज्ञापनों और मैट्रीमोनियल साइट पर भी गोरी कन्या को प्राथमिकता दिए जाने की बात होती है।
गोरेपन को बढ़ावा दिया जाता है
गोरेपन को बढ़ावा देने वाले कई प्रोडक्ट की मार्केट में भरमार है। वहीं टीवी धारावाहिक से लेकर फिल्मों में गोरेपन को बढ़ावा दिया जाता है। इस सोच के चलते अधिकांश लड़कियां ये मानती हैं कि गोरापन कॅरिअर से लेकर शादी-ब्याह में सफल होने का मंत्र बनकर सामने आ रहा है।
स्किन टोन फिल्टर का उपयोग करती है
हमारे देश में फेयर कॉम्प्लेक्शन की ओर बढ़ते रुझान को देखते हुए शादी डॉट कॉम जैसी वेबसाइट स्किन टोन फिल्टर का उपयोग करती हैं।रंग के भेदभाव को लेकर यूजर्स द्वारा आलोचना का सामना करने के बाद मैट्रिमोनियल वेबसाइट शादी.कॉम ने परफेक्ट पार्टनर की तलाश के लिए यूज किए जाने वाले फिल्टर को हटा दिया।
ऑनलाइन पीटीशनसाइन किया
दरअसल अमेरिका के डल्लास में रहने वाली हेतल लखानी ने कंपनी के खिलाफ इस मुहिम को सोशल मीडिया पर चलाया था। हेतल ने अपनी ऑनलाइन याचिका में लिखा था कि इस तरह केफिल्टर दक्षिण एशियाई समुदायों के हित के खिलाफ है। यह रंग भेदभाव को बढ़ावा दे रहेहै। हेतल की इस याचिका पर हजारों लोगों ने अपनी राय दी और ऑनलाइन पीटीशन को साइन किया।
फेसबुक ग्रुप की शुरुआत की
हेतल की इस पहल का मेघन नागपाल नेसमर्थन किया जो इस वेबसाइट का इस्तेमाल लाइफ पार्टनर की तलाश के लिए कर रही थीं। मेघनने कॉम्प्लेक्शन फिल्टर को लेकर फेसबुक ग्रुप की शुरुआत की। उसके बाद लखानी ने Change.org पर अपनी याचिका दायर की जिस पर तुंरत ही 1,368 लोगों ने सिग्नेचर किए।
सेलेब्स ने मुहिम की शुरुआत की
इससे पहले फेयरनेस प्रोडक्ट के खिलाफकई सेलेब्स ने मुहिम की शुरुआत की है। कॉम्प्लेक्शन के आधार होने वाले भेदभाव को बढ़ावा देने वाले इन प्रोडक्ट पर प्रतिबंध लगाने के मामले में टीवी प्रेजेंटेटर और राइटर पद्मा लक्ष्मी ने कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर लिखा था फेयर एंड लवली जैसी कंपनीज पर बैन लगना चाहिए।
सभी लोगों को जागरूक करती है
जवाहर लाल यूनिवर्सिटी में सोशियोलॉजी के प्रोफेसर सुरिंदर सिंह जोढका कहते हैं कि ये पीटिशन हमारे समाज के उन सभी लोगों को जागरूक करती है जो रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को बढ़ावा देते हैं।
फेयरनेस के खिलाफ चल रहे अभियान में सिर्फ शादी डॉट कॉम ही नहीं बल्कि पिछले दिनों जॉनसन एंड जॉनसन ने भी एशिया में उपलब्ध अपनी न्यूट्रोजिना फाइन फेयरनेस लाइंस को बंद करने का फैसला लिया है। स्किन व्हाइटनिंग प्रोडक्ट बेचने वाले अन्य ब्रांड का भी विरोध जारी है।
बॉलीवुड सितारों का विरोध होरहा
सोशल मीडिया पर फेयरनेस प्रोडक्ट का विज्ञापन करने वाले बॉलीवुड सितारों का भी विरोध किया जा रहा है। रिसर्च रिर्सोसेस रिसर्च ओर मार्केट्स की रिपोर्ट के अनुसार अगर भारत में फेयरनेस और ब्लीचिंग क्रीम के मार्केट की बात की जाए तो 2018 से अब तक इसके आंकड़ों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 2023 तक इस बाजार के 5,000 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।
सच तो यह है कि हमारे देश में काले और गोरे का फर्क ज़ुबानी तौर पर नहीं बल्कि मानसिक तौर पर भी है। सिर्फ रंग के आधार पर घर, ऑफिस और समाज में होने वाले भेदभाव को सांवली लड़कियों ने अपनी किस्मत मान लिया है। इस सेाच को हेतल और मेघल जैसी लड़कियों द्वारा किया गया प्रयास ही बदल सकता है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Cz9380
No comments:
Post a Comment