हाल ही में सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोलने 8,200 कोरोना वायरस पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं पर स्टडी की।इन पर की गई मल्टी सेंटर स्टडी औरसेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की नई रिसर्च से ये साबित होता है कि प्रेग्नेंसी की वजह से रेस्पिरेटरी सिस्टम और इम्यूनिटी में बदलाव होता है।
इम्यूनिटी कम होने की वजह से गर्भवती महिलाएं कोरोना वायरस की चपेट में जल्दी आ जाती हैं। सीडीसीने लगभग छह महीने तक 15 से 44 साल की 325,000 युवतियों पर अध्ययन किया। इनमें से 8,200 महिलाएं गर्भवती थीं।
स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ
रिसर्चर्स ने पाया कि कोविड-19 पॉजिटिव महिलाओं में मौतके आंकड़े सामान्य महिलाओं की अपेक्षा कम थे। वहीं गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ। यहां तक कि कई बार तबियत बिगड़ने की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया।
महिलाएं आईसीयू में एडमिट रहीं
इनमें से 5.4 बार इन महिलाओं को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया। 1.5 बार प्रेग्नेंट महिलाएं आईसीयू में एडमिट रहीं। 1.7 बार इन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। हालांकि सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की स्टडी से ये साबित हुआ कि इन महिलाओं को गर्भ में पल रहे शिशु की वजह से होने वाली तकलीफ के चलते अस्पताल में भर्ती किया।
इसका संबंध कोविड-19 से नहीं है। ये रिसर्च ओबस्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी जर्नलमें प्रकाशित स्टडी से समानता रखती है।
कोरोना वायरस के लक्षण नहीं थे
न्यूयॉर्क सिटी मेडिकल सेंटर के पांच रिसर्चर्स ने 240 से अधिक गर्भवती महिलाओं पर पहले तीन महीनों तक की गई स्टडी में पाया कि इनमें से 60% महिलाओं को कोरोना वायरस के लक्षण नहीं थे। डिलिवरी के समय तक ये महिलाएं स्वस्थ्य रहीं।
इसके अलावा अन्य गर्भवती महिलाओं में कोरोना वायरस के लक्षण नजर आए लेकिन कोई भी महिला इस बीमारी के चलतेगंभीर रूप से बीमार नहीं हुई। यहां तक कि कोरोना वायरस की वजह से प्रेग्नेंट महिलाओं की मौत के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी नहीं हुई।
महिलाओं की डिलिवरी सिजेरियन हुई
न्यूयॉर्क के रिसर्चर्स ने ये साबित किया कि 40% कोविड-19 पॉजिटिव महिलाओं की डिलिवरी सिजेरियन हुई। उन्होंने साबित किया कि कोरोना वायरस के पॉजिटिव होने पर सी-सेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। ऐसी भी कई गर्भवतीमहिलाएं थीं जिन्होंनेलगभग 37 हफ्ते पहले बच्चे को जन्म दिया। इन बच्चों में कोरोना का कोई लक्षण नहीं देखा गया।
कोरोना का प्रभाव जल्दी हुआ
मोंटफायर हेल्थ सिस्टम एंड अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन में वीमेंस हेल्थ फिजिशियन और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ राशा खौरी की स्टडी के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान कोरोना का असर बढ़ने की वजह महिलाओं का मोटापा हो सकता है। जिन महिलाओं का बीएमआई 30 से अधिक था, उनकी सेहत पर कोरोना का प्रभाव जल्दी हुआ।
इसके अलावा अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का असर इन महिलाओं पर मोटापे के बजाय कम ही रहा। इस स्टडी से अलग सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की रिसर्च ने ये साबित किया कि हिस्पेनिक और ब्लैक प्रेग्नेंट महिलाओं पर सेवेर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 (SARS-CoV-2) का असर कभी कम और कभी ज्यादा देखा गया।
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