कम विकसित देशों में रहने वाली वे महिलाएं जो मोबाइल चलाना जानती हैं, अपने फैसले खुद लेने में अन्य महिलाओं से आगेहैं। हाल ही में हुई स्टडी के अनुसार महिलाओं को आगे बढ़ाने में मोबाइल की पर्याप्त जानकारीकारगर हो रही है।
सोशल डेवलपमेंट की ओर इशारा
मेक गिल यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड और बोकोना यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार कम विकासशील देशों में रहने वाली महिलाएं मोबाइल फोन कोअपने विकास के लिए इस्तेमाल करती हैं। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार 1993 और 2017 में 209 देशों में की गई रिसर्च के अनुसार महिलाओं के पास मोबाइल होना ग्लोबल सोशल डेवलपमेंट की ओर इशारा करता है।
विकास बढ़ाया जा सकता है
इसी के सहारे बेहतर स्वास्थ्य, लैंगिक समानाता और गरीबी कम करने जैसे महत्वूपर्ण कामों के विकास को बढ़ाया जा सकता है। महिलाओं के पास मोबाइल होने से वे किस तरह सशक्त बन सकतीहैं, ये जानने के लिए लेखक ने 100,000 यूथोपिया, एंग्लो, बरूंडी, मालावी, तंजानिया, यूगांडा और जिम्बाब्वे की महिलाओं पर अध्ययन किया।
हालांकि ये सभी ऐसे स्थान हैं जहां फर्टिलिटी की दर कम है। यहां गर्भवती महिलाओं और शिशु की मृत्यु दर अधिक रहती है। इन देशों में महिलाओं के पास मोबाइल फोन की संख्या तेजी से बढ़ी है।
बीमारी के प्रति जागरूक करती हैं
इन देशों में 1% मोबाइल का नॉलेज रखने वाली महिलाएं गर्भनिरोधक तरीकों से जुड़े फैसले खुद करती हैं। 2% वे महिलाएं हैं जो गर्भनिरोधनके आधुनिक तरीके इस्तेमाल करना पसंद करती हैं। 3% महिलाएं एचआईवी से जुड़ी जानकारी से खुद को अपडेट रखती हैं। वे उन महिलाओं को भी इस तरह की बीमारी के प्रति जागरूक करती हैं जिनके पास मोबाइल नहीं है।
पुरुषों की अपेक्षा पीछे हैं
रिसर्चर्स कहते हैं कि सबसे ज्यादा ये इफेक्ट आइसोलेटेड एरिया और गरीब बस्तियों में रहने वाली महिलाओं के बीच देखा गया।इस रिसर्च से इस बात का खुलासा भी हुआ कि विकासशील देशों में रहने वाली महिलाएं मोबाइल होने के बाद भी इंफोर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के मामले में पुरुषों की अपेक्षा पीछे हैं।
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