श्रीनगर निवासी 34 वर्षीय इरफाना जर्गर कोरोना महामारी के दाैरानशहर की महिलाओं को फ्री में सैनिटरी किट्स वितरित करती हैं। श्रीनगर की गरीब महिलाओं के लिए इरफाना द्वारा किए जा रहे इस काम की सराहना की जारही है।
इवा सेफ्टी डोर के नाम से महिलाओं को बांटे जानी इस किट में सैनिटरी प्रोडक्ट्स जैसे सैनिटरी पैड्स, हैंड वॉश और सेनिटाइजर होता है। इरफाना कहती हैं मैं अपनी सैलरी का बड़ा हिस्सा हर महीने गरीब महिलाओं को सैनिटरी पैड्स देने में खर्च करती हूं। मैं चाहती हूं कि इस काम में अन्य महिलाएं भी आगे आएं।
चैरिटी का येजरिया सबसे अच्छा
निजी क्षेत्र में कार्यरत इरफाना अपनीयहपहल दिवंगत पिता गुलाम हसन जर्गरको समर्पित करती हैं। उन्होंने इस काम की शुरुआत अपने कॉलेज के दिनों में उस वक्त की जब वे देखती थीं कि उनके साथ पढ़ने वाली कई लड़कियां गरीबी की वजह से सैनिटरी पैड्स भीनहीं खरीद पाती थीं।
इरफाना कहती हैं चैरिटी का से जरिया सबसे अच्छा है। मैं उन सभी लोगों का स्वागत करती हूं जो मेरे इस काम को बढ़ावा देने में मदद करना चाहते हैं। वे श्रीनगर के हर पब्लिक टॉयलेट में सैनिटरी पैड्स रखना चाहती हैं ताकि हर महिलाको पैड्स की सुविधा मिल सके।
मेहराज से मिला सपोर्ट
इस काम के लिए उन्हें श्रीनगर निवासी डॉ. शाजिया मेहराज का सपोर्ट प्राप्त है।मेहराज कहती है सैनिटरी पैड्स बांटने की शुरुआत इरफाना ने ही। जब मुझे लगा कि महिलाओं की मदद का ये सबसे अच्छा तरीका हो सकता है तो मैंने भी उनका साथ देना शुरू किया।
मेहराज को इस बात की भी फिक्र है कि इतनी मेहनत से इकट्टा की गई सैनिटरी किट्स को असामाजिक तत्व चोरी करके न ले जाएं।
दिक्कतें भी सामने आ रही हैं
वैसे भी श्रीनगर में सार्वजनिक रूप से पीरियड्स से जुड़ी बातें करना आम नहीं है। लेकिन इरफाना के प्रयास से अब यह संभव हो रहा है। पीरियड्स से जुड़ी महिलाओं की दिक्कतें भी सामने आ रही हैं। साथ ही मासिक धर्म से जुड़ी धारणाओं पर भीबात होने लगी है जिनके बारे में पहले महिलाएं बात करने से झिझकती थीं।
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