शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य सीखने की प्रक्रिया को रोचक और अर्थपूर्ण बनाना है। अत: जरूरी नहीं कि उसकी प्राप्ति चार दीवारों वाली कक्षा में ही हो। खासकर वर्तमान में निर्मित परिस्थतियों की बात करें तो यह मजबूरी भी है और वरदान भी।
मजेदार तरीकें से सिखाएंविज्ञान और गणित
लॉकडाउन की वजह से स्कूल नहीं खुल रहे हैं। बच्चों का मन पढ़ने में भी नहीं लग रहा। ऐसे में आप उन्हें बहुत कुछ घर बैठे खेल-खेल में बहुत कुछ सिखा सकते हैं। मुख्यत: दो विषय हैं, जिन्हें सीखना जरूरी है विज्ञान और गणित। इन्हीं दो को सीखने के लिए किसी माध्यम यानी कि भाषा का इस्तेमाल होगा। हमारे आसपास जो भी उपलब्ध है, वह विज्ञान है उसे नापने के लिए गणित की आवश्यकता है। जानिए, घर बैठे आप बच्चों को किस किस तरह का ज्ञान दे सकते हैं, जिसे वे मनोरंनात्मक तरीके से लेंगे।
विज्ञान की बात
वनस्पति विज्ञान सिखाने का भी यह सही मौका है। बच्चों को इस विधा में विभिन्न तरह के बीज बोना सिखाएं। इस समय घर में मौजूद मैथीदाना, धनिया, राई को छोटे छोटे पॉट्स में बच्चों को बोना बताएं और उनकी देखभाल करने का भी बोलें। इससे उनकी रुचि वनपस्ति विज्ञान की तरफ बढ़ेगी और वे बेहतर तरीके से जीवन विज्ञान भी सीखेंगे।
बढ़ाएं भाषा ज्ञान
इसी तरह रसोईघर में मौजूद सामग्री की लिस्ट बनाकर उनके हिंदी अंग्रेजी नाम पता करें और लेबल बना लें। उन्हें सरल विधियां बताकर खाना पकाने दें। शब्दकोश की मदद से शब्दों की अंताक्षरी शब्द श्रृंखला पर्यायवाची शब्द आदि खोजने के लिए प्रोत्साहित करें। इसी तरह भाषा ज्ञान बढ़ाने के लिए गुणवत्ता भरे ऑडियो-वीडियो सुनें और देखें।
टीवी, मूवी से सीख
अब अगर बात किताब पढ़ने की ही आए तो उसे न सिर्फ पढ़ें बल्कि बच्चों से कहें कि वे उसका रिव्यू भी लिखें। उसी तरह प्रेरणास्पद मूवी देखकर वे मूवी रिव्यू लिखें या उस पर चर्चा करें। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेलों की जानकारी हासिल की जा सकती है। टेलीविजन पर कोई मैच की सीरीज देखकर उन्हें अपनी राय देने को कहें।
खेल-खेल में
छोटे बच्चों को गणित संबंधी पाठ खेल-खेल में समझाए जाएं। लूडो, सांप-सीढ़ी, कैरम और अन्य पहेलियों से अंकों का ज्ञान करवाएं। शहर के वार्ड, जोन व क्षेत्र की जानकारी देकर बच्चों की रुचि उनके अपने शहर के प्रति बढ़ाई जा सकती है। उनका समाजिक विज्ञान बढ़ेगा। उन्हें काल्पनिक परिस्थतियां बताएं और उन पर प्रतिक्रिया देने को कहें।
जीवन के उदाहरण
बच्चों को असल जिंदगी के उदाहरणों से बड़ी आसानी से तथ्य सिखाए जा सकते हैं। छोटी उम्र के बच्चों को कहानियों के माध्यम से बहुत सी बातें समझाई जा सकती हैं। इस चर्चा में दादा जी के बचपन, आपके बचपन और आज के समय में उपलब्ध सुविधाएं, वस्तुओं के मूल्य और अन्य विकसित उपकरणों की बात की जा सकती है।
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