Thursday, 9 April 2020

ड्यूटी के घंटे बढ़ गए हैं, घर में बच्चों से दूर रहती हैं, कई बार वीडियो कॉल से ही संपर्क;फिर भी जुबां पर एक ही बात “ड्यूटी फर्स्ट”

काेराेना संक्रमण के संकट में प्रशासन के अधिकारी, पुलिस, डाॅक्टर और अन्य जरूरी सेवाओं से जुड़े लोग ड्यूटी निभा रहे हैं। अब चौबीसों घंटे ड्यूटी चल रही है। खासकर महिला ऑफिसर के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी है, उन्हें ड्यूटी के साथ परिवार को भी संभालना है। महिला ऑफिसर्स कैसे दोहरी ड्यूटी निभा रही हैं, पढ़ें उन्हीं की जुबानी…

परिवार से वीडियो कॉल से ही संपर्क हो रहा

पुलिस की डयूटी टाइम की सीमा नहीं हाेती। कई बार तो 24 घंटे की ड्यूटी हो जाती हैं लेकिन ड्यूटी और फर्ज पहले हैं। अम्बाला में अकेली रह रही हूं और हसबैंड कोलकाता में आईपीएस ऑफिसर हैं। मूलरूप से नोएडा की हूं और इन-लॉज फैमिली चंडीगढ़ में है। लॉकडाउन की वजह से उनसे काफी टाइम से मिलना नहीं हो पाया। रोज उनसे वीडियो कॉल के जरिए बात कर लेती हूं। -निकिता खट्टर, आईपीएस, सदर थाना में बताैर ट्रेनी एसएचओ

घर पहुंचने पर जसमिंद्र काैर (सबइंस्पेक्टर, दुर्गा शक्ति) के हाथ धुलवाती पोतियां

सेनिटाइजर लेकर वेलकम करती हैं पाेतियां

पेट्राेलिंग के दौरान ज्यादातर समय बाहर ही रहना पड़ता है। इसलिए जब भी आसा सिंह गार्डन में अपने घर पहुंचती हूं तो हॉर्न की आवाज सुनकर 6-7 साल की दोनों पोतियां रहमत और हरजप सेनिटाइजर और पानी लेकर वेलकम करती हैं। फ्रैश होने के बाद ही परिवार वालों से मिलती हूं। मैं तो बाहर डयूटी कर रही हूं और मेरी वजह से परिवार को परेशानी न हो इसलिए बहुत ध्यान रखती हूं।

अदिति, एसडीएम, नारायणगढ़

घर जाकर काफी देर तक बेटे को गोद भी नहीं उठा पाती

मेरे पेरेंट्स की उम्र 60 से ऊपर है। मेरा बेटा दाे साल का है। घर जाने में एक बार असुरक्षा का भाव तो आता है। कई बार तो बेटे को गोद में उठाने से भी डर लगता है। कोरोना संक्रमण के कारण वर्किंग ज्यादा बढ़ गई है। सिचुएशन को संभालने के लिए फील्ड में रहना पड़ता है। जब घर पहुंचती हूं तो सबसे पहले शूज़ बाहर उतारती हूं। अंदर जाकर किसी से मिलने की बजाय सबसे पहले कपड़े चेंज करके और खुद के सेनिटाइज करने के बाद फैमिली से मिलती हूं। सोच रखा है कि अगर सिचुएशन और खराब हुई तो घर जाने की बजाय बाहर रहने का इंतजाम करना हाेगा। कुछ दिन फैमिली से नहीं मिलेंगे। क्योंकि फैमिली के लिए किसी भी तरह का रिस्क नहीं ले सकते.. लेकिन ड्यूटी फर्स्ट।

सुनीताढाका, एसएचओ, महिला थाना

बेटा कहता है- मम्मी बाहर जाती हो ध्यान रखा कराे

डर अपनी जगह है लेकिन फैमिली को भी पता है कि ड्यूटी तो निभानी ही है। जब भी घर से निकलती हूं तो 8 साल का बेटा देव कहता है- मम्मी अपना ख्याल रखना। जब भी घर लौटती हूं सबसे पहले अपने कमरे में जाकर वर्दी अलग रखती हूं। मुंह-हाथ धोकर फिर अपने बेटे और हसबैंड से मिलती हूं। घर के बाहर ही सेनिटाइजर रखा हुआ है और आते-जाते सभी खुद को सेनिटाइज करते हैं। थाने में हर रोज 7-8 शिकायतें आ रही हैं। ऐसे में लोगों से डीलिंग भी ज्यादा हाेती है। मंगलवार को भी एक महिला अपने बच्चाें के साथ थाने पहुंची तो उनको समझाया गया कि बच्चाें को बाहर ना निकालाे और जितना हो घर मेें रहकर खुद को सुरक्षित रखाे। लेकिन लोगों को समझ नहीं आती कि यह वक्त ठीक नहीं है।



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Duty hours have increased, children are away from home, many times they are contacted by video call; yet the same thing on duty "duty first"


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